Saturn in 10th house | कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह, करियर में देगा सफलता

शनि ग्रह

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह (Saturn in 10th house) की स्थिति होने से जातक का अपने करियर संबंधित मामलों में लकी होता है, लेकिन सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इस भाव में शनि ग्रह का विशेष रूप से सकारात्मक प्रभाव ही होता है।  जिसके फलस्वरूप जातक को अपनी पसंद का करियर व चुनाव करने में सहायता मिलती है।

शास्त्रों में, कुंडली में शनि ग्रह के स्थान को बहुत महत्व दिया जाता है। मान्यता के अनुसार भी शनि ग्रह ज्योतिष में एक अलग ही रूप में परिभाषित किए गए हैं और इसका व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे – ताकि आपको इसकी अधिक समझ हो सके।

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ज्योतिष में: कुंडली में शनि ग्रह का स्थान

जब हम कुंडली के दसवें भाव की बात करते हैं, तो इस भाव में,म यहां शनि ग्रह का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र में, दसवें भाव को कर्म भाव की संज्ञा दी गई है और इसमें कर्म, पेशेवर जीवन, संगठन क्षमता और लाभ के बारे में जानकारी मिलती है। कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह का स्थान होने पर यह अपनी प्रभावशाली ऊर्जा व्यक्त करता है।

ज्योतिष में : शनि ग्रह का प्रभाव

शास्त्रों की गणना के अनुसार, शनि ग्रह बहुत संवेदनशील और गहरा होता है, जिसका प्रभाव जातक के कर्म भाव में दिखता है। यदि शनि ग्रह अशुभ राशि में स्थित होता है, तो यह जातक के कर्म भाव को प्रभावित कर सकता है और पेशेवर जीवन में चुनौतियां पैदा कर सकता है। इसके विपरीत, शनि ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा जातक के कर्म भाव यानी दसवें भाव को सुदृढ़ और स्थिर बना सकती है।

कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह: करियर पर प्रभाव 

कुंडली का दसवां भाव प्रोफेशन, कॅरियर और बिज़नेस से सम्बंधित होता है। राशि चक्र में शनि ग्रह, मकर राशि का स्वामी है, जो कि दसवें भाव का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ पर शनि ग्रह के उपस्थित होने के कारण जातक को कॅरियर में सफलता का स्वाद भी कड़ी मेहनत के बाद ही मिलता है। और जब जातक सफलता के शिखर पर होता है तो वह अपने सारे संघर्षों को भूल जाता है और सुख व आनंद की अनुभूति महसूस करता हैं। इसके अलावा, दसवां भाव पिता के साथ संबंध को भी प्रदर्शित करता है, इसलिए इस भाव में शनि की दृष्टि के कारण पिता और पुत्र के संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। इसका आशय यह है कि यदि,शनि ग्रह कुंडली के दसवें भाव में अशुभ प्रभाव में हुआ तो इसके कारण पिता और पुत्र में हमेशा अनबन व मनमुटाव की स्थिति बनी रहती है।

इसके साथ ही कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह, इस भाव का स्वामी होने के कारण शनि जातक को अपनी पसंद के करियर व लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि शनि ग्रह दसवें भाव में है, तो बारहवां भाव जो की विदेश संबंधी मामलों से जुड़ा होता है, पर भी शनि ग्रह की दृष्टि का प्रभाव होता है। अतः परिणाम स्वरूप यह संभव है कि शनि ग्रह विदेशों में मनचाही नौकरी की तलाश में भी जातक के लिए सहायक सिद्ध हो सकता है। ऐसे जातक अपने घर से दूर रहकर भी उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं, और अपने कार्य क्षेत्र में अपनी एक पहचान भी बना सकते हैं।

इसके अलावा, यदि दसवें भाव में शनि ग्रह धनु या मीन राशि में विराजमान हो और मंगल की दृष्टि उस पर न हो तो यह मोक्ष का कारण बनता है। साथ ही, यदि शनि ग्रह मित्र ग्रहों के साथ युति कर रहे हैं तो, जातक को करियर में सफलता निश्चित रूप से  मिलती ही है। ज्योतिष के अनुसार, लग्न से दसवें भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक अपने करियर में अच्छे परिणाम को प्राप्त करते हैं व आगें बढने के कई अवसर व उम्मीद भी प्राप्त करते कर सकते हैं, जिससे कि वे अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकते हैं।

कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह: राशि के अनुसार प्रभाव 

ज्योतिष की गणना के मुताबिक, शनि ग्रह यदि कुंडली के दसवें भाव में मकर, तुला, कुंभ तथा मिथुन राशि में विराजमान है और शुभ ग्रहों के साथ युति में हो तो, जातक को इसके शुभ व सकारात्मक फल प्रदान करता है|  इसी भाव में शनि यदि मेष, वृश्चिक और मीन राशि में विराजमान हो तो यह जातक को अशुभ व नकारात्मक परिणाम भी दे सकता है। इसके विपरीत यदि शनि ग्रह अशुभ ग्रह तथा सूर्य, मंगल, राहु आदि ग्रहों के साथ युति में हो तो, यह अशुभ फल देने में सक्षम होता है। जिसके फलस्वरूप जातक को नौकरी या व्यवसाय में निरंतर समस्याओं का सामना या असफलता प्राप्त होती है। ऐसे जातक को अपनी योग्यता के अनुरूप अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है, साथ ही जातक को उच्चाधिकारियों से विवाद व जनसेवा में अपयश का सामना करना पड़ता है।

दसवें भाव में शनि ग्रह: वैवाहिक जीवन पर प्रभाव

यदि कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह की स्थिति है तो यह युति इस बात का सूचक है कि है, कि जातक का वैवाहिक जीवन व अपने साथी के साथ अच्छा सामंजस्य होगा व वें एक-दुसरे के साथ अच्छा समय बिताएंगे। इसके अलावा ऐसे जातक अपनी नौकरी व व्यवसाय में अधिक व्यस्त रहने की वजह से अपने जीवन साथी को समय नहीं दे पाएंगे देना। जिसकी वजह से कुछ परेशानी व सम्बन्धों में मनमुटाव की स्थिति आ सकती हैं। आप अपने साथी के साथ आपसी संबंध विकसित करने में असफल हो सकते हैं। 

जातक का वैवाहिक जीवन में कभी कभी उतार-चढ़ाव की स्थिति बन सकती है। अपने प्यार में नयापन महसूस न होने की वजह से ऐसे लोग थोड़ा अकेलापन और निराशा महसूस कर सकते हैं। यदि कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह स्थित है, तो यह जातक के दाम्पत्य संबंधों में अतिरिक्त प्रयास करने के लिए प्रेरित कर सकता है। जिससे कि संबंधों में मधुरता का विकास हो सके।

