कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह (Saturn in 11th house): ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की कुंडली में ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह का स्थान होता है , ऐसे जातक की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी होती है और वें बहुत धनी होते है। इसके साथ ही ऐसे जातक कल्पनाशील भी होता है और अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त करने वाला होता है।
‘मंगल भवन’ के इस लेख में, हम आपको जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह की संपूर्ण भूमिका व प्रभावों के साथ-साथ शनि ग्रह के उपायों के बारे में भी विस्तार से बताएंगे। तो आइए इस विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं-
ज्योतिष में : कुंडली के ग्यारहवें भाव का महत्व
हिन्दू ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में ग्यारहवें या एकादश भाव भाव से जातक की आमदनी और लाभ का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। यह भाव जातक की कामना, आकांक्षा एवं इच्छापूर्ति को भी दर्शाता है। किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए प्रयासों में उसे कितना लाभ प्राप्त होगा, इसकी सारी जानकारी कुंडली के इस ग्यारहवें भाव से ज्ञात की जा सकती है। कुंडली में ग्यारहवां भाव जातक की लाभ, आय, लाभ प्राप्ति, सिद्धि, तथा वैभव आदि को संदर्भित करता है।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह का महत्व
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के ग्यारहवें भाव में स्थित शनि जातक को धनवान, स्वस्थ, सम्पन्न और भाग्यशाली बनाता है। ऐसे जातकों की युवावस्था संघर्ष और निराशा से भरी हो सकती है, लेकिन जातक कभी भी आशा और ऊर्जा नहीं खोएंगे। कुंडली के ग्यारहवें भाव में सकारात्मक, शुभ और मजबूत शनि ग्रह की स्थिति जातक को कड़ी मेहनत के बाद फलदायी व शुभ परिणाम देता है। ऐसे जातक अपने संघर्ष के दिनों में भी कभी अकेले नहीं होते हैं लेकिन उनके जीवन में सच्चे मित्रों का अभाव होता है।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में एक सकारात्मक शनि जातक को कड़ी मेहनत करने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास हेतु प्रेरित करता है। ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह, शुक्र, मंगल या बुध के साथ मिलकर जातक को धन और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन जातकों को राजनीति और व्यापार के माध्यम से सफलता निश्चित प्राप्त होती है। स्वयं का व्यवसाय इन जातकों को जीवन में ऊंचा मुकाम दिला सकता है। इसके साथ ही शिक्षा और बैंकिंग क्षेत्र में करियर शीघ्र सफलता प्राप्त करेगा । इसके अलावा इन जातकों को सट्टा, निवेश और व्यापार व्यवसाय के माध्यम से भी लाभ प्राप्त हो सकता है। ऐसे जातक आयात-निर्यात के व्यवसाय में बहुत धन कमा सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार 35 वर्ष की आयु के बाद, इन जातकों को सपनों, आशाओं और इच्छाओं की पूर्ति संभव होगी।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह: प्रेम संबंधों पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह के प्रभाव के कारण जातक, रोमांचक और साहसिक प्रेम संबंधों का अनुभव करते हैं। ऐसे जातकों को अपने जीवन में प्रेम का बहुत अच्छा व श्रेष्ठ अनुभव होता है। वे अपने जीवन साथी से बहुत प्रेम करते हैं लेकिन वे अपने साथी की सराहना नहीं करते हैं और पर्याप्त रूप से व्यक्त भी नहीं करते हैं। इन जातकों के प्रेम संबंध का कभी-कभी विवाह में बदलने में देर होती हैं, और उन्हें इसे प्राप्त करने में कठिन समय का सामना भी करना पड़ता है। इन जातकों का प्रेम विवाह ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस जातक के जीवन में समस्या आती है कि वे एक हावी स्वभाव के होते हैं और अपने जीवनसाथी से हर समय झगड़ते रहते हैं, इसलिए यह उनके प्रेम जीवन को कई प्रकार की समस्याओं से भर देता हैं। यदि ये जातक अपने प्रेम संबंधों में धैर्य और सकारात्मकता का भाव रखते हैं, तो वे अपने प्रेम संबंधों को मधुर बना सकते हैं।
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन के लिए जटिल मानी जाती है।
ऐसे जातकों को विवाह हेतु सही समय खोजने में कठिनाई हो सकती है। और यह भी हो सकता है कि, जब उन्हें ऐसे साथी मिल जाते हैं जिनके साथ विवाह लंबे समय तक चलती है, तो यह एक खुशहाल शादी होगी। इन जातकों को स्वयं पर ध्यान देने व काम करने की आवश्यकता है। उन्हें अपने जीवनसाथी को खुश करने के लिए अपने अहंकारी, गुस्सैल और आत्मकेंद्रित स्वभाव को बदलने की आवश्यकता है। इन जातकों के विवाह में बहुत उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन यदि वे शांतिपूर्वक और सकारात्मक रूप से अपने विवाह पर काम करते हैं, तो वे अपने वैवाहिक जीवन में एक महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त करेंगे।
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : करियर पर प्रभाव
शनि के शुभ प्रभाव से जातक बहुत ही कुशल, कुशाग्र, कूटनीतिक और ज्ञानी होते हैं। वे अपने काम में शानदार हैं और अपने क्षेत्र में बहुत सम्मान प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं जो अन्य लोगों के काम पर सराहनीय प्रशंसा करते हैं व बहुत सम्मान प्राप्त करता है और उनसे सीखता है। ज्योतिष के अनुसार, ऐसे जातक अपने करियर को श्रेष्ठ बनाने में हमेशा अपने जीवन में नई चीजों को सीखने और लागू करने की कोशिश करते हैं, इन जातकों के कार्यक्षेत्र में एक ही बड़ी चिंता होती है।
परन्तु उनका रवैया, उनका असभ्य और गुस्सैल स्वभाव उनके जीवन में बाधा उत्पन्न कर सकता है और उनके जीवन में समस्याएं आ सकती है। अतः जातकों को इस विभाग में सावधान रहने की आवश्यकता है।
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : व्यक्तित्व पर प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक अपनी छोटी उम्र से ही इन जातकों का व्यक्तित्व कूटनीतिक और तेज होता है, ये जातक स्वभाव से मजाकिया होते हैं। वे एक शक्तिशाली व्यक्तित्व और प्रभाव का निर्माण करते हैं और इसके कारण उनका गुस्सा और अहंकारी स्वभाव भी होता है। ये जातक दोस्तों और परिवार के सदस्यों के प्रति दयालु होते हैं, अक्सर जीवन में कठिन समय में उनकी मदद करते हैं। ये जातक मूडी होते हैं और उसी के अनुसार काम करते हैं, जिससे हर समय निपटना दूसरों के लिए सुविधाजनक नहीं हो सकता है। इसलिए जातकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे अपने अप्रिय स्वभाव को अपने तक ही रखें और दूसरों को इसके कारण पीड़ित करें।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : सकारात्मक परिणाम
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह वाले जातकों का स्वभाव और व्यक्तित्व शक्तिशाली होता है। ये कैरियर और व्यक्तिगत संबंधों में अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन उनका दूसरों के प्रति अपने रूखे रवैये के कारण अक्सर उभें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, ज्योतिष की सलाह में, उन्हें इससे सावधान रहने और उस दिशा में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने की जरूरत है।
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : नकारात्मक परिणाम
कुंडली के ग्यारहवें भाव में, शनि ग्रह की यह स्थिति जातक के लिए गलत प्रकार के मित्र व संगत को ला सकती है जो असहज स्थिति में डाल सकती है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक अवैध तरीकों से धन कमाने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा ग्यारहवें भाव में स्थित शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव से जातक को हड्डियों और जोड़ों से संबंधित रोग की समस्या हो सकती है। साथ ही ये जातक एक हावी, जिद्दी, स्वामित्व, मूडी और आत्म-केंद्रित प्रकृति के होंगें, जो कि जातक की सफलता में बाधा बन सकती है। या ऐसा भी हो सकता है कि जातक आसानी से दूसरों की सराहना न करें और अपने कठोर स्वभाव के कारण आप अवसाद के शिकार हो सकते हैं। इन जातकों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी, संघर्ष और चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही शनि के प्रभाव में जातक के कार्यस्थल पर उनका अक्खड़, आक्रामक, दबंग रवैया उनकी सफलता में बाधा बन सकता है। इस भाव में शनि ग्रह की अशुभ स्थिति, जातक को पैरासिम्पेथेटिक नर्वस समस्या को जन्म दे सकती है या मधुमेह का कारण बन सकती है।
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : उच्च और नीच का भाव
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह तुला राशि में उच्च का:-
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि वाले जातक कम उम्र में रोमांचक, रोमांटिक और साहसिक प्रेम संबंधों का अनुभव करते हैं। ये जातक अपने रोमांटिक जीवन में बहुत आनंद और यादगार अनुभव का आनंद लेते हैं लेकिन लंबे समय तक चलने वाला कुछ भी नहीं है। वे अपने रोमांटिक जीवन को बहुत पसंद करते हैं लेकिन अपने साथी के साथ अपनी बातचीत में उसकी सराहना नहीं करते हैं और पर्याप्त रूप से व्यक्त नहीं करते हैं। जातक के प्रेम संबंध विवाह में समाप्त नहीं हो सकते हैं। उन्हें अपने लिए सही या आदर्श व्यक्ति से विवाह करने में कठिन समय का सामना करना पड़ता है।
ग्यारहवें भाव में शनि, मेष राशि में नीच का
ग्यारहवें भाव में शनि वाले जातक समाज में एक शक्तिशाली, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले होते हैं। वे अपने करियर में अपने लक्ष्यों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने व्यक्तिगत संबंधों या रोमांस को लंबे समय तक चलने वाला बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन ऐसा करने में असफल रहते हैं। वे अक्सर अपने अहंकार और दूसरों के प्रति कठोर व्यवहार के कारण एक महत्वपूर्ण कमी का सामना करते हैं। इसलिए, उन्हें इससे सावधान रहने और उस दिशा में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने की जरूरत है।
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह : उपाय
- गरीबों व जरुरत मंदों को आर्थिक सहायता दें और उनके जीवन को बेहतर बनाने में प्रयास करें।
- शारीरिक रूप से अक्षम व अपहिच व्यक्तियों की सेवा करें और वृद्ध लोगों के साथ समय बिताएं और उनके दैनिक कार्यों में उनकी मदद करें।
- किसी जरूरतमंद को शिक्षा देना, फीस या पैसा देना और गरीब बच्चों को पढ़ाना शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय हैं।
- हमेशा जरूरत के समय अपने माता-पिता, गुरु और वृद्ध लोगों की नियमित रूप में सेवा करें, जिससे शनि प्रसन्न होते हैं और जातक को शनि के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
- शाकाहारी भोजन करें व शराब से बचें।
- झूठ बोलने और दूसरों को धोखा देने से भी दूर रहना चाहिए।
- अपने से विपरीत लिंग के साथ सम्बन्ध करने के अवसरों से बचें या अनदेखा करें, और कभी भी अपने साथी के साथ विश्वासघात न करें।
- अंधे (दृष्टिहीन) लोगों की सहायता करने से शनि देव के परिणाम को सकारात्मक व बेहतर किया जा सकता हैं।
- पेड़ों को न काटें।
- कमजोर या अशुभ शनि वाले जातकों को अपने नौकरों या दलितों और दबे-कुचले लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
- जितना हो सके बंदरों, गायों और कुत्तों को खाना खिलाएं।
- शनिवार के दिन भगवान भैरव की विधिवत पूजा करें और उनके मंदिर जाएं।
- काले कुत्ते को नियमित रूप से रोटी खिलाएं।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह अस्त अवस्था में
ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली में अस्त शनि ग्रह जातक को जीवन में चमकने नहीं देगा। यह जातक के कर्मों को खोल और आपको जीवन में कई कठिन समयों की ओर ले जाएगा। जिसके परिणाम स्वरूप जातक को अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों द्वारा धोखा मिलेगा। इसके साथ ऐसे जातक एक समृद्ध जीवन जीने में सक्षम नहीं होंगे और अपने परिवार व जीवन में तालमेल नहीं रहेगा।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में शनि ग्रह के प्रभाव
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- कुंडली में शनि का प्रभाव क्या होता है ?
An- कुंडली में शनि ग्रह का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है। शनि शक्तिशाली ग्रह होता है इसलिए इसके प्रभाव से व्यक्ति सफलता की राह में बहुत आगे बढ़ता है। परन्तु शनि के प्रकोप इतना खतरनाक होता है कि इससे बने हुए काम भी बिगड़ सकते हैं। शनि के दुष्प्रभाव से जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है
Q- शनि दोष दूर करने का उपाय क्या है ?
An- शनि दोष से निवारण हेतु शनिदेव को प्रसन्न करना होता है। इसके लिए ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।इसके अतिरिक्त शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि दोष से राहत पाने के लिए लोहे की वस्तुएं, काले वस्त्र, उड़द, सरसों का तेल, जूते-चप्पल आदि का दान भी करें।
Q- क्या होता है कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि का फल ?
An- यदि किसी जातक की कुंडली के ग्याहरवें भाव में शनि का प्रभाव है तो उसे जीवन की उच्चाईयों पर पहुँचने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। उसे शिक्षा, धन और समाज में मान-सम्मान अर्जित करने के लिए कड़ी महनत करनी पड़ती है।
Q- ग्यारहवें भाव में शनि अच्छा है या बुरा?
An- ग्यारहवें भाव में शनि को ज्योतिष में अच्छा माना जाता है, ग्यारहवां भाव लाभ और अधिकतम अपेक्षित लाभ का भाव है।
Q- शनि कब शुभ होता है?
An- शनि का शुभ स्थान जन्म कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में होता है। जन्म कुंडली में शनि की स्थिति को निर्धारित करने के लिए शनि के उपरांत राशि को देखा जाता है। यदि शनि अपने मित्र ग्रहों जैसे कि बृहस्पति या शुक्र के साथ स्थित है, तो इसे शनि की शुभ स्थिति मानी जाती है।