Saturn in 6th house | कुंडली के छठे भाव में शनि ग्रह की स्थिति होगी करियर हेतु श्रेष्ठ

शनि ग्रह

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कुंडली के छठे भाव में शनि ग्रह (Saturn in 6th House)      

ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली के छठे भाव के शनि ग्रह का प्रभाव विशेष रूप से जातक के करियर पर अधिक होता है। जिन लोगों के छठे भाव में शनि ग्रह विराजमान होते हैं, ऐसे लोग जीवन के प्रारंभ में कुछ कठिनाइयों के बाद अंत में सफलता प्राप्त कर ही लेते हैं। ऐसे जातक अपने अथक प्रयास, लगन और परिश्रम के साथ अपने करियर के क्षेत्र को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं।

शनि ग्रह ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है और इसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डालती है। शनि ग्रह की स्थिति व्यक्ति के करियर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस लेख में हम बात करेंगे कुंडली के छठे भाव में शनि ग्रह की स्थिति के बारे में और यह कैसे करियर हेतु श्रेष्ठ मानी जाती है।

ज्योतिष में छठे भाव का महत्व 

कुंडली में छठे भाव को ‘शत्रु’ भाव भी कहा जाता है और इसका संबंध नौकरी, सेवानिवृत्ति, स्वास्थ्य और शत्रुओं से होता है। छठे भाव में स्थित शनि ग्रह व्यक्ति के करियर पर गहरा प्रभाव डालता है और उसे व्यापार या नौकरी के क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।

शनि ग्रह को धैर्य, समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा, और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। शनि का प्रभाव व्यक्ति को समय, मेहनत और संघर्ष के माध्यम से सफलता दिलाता है। छठे भाव में स्थित शनि व्यक्ति को करियर में सफलता प्राप्त करने के लिए उचित दिशा मार्ग प्रदान करता है। यह भाव व्यक्ति के लिए कार्यक्षेत्र में नकारात्मक दबाव को कम करके उन्नति और प्रगति का आदान-प्रदान करता है।

शनि ग्रह की स्थिति के बारे में ज्योतिषीय विश्लेषण करने के लिए कुंडली के छठे भाव की विभिन्न प्रासंगिकताएं देखी जाती हैं। छठे भाव के स्वामी, ग्रहों के संयोग, युति, और छठे भाव में स्थित अन्य ग्रहों के प्रभाव आदि के माध्यम से शनि ग्रह की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।

ज्योतिष में: छठे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव 

छठे भाव में स्थित शनि ग्रह व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त करने में सहायता करता है। शनि ग्रह की स्थिति व्यक्ति को कर्मठता, अनुशासन, और विनम्रता के साथ काम करने की क्षमता प्रदान करती है। यह भाव व्यक्ति को आपातकालीन स्थितियों में धैर्य और सामर्थ्य देता है और उसे कठिनाइयों के साथ निपटने की क्षमता प्रदान करता है।

शनि ग्रह के प्रभाव से छठे भाव में स्थित व्यक्ति को नौकरी में स्थिरता, लाभ, और स्थायित्व मिलता है। यह भाव व्यक्ति को नौकरी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी माहौल में भी सफलता प्रदान करता है। शनि की स्थिति के कारण, व्यक्ति कार्यस्थल में अपार मेहनत करता है और उच्चतम स्तर की गतिविधियों में योगदान देता है।

छठे भाव के शनि ग्रह से प्रभावित क्षेत्र 

  • व्यापार/व्यवसाय 
  • करियर एवं शिक्षा
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव 

ज्योतिष में: छठे भाव में शनि का स्वास्थ्य पर प्रभाव 

छठे भाव में स्थित शनि ग्रह के प्रभाव से जातक का स्वास्थ्य भी सुदृढ़ होता है। शनि ग्रह की स्थिति व्यक्ति को अनुशासन पूर्वक और नियमित जीवनशैली के प्रति प्रेरित करती है, जिससे उसका स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है। छठे भाव में स्थित शनि व्यक्ति को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है और उसे अस्थायी और स्थायी रोगों से बचाता है।

