जानें, क्यों महत्वपूर्ण होती है जन्म कुंडली, प्रतिभा को निखारने में ग्रहों का महत्व व मन के कारक चंद्र देव के प्रभाव व उपाय

जन्म कुंडली

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प्रस्तावना          

जन्म कुंडली के अनुसार प्रतिभा: वैदिक ज्योतिष शास्त्र की संपूर्ण गणना नौ ग्रहों और 27 नक्षत्रों पर आधारित होती है । इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र के आधार पर जो विशेष कुंडली निर्मित की जाती है उसमें जातक के जीवन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी निहित होती है जिसे हम ज्योतिष आचार्यों के माध्यम से जान सकते हैं।

‘मंगल भवन के इस लेख के माध्यम से आज हम ज्योतिष शास्त्र, अंक शास्त्र, जन्म कुंडली, ग्रहों का महत्व, जातक की प्रतिभा में ज्योतिष शास्त्र की भूमिका व अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे-

ज्योतिष में : जन्म कुंडली क्या होती है? 

जन्म कुंडली या जन्म पत्रिका ज्योतिष शास्त्र द्वारा की गई ऐसी गणना होती है; जो जातक के जन्म के समय की जाती है और जिसमें जातक के जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलू का ज्ञान प्राप्त करने हेतु 12 भाव शामिल होते हैं जो कि ग्रहों की स्थिति के अनुरूप जातक को शुभ या अशुभ घटनाओं पूर्वानुमान व निर्देश प्रदान करते है।

ज्योतिष के अनुसार : जन्म कुंडली में अंक, राशि और ग्रहों का महत्व

वैदिक ज्योतिष की गणना, मुख्य रूप से जातक के नाम व उसकी राशि के अनुरूप ही कि जाती है। जबकि राशि की जानकारी, जातक की जन्म कुंडली से मिलती है और इसी चक्र में जातक की जन्म कुंडली से ग्रह तथा नक्षत्र की स्थिति का भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। अतः हिन्दू ज्योतिष के मुताबिक ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। इस तथ्य को जातक की जन्म कुण्डली से बहुत अच्छी तरह समझा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह कुंडली में उपस्थित 12 भावों के कारक होते हैं। 

इसी के साथ कुंडली में कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं जो जातक के मन व मस्तिष्क पर भी प्रभाव करते हैं। राशिफल की गणना भी ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति को ही आधार मानकर व चंद्र राशि के आधार पर ही कि जाती है। जातक के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वह उस जातक की चंद्र राशि कहलाती है। 

ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रह हमारे सौरमंडल के सभी नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। जिसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा होता है परंतु इसकी गति सबसे तीव्र होती है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है। 

अंक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक संख्या का एक अपना अलग महत्व व अर्थ होता है और ज्योतिष में किसी अंक विशेष के प्रभाव में जन्म लेने से उस अंक से सम्बंधित गुण भी उस जातक में सम्मिलित हो जाते हैं। इतना ही नहीं, अंक ज्योतिष, ज्योतिष शास्त्र की सबसे सरल प्रणाली मानी जाती है क्योंकि संख्याओं के आधार पर जातक के जीवन से जुड़ी कई प्रकार के सकारात्मक व नकारात्मक पहलुओं का अनुमान लगाया जा सकता है।

ज्योतिष में : ग्रह क्या होते हैं?

वैदिक ज्योतिष में, सभी ग्रह (राहु-केतु को छोड़कर) आकाश मंडल में स्थित ऐसे खगोलीय पिण्ड होते हैं जो गतिमान अवस्था में उपस्थित रहते हैं। ये ग्रह पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के जीव-जंतुओं और मनुष्यों के जीवन को प्रभावित करते हैं। खगोल शास्त्र के अनुसार,  ग्रह सौर मंडल में गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से एक-दूसरे की निश्चित दूरी पर स्थित होते हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इसमें सभी ग्रहों की एक निश्चित गति व समय होता है। जैसे- चंद्रमा की गति सबसे तेज है अतः चंद्रमा के गोचर का समय सबसे कम होता है। इसी प्रकार शनि ग्रह की गति सबसे धीमी होती है और उनका एक राशि से दूसरी राशि में गोचर के दौरान लगभग ढाई वर्ष का समय लेते है।

ज्योतिष में: बुध ग्रह व बुध ग्रह के प्रभाव  

ज्योतिष शास्त्र में, बुध ग्रह को एक शुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है अर्थात यह जातक को ग्रहों की संगति के अनुरूप ही यह फल देता है। जन्म कुंडली में यदि बुध ग्रह कोई शुभ ग्रहों जैसे गुरु, शुक्र व चंद्र ग्रह के साथ होता है तो यह जातक को शुभ फल देता है और यदि क्रूर ग्रहों जैसे- मंगल, शनि, राहु व केतु की संगति में हो तो जातक अशुभ फल प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही बुध ग्रह राशियों में मिथुन राशि व कन्या राशि के स्वामी कहलाते हैं। कन्या राशि बुध की उच्च राशि भी है जबकि मीन राशि को उनकी नीच राशि माना गया है। इसके साथ ही 27 रहस्यमयी नक्षत्रों में बुध ग्रह को अश्लेषा, ज्येष्ठा, व रेवती नक्षत्र का स्वामी कहा जाता है जो कि बहुत शुभ नक्षत्र कहलाते है। 

इसके साथ ही हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता और मित्र का कारक ग्रह माना जाता है। ग्रहों में सूर्य और शुक्र ग्रह को, बुध के मित्र ग्रह व चंद्रमा और मंगल ग्रह,  इसके शुत्र ग्रह बताए गए हैं। ज्योतिष में बुध का वर्ण हरा है और सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित किया जाता है जो कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का भी दिन है है।

ज्योतिष के अनुसार: बुध ग्रह का मानव जीवन पर प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह लग्न भाव यानी पहले भाव में स्थित हो, तो ऐसे जातक शारीरिक रूप से सुंदर होते है। साथ ही ये जातक अपनी वास्तविक उम्र से कम आयु के दिखाई देते हैं तथा उनकी आँखें चमकदार होती हैं। लग्न भाव का बुध जातक को स्वभाव से चालाक, तर्कसंगत, बौद्धिक रूप से धनी और कुशल वक्ता बनाता है। बुध ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक सौम्य स्वभाव का होता है और ऐसे जातक को कई प्रकार की भाषाओं का ज्ञान होता करते हैं। इतना ही नहीं, व्यवसाय क्षेत्र में भी ऐसे जातक सफलता प्राप्त करते हैं। बुध ग्रह जातक को दीर्घायु प्रदान करता है।

कुंडली में बली बुध के प्रभाव  

जन्म कुंडली में बुध ग्रह मजबूत या शुभ स्थिति में विराजमान होने से ऐसे जातक की संवाद शैली कुशल होती है। और वह हाज़िर जवाब स्वभाव का होता है जो अपनी बातों से सबको मोह लेता है। इन जातकों की बुद्धि कुशाग्र होती है। वह गणित विषय में अच्छा होता है। ऐसे जातक की गणना करने की शक्ति तीव्र होती है। ऐसे जातक का सभी विषयों के लिए तार्किक दृष्टिकोण रहता है। ऐसा जातक वाणिज्य और व्यवसाय में भी सफल होता है। शास्त्रों के मुताबिक बुध ग्रह की शुभता के कारण जातक एक श्रेष्ठ वक्ता होता है। साथ ही उनकी, संवाद और संचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका होती है।

ज्योतिष में : पंचम भाव और प्रतिभा के संबंध का विश्लेषण

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली का पांचवा भाव मूल त्रिकोण का हिस्सा माना जाता है जो जातक के संतान, संतान के जन्म, संतान सुख, मंत्र-तंत्र, विद्या, ज्ञान, गूढ़ ज्ञान, उपासना, शर्त, साहस, कौशल, प्रेम संबंध, रोग का उपाय और गर्भावस्था जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से सम्बंधित होता है। वैदिक ज्योतिष की गणना में कुंडली के में पांचवें भाव संतान भाव के नाम से भी जाना जाता है। 

अब हम बात करते हैं, पांचवें भाव के कारक की तो ज्योतिष में विद्या और संतान के कारक ग्रह गुरु ही कहलाते हैं, अतः पांचवें भाव के कारक गुरु ग्रह किसी भी जातक की सफलता में गुरु का मार्गदर्शन बहुत जरुरी होता है। क्योंकि बिना गुरु के ज्ञान के संसार की तुलना करना असंभव है।  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वास्तव में किसी भी जातक के लिए सही दिशा में मार्गदर्शन यानी गुरु के जैसे  पथ प्रदर्शन मिलने पर, उन्हें अपने अंदर की छुपी हुई प्रतिभा का सही ज्ञान प्राप्त हो जाता है।  कहने का तात्पर्य यह है कि यदि उचित परामर्श मिल जाए तो जातक अपनी रूचि से सम्बंधित व अपनी प्रतिभा के अनुरूप सफल हो सकता है।  

ज्योतिष में: नौ ग्रह और प्रतिभा पर उनके प्रभाव 

शास्त्रों व जन्म कुंडली के अनुसार, ग्रह हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण निभाते हैं। इतना ही नहीं हमारी खुशी और दुख दोनों, काम, व्यवसाय व हमारी रुचि के लिए ग्रह ही जिम्मेदार होते हैं। मनुष्य जब जन्म लेता है उस पल से ही ग्रहों की स्थिति उसके जीवन को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं। ज्योतिषाचार्य जन्म कुंडली में इन्हीं ग्रहों की स्थिति देखकर मनुष्य का स्वभाव, और उसके भविष्य के बारे में जानकारी देता है आइए जानते हैं कि यह नौ ग्रह हमें कैसे प्रभावित करते है-

  • सूर्य ग्रह 

सूर्य ग्रह सौरमंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। जिससे की मनुष्य का मान-सम्मान प्रभावित होता है। यानी कुंडली में यदि सूर्य ग्रह शुभ है तो जातक को प्रसिद्धि मिलती है, और अशुभ प्रभाव व युति में है तो अपमान का सामना भी करना पड़ता है।

  • चंद्र ग्रह 

ज्योतिष शास्त्र में, चंद्र ग्रह को जातक के मन का कारक माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्र ग्रह शुभ स्थान पर हो तो वह शांत स्वभाव वाला होता है। उसका चित्त सदैव एकाग्र होता है व ऐसा जातक कठिन परिस्थितियों में भी अच्छा व्यवहार करता है।

  • मंगल ग्रह 

यदि किसी की कुंडली में मंगल ग्रह शुभ प्रभाव में हो तो ऐसा जातक बेहद पराक्रमी होता है। उसमें धैर्य रखने की क्षमता भी अधिक होती है। और ऐसे जातक मंगल ग्रह के शुभ प्रभाव से एक कुशल प्रबंधक बनता है। इसके साथ ही यदि मंगल कमजोर या अशुभ है तो जातक बेहद डरपोक और कमजोर प्रवृत्ति का होता है।

  •  बुध ग्रह 

ज्योतिष में बुध ग्रह को भाषा और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। कुंडली में यदि बुध ग्रह शुभ स्थान पर हो तो ऐसे जातक अत्यधिक बुद्धिमान होते है। और यदि अशुभ स्थान पर हो तो मस्तिष्क से जुड़े काम करने में समस्या आती है।

  •  गुरु ग्रह 

ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को भाग्य का कारक माना जाता है। यह जातक की धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है। कुंडली में गुरु के अशुभ स्थान पर होने से छोटे से छोटे काम में भी अड़चन आती है और साथ ही मेहनत का फल भी नहीं मिलता।

  • शुक्र ग्रह 

शास्त्रों में शुक्र ग्रह को सुंदरता का कारक ग्रह माना जाता है। इसके शुभ होने से जातक बहुत सुंदर और आकर्षित होता है साथ ही उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है। इतना ही नहीं शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव से जीवन अंधकारमय हो जाता है।

