ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के अष्टम भाव में शुक्र ग्रह की उपस्थिति से जातक दीर्घायु होता है। इसके साथ ही ये जातक शुभ फल की प्राप्ति करते हैं। आठवें भाव में शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक को धन-वैभव, मान-प्रतिष्ठा और सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती हैं। ज्योतिष की दृष्टि में अष्टम भाव को ‘आयु’ का भाव माना गया है और शुक्र ग्रह को नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह की संज्ञा दी जाती है।
सामान्य रूप से शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, संस्कृति, कला, परिष्कार आदि के विषयों से संबंध रखता है। ज्योतिष के अनुसार, यह जीवन के खुशनुमा पलों को भी संदर्भित करता है। यह मानवीय मामलों के स्त्रैण उपयोगी, कोमल और सुंदर पहलुओं को नियंत्रित करने का कार्य भी करता है। इसके साथ ही हम यदि कुंडली के आठवें भाव की बात करें तो, यह जातक के जीवन के परिवर्तन और संकट के बारे दर्शाता है, साथ ही यह भी बताता है कि, संकट और परिवर्तन के प्रति जातक का दृष्टिकोण, कामुकता, लिंग, मृत्यु और पुनर्जन्म, व्यक्तिगत विकास और परिवर्तन, पुनर्जन्म, हमारे साथी के संसाधन, व्यसनों, मनोविज्ञान, अन्य सभी पक्षों में कैसा होगा।
आठवें भाव में शुक्र ग्रह, होने के कारण जातक देखने में सुंदर व आकर्षक होंगे। इनकी आंखें बड़ी होंगी और विशेष रूप से गर्वीले स्वभाव के होंगे। ऐसे जातक अभूत आत्म विश्वासी, निडर और प्रसन्नचित्त होते हैं। इसके साथ ही ये जातक विद्वान, मनस्वी, धर्मात्मा और सदाचारी व्यक्तित्व के भी हो सकते हैं। इन जातकों के आप अच्छा ज्योतिष ज्ञान भी होता हैं। गणना के अनुसार शारीरिक, आर्थिक अथवा स्त्री के विषय में सुखों में से कोई एक सुख इन जातकों को निश्चित तथा पर्याप्त मात्रा में मिलता है।
इन जातकों को, किसी स्त्री के माध्यम से भी धन मिल सकता है। इसके अलावा किसी ट्रस्ट के माध्यम से भी आपको धन लाभ होने की संभावना है। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातक राज सेवक या राजमान्य व्यक्ति हो सकते हैं। ऐसे जातकों को अक्सर पर्यटन या विदेश यात्रा करने के भी अवसर मिलते रहेंगे। साथ ही शुक्र के शुभ प्रभाव से उन्हें, नौकर चाकरों और भौतिक साधनों का भी पूर्ण सुख मिलेगा। साथ ही इन जातकों की मित्रता भी अच्छे बन्धु-बांधवों के साथ होगी व मित्रता कभी संपूर्ण सुख प्राप्त होगा।
कुंडली के आठवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष की गणना कहती है कि, आठवें भाव का शुक्र ग्रह जातक कि कभी धन का सुख तो कभी ऋण का दुःख भी देता है। इनके कुछ कार्यों में भी कठिनाइयां या व्यवधान की स्थिति देखी जा सकती है। साथ ही इन जातकों को शत्रुओं पर विजय पाने हेतु भी बहुत सी कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ सकता है। ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को, व्यर्थ के घूमने-फिरने और वाद-विवाद से दूर रहने और उचित कर्म करने की सलाह दी जाती है। यही स्वभाव आपके पिता या अपने किसी ऋण को चुका पाने में आपकी सहायता करेगा। इसके अलावा इन जातकों को कभी-कभी जीवन साथी या पुत्र संतान को लेकर चिंताएं भी रह सकती है।
आठवें भाव शुक्र ग्रह की उपस्थिति के कारण प्रभावित क्षेत्र
- धन और ऐश्वर्य\ आर्थिक स्थिति
- रिश्ता तथा प्रेम सम्बन्ध
- स्वच्छंदता\स्वतंत्रता
- मानव का व्यक्तित्व
