कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य ग्रह( Sun in 5th house)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांचवें भाव में सूर्य ग्रह का प्रभाव जातक को बुद्धिमान और ऊर्जावान बनाता है इसके साथ सूर्य के शुभ प्रभाव के कारण ये जातक बड़े ही साहसी और विलक्षण क्षमता वाले होने के साथ दूसरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। इस भाव में सूर्य से प्रभावित जातक आमतौर पर अपने आसपास के लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली का पांचवां भाव, जातक के जीवन के आनंद को दर्शाता है अर्थात यह जातक उन पहलुओं का चित्रण करता है जो व्यक्ति के लिए श्रेष्ठ अनुभूति होती है। अक्सर देखा गया है कि जातक को आनंद अपने रचनात्मक कार्यों और विचारों का फल होते हैं। इसलिए पंचम भाव, जातक के उस स्वभाव को दिखाता है जो हमें आनंद और खुशी प्रदान करते हैं।
इस प्रकार, सभी रचनात्मक अभिव्यक्ति 5वें भाव द्वारा चलाई जाती हैं। इसमें हमारे बच्चे भी शामिल होते हैं, जिन्हें हमारा जैविक विस्तार कहा जाता है। यह कहा जाता है कि पांचवे भाव में सूर्य से प्रभावित जातक उन क्षेत्रों में रूचि लेते है जिनमें खेल, लेखन और नाटक जैसी रचनात्मक और आत्म-अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती है।
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ आचार्य श्री शुभम जी जोशी ने हमें इस लेख में कुंडली के पंचम भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति से होने वाले प्रभावों का वर्णन तथा कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है जो कि प्रभावित जातक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी- तो आइए अब इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते है-
पांचवें भाव में सूर्य ग्रह से प्रभावित क्षेत्र
- प्रेम सम्बन्ध
- कौशल\ज्ञान
- दूसरों के प्रति व्यवहार
- व्यावसायिक योग्यता
- पारिवारिक जीवन व रिश्ते
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पांचवें भाव में सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव
चूँकि कुंडली का पांचवां भाव जातक की रचनात्मकता का परिचय देता है, इसलिए इन जातकों की रूचि एथलेटिक्स जैसे मनोरंजन खेलों में होती है। ये जातक सभी प्रकार की मनोरंजक गतिविधियों का आनंद लेते हैं। खेलों में इनका अच्छा प्रदर्शन और विशेष रूचि होती है और सभी सुखद घटनाओं में सक्रिय होने से ये जातक कई लोगों के संपर्क में आते हैं अतः इस भाव में सूर्य वाले जातक दूसरों के बीच बहुत लोकप्रिय हो सकते हैं।
पांचवें भाव में सूर्य की स्थिति वाले जातक स्वयं को अधिक महत्व देना पसंद करते हैं। परन्तु इस महत्व से दूसरों को कोई नुकसान नहीं होता है। ऐसे जातक अपनी आवश्यकताओं के साथ-साथ दूसरों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं। पांचवें भाव में सूर्य के प्रभाव के कारण जातक को कुछ विशेष क्षमता भी मिलती है। ये क्षमताएं नृत्य, अभिनय, गायन आदि के क्षेत्रों में हो सकती हैं।
ऐसे जातक अपने जीवन में कला और नृत्य में करियर के लिए अग्रसर हो सकते हैं। इस भाव में ग्रहों की संतान पक्ष के शिक्षा या अन्य व्यवसाय के लिए बेहतर हो सकती है। यदि किसी जातक की कुंडली में पांचवें भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति है तो ऐसे जातक को पुत्र संतान होने की अधिक संभावना होती है।
इसके अलावा,पांचवें भाव में सूर्य की स्थिति जातक अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ बाहर जाना पसंद करते हैं। ऐसे जातक अपने सामाजिक जीवन में भी उच्च होते हैं तथा नए-नए लोगों से मिलने और उनके साथ अच्छा समय बिताना पसंद करते हैं।
