कुंडली के चौथे भाव में सूर्य ग्रह: भूमिका
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी कुंडली के चौथे यानी चतुर्थ भाव में सूर्य ग्रह यदि शुभ फल देने वाला हो तो ऐसे जातक बुद्धिमान और दयालु होने के साथ-साथ एक कुशल तथा श्रेष्ठ प्रशासक भी होते हैं। जातक के पास अपनी आमदनी के कई स्रोत होते हैं। अतः ये जातक मृत्यु के उपरांत अपने वंशजों हेतु पर्याप्त धन-संपत्ति छोड़कर जाते हैं।
ज्योतिष के अनुसार चौथे भाव को बंधु (भाइयों) का भाव माना जाता है। यह भाव घर-परिवार में खुशियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और साथ ही यह जातक की मूल प्रवृत्ति और स्वभाव को दर्शाता है। इस भाव में जातक के उन क्षेत्रों के बारे में पता लगाया जाता है जो उन्हें अपने मूल स्थान से जोड़ती हैं।
इस भाव में संपत्ति, घर, ज़मीन, मवेशी, अचल संपत्ति और वाहन आदि भी शामिल हैं, इसलिए चौथे भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति जातक के परिवार और घरेलू मामलों को भी प्रभावित करती है।
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ आचार्य श्री शुभम जी जोशी ने हमें इस लेख में कुंडली के चौथे भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति से होने वाले प्रभावों का वर्णन तथा कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है जो कि प्रभावित जातक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी- तो आइए अब इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते है-
चौथे भाव में सूर्य ग्रह: प्रभावित क्षेत्र
- रिश्ते\पारिवारिक संबंध
- शिक्षा का क्षेत्र
- समाज में मान-प्रतिष्ठा
- दूसरों के प्रति व्यवहार
- सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलू
चौथे भाव सूर्य ग्रह के सकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष के आकड़ों के अनुसार, जिन जातकों की जन्म कुंडली के चौथे भाव में सूर्य ग्रह बेठे हो तो, ऐसे जातक अपने परिवार के प्रति अत्यधिक उन्मुख और समर्पित होते हैं। ऐसे जातकों की रूचि घरेलू मामलों में बहुत होती हैं और ये अपने परिवार के सभी सदस्यों की देखभाल बहुत अच्छी तरह रखते हैं।
इन जातकों को अपने परिवार के सुख तथा आनंद का भी बहुत ध्यान रखते है इसलिए इनका सदैव यह प्रयास रहता है कि उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी प्रकार की कोई समस्याओं का सामना न करना पड़े।
चौथे भाव में सूर्य के प्रभाव के कारण ये जातक हमेशा बड़े सपने देखने में विश्वास करते हैं तथा व छोटी-छोटी घटनाओं से स्वयं को दूर रखते हैं। ऐसे जातक अपने दिनभर की गतिविधियों को भी बड़ी शांति से सुलझाते हैं। ये जातक पहले अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हैं ताकि वे आगे बढ़कर दूसरों की सहायता कर सकें। ऐसे जातक अपनी उम्र के साथ और भी बेहतर होते जाते हैं।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य के शुभ प्रभाव से ये जातक अपने आसपास के लोगों के बीच भी बहुत पसंद किए जाते हैं। अन्य लोग चौथे भाव में सूर्य की स्थिति से प्रभावित जातकों की सहायक प्रकृति को भी पसंद और स्वीकार करते हैं। चौथे भाव में सूर्य की स्थिति से जातक वैसे तो सार्वजनिक नहीं होते, परन्तु वे अपने जीवन में कुछ विशेष व्यक्तियों को बहुत अधिक महत्व देते हैं।
चौथे भाव में सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव
जिन जातकों की कुंडली के चौथे भाव में सूर्य ग्रह विराजमान होते है, उनके जीवन में कई बार कुछ ऐसे क्षण भी आते हैं, जब वे बहुत ही निराश, हताश और परेशान महसूस करते हैं। जिसके चलते वे अपनी समस्त अच्छाइयों को भूल जाते हैं। ऐसा समय इन जातकों के लिए बहुत ही कठिन समय होता है जब उन्हें कोई उम्मीद नज़र नहीं आती। ऐसे में ज्योतिष की सलाह होती है कि वे इस बात में विश्वास रखें कि ‘यह समय भी बीत जायेगा’ तो बहुत जल्द ही वे अपनी परेशानियों और कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।
