कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रह( Sun in 7th house); महत्ता
ज्योतिष की गणना के अनुसार कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रह के होने से जातक का व्यवहार और निजी जीवन दोनी हो प्रभावित होते हैं। इस भाव में सूर्य ग्रह का होना जातक के वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है। वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार कुंडली का सातवाँ भाव जीवन साथी, वैवाहिक जीवन, आर्थिक स्थिति, करियर, विदेश यात्रा आदि से संबंधित होता है।
वैदिक ज्योतिष में कुंडली के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव केंद्र भाव माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये भाव कुंडली के सबसे बलवान भाव होते हैं लेकिन सातवें भाव को लेकर हमेशा से विद्वानों में बहुत मतभेद की स्थिति रही है। वास्तविक रूप से इस भाव को मारकेश भी कहते हैं जो कि विवाह का भी कारक है । ऐसे में सातवें भाव बलवान ग्रह जब बैठे हो तो उसका फल शुभ होगा यह विचारणीय है।
इसके अलावा सातवें भाव में विराजित सूर्य बेहद प्रभावशाली होता है और संपूर्ण जीवन को बदलकर रख देता है।
कुंडली के सातवें भाव में सूर्य की उपस्थिति शुभ नहीं मानी गई है। इस भाव में विराजमान सूर्य जातक इतना अधिक स्वाभिमानी बना सकता है कि अन्य लोगों जातक को अहंकारी समझ सकते हैं। ऐसे में जातक के स्वभाव में कठोरता आने की भी संभावना हो सकती हैं। ऐसे जातकों को कार्यक्षेत्र में लाभ तथा अपने कार्य के प्रति अधिक आनंद भी तभी आता है, जब उनके कार्यालय और निवास स्थान दोनों आस-पास ही हो।
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ आचार्य श्री शुभम जी जोशी ने हमें इस लेख में कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति से होने वाले प्रभावों का वर्णन तथा कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है जो कि प्रभावित जातक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी- तो आइए अब इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते है-
सातवें भाव में सूर्य ग्रह से प्रभावित क्षेत्र
- प्रेम सम्बन्ध और रिश्ते
- पेशा या व्यवसाय
- स्वास्थ्य
- जीवन के प्रति दृष्टिकोण
- सामाजिक जीवन
सातवें भाव में सूर्य ग्रह के शुभ तथा अशुभ प्रभाव
- अशुभ प्रभाव
ज्योतिष की गणना के अनुसार, सातवें भाव में सूर्य ग्रह स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन के लिए भी शुभ नहीं मानी गई है। अत: जातकों के जीवनसाथी से मतभेद हो सकते हैं। विशेषकर विवाह के पंद्रह वर्षों तक वैवाहिक जीवन में सामंजस्य की कमी की स्थिति हो सकती है। ऐसे जातकों के जीवनसाथी का स्वभाव शर्मिला तथा शारीरिक रूप से वें नाजुक हो सकते हैं। सातवें भाव में स्थित सूर्य जातक को अहंकारी बना सकता है और अन्य लोग द्वारा ये जातक आपको स्वार्थी समझे जा सकते हैं।
सातवें भाव का सूर्य जातक को किसी विशेष बात को लेकर चिंता दे सकता है। पिता की बहन अर्थात बुआ के साथ भी जातक के संबंध बिगड़े रह सकते हैं। इसके साथ ही कभी-कभी इन जातकों को आर्थिक स्थिति और पारिवारिक संबंधों को लेकर भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा सत्ता पक्ष, सरकार या सरकारी कर्मचारियों के माध्यम से इन जातकों को अपमानित होना पड़ सकता है या इसके कारण हानि भी उठानी पड़ हो सकती है।
- शुभ प्रभाव
जिन जातकों की कुंडली के सातवें भाव में सूर्य होता है, उन लोगों को शेयरिंग, केयरिंग और बॉन्डिंग की बहुत आवश्यकता होती है। ज्योतिष के अनुसार अगर इन्हें अपना सही पार्टनर मिल जाए तो ये अपने निजी तथा व्यावसायिक जीवन में बहुत सफलता हासिल कर सकते हैं। इसके विपरीत, यदि उनका साथी उचित स्वभाव का न हो तो यह उन्हें बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव दे सकता है। ऐसे जातक अपने रिश्ते में बहुत समय और ऊर्जा लगाते हैं और अपने साथी से उम्मीदें भी रखते हैं। यह तथ्य जीवन साथी और बिजनेस पार्टनर दोनों पर लागू होता है।