छठे भाव में स्थित शनि ग्रह की स्थिति व्यक्ति के शत्रुओं पर भी प्रभाव डालती है। यह भाव व्यक्ति को शत्रुओं से निपटने और उन्हें परास्त करने की क्षमता प्रदान करता है। शनि ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अपने शत्रुओं के साथ सामरिक युद्ध करने की क्षमता प्राप्त करता है और उन्हें परास्त करता है।

छठे भाव में शनि ग्रह : व्यक्तित्व पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में, शनि ग्रह छठे भाव विराजमान होता है, उनमें अहम् की (एटीट्यूड) की भावना हो सकती है। ऐसे जातक अपने कार्य के लिए भी ज्यादा लगनशील व प्रयत्न शील  होते हैं। इसके साथ ही वे एक अच्छे व अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में कंपनी में अपनी सेवा प्रदान करते है भले ही फिर वें अपने व्यक्तिगत विचार कुछ भी रखने वाले हों।

इस भाव में शनि ग्रह शुभ प्रभाव के कारण, जातक अपने तय किए हुए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हमेशा एड़ी के बल तक का जोर लगा देते हैं। इस कारण कभी-कभी वें इन खूबियां के रहते, दूसरों में उनके प्रति ईर्ष्या का भाव भी ले आती है। ज्योतिष में इन जातकों को सलाह दी जाती है कि उन्हें दूसरों से अधिक उम्मीदें नहीं रखना चाहिए व अपने कार्य पर ध्यान देना चाहिए।

यदि छठे भाव में शनि ग्रह अपनी वक्री अवस्था में विराजमान है तो,  यह जातक के सम्पूर्ण जीवन शैली व स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इस अवस्था में शनि का होना यह बताता है कि जातक की इच्छाएं अधूरी भी रह सकती हैं। और साथ ही जातक उन चीजों को लेकर अधिक चिंता में रह सकते हैं, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होगा। इस भाव शत्रु स्थान पर विराजमान शनि ग्रह जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा को हानि पहुंचा सकता है।

छठे भाव के शनि ग्रह: वैवाहिक जीवन पर प्रभाव (Impacts of the Saturn in the 6th House on Your Marriage)

शनि ग्रह का कुंडली के ‘रोग’ यानी छठे भाव में विद्यमान होने से जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है। ऐसे जातक अपने जीवन साथी के साथ एक लंबा और आनंदमय जीवन बिताएंगे। साथ ही इन जातकों को जीवन के हर क्षेत्र में अपने जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा। हालांकि,  छठे भाव में बैठे शनि ग्रह के कारण यह भी संभावना है कि जातक को संतान प्राप्ति में देर हो। ऐसे जातक अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद भावुक रहते हैं।

जिन जातकों के छठे भाव में शनि ग्रह का स्थान होता है, ऐसे जातक की अधिक संभावना होती है कि वे, अपने बचपन के दोस्त से ही विवाह करते हैं। क्योंकि, दोनों के बीच एक अटूट व प्रेम भरा भावुक बंधन होता है। इसी कारण ऐसे जातक अक्सर अपनी दोस्ती को विवाह में बदलने का प्रयास करते हैं। हालांकि अपने व्यावसायिक जिम्मेदारियों के चलते वें अपने परिवार को कम समय दे पाते हैं।

