Ganesh Chaturthi 2023 | गणेश चतुर्थी 2023, इस शुभ मुहूर्त पर करें गणपति जी का स्वागत, ऐसे करें पूजा व जानें महत्व

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी 2023 (Ganesh Chaturthi 2023), धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष, भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी के दिन से दस दिन का गणेश उत्सव प्रारंभ होता है। इस वर्ष विघ्नहर्ता गणपति जी कब विराजेंगे, आइए जानते हैं इस लेख में विस्तार से- 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी का पर्व, गौरी पुत्र भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में हुआ था। वर्तमान में गणेश चतुर्थी का दिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर महीने में आता है। 

इसके साथ ही हिंदी पंचांग के अनुसार इस वर्ष, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आने वाले दस दिन यानी अनंत चतुर्दशी तक यह गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इस शुभ दिन, गणेश चतुर्थी के दिन सभी के घरों, मंदिरों व पंडालों में रिद्धि- सिद्धि के दाता गणपति जी विराजमान होते हैं। 

ऐसा माना जाता है गणेश चतुर्थी के इन दस दिनों तक विघ्नहर्ता भगवान गणेश,  कैलाश पर्वत से धरती पर भक्तों के बीच विराजमान होकर रहकर उनकी हर समस्या को दूर करते हैं।  यही कारण है कि पूरे भारत में गणेश चतुर्थी के पर्व को, महोत्सव के समान बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। 

हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मान्यता है कि गणेश जी ने जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार के दिन, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में जन्म लिया था। अतः इस चतुर्थी को मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 

अवश्य पढ़ें: जानें, वर्ष 2023 में जन्माष्टमी का पर्व कब है, कैसे करें भगवान श्री कृष्ण की उपासना व पूजन

 गणेश चतुर्थी 2023 : शुभ मुहूर्त 

  • गणेश पूजन हेतु मध्याह्न मुहूर्त 

समय  प्रातः 11:01:23 से दोपहर 13:28:15 तक

अवधि – 2 घंटे 26 मिनट

  • चन्द्र दर्शन नहीं करने का समय  

दोपहर 12:41:35 से शाम 20:10:00 तक 

दिनांक- 18, सितंबर 2023 

  • चंद्र दर्शन नहीं करना है

सुबह 09:45:00 से शाम 20:42:59 तक 

दिनांक- 19, सितंबर 2023 

  • गणेश चतुर्थी तिथि आरंभ  

18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे

  • गणेश चतुर्थी तिथि समाप्त 

19 सितंबर 2023 को दोपहर 01:43 बजे

गणेश चतुर्थी 2023 : गणपति स्थापना व गणपति पूजा का मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मध्याह्न के दौरान गणेश पूजा को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। दिन के हिंदू विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल मध्याह्न के बराबर है। हिन्दू समय-पालन के अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच की समय अवधि को पाँच बराबर भागों में बाँटा गया है। इन पांच भागों को प्रातःकाल, संगव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। 

गणेश चतुर्थी पर गणपति की स्थापना के लिए आप मंगलभवन से भगवान गणेश की पंचगव्य मूर्ति ले सकते हैं।

गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना और गणपति पूजा दिन के मध्याह्न भाग के दौरान की जाती है और वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह गणेश पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इसके साथ ही दोपहर के समय, भगवान गणेश जी के भक्त विस्तृत अनुष्ठान व गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजन के रूप में जाना जाता है।

गणेश चतुर्थी 2023 : आवाहन व प्राण प्रतिष्ठा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन, पहला चरण है भगवान गणेश जी के आवाहन और प्राण प्रतिष्ठा का। जिसमें मंत्रों का जाप या तो किसी पुजारी द्वारा किया जाता है या घर पर किया जाता है, आप इसे स्वयं भी कर सकते हैं। सर्वप्रथम भगवान गणेश जी प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं, इस प्रक्रिया को ‘दीप प्रज्वलन’ कहा जाता है, फिर गणपति बप्पा को मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान गणेश जी विधिवत पूजा कर आरती करें। यह कदम दर्शाता है कि आपने अपने घरों में भगवान का स्वागत किया है।

गणेश चतुर्थी 2023 : विशेष अनुष्ठान 

  • षोडशोपचार विधि 

इस अनुष्ठान में भगवान गणेश की सोलह प्रकार से पूजा की जाती है। इस अनुष्ठान के लिए पान का पत्ता, सुपारी, दूर्वा घास के 21 तिनके, 21 मोदक, अगरबत्ती, चंदन का लेप और रुई की बाती, सिंदूर और कपूर की आवश्यकता होती है। संख्या 21 पांच कर्मेन्द्रियां, पांच आवश्यक प्राणों और पांच अवधारणा इंद्रियों, पांच तत्वों और मन को दर्शाती है।

  • भजनों का जाप

इस शुभ दिन पर, गणेश चतुर्थी की रस्में गणपति अथर्वशीर्ष उपनिषद और ऋग्वेद के श्लोकों और मंत्रों के जाप के साथ की जाती हैं। इसके साथ ही, नारद पुराण से गणेश स्तोत्र या भक्ति गीत और श्लोक गाए और जप किए जाते हैं।

गणेश चतुर्थी पौराणिक कथाएँ

पुराणों में बताया गया है कि, गणेश भगवान शिव जी और पार्वती माता के छोटे पुत्र हैं। उनके जन्म के पीछे कई कहानियां हैं लेकिन उनमें से दो सबसे लोकप्रिय हैं, जो कि इस प्रकार है-

