कुंडली के सप्तम भाव में शुक्र ग्रह, के प्रभाव से जातक में; दूसरों के साथ घुलने-मिलने की उच्च क्षमता आती है। साथ ही ऐसे जातक एक स्वस्थ और प्रेमपूर्ण संबंधों की नींव रखने वाला होता है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र प्रेम, सौंदर्य, सहयोग और अनोखी गतिविधियों का प्रतीक होता है। जब शुक्र जन्म कुंडली के सातवें भाव में रहता है, तो यह रोमांटिक और प्लेटोनिक दोनों अर्थों में एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देता है। सातवें भाव ज्योतिष के अनुसार तुला राशि द्वारा शासित होता है और यह रिश्तों, विवाह, व्यावसायिक साझेदारी और सहयोग को नियंत्रित करता है।
कुंडली का सातवाँ भाव, शुक्र का प्राकृतिक भाव या स्थान है जो उसका शासक ग्रह भी माना गया है। शुक्र की स्थिति सातवें भाव के दायरे को मजबूत करने का काम करती है। इसके अलावा, जिस भी राशि का कुंडली के इस सातवें भाव में वास हो, शुक्र ग्रह अपने प्रभाव को कम कर देते हैं और आकर्षण को बढ़ा देते हैं। शुक्र ग्रह को जिसे “प्यार की देवी” के रूप में भी माना जाता है, यह रिश्ते, जीवन साथी, भौतिक सुख-सुविधाओं और प्रेम के बारे में होता है। सातवें भाव में शुक्र के स्थित होने पर यह जातकों को अतिरिक्त विशेषाधिकार भी प्रदान करता है।
ज्योतिष की गणना में, यह जातक को प्लेसमेंट, स्नेह, आकर्षण और अनुग्रह से भरा एक सुखी वैवाहिक जीवन प्रदान करने के लिए सहायक माना जाता है। ऐसे जातक परस्पर व एक-दूसरे के प्रति भलाई की भावना को बढ़ावा देते हैं। इसके साथ ऐसे जातक अपने रिश्तों में भी काफी समझदारी और सहानुभूति का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा, ये जातक अपने निजी जीवन में भी बहुत प्रेम करने वाले, देखभाल करने वाले, संवेदनशील और सौम्य स्वभाव के होते हैं।
कुंडली के सातवें भाव में शुक्र से प्रभावित क्षेत्र
- रिश्तेदारी व सम्बन्ध
- विवाह
- भागीदारी या साझेदारी
- प्रेम संबंध
सातवें भाव में शुक्र ग्रह के प्रभाव
- सकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, सातवें भाव में स्थित शुक्र ग्रह जातकों को कई प्रकार के अनंत सुख प्रदान कर सकता है और साथ ही यह उनके रिश्ते के बंधन को भी मजबूत करता है। ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय होता हैं। ऐसे जातक परस्पर आपसी समझ और साझेदारी, जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने में इन्हें सहायता प्रदान करती है। इसके साथ ही यह भी ज्ञात किया गया है कि, सातवें भाव में शुक्र ग्रह से प्रभावित जातक, एक संतुलित संबंध बनाए रखने के लिए एक मजबूत शारीरिक और भावनात्मक बंधन रखने वाले होते हैं।
ऐसे जातक किसी भी समस्या से निपटने हेतु एक आसान तरीका ढूंढ ही लेते हैं और एक-दूसरे को नैतिक रूप से समर्थन भी देते हैं ताकि उन्हें अपनी परेशानियों से निजात प्राप्त हो सके। इसके अलावा, दोनों पार्टनर अपनी भावनाओं तथा महत्वपूर्ण पलों को एक-दूसरे के साथ व्यक्त भी करते हैं फिर चाहे वो खुशी हो या गम। ज्योतिष की गणना के अनुसार, इस भाव में शुक्र वाले जातकों को सुंदर जीवनसाथी मिलता है, और वे अपनी उच्च जीवन शैली तथा विचारों के लिए जाने जाते हैं।
शुक्र ग्रह सातवें भाव में, जातक के रिश्तों में प्रेम को को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस भाव में शुक्र ग्रह से प्रभावित जातक कभी भी अपने हित को साधने के लिए एक-दूसरे के साथ विश्वासघात नहीं करते हैं और परस्पर घरे सम्मान की भावना रखते हैं। इस युति वाले जीवनसाथी में एक अच्छी माँ और पत्नी के सभी गुण शामिल होते हैं। जब दूसरे से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने की बात आती है तो वे जातक बहुत स्नेह पूर्ण व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं। सप्तम भाव में शुक्र ग्रह से प्रभावित, ऐसा जीवनसाथी/पत्नी परिवार की रीढ़ होने का कार्य भी करता है।
- नकारात्मक प्रभाव :
