ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह स्थित होने से जातक, का मित्रता व मित्र मंडल बहुत उच्च स्तर का होता है। ऐसे जातक अपने मित्रों की मदद से बहुत उन्नति करता है तथा उसे मित्रों के माध्यम से अच्छा लाभ भी प्राप्त होता है। शुक्र ग्रह को ज्योतिष में नृत्य, नाटक, सिनेमा, कला संगीत और स्त्रियों का कारक ग्रह माना जाता है।
इस भाव में, यहां स्थित शुक्र ग्रह विशेष रूप से जातक को शुभ परिणाम देते हैं। जिसके शुभ फलस्वरूप जातक का स्वरूप आकर्षक और शरीर निरोगी रहेगा। साथ ही ऐसे जातक गुणवान और अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति माने जाते हैं। ये जातक अत्यंत सुशील और परोपकारी होने के साथ-साथ इनकी रूचि नृत्य और गायन विद्या में हो सकती है। इन जातकों को संगीत पसंद होता हैं साथ ही उनके घर-परिवार के लोगों को भी संगीत बेहद पसंद हो सकता है।
शास्त्रों के मुताबिक ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह वाले जातक का स्वभाव उदार, सदाचार तथा सम्पन्न होता है। ऐसे जातक उत्तम गुणों से सम्पन्न, विनोदी और सत्य बोलने वाले व्यक्ति होते हैं। इसके साथ ही ये जातक शुभ कर्म करने वाले होते हैं। इसके अलावा इन जातकों को धार्मिक और शास्त्रोचित आचरण करने वाले व्यक्तियों की गणना में रखा जा सकता है। ये जातक चरित्र से ज्ञानी और ईश्वर पर विश्वास रखने वाले भक्त होते हैं। ज्योतिष के अनुसार ये जातक अपनी वाक्चातुर्यता के कारण प्रसिद्ध होंगे। साथ ही आपको विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख भी प्राप्त होगा।
जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जिस जातक की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह विराजमान होते हैं वें जातक के घर में सभी प्रकार की समृद्धि और सम्पन्नता रहती है। इनके पास नियमित रूप से धनागमन होता रहता है और दिनों दिन धन वृद्धि होती चली जाती है। ऐसे जातक जौहरी, राजकीय व्यक्तियों से लाभ पाने वाले, स्त्रियों से संबंध से कमाई करने वाले, ग्रंथकार या एक अच्छे लेखक हो सकते हैं। साथ ही इमारतें (बिल्डिंग) बनवाने के कार्य में भी वें लाभ प्राप्त कर सकते है। इन जातकों को विवाह के माध्यम से भी लाभ मिलेगा।
ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह के कारण, प्रभावित जातकों की आशाओं और इच्छाओं को पूरा होने का अवसर मिलता है। शुक्र कि यह स्थिति, दुनिया के विभिन्न हिस्सों का पता लगाने, मित्रों या प्रशंसकों को आकर्षित करने और विवाह के बाद आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के अवसर प्रदान कर सकती है। ग्यारहवें भाव में एक सकारात्मक लाभ के रूप में शुक्र जातक का भाग्य, खुशी, प्रचुरता, धन और अच्छे स्वास्थ्य को आकर्षित कर सकता है। कुछ जातकों के लिए फूड ब्लॉगिंग और ट्रैवल ब्लॉगिंग करियर में एक अच्छे अवसर के रूप में कार्य कर सकता है। इसके साथ ही, ग्यारहवें भाव में शुक्र वाले जातक सामाजिक तितलियाँ, लोकप्रिय, आकर्षक और मनोरंजक होते हैं।
ऐसे जातक सुखद व्यक्तित्व और कई अच्छे मित्रों की संगत में होते हैं। साथ ही, वें अपने दोस्ताना व्यवहार और आकर्षक व्यवहार के कारण दूसरों के बीच लोकप्रियता प्राप्त करते हैं। ये जातक बुद्धिमान और परिश्रमी होते हैं। इस भाव में शुक्र, जातक को कैरियर उन्मुख और व्यवहार के मामले में बहुत सामाजिक, सौहार्दपूर्ण और बहिर्मुखी प्रतिभा का धनी बनाता है। इन जातकों की अक्सर जोखिम लेने की प्रवृत्ति प्रशंसा जनक होती है, और ये लोग निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने व अपने उद्देश्यों को पूरा करने की पूरी कोशिश करते हैं।