छठे भाव में शनि ग्रह सकारात्मक प्रभाव

जन्म कुंडली के छठे भाव में यदि शनि ग्रह की एक सकारात्मक दृष्टि को देखा जाए तो, शनि जातक को अच्छी आर्थिक स्थिति और अच्छी जीवन शैली के साथ दृढ़, अनुशासित व सदाचारी बनाने का कार्य करते हैं। ऐसे जातक 45 वर्ष की आयु तक अच्छे स्वास्थ्य का सुख लेते हैं। छठवें भाव में शनि ग्रह,  जातक के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं और खेल से संबंधित विभागों में अच्छा भाग्य लाने वाला हो सकता है। साथ ही ऐसे जातक सरकारी सेवाओं में उच्च पद को प्राप्त कर सकते हैं या खेल के क्षेत्र में स्टार बन सकते हैं। इसी के साथ इस भाव में शनि के अनुकूल प्रभाव में जातक,  स्वस्थ जीवन जीने हेतु अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्राप्त करता करता है। ज्योतिष के अनुसार छठे भाव में शनि, बृहस्पति, शुक्र या बुध ग्रह के साथ मिलकर ‘राजयोग’ का निर्माण करता है जो जातक को धनवान, सुखी और संपन्न बना सकता है।

छठे भाव में शनि ग्रह :  नकारात्मक प्रभाव 

जन्म कुंडली के छठे भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक अपने काम या करियर में इतने अधिक व्यस्त हो जाते हैं कि उनके पास अपने परिवार या अन्य प्राथमिकताओं के लिए समय नहीं रह पाता। जातकों के इस व्यस्त रवैया के कारण उनके परिवार में मनमुटाव या उनके खिलाफ की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका हो सकती है। ऐसे जातक अपने जीवन साथी (लव पार्टनर) और अपने परिवार के सदस्यों व अन्य परिजनों के साथ महत्वपूर्ण संबंध को खो भी सकते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक, प्यार में चल रहीं सामान्य बातों को भी बहुत गंभीरता से लेते हैं और नियमित रूप से अपने साथी की आलोचना करते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप वें हर चीज को उपयुक्त बनाने के चक्कर में इतने फंस सकते हैं कि जीवन के आनंद के पलों को खो सकते हैं।

शनि ग्रह

छठे भाव में शनि ग्रह हेतु के आसान उपाय 

विद्वान ज्योतिषियों नें कुंडली छठे भाव में शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए कुछ आसान उपायों का उल्लेख किया है जो इस प्रकार हैं-

  1. नियमित रूप से कुत्ते को रोटी या दूध खिलाएं और यथा शक्ति उनका पालन-पोषण करें।
  2. कोई भी निर्णय करने से पहलें अच्छे से सोच-विचार कर ही निर्णय करें ना की जल्दबाजी में।
  3. गरीब, बूढों या जरूरतमंदों लोगों को काली वस्तुएं –  चमड़े से बनी वस्तुएं, कपड़े या कम्बल दान करें।
  4. सप्ताह में प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर में जाएं।
  5. प्रतिदिन हनुमान जी की विधिवत पूजा कर हनुमान चालीसा का पाठ करें।

इस प्रकार, कुंडली के छठे भाव में स्थित शनि ग्रह की स्थिति व्यक्ति के करियर के लिए श्रेष्ठ होती है। यदि व्यक्ति अपने करियर में सफलता प्राप्त करना चाहता है, तो उसे शनि ग्रह के प्रभाव को समझने और उसके नियमित उपायों का पालन करने की आवश्यकता होती है। 

शनि ग्रह के प्रभाव के अनुसार व्यक्ति को अपने करियर में मेहनत करनी चाहिए, उचित योग्यता और कौशल प्राप्त करनी चाहिए, और अपने काम में नियमितता और संघर्ष की क्षमता दिखानी चाहिए।

शनि ग्रह के प्रभाव को समझने और उसे समर्थन करने के लिए, व्यक्ति को एक ज्योतिषाचार्य की सलाह लेनी चाहिए। ज्योतिष विज्ञान उन्हें शनि ग्रह के प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करेगा और उन्हें उचित उपाय और उपासना की सलाह देगा।

क्या आप भी अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों के अशुभ परिणाम से परेशान हैं तो, आज ही अपनी समस्या का निवारण पाएं हमारे ज्योतिषाचार्यों से ।