कुंडली के दसवें भाव में शनि व लग्न राशि के अनुसार फलादेश 

  1. मेष लग्न के दशम भाव में शनि राजनीतिक सफलता देता है। जातक एक नौकरशाह, राजदूत, न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट आदि के रूप में चमक सकता है। जातक सरकार के माध्यम से शक्ति प्राप्त करता है। ऐसे जातक IAS, IPS, IRS, IFS या कोषाध्यक्ष भी बन सकते हैं।
  2. वृष लग्न के दशम भाव में स्थित शनि किसी एक मंत्री या जिले या गांव का मुखिया बना सकता है। नौकरी या सेवाओं में जातक किसी बड़े समूह का मुखिया या कार्यकारी प्रबंधक बन सकता है। शिक्षण पेशे में, कोई हेडमास्टर या डीन बन सकता है।
  3. मिथुन लग्न के दशम भाव में स्थित शनि जातक को विनम्र, साहसी, महत्वाकांक्षी और मेहनती बनाता है। रोजगार या व्यवसाय के माध्यम से सफलता निश्चित है। बन्दी या चोर को दंड देने का अधिकार प्राप्त हो सकता है।
  4. कर्क लग्न के दसवें भाव में शनि जातक को एक सफल राजनीतिक नेता बना सकता है, या जातक सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। नेतृत्व गुणों से युक्त व्यक्ति बुद्धिमान होगा।
  5. सिंह लग्न के दसवें भाव में शनि व्यक्ति को अहंकारी लेकिन जीवन में सफल बना सकता है। मीडिया, खेल या मनोरंजन के क्षेत्र में जातक को प्रसिद्धि मिल सकती है। कुछ लोग बैंकिंग या रियल एस्टेट क्षेत्र में चमक सकते हैं।
  6. कन्या लग्न के दसवें भाव में स्थित शनि मार्केटिंग, विज्ञापन, संपादन और प्रचार के क्षेत्र में जातक को चमकाता है। कोयला, लोहा, ईंट, मार्बल या तेल के व्यवसाय से जातक समृद्ध हो सकता है।
  7. तुला लग्न के दसवें भाव में शनि जातक को धनवान और जिले या गांव का मुखिया बना सकता है। जातक पुलिस अधिकारी, जेलर आदि बन सकता है। जातक 25 वर्ष की आयु से ही कमाना शुरू कर देते हैं, लेकिन उनका भाग्य 36 वर्ष की आयु के बाद चमकने लगता है।
  8. वृश्चिक लग्न के दसवें भाव में शनि जातक को सरकार के माध्यम से अधिकार और शक्ति प्राप्त कर सकता है। कुछ लोग विदेश यात्रा कर सकते हैं और वहां बस सकते हैं और समृद्ध हो सकते हैं।
  9. धनु लग्न के दशम भाव में स्थित शनि जातक को उपदेशक, ज्योतिष, न्यायाधीश, धार्मिक और समाज सुधारक बना सकता है।
  10. मकर लग्न के दशम भाव में शनि जातक को लेखक, संपादक, इंजीनियर, डॉक्टर या पायलट बना सकता है। कोई एक सफल उद्योगपति या उद्यमी भी बन सकता है।
  11. कुंभ लग्न के दशम भाव में स्थित शनि सेना, नौसेना, पुलिस या बड़े कारखाने का प्रमुख बन सकता है। जातक नौकरी और सेवा दोनों में सफल होता है। 36 साल बाद राजनीति में जीत की संभावना है।
  12. मीन लग्न के दशम भाव में शनि लेखन, प्रकाशन, मीडिया, रेडियो आदि के माध्यम से सफलता देता है। ऐसे व्यक्ति कई स्रोतों से कमाई कर सकता है। जातक 33 वर्ष की आयु के बाद धनवान बन सकता है।

दसवें भाव में शनि ग्रह : सकारात्मक प्रभाव

दशम भाव में स्थित शनि जातक को एक अद्भुत पिता और एक सफल शिक्षक बना सकता है। ये मूल निवासी बहुत ही कम उम्र से अपने बच्चे के विकास, खुशी और विकास के बारे में गहराई से चिंतित और प्रेरित होंगे। उनके पास काम पर अपने सहकर्मियों का नेतृत्व करने या उनका मार्गदर्शन करने की इच्छा और अवसर हो सकते हैं। ये मूल निवासी अन्य लोगों की तुलना में अपने करियर या पेशे को कहीं अधिक गंभीरता से ले सकते हैं। वे काम और घर पर अन्य लोगों का मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण करेंगे। वे समाज में अपनी जगह और “भूमिका” के लिए पूरी तरह से जागरूक और जिम्मेदार हैं।

दशम भाव में शनि वाले जातक जीवन के प्रति अपेक्षाकृत रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपना सकते हैं, जो हो सकता है। उनके व्यक्तिगत लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्रभावित न करें। ये जातक जिम्मेदारियों का भारी बोझ आसानी से उठा सकते हैं। हालांकि, यह उनके लिए कभी-कभी ही काम कर सकता है। इन जातकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक समय में एक साथ बहुत अधिक काम न लें।

शनि ग्रह

दसवें भाव में शनि ग्रह : नकारात्मक प्रभाव

जैसा कि 10वें भाव में शनि वाले जातक हर चीज को बहुत गंभीरता से लेते हैं, और वे अपने सुरक्षात्मक दृष्टिकोण और सतर्क रूढ़िवादी शिष्टाचार के साथ सीमा से आगे जा सकते हैं। शनि इन जातकों को अपने श्रम की सफलता और कड़ी मेहनत का आनंद लेने के बजाय अपने दायित्वों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। इन जातकों को अपने काम की नैतिकता में बहुत अधिक नहीं फंसना चाहिए क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से उनके पास आएगा, इसलिए उन्हें हर बार अपने करियर या व्यवसाय के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।