ग्यारहवें भाव में शुक्र वाले जातक एक ऐसे साथी की खोज में रहते हैं जो, नैतिक और आर्थिक रूप से उनका समर्थन करता हो। कुछ मामलों में, जातक का जीवनसाथी भौतिकवाद या सांसारिक सुखों की ओर अधिक आकर्षण दिखा सकता है और स्वार्थी व्यवहार का हो सकता है, जो विवाह में कुछ समस्याएं या मनमुटाव पैदा कर सकता है, क्योंकि दिल से ये जातक बहुत रोमांटिक, भावनात्मक और संवेदनशील होता है।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र का राशि और नक्षत्र पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, शुक्र ग्रह का ग्यारहवें भाव में मेष, वृषभ, सिंह, धनु या कुम्भ राशि में गोचर से जातक की आशाओं और इच्छाओं को पूरा होने का अवसर मिलेगा। यहां उपस्थित शुक्र (करुणा और जुनून का ग्रह) जातक को, दुनिया की खोज करने की अनुमति प्रदान करेगा। ऐसे जातक अपने विचारों को निर्देशित कर उनका उपयोग सभी स्तरों पर धन कमाने के लिए कर सकते हैं। युवावस्था में उनकी रचनात्मकता और बुद्धिमता, चरम पर होगी। ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह जातक को एक बहुत ही सुखद और खुशमिजाज व्यक्तित्व दे सकता है। इसके अलावा, आप ऐसे कई लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे जो काम करना चाहते हैं और अपने लाभ या व्यवसाय को बढ़ाने के लिए आपसे जुड़ना चाहते हैं। इससे इन जातकों के पास भी कई अवसर आएंगे।
शुक्र ग्रह का, कर्क या मीन राशि में गोचर, ऐसे जातक को अपने जीवन साथी से सामाजिक मेलजोल, पारिवारिक समारोह, व्यावसायिक बैठक, लेन-देन या संगीत कार्यक्रम में भेंट करवा सकता है। विवाह के बाद या अपने जीवनसाथी की मदद से इन जातकों को आर्थिक रूप से लाभ मिल सकता है, जो जीवन में बहुत अधिक धन और संपन्नता ला सकता है। ऐसे जातक को दहेज के द्वारा बहुत धन मिल सकता है, और वें अपने साथी की मदद या काम से अच्छी खासी रकम कमा सकते हैं जिससे अंततः: अपनी आर्थिक स्थिति को ऊंचा उठाने व सक्षम बनाने में सहायता मिलेगी।
ग्यारहवें भाव में शुक्र के अनुकूल प्रभाव
कुंडली के ग्यारहवें भाव में एक सकारात्मक तथा प्रभावशाली, लाभकारी ग्रह शुक्र जातक को बहुत भाग्य पूर्ण व लाभ दे सकता है।ऐसे जातक एक आकर्षक व्यक्तित्व का आशीर्वाद पाते हैं। इसके साथ ये जातक सभी के साथ आसानी से जुड़ व घुल-मिल जाते हैं। इस भाव में शुक्र ग्रह नवीन विचारों के साथ-साथ आपकी क्षमता व सोच-विचार की पद्धति को विकसित करता है जो; जातक के व्यवसाय में प्रगति वृद्धि व लाभ में वृद्धि करने हेतु मदद कर सकता है। इन जातकों के पास अन्य लोगों से निपटने और तत्काल, प्रभावशाली गुणवत्ता के साथ समस्या का समाधान देने की क्षमता या प्रतिभा होगी जो वे चाहते हैं।
ऐसे जातक अपनी आयु के 27 साल बाद बहुतायत, धन और खुशी को आकर्षित करेंगे। जिन जातकों के ग्यारहवें भाव में शुक्र विराजमान होता है, वे आकर्षक व्यक्तित्व, एक महान सामाजिक दायरे, परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के साथ एक मजबूत बंधन बनाने में प्रतिभावान होते हैं। वे कैरियर-उन्मुख होने के साथ-साथ अपने काम से अच्छा भाग्य निर्माण कर सकते हैं। इन जातकों का वैवाहिक जीवन बहुत शांतिपूर्ण रहेगा।
