कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह ( Saturn in 3rd House)
वैदिक ज्योतिष में, कुंडली के तीसरा स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस भाव में शनि ग्रह, (Saturn) के होने से जातक अपने कार्य या किसी भी प्रोजेक्ट को हैंडल करने में श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। ऐसे जातक अपने काम के से व्यर्थ समय बर्बाद करना पसंद नहीं करते हैं और अपना पूरा ध्यान सिर्फ काम पर लगाते हैं। इसके अलावा, इन लोगों को रहस्यमयी जानकारी इकट्ठा करना भी पसंद हो सकता है।
ज्योतिष के अनुसार कुंडली के तीसरे भाव में शनि (Saturn) का महत्व
जन्म कुंडली का तीसरा भाव (घर) भाई-बहन और वीरता से सम्बन्ध रखता है। राशि चक्र में यह भाव मिथुन राशि का होता है। और तीसरे भाव में स्थित शनि (Saturn) जातक को अच्छे प्रभाव तो दे सकता है, लेकिन जातक को इस बात का सदैव स्मरण रखना चाहिए, कि शनि ग्रह एक अशुभ ग्रह भी माने जाते हैं। तो जातक को इसकी वजह से अनावश्यक समस्याएं भी जीवन में आ सकती है। तृतीय भाव में शनि ग्रह (Saturn) के उपस्थित होने से व्यक्ति किसी भी कार्य को बड़ी ही सरलता से सुलझाने में सक्षम होते हैं।
तीसरे भाव में शनि ग्रह : चारित्रिक विशेषताएँ
जब शनि ग्रह कुंडली के तीसरे भाव में आते हैं तो, इस प्रभाव में जातक बुद्धिमान और उदार स्वभाव को अपनाते है, परन्तु वें कुछ आलसी प्रव्रत्ति के भी हो सकते है। इतना ही नहीं, ऐसे जातक के मन में हमेशा अशांति व उलझन बनी रहती है। इन जातकों को संघर्षपूर्ण स्थितियो और कठोर परिश्रम के बाद भी यदि असफलता मिल रही है तो वें बहुत पीड़ित महसूस करते हैं। इसके अलावा इन जातकों के अपने भाइयों से तनावपूर्ण संबंध रखते हैं तथा ऐसे जातकों को अपने माता-पिता से केवल आशीर्वाद व प्रेम के, कुछ भी प्राप्त नहीं होता है और वें अपने बल पर ही संघर्षों का सामना करते हैं।
कुंडली के तीसरे भाव में, शनि की स्थिति जातक को न्याय प्रिय, प्रमाणिक और चतुर-चालक भी बनाती है। ऐसे जातक गहरी बुद्धि वाले और एक सलाहकार व्यक्ति हो सकते हैं। इसके साथ ही इन जातकों कि रुचि ज्योतिष शास्त्रों जैसे गूढ सूत्रों में भी हो सकती है। ये जातक काया से निरोगी, योगी और मितभाषी(कम बोलने वाले) व्यक्ति होते हैं। इसके साथ ही शनि ग्रह के शुभ प्रभाव में, ये जातक विवेकवान सभा में चतुर, शीघ्र कार्य सम्पन्न करने वाले, बलशाली व तेजवान व्यक्ति होते हैं।
इसके अतिरिक्त ऐसे जातक, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाले भाग्यवान और चंचल स्वभाव के हो सकते हैं। ऐसे जातक बिना किसी भेदभाव के सभी की सहायता के लिए अग्रसर रहते हैं, और यथा सम्भव लोगों का पालन-पोषण भी करते हैं। इन जातकों को बड़े स्तर पर प्रसिद्धि व शोहरत हासिल होती है। इसके साथ ही इन जातकों को सभी उत्तम वाहनों से युक्त, गाँव या शहर के प्रधान और राज्य के महान व्यक्ति का दर्जा भी मिल सकता है।
इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र यह भी कहता है कि इन जातकों के मित्रो की संख्या भी अधिक होगी और आप वें विपरीत लिंग में भी लोकप्रिय होंगे। इसके साथ ही ऐसे जातक अच्छा धनार्जन करते हैं। इस भाव में स्थित शनि ग्रह की अशुभ स्थिति जातक को कुछ विपरीत परिणाम भी दे सकती है। जिसके प्रभाव में जातक आलसी या दुखी होने के साथ-साथ मन से अशांत भी हो सकते है। इन जातकों को शिक्षा में भी कुछ व्यवधान कुछ सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही बरसात या ठंड के मौसम में शारीरिक कष्ट मिल सकते हैं।