दसवें भाव में शनि ग्रह: अचूक उपाय

ज्योतिष के अनुसार, दसवें भाव में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं जो कुछ इस प्रकार है- 

  • शनिवार के दिन किसी भी शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा-अर्चना व दर्शन करें।
  • यथा शक्ति गरीबों को चावल और अनाज का दान दें।
  • प्रति शनिवार को भैंस या घोड़े को चारा या कोई अन्य खाद्य वस्तु खिलाएं।
  • हनुमान जी की विधिवत पूजा कर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • शनि मंत्र जाप करने और शनि देव की पूजा करने से शनि ग्रह के प्रभाव को शांत किया जा सकता है।
  • गरीबों व जरूरतमंदों को अनाज दान करना और दूसरों की मदद करना से भी शनि के बुरे प्रभाव को नष्ट किया जा सकता है व सकारात्मक दिशा में बदल सकता है।

इन उपायों का पालन करके आप अपने कर्म भाव को सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं और शनि ग्रह के प्रभाव को नियंत्रित कर सकते हैं।

क्या आप भी अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों के अशुभ परिणाम से परेशान हैं तो, आज ही अपनी समस्या का निवारण पाएं हमारे ज्योतिषाचार्यों से ।

निष्कर्ष

अंत में, हम कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि, कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह के स्थित होने से जातकों के लिए कई सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। इस भाव में शनि ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक के करियर पर अच्छा व सकारात्मक प्रभाव होता है और जातक की कार्य करने की क्षमता पर भी प्रभाव होता है। इसी के साथ दसवें भाव में शनि ग्रह का पद स्वामी का होता है, क्योंकि यह भाव करियर व पेशे का भाव होता है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में शनि ग्रह के प्रभाव

जानें, कुंडली के प्रथम भाव में शनि ग्रह की महत्वपूर्ण भूमिकाकुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह बढ़ाएंगे समस्याएं या होगा लाभ
कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभावकुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह होते हैं दयालु
पांचवे भाव में शनि ग्रह की भूमिका, प्रभाव व आसान उपायछठे भाव में शनि ग्रह की स्थिति होगी करियर हेतु श्रेष्ठ
कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह प्रभावित करेंगे वैवाहिक जीवनक्या, कुंडली में आठवें भाव में शनि ग्रह माने जाते हैं अशुभ/a>
कुंडली के नौवें भाव में शनि ग्रह
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह होते हैं, आर्थिक स्थिति के लिए शुभबारहवें भाव में शनि ग्रह करेंगे परिवार व व्यापार में सुख व लाभ की वृद्धि

दसवें भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- दसवें भाव में शनि हो तो क्या होता है?

An- शनि कुंडली में दसवें भाव में हो तो जातक अपने नाम पर मकान नहीं खरीदा और उसका धन जमा होता जाएगा। फिर जब उसका मकान बनेगा तो धन की कमी या हानि शुरू हो सकती है।

Q- दसवां भाव किसका प्रतीक है?

An- ज्योतिष में दसवां भाव को कर्म का भाव कहा जाता है। यह भाव व्यक्ति की उपलब्धि, ख़्याति, शक्ति, प्रतिष्ठा, रुतबा, मान-सम्मान, रैंक, विश्वसनीयता, आचरण, महत्वाकांक्षा आदि को दर्शाता है।

Q- कुंडली में दसवें भाव का स्वामी कौन होता है?

An- दसवें भाव का स्वामी ग्रह शनि होता है और कारक भी शनि है।

Q- कुंडली में दसवां भाव किसका होता है?

An- कुंडली के दसवें भाव,  शनि ग्रह का शासक भाव है। यह भाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समग्र जीवन पथ के साथ-साथ करियर से संबंधित है।

Q- क्या, कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह की स्थिति शुभ होती है?

An- हां, कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह स्थिति शुभ होती है।

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