जानिए, राशि चक्र का महत्व, और विवाह के लिए उत्तम राशियों का मेल, अनुकूलता व प्रतिकूलता

राशि चक्र

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प्रस्तावना

राशि चक्र: हम सभी जानते हैं कि विवाह एक ऐसा फैसला होता है जो जीवन बदल के रख देता है जिसमें दो व्यक्तियों के परस्पर जीवन व्यतीत करने और खुशहाली पूर्वक रहने का रिश्ता बनता है। अतः जीवन के इस महत्वपूर्ण फैसले में राशियों का भी बहुत महत्वपूर्ण  योगदान होता है ज्योतिष विज्ञान के अनुसार राशि चक्र का महत्व, विशेष रूप से एक उत्तम विवाह के लिए बहुत श्रेष्ठ माना जाता है।

‘मंगल भवन के इस लेख में आज हम शुभ व उत्तम वैवाहिक जीवन के लिए  राशि चक्र की अनुकूलता और प्रतिकूलता के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे-

ज्योतिष में : क्या है राशि और क्या होता है राशि चक्र?

भारतीय ज्योतिष के अनुसार, सौरमंडल में प्रति 30 डिग्री के अंश में 12 राशियां होती हैं, जिन्हें ज्योतिषीय संकेत कहा जा सकता है। प्रत्येक राशि या राशि चक्र का अपना महत्व होता है और उसमें जन्म लेने वाले व्यक्ति को अद्वितीय विशेषताएं मिलती हैं। आपके जन्म के समय या किसी विशिष्ट क्षण में चंद्रमा जिस राशि में था, उसे चंद्र राशि कहा जाता है। इसी प्रकार, आपके जन्म के समय या किसी विशिष्ट क्षण में सूर्य जिस राशि में स्थित था, वह राशि सूर्य राशि कहलाती है। हालांकि, वैदिक ज्योतिष में, जब हम कुछ भी निर्दिष्ट नहीं करते हैं, तो एक राशि या राशि चिन्ह चंद्रमा के चिन्ह को इंगित करता है, जिसे कई चीजों में अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

सरल शब्दों में, सूर्य राशि और चंद्र राशि वे राशियाँ हैं जहाँ सूर्य और चंद्रमा हमारी कुंडली में स्थित हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका सूर्य वृषभ राशि में है और चंद्रमा धनु राशि में है, तो आपकी सूर्य राशि वृषभ होगी (आपकी तथाकथित राशि) और चंद्र राशि धनु होगी (जिसे राशि भी कहा जाता है)

इसके अलावा ब्रह्मांड, अनगिनत तारों, ग्रहों, उपग्रहों और पिण्डों का समूह होता है। जिसे दूर से देखने पर तारों के बहुत से समूह दिखाई देते हैं, और जिनकी अलग-अलग आकृतियां बनती सी प्रतीत होती हैं।
तारों के इन्ही प्रत्येक झुंड को नक्षत्र की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार आकाश मंडल में इस तरह के 27 समूह होते हैं, जिन्हें 27 नक्षत्र के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष में इन इन नक्षत्रों की अलग-अलग विशेषता व प्रभाव बताए गए हैं। इन्हीं 27 नक्षत्रों को 12 भाग के छोटे-छोटे समूह में विभक्त किया गया है। इन 12 भागों के छोटे-छोटे समूह को राशि चक्र कहा जाता है।

ज्योतिष में : राशियों की अनुकूलता क्या है?

ज्योतिष के अनुसार, राशियों की अनुकूलता से यह ज्ञात किया जा सकता है  कि किसी जातक का जीवन साथी उससे जुड़ पाएगा या नहीं या उसका भावी जीवन किस प्रकार होगा। माना जाता है कि यदि दो लोग परस्पर अनुकूल महसूस नहीं करते हैं तो यह उनके आने वाले जीवन में कई समस्याओं को जन्म दे सकता है और ज्योतिष शास्त्र की सलाह में यह प्रतिकूलता  दो लोगों के भविष्य में आने वाली कठिनाइयों की चेतावनी देता है।

हिन्दू धर्म में विवाह एक पवित्र मिलन है जो दो शरीर व एक प्राण को एक साथ बांधता है, और ज्योतिष शास्त्र  के लौकिक संबंधों को अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो एक पवित्र स्थायी, सामंजस्यपूर्ण व साझेदारी का निर्माण करता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ राशियों की अनुकूलता पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन के बीच एक मजबूत बंधन, प्यार, समझ और आपसी विकास को गतिशील बनाने की क्षमता रखती है। ज्योतिष के अनुसार, राशि चक्र ऐसी पांच राशियां इस प्रकार हैं; जो एक पूर्ण और स्थायी विवाह के लिए अनुकूलता की प्रतीक मानी गई हैं-

1. वृषभ राशि (20 अप्रैल – 20 मई) व , कर्क राशि (21 जून – 22 जुलाई)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वृषभ और कर्क राशि एक पृथ्वी-जल तत्व का संबंध साझा करते हैं, जो उनके विवाह के लिए एक स्थिर और पोषण आधार बनाता है। वृषभ अटूट समर्थन और व्यावहारिकता प्रदान करता है, जबकि कर्क भावनात्मक गहराई और संवेदनशीलता प्रदान करता है। ऐसे लोग बड़ी ही आसानी से एक-दूसरे की जरूरतों व मन की भावनाओं को समझते हैं और उनकी देखभाल करते हैं, जिससे एक गहरी प्रेमपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण साझेदारी बनती है।

2. सिंह राशि (23 जुलाई – 22 अगस्त) के साथ तुला राशि (23 सितंबर – 22 अक्टूबर)

सिंह और तुला एक गतिशील और भावुक जोड़ी बनाते हैं। उनका अग्नि-वायु तत्वीय संबंध उनके विवाह में रचनात्मकता और रोमांस की चिंगारी प्रज्वलित करता है। सिंह राशि का करिश्मा और आत्मविश्वास, तुला राशि के आकर्षण और कूटनीति का पूरक है। साथ में, वे एक-दूसरे को चमकने और अपनी साझेदारी में संतुलन खोजने के लिए प्रेरित करते हैं।

3. कन्या राशि (23 अगस्त – 22 सितंबर) के साथ वृश्चिक राशि (23 अक्टूबर – 21 नवंबर)

कन्या और वृश्चिक एक पृथ्वी-जल मौलिक संबंध साझा करते हैं जो गहरी भावनात्मक अंतरंगता और विश्वास को बढ़ावा देता है। कन्या राशि की व्यावहारिकता और विस्तार पर ध्यान वृश्चिक की तीव्रता और जुनून को पूरा करता है। वे निष्ठा और प्रतिबद्धता की गहरी भावना साझा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में एक मजबूत और स्थायी बंधन बनता है।

4. धनु राशि (22 नवंबर – 21 दिसंबर) के साथ कुंभ राशि (20 जनवरी – 18 फरवरी)

ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक धनु और कुंभ राशि एक साहसिक और बौद्धिक रूप से प्रेरक साझेदारी का निर्माण करते हैं। उनका फायर-एयर मौलिक संबंध खुले दिमाग और अन्वेषण के लिए साझा प्रेम को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही धनु राशि का आशावाद और उत्साह कुंभ राशि के अभिनव और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ सामंजस्य पूर्ण रूप से मिश्रित होता है, जिससे एक गतिशील और विकासशील वैवाहिक जीवन की नींव बनती है।

ज्योतिष में: राशियों की प्रतिकूलता  

ज्योतिष में राशियों की प्रतिकूलता तब होती है जब किसी जातक की राशि किसी दूसरी राशि के जातक के साथ मेल नहीं खाती है। उदाहरण के लिए, ज्योतिष के अनुसार मेष राशि (Aries) के लोग कर्क राशि (Cancer) के लोगों के साथ राशि चक्र के अनुरूप प्रतिकूल नहीं होती है। यदि फिर भी यह दोनों राशियां यदि साथ हो तो इससे जातक को अनुचित वाद-विवाद, और विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

ज्योतिष में : ग्रहों की प्रतिकूलता

इसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र या आचार्यों के मतानुसार यदि, दो ग्रह परस्पर एक-दूसरे के साथ मेल नहीं खाते हैं तो भी प्रभावित जातकों का उन ग्रहों के गुणों और प्रभावों के बीच संघर्ष होने  की सम्भावना होती है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि के अनुसार यह विभिन्न दृष्टिकोणों, उच्च व नीच स्थितियों, और ग्रहों के पाप योगों के कारण हो सकता है।

ज्योतिष में : नक्षत्र की प्रतिकूलता 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नक्षत्र प्रतिकूलता की सम्भावना तब होती है जब एक जातक के जन्म नक्षत्र का दूसरे जातक के जन्म नक्षत्र से योग्य मेल नहीं बनते है। इससे व्यक्ति को भावनात्मक संघर्ष, भय, और असामान्यता का सामना करना पड़ सकता है।

ज्योतिष में, प्रतिकूलता का मतलब है कि जातक को उस विशेष ग्रह, राशि, या नक्षत्र के उपाय करने की आवश्यकता होती है, ताकि उसे विभिन्न समस्याओं का सामना करने में मदद मिल सके और उसके जीवन को समृद्ध, सुखी, और सामान्य बनाने में सहायता मिल सके। ज्योतिष में, प्रतिकूलता को ध्यान में रखते हुए विशेष उपाय किए जाते हैं जो व्यक्ति को संतुष्टि और समृद्धि प्रदान कर सकते हैं।

इतना ही नहीं बल्कि विवाह हो या करियर संबंधी सुझाव, ज्योतिष शास्त्र में यह किसी भी जातक की जन्म कुंडली राशि चक्र की अनुकूलता और प्रतिकूलता, व ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव को ध्यान में रखकर ही तय किए जाते हैं। ये उपाय जातक के जीवन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में सुख और समृद्धि तो देते ही है साथ ही जातक का वैवाहिक जीवन भी सुखद बना सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमने यहाँ कुछ आसान परन्तु उत्तम ज्योतिषीय उपायों के बारे में जानकारी दी है- जो कि कुछ इस प्रकार है:

  1. मंत्र और पूजा  

अनुभवी व ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाताओं द्वारा बताया गया सबसे पहला और सरल उपाय, मंत्र और पूजा का उपयोग करना है। जिसमें विवाह के लिए अनुकूल स्थितियों को बढ़ाने के लिए विशेष मंत्रों का जाप व उच्चारण किया जा सकता है। इसके साथ उत्तम परिणाम हेतु देवी-देवताओं की पूजा व उपासना करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

  1. रत्न धारण करना 

ज्योतिष द्वारा बताया गया, दूसरा विशेष उपाय, ज्योतिष की सलाह के अनुसार, अपनी राशि के अनुरूप रत्नों को धारण करना। जिससे की विवाह के लिए उत्तम व अनुकूल स्थितियों को निर्मित किया जा सकता  है। जैसे कि, मून स्टोन (पुखराज) परिवार और संबंधों में सुख-शांति लाने में मदद करता है।

  1. व्रत और उपासना 

तीसरा उपाय जो कि जातक के विवाह संबंधी समस्याओं को अनुकूलता प्रदान करेगा, वह है विशेष व्रत और उपासनाएं जिनसे कि जातक को शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, संतान गोपाल व्रत या कार्तिक मास में कुमारी पूजन करना भविष्य में संतान सुख प्रदान करने में मदद कर सकता है।

  1. दान-धर्म करना 

ज्योतिष शास्त्र व हिन्दू सभ्यता में में दान का भी विशेष महत्व है। ज्योतिष में राशि के अनुसार भी दान करने का विधान बताया गया है इसके साथ ही जातक के विवाह में आ रहीं रुकावटों को दूर करने हेतु भी ज्योतिष शास्त्र में दान करना एक श्रेष्ठ उपाय है, जैसे चावल, गुड़, गोशाला में गौवंश का दान आदि।

राशि चक्र
  1. वास्तु दोष के उपाय

शास्त्रों में ज्योतिष शास्त्र जितना अधिक महत्व रखता है उसी प्रकार में वास्तु शास्त्र का भी अपना एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। कई बार हम कई उपाय करने के बाद भी शुभ परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते हैं इस स्थिति में यदि हमारे घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष है तो, हमें समस्या आ सकती है। अतः वास्तु शास्त्र के अनुसार जातक को अपने घर और विवाह स्थल में ज्योतिष की सलाह के अनुरूप उपाय करने चाहिए , जो की संबंधों को मजबूत बना सकते हैं।

यदि आप भी अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण का संचार चाहते हैं तो आप हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं। 

इसके अलावा यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार की कोई समस्या हेतु ज्योतिषीय सलाह व मार्गदर्शन के माध्यम से संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहें हैं तो, आपको एक विशेष व शास्त्रों के ज्ञाता ज्योतिष आचार्य  से सलाह लेनी चाहिए। ज्योतिषीय विश्लेषण और ग्रहों के प्रभाव के अनुसार वें जातक को को उपाय और सही मार्गदर्शन बता सकते है जो उसके संबंधों को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।

इसके साथ ही सबसे अधिक ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि ज्योतिष शास्त्र को सिर्फ एक मार्गदर्शक यंत्र माना जाना चाहिए और जातक के भविष्य के बारे में बिल्कुल भी निश्चितता नहीं होती है। अतः ज्योतिषीय उपायों का प्रयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- राशि चक्र में कितने चिन्ह होते हैं?

An- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राशि चक्र में कुल 12 राशियां हैं और प्रत्येक राशि का चिह्न, विशेष अर्थ और स्वभाव जुड़ा होता है।

Q- सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

An- वृश्चिक को अक्सर तीव्रता, जुनून और परिवर्तन के साथ जुड़े होने के कारण सबसे शक्तिशाली राशि माना जाता है। वृश्चिक की गहरी भावनात्मक प्रकृति, अटूट दृढ़ संकल्प और परिवर्तन को अपनाने की क्षमता इसकी कथित शक्ति में योगदान करती है। वृश्चिक राशि वालों के पास एक रहस्यमयी और आकर्षक आभा होती है जो दूसरों को अपनी ओर खींचती है।

Q- राशि की अनुकूलता कैसे चेक करें?

An- आप अपनी राशि अनुकूलता की गणना ऑनलाइन उपलब्ध कई साइटों पर प्राप्त कर सकते हैं, हालांकि विश्वसनीय और प्रामाणिक परिणाम प्राप्त करने के लिए किसी ज्योतिषी से परामर्श करना सबसे अच्छा होगा। ज्योतिषी आपकी जन्म कुंडली की तुलना आपके साथी की जन्म कुंडली से करते हैं और अनुकूलता का सटीक विश्लेषण कर सकते हैं।

Q- रत्न धारण करने से क्या होता है?

An- ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि जीवन में ग्रहों की दशा को सुधारने के लिए रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है। रत्न को धारण करने से किसी भी व्यक्ति के ग्रहों की दशा को बदला जा सकता है। रत्न कई बार आपकी सुंदरता को निखारने और संवारने का काम भी करते हैं।

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