कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह (Saturn in 4th House)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि (Saturn) चौथे भाव में विराजमान होता है, वें बहुत ही मजबूत भावनाओं के व्यक्ति होते हैं, साथ ही उतने ही दयालु भी होते हैं। इन जातकों को दूसरों के प्रति सहानुभूति का भाव होता हैं। इस भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक अपने रिश्तों को अधिक महत्व देते हैं, और इनका वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है।
ज्योतिष में : शनि ग्रह का महत्व
ज्योतिष में शनि ग्रह को एक क्रूर व अशुभ ग्रह माना जाता है, क्युकी वें जातक उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। समाज में भी शनि ग्रह को लेकर कई नकारात्मक धारणा प्रचलित है। लोग शनि के नाम से भयभीत हो जाते हैं। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है, शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना गया है, परंतु वें पीड़ित या अशुभ स्थान पर होने पर ही जातकों को नकारात्मक परिणाम देते हैं। इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च स्थान का हो तो वह उसे रंक से राजा बनाने की क्षमता रखता है। इसके अलावा ज्योतिष में शनि ग्रह को तीनों लोकों का न्यायाधीश भी कहा जाता है। जो लोगों को कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि को पुष्य, अनुराधा व उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त होता है।
ज्योतिष में : चौथे भाव में शनि ग्रह का फल
ज्योतिष की गणना के अनुसार, कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह की स्थिति, जातक को उदार और शांत स्वभाव का बनाता है। ऐसे जातक गंभीर, धेर्यवान, कार्य सम्पन्न और लोभ रहित व्यक्ति होते हैं। साथ ही ये जातक, न्यायप्रिय और अतिथियों का आदर-सत्कार करने वाले होते हैं। इन जातकों का परोपकार करने में अधिक विश्वास व श्रद्धा होती है। ऐसे लोग गुणी व पर्याप्त मात्रा में धन प्राप्त करने वाले होते हैं। शनि के शुभ प्रभाव में इन जातकों को विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख प्राप्त होगा। इसके अलावा जातकों को कहीं और स्थान से भी संपत्ति का सुख मिल सकता है।
ज्योतिष में, इन जातकों को अपने जन्मस्थान से दूर जाकर विदेश में रहने पर सफलता मिल सकती है। इन जातकों को उनकी आयु के 16, 22, 24 , 27 और 36 साल के बाद जातकों को अपने भाग्य का भरपूर साथ मिलता है। इन वर्षों में जातकों को नौकरी, विवाह व संतान से सम्बंधित शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है। हालांकि इस भाव स्थित, शनि ग्रह जातकों को 36 साल की उम्र में कष्ट भी मिल सकते है। इसके बाद उन्हें उम्र के 56 वर्ष तक सुख प्राप्त होंगे।
इन जातकों को शत्रुओं के माध्यम से भी लाभ की मिल सकता है। चौथे भाव में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण, जातक को शारीरिक रूप से कष्ट मिल सकता है। इसके अलावा जातक की संगति बुरे लोगों के साथ हो सकती है। इसके अलावा जातक कुछ मानसिक चिंताओं का भी सामना करना पड़ सकता है। जातक की माता पक्ष को कष्ट हो सकता है। ज्योतिष की सलाह में शनि की यह स्थिति कभी-कभी जातक को दो विवाह या घरेलू क्लेश की स्थिति भी दे सकती है। इस भाव में जातक को शनि के अशुभ प्रभाव से कभी-कभी पिता की संपत्ति से भी वंचित रहना पड़ सकता है।
कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह के सकारात्मक पहलू
कुंडली के चौथे यानी चतुर्थ भाव में शनि के विराजमान होने के कारण, प्रभावित जातक को अपने जीवन में कुछ अप्रत्याशित लाभ और कर्म के परिणाम का शुभ फल मिल सकता है। ऐसे जातक अपने धैर्य व शुभ कर्मों के कारण लोकप्रिय होते हैं। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह का स्थान होता है, ऐसे जातक तीव्र बुद्धि, परिपक्व क्षमता और जिम्मेदार व्यक्तित्व के होते हैं। ये जातक अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को, कैसे दूर किया जाता है, यह भली भांति जानते हैं।
इसके अलावा इन जातकों के, उसकी माँ और पत्नी के साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध होते है। यह दोनों, जातक को उसके व्यापार सम्बन्धी मामलों में भी सहायक होते है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि अपना स्थान लिए होते हैं वें इस चौथे भाव में भावनात्मक रूप से बहुत मजबूत होते हैं, परन्तु साथ भी वें दयालु भी होते हैं और दूसरों के प्रति सहानुभूति का भाव भी रखते हैं।
शास्त्रों की गणना से यह भी ज्ञात किया गया है कि, इस युति के तहत जन्म लेने वाले जातक अपने रिश्तों को अधिक महत्व देते हैं, और इन जातकों का वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है। ऐसे जातक साधारण जीवन शैली को अपनाते हैं और वे अपनी धार्मिक परंपराओं में विश्वास करते हैं। इनका अपना घर इन्हें भुत पसंद होता है, और ये बाहर घूमने-फिरने के शौकीन कम ही रहते हैं। वैदिक शास्त्र के ज्ञान के अनुसार, ये लोग आर्थिक रूप से धनी होते हैं, और रियल एस्टेट मैटर्स पर अच्छी पकड़ रखने वाले होते हैं।
कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह के नकारात्मक पहलू
ज्योतिष में शनि ग्रह जब पीड़ित अवस्था में होते हैं तो वें जातक को, अशुभ प्रभाव देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप, इस भाव में शनि ग्रह जातक को उसके रिश्तों और व्यावसायिक मामलों में नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। यह भी मान्यता है कि इस भाव में शनि की स्थिति होने के कारण वे आत्मकेंद्रित, मानसिक तनाव और जीवन में उचित दृष्टिकोण की कमी को भी दर्शाती हैं। ऐसे जातकों की भावनात्मक बुद्धि समय के साथ खराब हो सकती, जिसके परिणामस्वरूप उनके जीवन में नकारात्मकता का आगमन हो जाता है। ज्योतिष में, शनि ग्रह का कुंडली के चौथे भाव में वक्री होने के कारण, ऐसा भी माना जाता है की, इन जातकों का बचपन सुखद नहीं होता है। जातकों को अपने माता-पिता से पर्याप्त प्रेम और अपनापन न मिली हो।
कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव होने की वजह से जातक की आर्थिक स्थिति भी थोड़ी कमजोर हो सकती या धन संबंधी मामलों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। यहाँ स्थित शनि देव कर्म को प्रधानता देने वाले होते हैं, जिसकी वजह से वें जातक को उनके द्वारा किए गए शुभ या अशुभ कर्मों के कारण धन से संबंधित नुकसान या हानि की समस्या दे सकते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ऐसे जातक के जीवन में बहुत संघर्ष होता हैं और, कुछ मामलों में, आर्थिक रूप से यह वें कमजोर हो जाते हैं, या कर्ज को चुकाने के लिए इन्हें अपना घर भी बेचना पड़ सकता है। चौथे भाव में शनि के होने के कारण जातक अपनी माँ और पत्नी के प्रति ज्यादा अपनापन महसूस करते है। जिसकी वजह से उनके आपसी भी रिश्ते टूट जाते हैं।
इसके सत्रह ही, इन लोगों को वित्तीय मामलों में भी संकट या अचल संपत्ति में लेन-देन में भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही ये जातक लम्बी दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं। इन जातकों का अपने जीवन साथी के साथ लॉन्ग डिस्टेंस का रिश्ता भी हो सकता हैं। चतुर्थ भाव में शनि ग्रह का स्थान यह भी बताता है कि जातक के वैवाहिक जीवन में कठिनाई आ सकती है। या तो दोनों पार्टनर में समझ की कमी होगी या वें थोड़े समय में एक-दूसरे से अलग होने की संभावना को ला सकते है।
ज्योतिष में: चौथे भाव में शनि ग्रह का परिणाम
यदि, किसी जातक की जन्म कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह विराजित होता है, तो उस जातक को घर में आराम मिलना बेहद मुश्किल होता है। जब शनि चौथे भाव, शुभ परिणाम देने वाले हो, तो व्यक्ति को अपने पारिवारिक संबंधों और जीवन के घरेलू मामलों में राहत मिलती है।
कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह : प्रसिद्ध हस्तियां
मैडोना-
इन्हें एक अमेरिकी गायक, गीतकार और अभिनेता, व ‘पॉप की रानी’ कहा जाता है। मैडोना अपने संगीत में सामाजिक, राजनीतिक, यौन और धार्मिक विषयों को शामिल करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हें विवाद और आलोचनात्मक प्रशंसा दोनों ही प्राप्त हैं।
टॉम क्रूज-
वें, एक अमेरिकी अभिनेता और फिल्म निर्माता और दुनिया के सबसे अधिक धन कमाने वाले अभिनेताओं में से एक माना जाता हैं और उन्हें मानद पाल्मे डी’ओर और तीन गोल्डन ग्लोब पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
बराक ओबामा-
वें, एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ हैं। इन्होने, वर्ष 2009 से 2017 तक देश के 44 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया है। इसी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले अफ्रीकी-अमेरिकी राष्ट्रपति बनकर इतिहास में अपना रचा है ।
रतन टाटा-
वें, एक भारतीय प्रख्यात उद्योगपति और परोपकारी व्यक्तियों में गिना जाता है। इसके साथ वें, 1990 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष थे; और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक एक अंतरिम अध्यक्ष के रूप में विराजमान होकर कार्य किया।
चौथे भाव में शनि ग्रह हेतु आसान उपाय
- पानी भरे किसी कुएं या जल के साधन में दूध का प्रवाह करें।
- संकट मोचन श्री हनुमान जी की उपासना व विधिवत पूजा करें।
- पितरों का रूप माने जाने वाले कौवे को प्रतिदिन रोटी डालें।
- क्षमता के अनुसार सांप, गाय व बैल को दूध या चावल खिलाएं।
- रोग होने पर ज्योतिष की सलाह से शनि से संबंधित चीजों का दान करें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, इस निष्कर्ष पर पहुंच गया है कि, कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह को एक अशुभ ग्रह के प्रभाव देने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वें सदैव जातक को हानि ही पहुंचाता है, जबकि ऐसा नहीं है, शनि ग्रह जातक को जीवन में शुभ व अशुभ दोनों तरह के प्रभावों को देता है। वें जातक को धन, बुद्धि और विलासितापूर्ण सुख-सुविधाओं के साथ, जीवन को आकार देने में भी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
कुंडली में चौथे भाव में, शनि ग्रह से प्रभावित जातक को अशुभ परिणाम में कई तरह से नकारात्मक फल मिल सकते हैं परन्तु, कुंडली में बाकी अनुकूल ग्रहों के प्रभाव के कारण जातक, शांतिपूर्ण, तीव्र बुद्धि दक्ष और आध्यात्मिक भी बन सकता हैं। ज्योतिष शास्त्र कहता है कि, शनिदेव को कभी भी अशुभ ग्रह नहीं मानना चाहिए। यह जातक को उसके द्वारा किए गए कर्मों के हिसाब से ही फल देता है। यदि जातक के कर्म अच्छे है तो वें शुभ और बरें कर्ण करने वालों को वें अशुभ फल देते हैं।
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चौथे भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- शनि कुंडली के किन भावों में शुभ नहीं होते है?
An- दूसरे, तीसरे और सातवें से बारहवें भाव में शनि ग्रह को अच्छा माना जाता है, लेकिन पहले, चौथे, पांचवें और छठे भाव में अशुभ माना जाता है। शनि ग्रह के शत्रु की बात की जाए तो सूर्य, चंद्रमा, गुरु,केतु और मंगल है, इसके मित्र शुक्र, बुध और राहु हैं।
Q- चतुर्थ भाव में कौन से ग्रह शुभ होते है?
An- चौथे भाव में गुरु होना सबसे अच्छा माना जाता है। इस भाव में गुरु होने की वजह से व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञानी होता है। चतुर्थ भाव में शुक्र एक ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो भावुक होने के साथ-साथ शांत और रचनाशील भी होते है। इन लोगों का वैवाहिक जीवन सुखी होगा और ऐसे लोग हमेशा अपने परिवार को प्रोटेक्ट करते हैं।
Q- क्या? चतुर्थ भाव में शनि ग्रह के साथ सामान्य योग की स्थिति संभव है?
An- हां, शश योग: जब शनि केंद्र में हो और अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो तो यह योग बनता है। यह आपको दूसरों को आदेश देता है, एक संगठन का प्रमुख बनाता है और एक राजा की तरह शासन करता है।
Q- कुंडली में चौथे भाव किसका होता है?
An- चौथे भाव घर-परिवार का प्रतीक है। यह आपके माता के साथ संबंध और घरेलू जीवन पर आपके दृष्टिकोण को प्रकट करता है। इस भाव में ग्रह आपके पारिवारिक जीवन की ओर जाने वाली बहुत सारी ऊर्जा का संकेत दे सकते हैं।
Q- चौथे भाव का स्वामी कौन है?
An- चौथे भाव का स्वामी ग्रह चंद्र होता है और कारक चंद्रमा है।