सातवें भाव में सूर्य से प्रभावित जातक अपना सही जीवन साथी ढूंढने में कुछ समय अवश्य लगाते हैं परन्तु जब वे उसे ढूंढ लेते हैं, तो वे अपना संपूर्ण जीवन उसके साथ बिता सकते हैं। यदि इनके जीवन साथी की किसी कारणवश मृत्यु हो जाए या वे दूर हो जाए तो ऐसी स्थिति में ये जातक बहुत हताश महसूस करते हैं।
सातवें भाव में सूर्य ग्रह का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, यदि विवाह पर यदि सातवें भाव में सूर्य की दृष्टि हो तो जातक का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। सातवें भाव में सूर्य हो तो जातक अपने पार्टनर को स्वयं से दूर नहीं जाने देता और उससे अत्यधिक प्रेम की अपेक्षा रखता है। ऐसा कहा गया है कि ये जातक अपनी ओर से रिश्ते में पूरी ऊर्जा और समय देते हैं परन्तु इन्हें अपनी इच्छाओं के अनुसार पर्याप्त प्रेम नहीं मिल पाता।
सातवें भाव में सूर्य ग्रह का व्यवसाय तथा करियर पर प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार चूंकि सातवां भाव विवाह का भाव माना जाता है और इसका आकलन करियर के क्षेत्र में भी किया गया है। अतः इस भाव में सूर्य ग्रह की स्थिति जातक के व्यावसायिक मामलों को भी प्रभावित करती है। इस भाव में शुभ ग्रहों की युति के कारण जातक के किसी सरकारी कंपनी में कार्यरत होने के योग हो सकते हैं और जातक की दैनिक आय भी अच्छी होगी। इस भाव में सूर्य ग्रह से प्रभावित जातक साझेदारी में भी श्रेष्ठ सफलता हासिल करते हैं।
सूर्य ग्रह के माध्यम से जातकों में सकारात्मक दृष्टिकोण तथा आक्रामक व्यवहार का विकास होता है।
इसलिए ऐसे जातक अच्छे प्रशासक होते हैं और वें एक उत्कृष्ट प्रबंधक या मेनेजर भी सिद्ध होते हैं।
ऐसे जातकों के पास कार्य करने की एक कुशल प्रणाली होती है। सातवें भाव में सूर्य ग्रह के प्रभाव के कारण जातक को किसी राजनीतिक क्षेत्र में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। ज्योतिष की सलाह में ऐसे जातकों को किसी प्रकार के मुकदमों या कोर्ट-कचहरी से सम्बंधित मामलो से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
- निष्कर्ष
अंत में हम निष्कर्ष के रूप में यह कह सकते हैं कि सातवें भाव में सूर्य वाले जातक अपने जीवन साथी पर अत्यधिक निर्भर होते हैं। वे अपनी शक्ति और उस बंधन से प्राप्त शक्ति को दूसरों के साथ साझा करते हैं। इसके साथ ही इन जातकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वें अपने साथी से बहुत अधिक अपेक्षाएं न रखें। दूसरों के साथ संबंध बेहतर बनाने से ये जातक लाभ अवश्य प्राप्त करेंगे।
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सूर्य ग्रह सातवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में सातवें भाव में सूर्य ग्रह जातक के व्यवहार पर क्या प्रभाव करते हैं?
An- ज्योतिष के अनुसार कुंडली के सातवे भाव में सूर्य के प्रभाव के कारण जातक सरकारी क्षेत्र में अच्छे पद पर आसीन होते हैं ये एक अच्छे प्रशासक होते हैं।
Q- क्या,सातवें भाव में सूर्य ग्रह अशुभ होते हैं?
An- कुंडली के सातवें भाव सूर्य प्रतिकूल स्थिति में होने का अर्थ है कि जातक का वैवाहिक जीवन कष्टमय होगा। जिसमें जातक का जीवन साथी एक समय में अधिक अहंकारी या क्रोध से भरा हो सकता है।
Q- कुंडली में सूर्य ग्रह के शुभ होने से क्या होता है?
An- सूर्य की शुभ दिशा से जातक को धन, यश, प्रतिष्ठा मिलेगी और जीवन राजा के समान होगा। जातक को पुत्र की प्राप्ति होती है और वह परिवार के सभी सुखों का भोग कर सकता है।
Q- कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रह करियर पर कैसा प्रभाव करते हैं?
An- कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रह जातक के करियर पर अनुकूल प्रभाव करते हैं।