इसके अलावा, इन लोगों को रहस्यमयी बातों में सूचनाएं एकत्रित करने में अधिक रुचि होती है। इसके साथ ही इन जातकों को विदेश में भी कार्य करने के अच्छे अवसर मिल सकते हैं, या फिर व्यापार (बिज़नस) से सम्बंधित, विदेश की यात्रा भी कर सकते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, यदि तीसरे भाव में शनि (Saturn) नीच स्थान पर है, तो यह जातक के भाई-बहन या करीबी मित्र के साथ संबंधों को बिगाड़ सकता है।इसके अलावा शनि की अशुभ स्थिति जातक को सफलता में देरी तो करवा सकती है, परन्तु यह काम के प्रति उनका उच्च स्तर का त्याग व मेहनत की सफलता भी दे सकती है। ज्योतिष की सलाह में तीसरे भाव में शनि ग्रह से प्रभावितजातकों को वाहन चलाते समय सावधान रहने की आवश्यकता होगी।
तीसरे भाव में शनि ग्रह से प्रभावित क्षेत्र
- बोलने का तरीका (कम्युनिकेशन स्किल)
- व्यावसायिक जीवन
- व्यवहार
- कुशलता व दूसरों के साथ बर्ताव
कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह
व्यक्तित्व पर प्रभाव
कुंडली के तीसरे भाव शनि ग्रह यानी saturn के प्रभाव से जातक की बोलचाल का तरीका प्रभावित होता है या फिर इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिसके परिणाम स्वरूप इन लोगों को दूसरों के साथ बातचीत करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक अपनी वास्तविकता को दूसरों के सामने प्रकट करने में भी असमर्थ रह सकते हैं, इसलिए उनका स्वभाव कुछ शर्मीला हो सकता है। इसके साथ इन जातकों के पास असीमित बुद्धि (शार्प मेमोरी) और अद्भुत क्षमता वाला दिमाग हो सकता है। यदि इस भाव में शनि ग्रह, वक्री अवस्था में हुआ तो जातक खुद को एक्सप्रेस करने में पीछे रह जाते हैं, इसके अलावा जातक की भाषा या बोलने का तरीका भी प्रभावित होता है।
इन जातकों को अपने तुरंत निर्णय लेने के गुण को विकसित करना होगा। जल्दी निर्णय न ले पाने के कारण ये जातक किसी समस्या में भी पड़ सकते है। हालांकि, इन जातकों में एक अच्छे श्रोता (सुनने वाला) के गुण भी होते हैं। जिसकी वजह से इनकी सोचने की क्षमता बहुत ही शानदार हो सकती है। ऐसे जातक कभी किसी की रहस्य की बातों को दूसरों के सामने उजागर करते हैं, क्योंकि वें दूसरों के प्रति उदारता व विश्वास का भाव रखते हैं।
तीसरे भाव में शनि: वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष की तीसरे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव होने से जातक के वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की समस्या दे सकता है। इन जातकों को अपने जीवनसाथी के साथ आपसी सहयोग व सामंजस्य पूर्ण जीवन बिताने के लिए अपने साथी के साथ अटूट विश्वास का भाव रखना होगा। इस भाव में शनि ग्रह के शुभ प्रभाव के कारण जातक को एक ईमानदार व सच्चा जीवन साथी भी मिल सकता है। साथ ही ऐसे जातक अपने सच्चे प्यार की तलाश में दूर तक जाने की क्षमता भी रखने वाले हो सकते हैं।
हालांकि, एक बार यदि इन जातकों को अपना सच्चा प्रेम मिल जाए, तो आप अपने प्रेम के रिश्ते को अच्छे व श्रेष्ठ तरीके से निभाने की क्षमता रखते हैं। कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह का अनुकूल प्रभाव जातक को अपने जीवन साथी के साथ जीवन के कुछ खास समय बिताने का अवसर देता है। इस स्थिति में जातक व उनका जीवन साथी परस्पर एक सौहार्दपूर्ण संबंध बना सकते हैं। इस भाव में शनि ग्रह की अनुकूल अवस्था वैवाहिक संबंधों में अनुकूल प्रभाव दे सकते हैं।
तीसरे भाव में शनि ग्रह : करियर पर प्रभाव
कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह स्थिति शिक्षा से संबंधित मामले में अच्छी नहीं मानी जाती । ऐसे जातक पढाई को लेकर कई तरह की समस्या का सामना करते हैं। जिसका अधिक प्रभाव जातक के शिक्षा संबंधी परिणामों पर भी निकल कर आता है, या तो जातक की अपनी पढ़ाई अधूरी रह जाती है। इसके अलावा शनि के प्रभाव के कारण जातक अपने मन के अनुसार करियर का भी चुनाव नहीं कर पाते। तीसरे भाव में शनि के प्रभाव से जातक के पास पर्याप्त ज्ञान तो हो सकता है, लेकिन वें अपने इस ज्ञान का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते हैं।