इसके अलावा, इन जातकों का अपने माता-पिता की ओर अधिक लाड-प्यार भी इनके लिए नकारात्मक पक्ष साबित हो सकता है। ऐसे में वे अपने जीवन साथी के साथ अनुचित व्यवहार कर सकते हैं, क्योंकि वे अपने माता-पिता की ओर अधिक प्रभावी होते हैं। जिसके कारण उनका वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है या फिर वैवाहिक जीवन में कुछ मनमुटाव की स्थिति बन सकती है। ऐसे में इन जातकों को स्वयं की ख़ुशी को भी उतना ही महत्व देना चाहिए।
इसके अलावा घरेलू मामलों में उनकी उपस्थिति मजबूत होती है। और इसलिए, कई बार पारिवारिक जीवन में उनके बहुत हावी होने की संभावना हो जाती है। ऐसे में इन जातकों को इस मोर्चे पर सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति हिंसा या बंधन पसंद नहीं करता।
चौथे भाव में सूर्य की स्थिति से के इस भाव में होने से एक जातक में स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानने का गुण आ जाता है। ऐसे में इन जातकों को दूसरों के विचारों का भी सम्मान करना चाहिए। इन जातकों का दूसरों से ज्यादा ख़ुद से प्रेम करना यह उनकी छवि और अच्छाई को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
चौथे भाव में सूर्य ग्रह स्वभाव\व्यवहार पर प्रभाव
गणनाओं के अनुसार चौथे भाव में सूर्य ग्रह के कारण जातक कभी-कभी वाहन या कानून की व्यवस्था के नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं। अहंकार के वशीभूत होकर ये जातक अपने द्वारा किया गया कृत्य का दोष दूसरों पर भी डाल सकते हैं। इस भाव में सूर्य से प्रभावित जातक किसी सरकारी अधिकारी या बड़े पद पर आसीन लोगों की चापलूसी करने वाले हो सकते हैं और उनको प्रभावित करने के लिए सभी प्रकार के यथाशक्ति प्रयास भी करते हैं।
इसके अलावा चौथे भाव में सूर्य के कारण जातक को जीवन के पहले भाग में स्वास्थ्य से संबंधित कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही प्रेम संबंधों में अलगाव या मनमुटाव की स्थिति हो सकती है हालांकि अपनी उम्र के 22 वर्ष के बाद इनके घरेलू सम्बन्ध तथा नौकरी से संबंधित परेशानी खत्म होने लगती है।
- निष्कर्ष
चौथे भाव में सूर्य से प्रभावित जातक अपने परिवार के सदस्यों और परिवार की खुशी के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं। ये जातक अपने करीबी तथा प्रिय लोगों की अच्छी देखभाल करते हैं। परन्तु उन्हें अनुचित रूप से लाड प्यार तथा दिखावे से बचना चाहिए। जहां वास्तविकता में उनकी आवश्यकता हो वहां होना और उनकी मदद करना ही उचित होता है। इसके अलावा, घर से बाहर की चीजों को नजरअंदाज करना से जीवन जीने का एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है, जिससे संतुलन भी बना रहता है होना।
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सूर्य ग्रह चौथे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या चौथे भाव में सूर्य अशुभ होता है?
An- चौथे भाव में सूर्य, जातक को परिवार और संपत्ति का आशीर्वाद देता है। ऐसे जातक का परिवार ही उनके लिए सर्वोपरि होता है। ये लोग परिवार, परिवार के कल्याण और सामाजिक स्थिति का अच्छी तरह से ध्यान रखते हैं।
Q- चौथे भाव सूर्य का क्या मतलब होता है?
An- चौथे भाव में सूर्य से प्रभाव के कारण जातक का झुकाव सरकारी और अर्ध-सरकारी सेवा के प्रति अधिक रहता है । ऐसे लोग स्थानीय सरकार, नगर पालिका क्षेत्र और सार्वजनिक डोमेन में अवसरों की तलाश करना भी पसंद करते हैं।
Q- कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी कौन है?
An- चौथे भाव का स्वामी कारक ग्रह चंद्र होता है।
Q- कुंडली में सूर्य मजबूत होने से क्या होता है?
An- जातक की कुंडली में मजबूत सूर्य नौकरी, व्यवसाय और राजनीति में सफलता दिलाता है; लेकिन अगर किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में है या सूर्य दोष होता है, तो उनको किसी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती।