Saturn in 5th House | जानिए, कुंडली के पांचवे भाव में शनि ग्रह की भूमिका, प्रभाव व आसान उपाय

शनि ग्रह

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कुंडली के पांचवे भाव में शनि ग्रह( Saturn in 5th house)  

ज्योतिष में, कुंडली के पंचम, यानी पांचवें भाव (घर) में शनि ग्रह की उपस्थिति से जातक के को जीवन में मिश्रित अर्थात मिले-जुले परिणाम मिलेंगे। ऐसे जातक बुद्धिमान और विद्वान होने के साथ-साथ , परिश्रमी और भ्रमणशील भी होते हैं। इस भाव में शनि ग्रह की शुभ स्थिति जातक को दीर्घायु और सुखी जीवन शैली प्रदान करती है।

ज्योतिष में: कुंडली के पांचवें भाव का महत्व 

कुंडली का पांचवां भाव जातक के जीवन का अधिक महत्वपूर्ण भाव होता है। ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली में 12 भावों का उल्लेख बताया गया है। इनमें से प्रत्येक भाव का कुछ न कुछ विशेष महत्व होता है। इस लेख में हम बात करने जा रहे हैं पांचवें भाव कि-  इस भाव से प्रेम संबंध (लव लाइफ) के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। इसके साथ ही यह भाव संतान पक्ष और शिक्षा संबंधी जानकारी का भी कारक माना गया है।

ज्योतिष में : पांचवें भाव में शनि ग्रह की भूमिका 

कुंडली के पांचवें घर (भाव) में शनि ग्रह के प्रभाव में, जातक को अपने प्रेम का इजहार करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक अपने अन्दर की भावनाओं को जाहिर नहीं कर पाते हैं, और इसके बदले वें अपने प्यार के प्रमाण हेतु उपहार या अन्य भौतिक प्रमाण देना उचित समझते हैं। ज्योतिष इन जातकों को गर्मजोशी या फुर्ती भरा रहने की सलाह देते हैं जिससे कि ये जातक और खुद को और भी अधिक बेहतर बनाने का प्रयास कर सकें। इन जातकों को अन्य लोगों से भी अपनी तुलना, नहीं करने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा, शनि ग्रह की पांचवे भाव में स्थिति इस बात को भी दर्शाती है कि जातक को स्वयं का कितना ज्ञान है व इसे वें दूसरों के सामने कैसे व्यक्त करता है। ज्योतिष में शनि ग्रह जातक की सहजता का दमन करता है, तो कुंडली के पांचवे भाव में शनि ग्रह जातक को बहुत अच्छे परिणाम देता है। इस भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक, दूसरों की भावनाओं को अधिक महत्व नहीं देते, क्योंकि वे स्वयं के आनंद को भी मजे करने में असमर्थ होते हैं।

शनि के प्रभाव से इन जातकों में अच्छी अनुभूति होने पर जातक को दोषी होने का भाव भी आता है, जिसका अर्थ यह हुआ कि ऐसे जातक विक्षिप्त स्वभाव के होंगे को केवल और केवल काम के बारे में ही विचार करते हैं। कुंडली के पांचवे भाव में शनि के प्रभाव से कभी-कभी जातक को ऐसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। परन्तु, जातक अगर अपने व्यवहार में सुधार करते हैं, तो वें जीवन में खुशहाली की दस्तक के समान होगा।

पांचवें भाव में शनि ग्रह : प्रभाव 

कुंडली का पांचवा भाव, खेल और मन के विचारों की अभिव्यक्ति का कारक होता है। यह जातक की सहजता से भी संबंधित होता है। हालांकि, यदि इस घर में शनि ग्रह का स्थान हो तो,  यह आपकी सहजता के मार्ग में बाधा डाल सकता है। जिसके कारण जातक में,  निराशावादी दृष्टिकोण उत्पन्न होता है और जातक असामाजिक प्रवृत्ति का शिकार हो सकता है। इसी के साथ जातक अपने सामाजिक जीवन से भी दूर होने लगता है।