कुंडली के पांचवे भाव में अशुभ प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह पांचवें भाव स्थित होता है, तो ऐसे में कुछ मामलों में विवाहित जोड़े को संतान के जन्म में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं या फिर संतान कमजोर और बीमार भी पैदा हो सकती है। इसके अलावा यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य पांचवे भाव में उपस्थित है, तो ऐसे जातक की किन्हीं बुरी लतों या अन्य काल्पनिक गतिविधियों में धन-हानि की संभावना हो सकती है।
सूर्य की इस भाव में अशुभ स्थिति जातक के प्रेम संबंधों को भी प्रभावित करती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांचवें भाव में सूर्य के प्रभाव में जातक के अभिमानी, चंचल-मन, उच्च-महत्वाकांक्षी और चिड़चिड़ा होने की भी संभावना रहती है। इसके साथ ही सूर्य के अशुभ प्रभाव में प्रभावित जातक किसी विपरीत परिस्थितियों में हो तो वे अपनी अच्छाई खो सकते हैं व अपने व्यवहार करने में गलत रास्तों पर भी जाने की संभावना हो सकती है। ऐसे में ये जातक अपना आत्म-सम्मान खो सकते हैं इस स्थिति में ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को स्वयं के प्रति दृढ़ रहने की सलाह दी जाती है।
पांचवें भाव में सूर्य ग्रह का स्वास्थ्य और करियर पर प्रभाव
सूर्य के शुभ प्रभाव से जातक एक अच्छे लेखक या परामर्श दाता हो सकते हैं। पांचवें भाव में सूर्य ग्रह जातक को एक अजीब सी कशमकश में डाल सकता है, यदि इन जातकों का स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा तो उनका व्यापार\व्यवसाय ठीक चलेगा। ठीक इसके विपरीत यदि जातक का व्यापार\व्यवसाय ठीक चलेगा तो उनका स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है।
पांचवे भाव में सूर्य ग्रह हेतु उपाय
ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु कुछ उपाय बताए गए हैं उसी प्रकार सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभावों को भी कुछ आसान से उपाय कर, इनके अशुभ प्रभावों के असर को कुछ हद तक कम किया जा सकता है-
- अपने घर में पुराने रीति-रिवाजों का पालन करें।
- हनुमान जी के अवतार कहे जाने वाले बंदरों को चना और गुड़ खिलाएं।
- झूठ बोलने से बचें तथा अपने द्वारा किए गए वचन का पालन करें।
- किसी की निंदा करने से बचें।
- अपने रसोईघर में पूर्व की और मुँह करके खाना बनायें।
निष्कर्ष
यदि सूर्य आपकी कुंडली के पांचवे भाव में विराजमान है तो यह आपको रचनात्मक और संवेदनशील बनाता है। ऐसे में आपको दिलचस्प खेल गतिविधियों, नाटक आदि में भी बहुत रुचि हो सकती है। इसी समय, इस भाव का सूर्य आपके संतान पक्ष के लिए कुछ अन्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है या तो आपको उनके जन्म के समय कुछ परेशानी आ सकती है।
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सूर्य ग्रह पांचवे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या पांचवे भाव में सूर्य ग्रह शुभ होता है?
An- यदि सूर्य किसी जातक के पंचम भाव में स्थित है, तो यह आपको रचनात्मक और संवेदनात्मक बनता है। ऐसे में आपकी रुचि खेल गतिविधियों, नाटक आदि में भी हो सकती है।
Q- कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ फल देगा यह कैसे जाना जाता है?
An- कुंडली में यदि सूर्य अपनी उच्च राशि, मेष में स्थित हो तो वह शुभ फल देने वाला होता है। जब किसी जन्म कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, तो यह जातक के जीवन में सफलता के साथ-साथ मान-प्रतिष्ठा लाता है।
Q- पांचवें भाव का स्वामी कौन है?
An- पांचवें भाव का स्वामी ग्रह सूर्य होता है और कारक ग्रह गुरु है।
Q- पांचवें भाव में सूर्य के प्रभाव से जातक का वैवाहिक जीवन कैसा होता है?
An- पांचवें भाव में सूर्य की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन के लिए अच्छी होती है परन्तु संतान पक्ष से कोई समस्या का सामना करना पड़ सकता है।