Sun in 1st house | सूर्य ग्रह प्रथम भाव में: बढ़ाएगा आत्मविश्वास और करिश्मा की शक्ति

सूर्य ग्रह

Sun in 1st house

प्रथम (पहले) भाव में सूर्य ग्रह (Sun in 1st house) : भूमिका  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य ग्रह विराजमान हो तो यह इस बात का सूचक है कि ऐसे जातक का स्वभाव बहुत सरल, स्पष्ट और उदार होगा। इतना ही नहीं बल्कि ऐसे जातक के भाई- बहन को भाग्य का साथ बहुत मिलता है। सूर्य ग्रह के किसी भी कुंडली में प्रथम भाव में होने से जातक की संतान उच्च शिक्षा प्राप्त कर अच्छा प्रदर्शन करते हैं और उनकी हर बात सराहनीय मानी जाती हैं।

विगत कई वर्षों के अनुभव तथा ज्योतिष शास्त्र के ज्ञानी आचार्य श्री शुभम जी जोशी ने हमें इस लेख के माध्यम से कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य ग्रह की भूमिका के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है जो कि प्रभावित जातक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगी- तो आइए अब इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते है-

कुंडली में सूर्य ग्रह 

ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है। हिन्दू संस्कृति में सूर्य को देवता की उपाधि दी गई है और आराधना की जाती है। सूर्य देव धरती पर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत भी माने जाते है। वैदिक ज्योतिष की दृष्टि में सूर्य को तारों का जनक माना जाता है। 

सभी नौ ग्रहों में सूर्य सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है जो संपूर्ण प्रथ्वी को अपनी ऊर्जा प्रदान करता है। सौर मंडल में सूर्य  केन्द्र में स्थित है। सूर्य ग्रह जब किसी भी जातक की जन्म कुंडली के पहले भाव में विराजमान होते हैं तो जातक के जीवन पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालते हैं-

प्रथम भाव में स्थित सूर्य के सकारात्मक प्रभाव

प्रथम भाव (पहले घर) में स्थित सूर्य ग्रह जातक को एक बहुत अलग प्रकार का व्यक्तित्व प्रदान करता है। किसी भी जातक के व्यक्तित्व पर यदि सूर्य का प्रभाव है तो यह वह व्यक्ति सूर्य की ऊर्जा और तीव्रता के प्रभाव के कारण एक धर्मी व्यक्तित्व का धनी माना जाता है। इसके साथ ही ऐसे जातक में शक्ति और अधिकार की तीव्र इच्छा हो सकती है। जिन भी जातकों की कुंडली के पहले भाव में यदि सूर्य ग्रह बैठे हो तो उन्हें एक प्रभावशाली क्षमता मिलती है। 

ऐसे लोग जन्मजात ही नेता प्रवृत्ति के होते हैं, और एक बड़े जनसमूह का मार्गदर्शन कर सकते हैं। ज्योतिष में ऐसे जातक को सबके साथ निष्पक्ष और समानता का व्यवहार करना चाहिए। इसके अलावा प्रथम भाव में स्थित सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक गतिशीलता और स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं। पहले भाव में सूर्य ग्रह के होने से जातक में मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ-साथ सशक्त होने की क्षमता का भी विकास होता है। ऐसे जातक सकारात्मकता, व्यावहारिकता और आत्मविश्वास से भरे  होते हैं। ऐसे जातक दूसरों की तुलना में  अधिक बुद्धिमान भी होते हैं। 

इसके साथ ही ऐसे जातकों का स्वभाव बहुत उत्सुक और जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। इनके मन में हमेशा कुछ नया सीखने की ललक बनी रहती है। इन जातकों की यही जिज्ञासा प्रवृत्ति ही उनके ज्ञान और अनुभव में विकास लाती है। जिन जातकों की कुंडली पहले भाव में सूर्य विद्यमान होता है, उन्हें समाज में बहुत मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। और दूसरे लोग भी इनके नेतृत्व गुणों और ज्ञान के कारण उन्हें अत्यधिक पसंद करते हैं। इसलिए जिन लोगों की कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य होता है, उनके करियर में सफलता की संभावना भी अधिक होती है। 

प्रथम भाव में स्थित सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार कुछ परिस्थितियों में कुंडली के पहले भाव का सूर्य जातक को अभिमानी और लोभी स्वभाव का भी बना सकता है। ऐसा  इसलिए होता है क्योंकि वे सत्ता और प्रभाव के लालच में अधिक प्रयासरत रहते हैं। इनका आत्मविश्वास, अति आत्मविश्वास में बदल जाता है और उन्हें ऐसा लगता है कि  वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं, और उनसे बेहतर कोई नहीं हो सकता। ऐसे जातकों कि यह सोच होती है कि वे जो भी निर्णय करते हैं, वैसा कोई नहीं कर सकता और उनका निर्णय ही सर्वोपरि होता है । किसी नेता या प्रमुख के रूप में वे अपने अनुयायियों के साथ कुछ अनुचित व्यवहार भी कर सकते हैं। जिससे दूसरों के बीच उनकी लोकप्रियता पर बहुत बुरा असर कर सकता है, जो उनके अधीनस्थ हैं। इनमें से कुछ तो उनके प्रति शत्रुता भी रख सकते हैं।