आठवें भाव में शुक्र ग्रह के सकारात्मक प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के आकड़ों के अनुसार, कुंडली के अष्टम भाव में शुक्र ग्रह से प्रभावित जातक अपने जीवन साथी के माध्यम से या उनके द्वारा किए गए प्रयासों के कारण जीवन में सभी प्रकार के धन और सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। इस प्रकार, ऐसे जातक एक समृद्ध और सर्व-सुविधायुक्त जीवन जीते हैं। इसके अलावा, उनका साथी भी वित्तीय मामलों या गतिविधियों में काफी पारंगत व इनके लिए सहायक होता है। अष्टम भाव में शुक्र, वाले जातक वास्तव में बहुत भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें ऐसा जीवन साथी मिलता है जो ईमानदार होने के साथ-साथ आसानी से अपने धन और संपत्ति को इनके साथ प्रेमपूर्ण साझा करता है।
आठवें भाव में शुक्र के प्रभाव से. ऐसे जातकों को विरासत के रूप में भी अच्छी धन-संपदा प्राप्त हो सकती है। हालांकि, इन जातकों के आलसी तथा उतावले होने की भी अधिक संभावना होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इन जातकों को अपने जीवन में कामुक सुखों के प्रति अत्यधिक आसक्त होने पर भी पतन की स्थति का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही भोग-विलास की लत इन जातकों के जीवन में मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
ऐसे जातक, अपने प्रेम संबंधों में तीव्रता की खोज करते हैं, इसलिए यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि आकस्मिक मुलाकात ही इनके लिए प्राथमिक हों। ऐसे जातक यांत्रिक क्रियाओं से भी आसानी से ऊब जाते हैं। वे किसी भी सांसारिक रूप से ही केवल रिश्तों में नाटक पसंद कर सकते हैं। हालांकि, ऐसे जातक अपने प्रेम के प्रति भी कुछ हद तक असुरक्षित होने से डरते हैं, और कम उम्र में ही अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं।
कुंडली के आठवें भाव में यदि शुक्र ग्रह का प्रभाव है तो ऐसा जातक, अपने विचारों और भावनाओं को अपने अन्दर ही छिपाए रखता है, भले ही दूसरे लोग उनके लिए कांच की तरह साफ या पारदर्शी ही क्यों न हों। शुक्र ग्रह से प्रभावित ये मूल निवासी जुनून, भावनाओं और वास्तविक संघर्ष की तलाश करते हैं जिसमें एक दिखावे का संकल्प शामिल होता है। यह स्वाभाविक बात है क्योंकि शुक्र की राशि, वृश्चिक और मंगल ग्रह का स्वामी है।
अष्टम भाव में शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अष्टम भाव में शुक्र ग्रह वाले जातकों अपने अंदर बहुत नकारात्मकता लिए होते हैं। इसके अलावा, शुक्र के अशुभ प्रभाव से इन जातकों का झुकाव तांत्रिक विद्या, मानसिक अध्ययन और तत्वमीमांसा की ओर भी हो सकता है। साथ ही जादू-टोना और उपचार भी उनकी रुचि के केंद्र हो सकते हैं। ऐसे जातक ज्योतिष के अनुसार शांतिपूर्वक मृत्यु को प्राप्त करते हैं, संभवत: सोते समय। यदि इस भाव में शुक्र ग्रह वक्री अवस्था में हो तो जातक अत्यधिक उतावले, कटु भाषी और यौन आवेगी हो सकते हैं। आठवें भाव में शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को ज्योतिष द्वारा बताए गए कुछ उचित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है।
अष्टम भाव में, शुक्र ग्रह के जातक विभिन्न प्रकार की तीव्रता की इच्छाओं से परिपूर्ण होते हैं। हालांकि, यह इनके एक स्वस्थ रिश्ते की खोज में बाधा की भूमिका निभा सकता है। कोई भी इतना व्यस्त नहीं हो सकता जितना कि वे प्यार और वासना के वास्तविक उद्देश्य को ढूंढने में होते हैं। इन जातकों का तर्क है कि हर चीज का एक निश्चित व छिपा हुआ अर्थ होता है, जो कुछ समय के बाद पूर्ण हो सकता है और अन्य लोग इन जातकों के साथ समझौते पूर्ण नहीं रह सकते हैं।
लेकिन, कभी-कभी इन जातकों के लिए उनका जुनून भारी पड़ सकता है। वे अपने जुनून के पीछे दूसरे के साथ बिताए जाने वाले अच्छे समय को खो सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार, उन्हें समय-समय पर धीमा होने और यह समझने की आवश्यकता है कि कुछ चीजें सतह पर ही ठीक रहती हैं।