  • शनि ग्रह 

यदि किसी जातक की कुंडली में शनि ग्रह शुभ स्थान पर हो तो वह बेहद बलशाली, सांवले रंग का व और सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त करने वाला होता है। साथ ही शनि देव की कृपा से ऐसे जातक सदैव प्रसन्न रहते हैं, लेकिन शनि की अशुभ दृष्टि से जीवन में बहुत सी कठिनाई आती हैं।

जन्म कुंडली
  • राहु गह 

ज्योतिष में राहु ग्रह को क्रूर या बुरे प्रभाव देने वाले ग्रह माना जाता है। परन्तु कुंडली में शुभ राहु के प्रभाव से जातक कठोर, प्रबल और तेज बुद्धि वाला होता है। और यदि राहु बुरा फल देने वाले हो तो जातक के जीवन में अनेक कष्ट आने लगते हैं।

  • केतु ग्रह 

केतु ग्रह के प्रभाव से जातक बनता है। साथ ही ऐसे लोग गरीबों का भला करते हैं। और यदि केतु अशुभ है तो जातक के बहुत से शत्रु होते हैं। ऊंचे पद पर आसीन जातक को को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

किसी भी प्रकार के दोष, ग्रह शांति, पूजा व अन्य सभी प्रकार के ज्योतिष परामर्श हेतु आप ‘मंगल भवन ‘से जुड़ कर तुरंत समाधान प्राप्त कर सकते हैं। 

ज्योतिष विशेषज्ञों से सलाह

अपने करियर में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करना एक अनिवार्य आवश्यकता है। यह आपको उपलब्धि और आनंद की अनुभूति देता है। हालांकि, कड़ी मेहनत करना सभी लोगों के लिए हर समय आसानी से संभव नहीं हो सकता है और इसके लिए आपकी ओर से कुछ सचेत प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है। परन्तु मेहनत भी सही दिशा में की जा रही है या नहीं यह भी जानना बहुत आवश्यक है, अतः हम हमारे जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे, नौकरी, करियर या वैवाहिक जीवन के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर नकारात्मकता से बचना चाहते हैं तो, ज्योतिष विशेषज्ञों की सलाह लेना एक उत्तम बहुत विकल्प होता है।

कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ 


Q. बुद्धि के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

An. बुध ग्रह को बुद्धि, संचार और निर्णय क्षमता का प्रतीक माना जाता है।

Q.मानसिक शांति कौन सा ग्रह देता है?

An.चंद्र ग्रह व्यक्ति की मन की शांति से जुड़ा है, और इस प्रकार, यदि यह ग्रह आपकी कुंडली में मजबूत है, तो आपको मानसिक शांति प्राप्त होगी, लेकिन अगर यह किसी पाप ग्रह के संपर्क में आता है या उससे प्रभावित होता है, तो यह बहुत अधिक विनाशकारी हो सकता है।

Q.भय और चिंता के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

An.ज्योतिष शास्त्र में चंद्र और राहु को मन में डर का कारण माना गया है। चंद्र और राहु अगर कमजोर हो या कुंडली में नीच अवस्था में हो तो इसका प्रभाव जातक पर डर के रूप में भी नजर आता है।

Q.जन्म कुंडली का मतलब क्या होता है?

An.जन्म कुंडली व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य की स्थिति और घटनाक्रमों को जानने का सर्वोत्तम साधन है। जन्म कुंडली आपके जीवन के भाव, ग्रह, नक्षत्र से बना जीवन वर्णन है। जन्म कुंडली में मौजूद सभी बारह भाव जन्म से लेकर मृत्यु एवं मृत्यु से लेकर मोक्ष सभी की जानकारी देते हैं।

Q. क्या ज्योतिष विशेषज्ञों की सलाह पूर्ण रूप से सही होती है?

An. यह कहना कदापि गलत नहीं होगा की सही समय, सही दिशा व सही मार्ग की जानकारी से जीवन में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है, अतः ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह लेना एक अच्छा विकल्प है जो आपको सही मार्ग पर आगे बढ़ने में सहयता करता है।

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