इसके साथ ही प्रथम भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति के कारण प्रभावित जातक थोड़े सनकी और स्वार्थी हो सकते हैं, विशेषकर तब, जब हालत विपरीत पक्ष में चल रहे हों। ऐसी स्थिति में ऐसे जातक केवल अपना स्वार्थ देखते हैं, और दूसरों के हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातक अनैतिक और अधर्मी भी हो सकते है। इस भाव में सूर्य की स्थिति वाले जातक बहुत मनमौजी स्वभाव के हो सकते हैं। इनकी अधिक गुस्सा करने की प्रवृत्ति के कारण ये अपने आस-पास के परिवेश में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते है। 

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प्रथम भाव में सूर्य ग्रह का करियर पर प्रभाव 

सूर्य के पहले भाव में होने से ऐसे जातक अपने करियर हेतु राजनीति या नेतृत्व के क्षेत्र में अमूल्य सफलता प्राप्त करते है। जिसके फलस्वरूप ऐसे जातक सदैव दूसरों पर राज करते हैं। ऐसे जातकों के पास अपनी मजबूत ऊर्जा और उत्साह के कारण ये बेहतर और सरलता से अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं। ऐसे जातक समाज में एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। 

सूर्य ग्रह
सूर्य प्रथम भाव में

प्रथम भाव में सूर्य ग्रह का प्रेम संबंध और वैवाहिक जीवन पर प्रभाव

प्रथम भाव में सूर्य से प्रभावित जातक अपने प्रेम संबंधों के मामलों में अत्यधिक अहंकार की भावना रखने वाले होते हैं।ऐसे लोग अपने पार्टनर की जरूरतों को नजरअंदाज कर दूसरों को अपने विचारों हेतु मजबूर करते हैं। ऐसे लोग सभी वस्तुओं में अहम् की भावना को अधिक प्राथमिकता देते हैं। पहले भाव का सूर्य सातवें भाव में  विवाह को परिभाषित करता है सही राशि होने पर जातक का वैवाहिक जीवन अच्छा होता है।

निष्कर्ष

अतः हम कह सकते हैं कि कुंडली के प्रथम भाव में उपस्थित सूर्य जातक की ऊर्जा, महत्वाकांक्षा, सफलता, उपलब्धि और परिपूर्णता का प्रतीक होता है। परन्तु इन क्षमताओं का लाभ प्राप्त करने के लिए जातक को कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है। कुंडली के पहले भाव में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक जीवन में बहुत सफलता हासिल कर सकते हैं। लेकिन बशर्ते वे अपने गुस्से और अहंकार पर नियंत्रण रखें नहीं तो उनके दुर्व्यवहार से उनकी तुलना भी बुरे स्वभाव में की जा सकती है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में सूर्य ग्रह के प्रभाव

कुंडली में दूसरे भाव का सूर्य देगा धन-संपत्ति
कुंडली के तीसरे भाव का सूर्य ग्रहचौथे भाव में सूर्य की शुभ स्थिति
कुंडली के पांचवे भाव में सूर्यकुंडली में छठे भाव में सूर्य ग्रह की भूमिका
कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रहकुंडली के आठवें भाव में सूर्य करेंगे संवेदनशील
नौवें भाव में सूर्य ग्रह देते हैं आदर सत्कारदसवें भाव में सूर्य ग्रह करते हैं बुद्धि तथा प्रसिद्धि का संचार
कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य ग्रह का प्रभावकुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह

सूर्य ग्रह प्रथम भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य के होने से क्या होता है?

An- प्रथम भाव में सूर्य ग्रह की स्थिति के प्रभाव के कारण ऐसे जातक पैदाइश नेता होते हैं। सूर्य के सकारात्मक प्रभाव के कारण इन लोगों में जीवन के प्रति बहुत दृढ़ और सकारात्मकता होती है।

Q- कुंडली में प्रथम भाव का स्वामी कौन होता है?

An- प्रथम भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है।

Q- क्या, प्रथम भाव का सूर्य ग्रह शुभ होता है?

An- हां, प्रथम भाव में सूर्य ग्रह जातक के शुभ होता है।

Q- कुंडली में प्रथम भाव किसका होता है?

An- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी जातक की जन्म कुंडली में पहला भाव को लग्न स्थान कहते हैं।

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