समापन

संक्षेप में कहें तो, कुंडली के छठे भाव में स्थित शनि ग्रह की स्थिति व्यक्ति को करियर में सफलता प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ होती है। शनि ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में स्थिरता, संघर्ष को स्वीकार करने, और उचित योग्यता और कौशल प्राप्त करने की क्षमता मिलती है। इसलिए, व्यक्ति को अपने करियर के लिए उचित उपायों का पालन करना चाहिए और शनि ग्रह के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए।

कुंडली के इस ‘रोग’ भाव में शनि ग्रह की मौजूदगी, जातक के सुखद वैवाहिक जीवन को ओर भी संकेत देती है। ऐसे जातक भले ही कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में रहे, वें अपने जीवनसाथी का पूरा सहयोग प्राप्त करते हैं। प्रेम करने वाले युवाओं को भी उनके मनचाहा जीवनसाथी मिलने की भविष्यवाणी भी इस भाव में शनि ग्रह करते हैं। इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर जा सकते हैं कि, कुंडली के छठे भाव का शनि ग्रह, जातक, के लिए एक मित्र के समान होता है और ऐसे जातक के जीवन में बहुत कुछ शुभ व सकारात्मक फल देता है। इस भाव में शनि से प्रभावित लोग अपने जीवन में सफलता की एक नई मिसाल कायम करते हैं।

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कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभावकुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह होते हैं दयालु
पांचवे भाव में शनि ग्रह की भूमिका, प्रभाव व आसान उपाय
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कुंडली के नौवें भाव में शनि ग्रहदसवें भाव में शनि ग्रह, करियर में देगा सफलता
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह होते हैं, आर्थिक स्थिति के लिए शुभबारहवें भाव में शनि ग्रह करेंगे परिवार व व्यापार में सुख व लाभ की वृद्धि

छठे भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- छठे भाव का शनि ग्रह किसका कारक है?

An- जन्म कुंडली का छठा भाव जातक के स्वास्थ्य, खानपान, पैसे, ऋण, शत्रु तथा प्रोफेशन के बारे में जानकारी देता है। ज्योतिष में इसे ‘अरि भाव’ या ‘शत्रु भाव’ भी कहा जाता है। यह भाव कन्या राशि से संबंध रखता है। यदि शनि इस घर में होता है तो वह व्यक्ति को काम के प्रति पागलपन की हद तक उन्मादी बना देता है। शनि की यह युति आपको जीवन में मिले-जुले फल देती है। जिन जातकों के छठे भाव में शनि होता है, वे अपने छिपे हुए शत्रुओं पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेते हैं।

Q- कुंभ राशि के छठे भाव में शनि का क्या अर्थ है?

An- कुंभ लग्न के लिए छठे भाव में शनि जातक को चतुर और सतर्क बनाता है और टेढ़ी-मेढ़ी बातें करता है। कुम्भ लग्न के लिए छठे भाव में शनि वाला जातक बहादुर, निडर और प्रभावशाली होता है, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और काम पूरा करवाता है। विदेशी स्रोतों और अदालती मामलों से जातक को धन लाभ होता है।

Q- वैदिक ज्योतिष में 6 वां घर क्या दर्शाता है?

An- वैदिक ज्योतिष में छठा भाव आमतौर पर स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में होता है। इसके अलावा, अच्छा स्वास्थ्य जीवन की कठिनाइयों से लड़ने के लिए एक बहादुर रवैया अपनाने तक भी विस्तृत होता है।

Q- अगर मेरा छठा घर खाली है तो क्या होगा?

An- ज्योतिष में छठा भाव अशुभ होता है। इसलिए, जब छठा घर खाली होता है, तो यह वास्तव में बहुत शुभ होता है। जातकों को कानूनी झंझटों का सामना नहीं करना पड़ेगा। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे।

Q- छठे भाव का स्वामी कौन है?

An- छठे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है ,और कारक ग्रह केतु है।

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