ग्यारहवें भाव में शुक्र के प्रतिकूल प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्यारहवें भाव में एक नकारात्मक, अशुभ या प्रतिकूल प्रभाव को देने में, शुक्र जातक को सांसारिक लाभ और सुख के लिए अत्यधिक लालसा, और कभी-कभी स्वार्थी रवैया दे सकता है। यह जातक अन्य चीजों को जमा करने और सांसारिक सुखों का पीछा करने के लिए प्रेरित या बाध्य कर सकता है। ऐसे जातक, अपने धन को लेकर बहुत पजेसिव हो सकते हैं और मित्रों या रिश्तेदारों के साथ भी दूसरों को बांटना या उनकी मदद करना पसंद नहीं करेंगे। साथ ही ऐसे जातक नकारात्मक, जहरीले और चालाक लोगों के साथ भी जुड़ सकते हैं जो अपने स्वार्थी उद्देश्यों के लिए उन्हें प्रभावित और गुमराह कर सकते हैं। इसके अलावा शुक्र के अशुभ प्रभाव में ये जातक, एक अस्वास्थ्यकर संबंध और घरेलू वातावरण बना सकते हैं और अंत में वैमनस्य और मानसिक तनाव की स्थिति पैदा कर सकते हैं।
लग्न राशि और शुक्र ग्रह, ग्यारहवें भाव में
ज्योतिष शास्त्र में, लग्न की राशि तथा शुक्र ग्रह के साथ होने के कुछ विशेष प्रभावों को इस प्रकार वर्णित किया गया है-
- मेष लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह, चुंबकीय व्यक्तित्व, अच्छा स्वास्थ्य और करियर में सफलता देता है। ऐसे जातक गतिशील, आकर्षक और विपरीत लिंग के प्रति रुचि रख सकते हैं।
- वृष लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक को धनी, संस्कारी और उदार स्वभाव का बनाता है। इनकी, कला व मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता संभव है।
- मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक को धार्मिक और बुद्धिमान बनाता है और साथ ही ये जातक मीडिया, लेखन, प्रकाशन, संगीत और नृत्य के माध्यम से सफलता प्राप्त करते हैं। इसके अलावा ये जातक, अपने भाषणों के कारण राजनीति में प्रसिद्ध हो सकता है।
- कर्क लग्न के ग्यारहवें में शुक्र ग्रह जातक को सुख प्रिय, आर्थिक रूप से स्थिर, अपने काम या करियर में लोकप्रिय बनाता है और ऐसे जातक कम उम्र में ही सफलता प्राप्त कर सकते है। यह शुक्र की स्थिति जातक को एक सफल और प्रसिद्ध गायक या कलाकार बना सकती है।
- सिंह लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक को एक सफल गायक या अभिनेता बना सकता है, लेकिन ये लोग बुरी आदतों और अहंकार के कारण समस्या में या पीड़ित हो सकते हैं।
- कन्या लग्न के एकादश भाव में शुक्र, में जातक पर्यटन, ट्रैवल एजेंसी, इमीग्रेशन, सेक्टर एविएशन सेक्टर, दूतावास के कार्यों आदि के माध्यम से धन कमा सकता है। कुछ लोग आभूषण, मोती, आयात-निर्यात के व्यवसाय से भी संपन्न व सफल हो सकते हैं।
- तुला लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह की स्थिति से जातक, को विपरीत लिंग से सुख की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे जातक का भाग्योदय विवाह के बाद हो सकता है। इन जातकों को निर्माण या रियल एस्टेट से संबंधित व्यवसाय से पर्याप्त धन प्राप्त होगा।
- वृश्चिक लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातकों को श्रेष्ठ संतान और कर्तव्यपरायण नौकरों के साथ-साथ सभी प्रकार के आराम और विलासिता का आनंद प्रदान करेगा।
- धनु लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक को कम उम्र में प्रसिद्धि और धनवान बना सकता है। इन जातकों को खेलकूद व मनोरंजन से सम्बंधित व्यवसाय में सफलता मिल सकती है।
- मकर लग्न में, ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह जातक को कानूनी मामलों में लाभ दे सकता है और साथ ही ये जातक अपने शत्रुओं पर विजयी होंगे।
- कुम्भ लग्न के एकादश भाव में शुक्र ग्रह की स्थति जातक को दूसरा विवाह दे सकता है। अपनी उम्र के 22 या 28 वर्ष की आयु के बाद आपका भाग्य चमकेगा। साझेदारी के व्यवसाय ये जातक महत्वपूर्ण लाभ पा सकते हैं।