शनि की इस भाव में ऐसे स्थिति के कारण, जातक पार्टियों और अन्य सामाजिक गतिविधियों व समारोहों से घृणा करते हैं। लेकिन, इस संबंध में प्रभावित जातक को सावधानी रखनी होगी। यदि आप अपने कार्य और जीवन के गंभीर मामलों में अधिक व्यस्त हैं, तो यह इससे आप अलोकप्रिय भी हो सकते हैं। बेशक, काम जरूरी है, लेकिन जीवन में मौज-मस्ती करना व खुश रहना उससे भी अधिक जरूरी है। ज्योतिष की सलाह में प्रभावित जातक को अन्य लोगों से मिलजुल कर रहने की सलाह दी जाती है, ताकि जातक की उचित छवि और प्रतिष्ठा बनी रही। ऐसे जातकों को अपने काम के साथ-साथ अन्य सामाजिक व बाहरी गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए।

पांचवें भाव में शनि ग्रह: अनुकूल प्रभाव 

इसके अलावा, पांचवें  भाव में शनि ग्रह की स्थिति के प्रभाव से, जातक ऐसे कार्य में रूचि, जो उन्हें आनंद देने के साथ-साथ जीवन में एक उद्देश्य भी प्रदान करने में  मदद कर सके। ऐसे जातक शनि के अनुकूल प्रभाव के कारण किसी चैरिटी या जरूरतमंद संस्थान के लिए धन संग्रहित करने जैसी गतिविधि में भी शामिल हो सकते हैं। जिसके कारण वें समाज में लोगों के बीच अच्छी छवि बनाने में सहायक होगी। इसके साथ ही इस भाव का शनि जातक में किसी अच्छे कार्य के लिए धन को संचित कर उनके अच्छे उपयोग से आयोजनों को सुख के अवसरों में भी बदल सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, जब शनि ग्रह कुंडली के पांचवे भाव में उपस्थित है, तो जातक को डेटिंग को लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि, इस भाव में शनि ग्रह जातक को उनके रिश्तों व संबंधों के प्रति आश्वस्त करता है। ऐसे जातक, अपनी पहली मुलाकात में इधर-उधर की बातों में अपना समय व्यतीत करते हैं। जब किसी जातक की कुंडली के पांचवें भाव में शनि के अलावा अन्य ग्रह हो तो, ऐसे जातक के पास उचित समय आने पर जाहिर करने हेतु कई योजनाएं हो सकती है। 

पांचवें भाव में शनि ग्रह : प्रतिकूल प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के पांचवे भाव में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव होने पर जातक को इस बात से सावधान रहने की आवश्यकता है जो उनकी ख़ुशी से सम्बंधित गतिविधयों में बाधक हो सकती हैं। इसके अलावा बैचेन होने या किसी कार्य से ऊबने की स्थिति में जातक कुछ रोमांचक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। यदि वह ऐसा नहीं कर पा रहें हैं तो, ऐसे लोग उनके जीवन की खुशियों का आनंद लेने में असमर्थ ही महसूस कर सकते हैं। ऐसे जातक अपना अधिक समय खुशियों के अभाव में ही नष्ट कर देते हैं, जो उनके कि जीवन को सहज बनाने की दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता है। विशेष रूप से इस प्रकार की स्थिति तब होती है, जब शनि ग्रह कुंडली के पांचवे भाव में नीच के स्थान पर विराजमान होते है।

इसके साथ ही यदि, जातक शनि ग्रह के प्रतिकूल प्रभाव से बचना चाहते हैं या चिंता या उदास होने की संभावना को बढ़ाना नहीं चाहते हैं, तो ऐसे में जातक को खुद को अधिक कार्यभार देने से बचना चाहिए। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जातक को यह सलाह दी जाती है कि, शनि ग्रह के पांचवे भाव में होने पर,  प्रभावित जातक को ज्यादा समय तक काम भी नहीं करना चाहिए।

पांचवें भाव में शनि ग्रह : राशि और नक्षत्र के अनुसार प्रभाव 

ज्योतिष की गणना के अनुसार, जब शनि ग्रह कुंडली के पांचवें भाव में कर्क, वृश्चिक या मीन राशि में स्थित हो तो ऐसे जातक को खुशी, प्रशंसा और प्यार कम मिलने की संभावना हो सकती है। ऐसे जातक अपनी आंतरिक इच्छाओं और भावनाओं को आसानी से दूसरों के सामने जाहिर नहीं कर पाते हैं, और  इस संवेदनशीलता के कारण उनकी रचनात्मक क्षमता में भी कमी आ सकती है।

इसके अलावा ऐसे जातक, अपने रिश्ते व संबंधों में रोमांस और आत्मविश्वास की कमी को भी महसूस कर सकते है। कुंडली के पांचवें भाव में स्थित शनि ग्रह, जातक को भावनात्मक रूप से अस्थिर होने की संभावना देता है। इन जातकों को उनके ठंडे व हताश रवैये के कारण, संबंधित या उनके संपर्क में रहने वाले लोग उनके साथ रहने के लिए पहले दो से तीन बार सोचते हैं।

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इसके साथ ही अपने गंभीर और पालन-पोषण के सख्त व्यवहार के कारण ऐसे जातक, एक गंभीर जिम्मेदारी को लेकर, सख्त माता-पिता भी बन सकते है। ये लोग अक्सर अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त करने में विफलता भी महसूस करते हैं, जिससे जातक अधिक प्रभावित हो जाते हैं, उन्हें अच्छे और स्थिर संबंधों के लिए अपने प्रतिबंधित व्यवहार को समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।

शनि ग्रह

ज्योतिष में: पांचवें भाव में शनि ग्रह का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, पांचवें भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक को अपने वैवाहिक जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अर्थात विवाह से सम्बंधित मामले में इन जातकों को  सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से परिणाम मिल सकते हैं। परन्तु विशेष रूप से ये जातक अपने वैवाहिक जीवन को लेकर तनावग्रस्त स्थितियों का सामना करते हैं।

 कुंडली में, विवाह के भविष्यफल के अनुसार, जातक अपने प्रियजनों के प्रति बहुत वफादार और संवेदनशील होते हैं, और उनका जरुरत से अधिक ख्याल रखते हैं। लेकिन इसके साथ ही इन जातकों में अभिव्यक्ति और समझ की कमी भी होती है, जिसके कारण वें समस्या में पड़ जाते हैं। और यदि वे इसे लेकर धैर्य नहीं अपनाएंगे, तो वें अपने हाथों से चीजों को खो भी सकते हैं। अतः शांतिपूर्ण और स्थिर जीवन का आनंद लेने के लिए जातकों को अपने कार्यों के प्रति सावधान और जीवन में धैर्य रखना आवश्यक और फायदेमंद साबित होगा।

ज्योतिष में: पांचवें भाव में शनि ग्रह करियर पर प्रभाव 

पंचम भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक, अपने कार्य के प्रति रचनात्मक और बुद्धिमान होते हैं, ऐसे जातक अपने कार्य से संबंधित क्षेत्र के बारे में सदैव कुछ न कुछ सीखने के लिए तैयार रहते हैं। करियर के मामलों में पांचवें भाव में शनि ग्रह के प्रभाव, जातक अपने कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।

और साथ ही वें अपने कार्य को लेकर अत्यधिक समर्पित भी होते हैं। 

किसी भी परिस्थिति में ऐसे जातक अपने लक्ष्य से विमुख नहीं होते हैं, इस भाव में शनि ग्रह के प्रभाव का यह सबसे अच्छा प्रभाव है। ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को अपने कर व कार्य की प्रक्रिया में धैर्य रखने की आवश्यकता है क्योंकि, इन जातकों को अपने परिणाम बहुत बाद में मिलते हैं, जिसके वे वास्तव में हकदार होते हैं। अतः इन्हें अपने कार्यक्षेत्र में परेशान और अधीर बिल्कुल नहीं होना चाहिए। इसके अलावा इन जातकों को अपने कार्यक्षेत्र में बहुत सराहनीय प्रशंसा भी मिलती है।

पांचवें भाव शनि ग्रह की शांति हेतु उपाय 

ज्योतिष में बताए गए कुछ आसान उपायों से शनि ग्रह के बुरे प्रभाव को पूरी तरह से कम तो नहीं किया जा सकता परन्तु, कुछ हद तक उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है-  

  • प्रत्येक शनिवार के दिन काली गाय को नियमित रूप से रोटी खिलाएं।
  • चमड़े से बनी वस्तुएं जैसे- जूते, बैग इत्यादि का दान करना चाहिए।
  • ज्योतिष की सलाह से शनि यंत्र का विधिवत पूजन कर धारण कर सकते है।
  • शनि देव की विधिपूर्वक पूजा कर, शनि स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करें।
  • नित्य रूप से शनि के बीज मंत्र का उच्चारण करें-
    ॐ शं शनैश्चराय नमः’
  • इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें- 

‘ॐ त्रयंबकम यजामहे सुगंधी पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान-मृत्युर्मुक्षीय मांमृता’।

  • गहरे हरे रंग के वस्त्र का उपयोग करें।
  • शनिवार के दिन पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे जल अर्पित करें। 
  • शनिवार के दिन किसी भी शनि या हनुमान मंदिर में तेल का दीपक या कलौंजी के तेल का दीपक जलाने से शनि के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • अपने पास के किसी भी मंदिर में प्रतिदिन हनुमान चालीसा या शनि चालीसा का पाठ करें।
  • अपनी शक्ति के अनुसार धार्मिक कार्यों व दान-धर्म भी नियमित रूप से करें।
  • गरीब, बूढ़े, या जरूरतमंद लोगों को दवा व अन्य जरूरत की वस्तुएं वितरित करें।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, पंचम भाव में स्थित शनि ग्रह, जातक को महानता पूर्ण कार्य करने हेतु प्रेरित करता है, लेकिन उन्हें अपने आंतरिक भावनाओं और कठोरता के स्वभाव को दूर करना होगा। तथा जीवन में गंभीरता को छोड़ कर,  खुशियों व मौज-मस्ती को भी स्थान देना होगा। क्योंकि, बिना मौज-और ख़ुशी  के जीवन नीरस के समान होता है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में शनि ग्रह के प्रभाव

जानें, कुंडली के प्रथम भाव में शनि ग्रह की महत्वपूर्ण भूमिकाकुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह बढ़ाएंगे समस्याएं या होगा लाभ
कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभावकुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह होते हैं दयालु
छठे भाव में शनि ग्रह की स्थिति होगी करियर हेतु श्रेष्ठ
कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह प्रभावित करेंगे वैवाहिक जीवनक्या, कुंडली में आठवें भाव में शनि ग्रह माने जाते हैं अशुभ/a>
कुंडली के नौवें भाव में शनि ग्रहदसवें भाव में शनि ग्रह, करियर में देगा सफलता
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह होते हैं, आर्थिक स्थिति के लिए शुभबारहवें भाव में शनि ग्रह करेंगे परिवार व व्यापार में सुख व लाभ की वृद्धि

पांचवें भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- क्या पंचम भाव में शनि शुभ है?

An- कुंडली के पांचवे भाव में शनि अन्य बातों के अलावा न्यायपालिका, प्रशासन या सरकारी क्षेत्र में करियर का संकेत देता है। मिथुन, तुला और कुंभ राशि में शनि अच्छी शिक्षा को दर्शाता है। फिर भी, सफलता और लाभ प्राप्त करने के लिए संघर्ष और कड़ी मेहनत को किसी भी तरह से नजरअंदाज या टाला नहीं जाना चाहिए।

Q- पंचम भाव में शनि का क्या अर्थ है?

An- जब शनि पांचवे घर में होता है, तो वह आपके जिंदगी को खुशियों से भरना चाहता है। पांचवें भाव में शनि जातक को मौज-मस्ती का जीवन देना चाहता है, भले ही आप अपने सबसे बेहतरीन पलों को खो चुके हैं। वह आपके जीवन में खुशियों का अंबार लाना चाहता है।

Q- क्या पंचम भाव में शनि अशुभ है?

An- पंचम भाव में शनि की स्थिति उतनी खराब नहीं है लेकिन वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण है। यह कुंडली में जिस भाव में स्थित होता है, उसके प्रभाव में देरी करता है, लेकिन इसकी प्रकृति अधिक अशुभ होती है । जब शनि पंचम भाव में स्थित होता है, तो जातक को अपने प्रेम का इजहार करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक अपने अन्दर की भावनाओं को जाहिर नहीं कर पाते हैं।

Q- पंचम भाव का स्वामी कौन है?

An- पांचवें भाव का स्वामी ग्रह सूर्य होता है और कारक ग्रह गुरु है।

Q- पंचम भाव को मजबूत कैसे करें?

An- पंचम भाव का संबंध विद्या और बुद्धि दोनों से है। अत: विद्या संबंधी समस्याओं का हल पंचम भाव, पंचमेश और विद्या के कारक ग्रह बुध द्वारा किया जाना चाहिए। इन तीनों में से जितने अंग अधिक शुभ दृष्टि में होंगे और बलवान होंगे उतनी ही विद्या जातक को प्राप्त होगी।

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