सातवें भाव में शुक्र ग्रह की स्थिति कभी-कभी जातक के रिश्तों में प्रतिकूल परिणाम भी ला सकती है। उनकी अति गहरी भावनाओं के कारण, यह उनके रिश्ते को और भी खराब कर सकती है जिससे कि एक-दूसरे से बहुत जल्दी अलगाव की स्थिति बन सकती है। ऐसे जातक कभी-कभी वे छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत अधिक बहस कर लेते हैं और यह वास्तव में उनके रिश्ते को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। ऐसे में एक-दूसरे से प्रेम करने के बजाय एक-दूसरे की शिकायत करने लगते हैं। इस स्थिति में कुछ समय बाद, वे अपने साथी में रुचि खो देते हैं और अपने जीवन में निराश हो जाते हैं। इन जातकों का अहंकारी व्यवहार रिश्ते में अस्थिर और अविश्वसनीय भावना को जन्म देता है। ऐसे में वे लगातार अपने रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और इस प्रक्रिया से एक-दूसरे को ठेस भी पहुंचा सकते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, सप्तम भाव में शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव से कभी-कभी वैवाहिक जीवन पर भी असर होता है जिससे कि कम भरोसेमंद होता है और दोनों एक दूसरे की भावनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं। इस स्थिति वाले जातकों में समझ की कमी होती है और वे एक-दूसरे के प्रति सम्मान खो देते हैं। जैसा कि वैदिक ज्योतिष में कहा गया है, संभव है कि इन जातकों को अपना मनचाहा साथी न मिला हो।
सातवें भाव में शुक्र ग्रह का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष की गणना के अनुसार, सातवें भाव (घर) में शुक्र ग्रह के साथ, जिन जातकों का प्रेम विवाह हुआ है, ऐसे जातक बहुत स्वस्थ और आनंदमय वैवाहिक जीवन का निर्वाह करते हैं। ऐसे जातक एक-दूसरे के प्रति बेहद कुशलता पूर्ण व्यवहार रखते हैं और जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी एक-दूसरे की आलोचना नहीं करते बल्कि मदद करते हैं।
सातवें भाव में शुक्र ग्रह के प्रभाव से बचने हेतु उपाय
1. यथा संभव काली या लाल गाय को भोजन कराएं या गौशाला जाकर सेवा करें।
2. प्रतिदिन शरीर और घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
3. धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करें और शुक्रवार के दिन खटाई न खाएं।
4. नाली या नहर में 43 दिनों तक नीले फूल को फेंकें।
5. जीवन साथी के वजन के बराबर किसी भी मंदिर में जौ का दान करें।
- निष्कर्ष
कुल मिलाकर अंत में हम यह कह सकते हैं कि सातवें भाव में शुक्र ग्रह, जातकों के जीवन में अनुभव होने वाले सबसे भाग्यशाली संकेत में से एक हैं। यह जातक के जीवन में सभी खुशियों और सुखों के साथ अपने रिश्ते को पूरा करने में भी मदद करता है। शुक्र को लम्बे समय तक चलने वाले रिश्तों के लिए एक अच्छा संकेत माना जाता है। परन्तु यदि सातवें भाव में शुक्र का परिणाम खराब हो तो यह जातकों के बीच के बंधन को कमजोर भी करता है और उनके जीवन में संघर्ष की स्थिति को जन्म देता है। इस भाव में, यह स्थान एक सिक्के की तरह है जिसके दो पहलू हैं, जो जातक पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों फल देता हैं।
कुंडली के सातवें भाव में शुक्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- कुंडली के सातवें भाव में शुक्र हो तो क्या होता है?
An- सप्तम भाव में शुक्र स्थित होने से जातक सौदर्य प्रेमी और सुखी होता हैं जातक का वैवाहिक जीवन भी पूर्ण रूप से संतोष जनक और सुखी होता है। शुक्र के सप्तम भाव में स्थित होने से जातक को जीवन में सभी सुख-सुविधा व भौतिकता के साधन प्राप्त होते है।
Q- कुंडली में शुक्र मजबूत है या कमजोर कैसे पता करें?
An- यदि जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। उसे भोग-विलास का मौका नहीं मिलता और जीवन में आराम से बैठना नसीब नहीं होता। कमजोर शुक्र होने पर जातक धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है। उसका खाने-पीने, या भोग विलास में मन नहीं लगता।
Q- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी कौन होता है?
An- सातवें भाव का स्वामी शुक्र होता है और कारक शुक्र और बुध हैं।
Q- कुंडली में सातवें भाव किसका होता है?
An- ज्योतिष में सातवें भाव को साझेदारी का भाव माना जाता है, विवाह इन सभी में सबसे महत्वपूर्ण है। इसे विवाह का भाव भी कहा जाता है।
Q- क्या, कुंडली में सातवें भाव में शुक्र शुभ फल देता है?
An- कुंडली के सातवें भाव में शुक्र ग्रह अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों प्रकार से फल देता है।