- मीन लग्न के ग्यारहवें भाव में शुक्र, विवाह के बाद जातक को धनवान और भाग्यशाली बना सकता है। इसके साथ ही ससुराल पक्ष या पारिवारिक व्यवसाय से आपको अच्छा धन लाभ हो सकता है। ऐसे जातक मॉडलिंग, मीडिया, अभिनय, गायन और ग्लैमर की दुनिया में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
ग्यारहवें भाव में शुक्र का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
इस भाव में शुक्र हरः से प्रभावित जातक के वैवाहिक जीवन में भरपूर आनंद होता है। उन्हें अपने प्रेम जीवन में परेशानी तो हो सकती है, लेकिन विवाह के बाद उनके लिए चीजें पूरी तरह से बदल जाएंगी। वैवाहिक जीवन की गणना के अनुसार, ऐसे जातक के साथी, अपने पार्टनर को समझने और देखभाल करने वाले होंगे, वे भाग्य और सौभाग्य में वृद्धि करने वाले होते हैं, और जब जातक संतान होंगी और परिवार शुरू करेंगे, तक इन जातकों के जीवन में बहुत खुशी मिलेगी। ऐसे भागीदारों के बीच विश्वास, स्नेह और ईमानदारी का भाव होता है। ज्योतिष के अनुसार इन लोगों के वैवाहिक जीवन में कोई बड़ी समस्या नहीं आएगी।
ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह का करियर पर प्रभाव
ग्यारहवें भाव में शुक्र वाले जातक, अपने जीवन में एक शानदार करियर का निर्माण करते हैं। वे स्वभाव से करियर और लक्ष्य-उन्मुख होते हैं। इन जातकों का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक है जो इनके कार्य क्षेत्र व सामाजिक दायरे को सक्षम करने में मदद करेगा, अन्य लोग, इन जातकों को उनकी मेहनत के लिए सराहेंगे। इसके साथ ही, इन जातकों के कामकाजी जीवन का सकारात्मक और नकारात्मक पहलू यह होगा कि ये जोखिम लेने वाले होते हैं। सकारात्मक पक्ष पर, वे कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे जो उन्हें, सर्व श्रेय बनाएंगे, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होगा कि यह जोखिम उनके लायक नहीं होगा, अतः उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जातकों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने करियर के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण बनाएं रखें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि, एक संपन्न और सुखद सामाजिक जीवन की सुविधा में कुंडली के ग्यारहवें भाव में को शुक्र ग्रह, आकर्षण और अनुग्रह द्वारा समर्थित किया गया है। इसके अलावा, जो भी राशि इस भाव में होगी, शुक्र ग्रह उस स्वभाव व वैयक्तिक आकर्षण को बढ़ावा देगा।
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- कुंडली में ग्यारहवें भाव का स्वामी कौन होता है?
An- ग्यारहवें भाव का स्वामी शनि होता है और कारक गुरु ग्रह है।
Q- शुक्र ग्रह का शत्रु ग्रह कौन है?
An- बुध और शनि ग्रह को शुक्र का मित्र कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह हैं।
Q- मेरे कुंडली में ग्यारहवें भाव में क्या है?
An- कुंडली का ग्यारहवां भाव दोस्ती और समूह, आदर्शवाद और आशा, और निश्चित रूप से, सामूहिकता के संबंध के बारे में है। यदि आपके कुंडली पर इस भाव में एक या एक से अधिक ग्रह हैं, तो आश्चर्यचकित न हों।
Q- सबसे अच्छा लग्न कौन सा होता है?
An- ज्योतिष में, 12 लग्न में से सबसे ताकतवर लग्न कर्क होता है। कहा जाता है सभी लग्न में से यही शक्तिशाली लग्न होता है। बता दें कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा होता है, जिसे राजसी ग्रह कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क लग्न में मंगल सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।
Q- शुक्र क्या कमजोर करता है?
An- शुक्र, जब पाप ग्रहों से जुड़ा हो या उस पर दृष्टि हो तो पीड़ित हो जाता है। जातक जुआ, शराब, ड्रग्स और अन्य हानिकारक पदार्थों का आदी होगा।