इस भाव में शनि ग्रह के प्रभाव से जातक को शिक्षा से सम्बन्धित नौकरी या व्यवसाय को अपने प्रोफेशन या करियर के रूप में चुन सकते हैं। ऐसे जातक अपने काम को बखूबी तरीके से करने में सक्षम होते हैं , जिसकी वजह से इन जातकों को अपने अधिकारी पक्ष से अधिक कार्य भी मिल सकता है। यदि कोई जातक व्यवसाय से सम्बन्धित हैं तो आपको आपको मध्य आयु के दौरान विदेशों में भी घूमने का अवसर मिल सकता है। कुंडली में तीसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभा के कारण, जातक को अपने लक्ष्यों पूरा करने के मार्ग में परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं।
तीसरे भाव में शनि ग्रह हेतु आसान उपाय
ज्योतिष में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने हेतु कुछ आसान उपाय बताए गए हैं, जो इस प्रकार है-
- भैरव के रूप माने जाने वाले कुत्तों की देखभाल करें।
- यथा शक्ति चावल और अनाज का दान करें।
- श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- शनिवार को अपने किसी भी शनि मंदिर में जाकर शनि देव की विधिवत पूजा करें।
- यदि आपके घर का मुख्य द्वार का मुख दक्षिण दिशा की ओर हो तो ज्योतिषी की सलाह से उसे तुरंत बंद कर दें।
- प्रतिदिन शनि चालीसा का पाठ करें, हर शनिवार को शनि चालीसा लोगों को भेंट या दान करें।
- शराब और मांसाहार पदार्थों के सेवन ना करें साथ ही गले में सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, तीसरे भाव में, यदि शनि ग्रह के प्रभाव से ऐसे जातक, कड़ी मेहनत करते हैं, और अपने भाग्य बदलने की ताकत रखते हैं। इस भाव में शनि की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन में सहयोग प्रदान करता है। यह जातक के जीवनसाथी के साथ एक मजबूत संबंध बनाने में भी सहायक होता है। ज्योतिष के अनुसार जातक का वैवाहिक जीवन तो सफल हो सकता है, लेकिन हो सकता है कि शनि का प्रभाव करियर और व्यवसाय को लेकर उतना अधिक अच्छा न हो जितना आप सोचते हों।
इसके अलावा तीसरे भाव में शनि ग्रह जातक के बिल-चाल को भी प्रभावित करता हैं। इसके साथ ही जातक अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाते। परन्तु यदि, ज्योतिष के बताए गए उपायों को सही तरीके से करें तो शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से बचाव किया जा सकता है।
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तीसरे भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- कुंडली में तीसरा भाव क्या दर्शाता है?
An- तीसरा भाव जातक के मन और बुद्धि पर शासन करता है । इससे पता चलता है कि आप समस्याओं से कैसे बाहर निकलते हैं और उनका विश्लेषण करते हैं, और आप जानकारी को कैसे देखते हैं। मूल रूप से, यह आपकी समग्र शिक्षण और संचार प्रक्रियाओं को संचालित करता है। उदाहरण के लिए, यह घर लेखन, संपादन, बोलने, सोचने, पढ़ने और शोध करने के कौशल का संचालन करता है।
Q- शनि की दृष्टि कब शुभ होती है?
An- शनि ग्रह की दृष्टि जब मेष, कर्क या फिर सिंह राशि में हो तो यह लाभकारी होता है। शनि ग्रह पर जब बृहस्पति की दृष्टि हो और शनि की दृष्टि जब कुंभ राशि में हो तब भी यह लाभकारी होता है।
Q- शनि का घर कौन सा होता है?
An- कुंडली में शनि अगर सातवें भाव में हों तो व्यक्ति का मकान बनवाना शुभ रहता है। जीवन के हर क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है और सुखों की कमी नहीं रहती। साथ ही ऐसा व्यक्ति एक के बाद एक कई मकान बनता है या बना हुआ खरीद लेता है। ऐसा तभी होता है जब शनि की दशा शुभ हो।
Q- क्या. तीसरे भाव में शनि ग्रह शुभ होता है?
An- हां, अनुकूल परिस्थितियों में शनि ग्रह शुभ व प्रतिकूल अवस्था में शनि ग्रह तीसरे भाव में अशुभ फल दे सकते हैं।
Q- तीसरे भाव का स्वामी कौन है?
An- तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है और कारक ग्रह मंगल है।