पहली कहानी के अनुसार, भगवान गणेश को शिव जी की अनुपस्थिति में उनकी रक्षा के लिए माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से बनाया था। फिर उन्होंने उसे नहाते समय अपने स्नान ग्रह के दरवाज़े पर रखवाली करने का काम दिया। इस बीच, भगवान शिव घर लौट आए और भगवान गणेश, जो नहीं जानते थे कि शिव जी कौन थे, ने उन्हें रोका। इससे शिव भगवान क्रोधित हो गए और दोनों के बीच बहुत झगड़े के बाद भगवान शिव ने क्रोधवश, गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती को यह पता चला तो वे बहुत क्रोधित हो गईं; बदले में, भगवान शिव ने गणेश को पुनर्जीवित करने का वादा किया। इसके बाद उन्होंने देवताओं को उत्तर दिशा की ओर एक बच्चे के सिर की खोज के लिए भेजा, लेकिन वे केवल एक हाथी का सिर ही ढूंढ सके। भगवान शिव ने बच्चे के शरीर पर हाथी का सिर लगा दिया और इस तरह भगवान गणेश जी का जन्म हुआ।

दूसरी लोकप्रिय कहानी यह है कि, एक बार राक्षसों के भय के कारण,  देवताओं ने भगवान शिव और माता पार्वती से भगवान गणेश को बनाने का अनुरोध किया ताकि वह राक्षसों से उनकी रक्षा कर सकें, इस प्रकार भगवान गणेश विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाला) बनें।

गणेश चतुर्थी का पौराणिक महत्व

मान्यता है कि, भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमन्तक मणि की चोरी करने का झूठा कलंक लगाया गया था और वे बहुत अपमानित हुए थे। तब नारद जी ने उनकी यह दुर्दशा देखकर उन्हें बताया कि, उन्होंने भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी को भूलवश चंद्र दर्शन किया था। इसलिए वे इस प्रकार कलंकित व तिरस्कृत हुए हैं। नारद मुनि ने उन्हें यह भी बताया कि इस दिन चंद्रमा को गणेश जी के द्वारा श्राप दिया गया था। अतः जो इस दिन चंद्र दर्शन करता है उस पर कलंक लगता है। फिर नारद मुनि की सलाह के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण जी ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया और वे दोष मुक्त हो गए। इसलिए इस दिन भगवान गणेश जी की विधिवत पूजा व व्रत करने से व्यक्ति को झूठे आरोपों से मुक्ति मिलती है।

गणेश चतुर्थी

धार्मिक संस्कृति में भगवान गणेश जी को विद्या-बुद्धि का दाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षा कारक, सिद्धिदायक, समृद्धि, शक्ति व सम्मान प्रदाता माना गया है। वैसे तो हिन्दू पंचांग में प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को “संकष्टी गणेश चतुर्थी” व शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को “विनायकी गणेश चतुर्थी” मनाई जाती है, परन्तु मान्यताओं के अनुसार वर्ष में एक बार आने वाली गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव होने के कारण श्रद्धालुओं द्वारा इस तिथि पर विशेष पूजा कर सौभाग्य व पुण्य की प्राप्ति की जाती है। 

इसके अलावा, यदि मंगलवार को यह गणेश चतुर्थी पड़ जाए तो उसे ‘अंगारक चतुर्थी’ कहा जाता है। जिसमें,  पूजा व व्रत करने से अनेक पापों का नाश होता है। 

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महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का यह पर्व बहुत बड़े गणेशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जो कि दस दिन तक धूम-धाम से चलता है और अनंत चतुर्दशी यानी (गणेश विसर्जन दिवस) पर समाप्त होता है। इस दौरान भगवान गणेश जी को भव्य रूप से सुसज्जित कर उनकी पूजा की जाती है और अंतिम दिन गणेश जी को उनके भक्तों द्वारा ढोल-नगाड़ों के साथ झांकियाँ निकालकर बड़े ही उत्त्साह के साथ जल में विसर्जित किया जाता है।

गणेश चतुर्थी 2023 से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q. 2023 में गणेश चतुर्थी का पर्व कब है?

An. गणेश चतुर्थी 2023 तिथि कब है? हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी की शुरुआत, 18 सितंबर दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से होगी और 19 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन से मनाया जाएगा।

 Q. षोडशोपचार विधि क्या होती है?

An. इस अनुष्ठान में भगवान गणेश की सोलह प्रकार से पूजा की जाती है। इस अनुष्ठान के लिए पान का पत्ता, सुपारी, दूर्वा घास के 21 तिनके, 21 मोदक, अगरबत्ती, चंदन का लेप और रुई की बाती, सिंदूर और कपूर की आवश्यकता होती है। संख्या 21 पांच कर्मेन्द्रियां, पांच आवश्यक प्राणों और पांच अवधारणा इंद्रियों, पांच तत्वों और मन को दर्शाती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी का अर्थ क्या है?

An.संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। इस दिन जो व्रत रखता है उसके संकटों का नाश हो जाता है।

Q. कौन सी संकष्टी चतुर्थी सबसे अच्छी है?

An.अंगारकी संकष्टी चतुर्थी को सभी संकष्टी चतुर्थी दिनों में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

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