शुक्र के प्रभाव के कारण, यदि किसी कारणवश इन जातकों को धोखा मिल जाए तो उनमें डर की प्रबल भावना आ जाती है। ऐसे जातक अपने प्रेम संबंधों में कुछ हद तक ईर्ष्यालु और स्वामित्व स्वभाव रखने वाले हो सकते हैं। ये जातक किसी के भी प्रेम में पूरे दिल से पड़ते हैं, और बदले में सर्व-उपभोग, पूर्ण विश्वास और ध्यान स्वयं के लिए चाहते हैं। इन जातकों के जीवन में जुनून एक मजबूत उपचार शक्ति की तरह कर करता है।
इसके अलावा, इस भाव में शुक्र के प्रभाव से ये जातक, जीवन की विभिन्न वर्जनाओं, छिपी और वर्जित चीजों के प्रति भी आकर्षित हो सकते हैं। कुछ मामलों में, इस ग्रह की स्थिति वाले जातक प्रेम, रोमांस और कामुकता से व्यापार भी कर सकते हैं।
अष्टम भाव में शुक्र ग्रह का अन्य राशियों में प्रभाव का
- मित्र राशि में प्रभाव
अष्टम भाव में शुक्र ग्रह, का शत्रु राशि में होने से जातक दीर्घायु होता है। इसके अलावा, जातक को अकस्मात धन प्राप्ति के योग भी बन सकते है।
- अष्टम भाव में शुक्र का शत्रु राशि में प्रभाव
अष्टम भाव में शुक्र ग्रह, शत्रु राशि में स्थित होने से जातक को संभवतः शारीरिक कष्ट होते हैं। वह दुखी और चिंता करने वाला होता है।
अष्टम भाव में शुक्र का स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव
अष्टम भाव में शुक्र ग्रह स्वराशि वृषभ या तुला में स्थित होने से जातक की आयु के लिये यह शुभ फल प्रदान करते है। जिससे जातक को रोगों के प्रति सुरक्षा मिलती है।
- अष्टम भाव में शुक्र अपनी उच्च राशि, मीन में स्थित होने से जातक दीर्घायु होता है एवं उसे मृत्यु पत्र से धन प्राप्त होने की संभावना होती है।
- अष्टम भाव में शुक्र, नीच राशि कन्या में स्थित होने से जातक को गुप्त रोग व मृत्यु के समान कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही जातक को अष्टम भाव, संबंधी कुछ अशुभ फल भी प्राप्त होते है।
निष्कर्ष
ज्योतिष के अनुसार, आठवें भाव में शुक्र ग्रह से प्रभावित जातकों का जीवन सभी सुख-सुविधाओं के साथ एक समृद्ध शाली जीवन व्यतीत हो सकता है। ऐसे जातक रिश्तों के प्रति जाग्रत होते हैं और बंधन और गहराई की तलाश कर सकते हैं। हालांकि, इन जातकों को दूसरों से अपेक्षा से अधिक उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए और अपनी इच्छाओं को उत्तेजित नहीं करना चाहिए।
कुंडली के आठवें भाव में शुक्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- क्या आठवें भाव में शुक्र खराब है?
An- आठवें भाव में शुक्र ग्रह की स्थिति, जातक को पर्याप्त धन और आराम के साथ आर्थिक रूप से भी मजबूत तथा सूचित साथी को इंगित करती है। हालांकि, आठवें भाव में पीड़ित शुक्र जातक को आलसी और गैर जिम्मेदार बना सकता है। ऐसे जातक जीवन में प्रेम सुख से वंचित रहेगा।
Q- अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह आठवें भाव में है तो इसका क्या मतलब है?
An- ज्योतिष के अनुसार, आठवें भाव में शुक्र वाले जातक अपने जीवन साथी के माध्यम से जीवन में सभी धन और सुख-सुविधा का उपभोग करते हैं। इस प्रकार, वे एक समृद्ध शाली जीवन जीते हैं। इसके अलावा, उनका साथी वित्तीय मामलों में भी सहायक होता है।
Q- शुक्र ग्रह का शत्रु ग्रह कौन है?
An- बुध और शनि ग्रह को शुक्र का मित्र कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह हैं।
Q- क्या, आठवें भाव में शुक्र ग्रह शुभ माना जाता है?
An- ग्रहों की स्थिति के अनुसार आठवें भाव में शुक्र ग्रह शुभ या अशुभ फल देते हैं।
Q- आठवें भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है?
An- शनि ग्रह आपकी कुंडली के आठवें भाव का स्वामी है।