चन्द्र ग्रहण, चंद्र की शांति, चंद्र मंत्र एवं समाधान

चंद्र ग्रहण

हिन्दू सभ्यता में चन्द्र ग्रहण का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में ग्रहण की प्रक्रिया अशुभ कहलाती है; परन्तु खगोल शास्त्र की दृष्टि से यह महज एक ग्रहों के बीच होने वाली साधारण से क्रिया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण तब होता है; जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच से गुजरती है, सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करती है जो सामान्य रूप से चंद्रमा की सतह को रोशन करती है। इससे चंद्रमा लाल या नारंगी रंग का हो सकता है, यही वजह है कि इसे कभी-कभी “ब्लड मून” कहा जाता है। चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा के दौरान ही हो सकता है। 

हिन्दू पंचांग में प्रति माह में एक पूर्णिमा की तिथि अवश्य होती है यह आवश्यक नही की प्रति पूर्णिमा तिथि को ‘चंद्र ग्रहण’ ही हो। जब सूर्य, चंद्र व पृथ्वी तीनों एक साथ परस्पर सीध में आ जाते हैं; तब ही पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण संभव हो पाता है।   

वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह के महत्व का वर्णन करते हुए बताया गया है कि चन्द्र जातक के मन,  माता और सुंदरता का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में यदि चंद्र ग्रह मजबूत अवस्था में हो तो जातक के जीवन में प्रसन्नता, सुख, माता का बेहतर स्वास्थ्य और अच्छा एक लाइफ पार्टनर प्राप्त होता है। वहीं यदि चंद्र पीड़ित अवस्था में हो तो जातक को मानसिक तनाव,अस्थिर मन, माता को कष्ट आदि समस्याएँ आती हैं। ऐसी स्थिति में चंद्र देव को प्रसन्न करने हेतु हमारे ज्योतिषियों ने कई सरल एवं कारगर उपाय बताएं हैं। जिसके उपयोग से हम चंद्र देव के नकारात्मक प्रभाव को कम कर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। इन उपायों में चन्द्र से संबंधित वस्त्र और वस्तुएं आदि के दान तथा धारण करना भी सम्मिलित है। 

विद्वान ज्योतिषियों ने चंद्र देव को प्रसन्न करने के कुछ अचूक उपाय बताएं हैं। जिनमें  सोमवार का व्रत, चंद्र यंत्र, चंद्र मंत्र, चंद्र ग्रह से संबंधित वस्तु का दान, खिरनी की जड़ और दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने सहित और भी कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। इन उपायों को कर आप चंद्र देव को शांत कर सकते हैं। 

Chandra Grahan Shanti avam Upayay

चन्द्र ग्रह से संबंधित कुछ विशेष उपाय: 

पोषक एवं जीवन शैली से जुड़े चन्द्र ग्रह शांति के उपाय

  • सफेद रंग चंद्र देव का सूचक है अतः जातक को श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • अपने परिवार में माता जी, सास एवं बुजुर्ग महिलाओं का आदर- सम्मान करें।
  •  रात्रि के समय दूध के सेवन से बचें।
  • चांदी एक बहुत ही शुभ धातु का प्रतीक है। इसका प्रयोग लाभकारी होता है।

प्रातः काल किए जाने वाले चन्द्र शांति के उपाय

  • माँ आदिशक्ति के मंदिर जाकर माता का पूजन करें।
  • भगवान भोलेनाथ के शीश पर चंद्र देव विराजमान रहते हैं अतः शिव जी की उपासना से भी विशेष लाभ होगा।
  • श्रीकृष्ण के स्वरूप का विधि पूर्वक पूजन करें।
  •  प्रतिदिन शिव चालीसा तथा दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • नियमित रूप से बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित कर विधि-विधान से पूजा करें।

चन्द्र देव के लिये पूजा एवं व्रत

शास्त्रों में चन्द्र देव को शुभता,  सुख-शांति, समृद्धि और दयालुता प्रतीक खा जाता है। चन्द्र देव की कृपा दृष्टि प्राप्त करने हेतु जातक को सोमवार का व्रत करना चाहिए। चूँकि सोमवार अर्थात सोम(चंद्र) का दिन चंद्र देव को अर्पित है अतः इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से चन्द्र देव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं। सोमवार के दिन श्वेत वस्तुओं जैसे- सफेद वस्त्र, चावल, दही, दूध, मोती और चांदी धातु का दान करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है। चंद्र का संबंध जल से भी होता है, अतः जल की बर्बादी न करें। 

चन्द्र शांति हेतु दिए जाने वाले दान

चंद्र ग्रह के क्रोध को शांत करने हेतु चंद्र देव से संबंधित वस्तुओं का दान सोमवार वाले दिन चंद्र के होरा या शुभ नक्षत्र (रोहिणी, हस्त, श्रवण) के समय प्रात: काल किया जाता है।  दान करने वाली इन वस्तुओं में समस्त श्वेत रंग जैसे- दूध, चावल, चांदी, मोती, श्वेत वस्त्र , श्वेत पुष्प एवं शंख इत्यादि शामिल हैं।

चन्द्र ग्रह से सम्बंधित रत्न

ज्योतिष में, चंद्र देव की शांति हेतु श्वेत मोती को धारण करने का महत्व बताया है। यदि किसी जातक की चंद्र राशि कर्क है तो, मोती धारण करना जातक के लिए शुभ होगा। इसके प्रभाव से चंद्र देव शांत रहेंगे एवं जातक को अच्छे फल प्रदान करेंगे।आप मोती को चांदी की अंगूठी में या माला के रूप में भी धारण कर सकते हैं।

श्री चन्द्र यंत्र

वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र यंत्र की विधि-विधान से पूजन तथा अभिमंत्रित कर स्थापना करने से जातक के मन को शांति की अनुभूति प्राप्त होती है मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य मजबूत रहता है। चंद्र यंत्र धारण करने से जातक के व्यक्तित्व में निर्मलता आती है। चंद्र यंत्र, जातक के चंद्र को मजबूत करके डिप्रेशन, मानसिक बीमारियों से दूर रखने में सहायक होता है। इस यंत्र को सोमवार वाले दिन चंद्र की होरा अथवा  चंद्र के शुभ नक्षत्रों के समय धारण करना उचित होता है।

चन्द्र ग्रह हेतु जड़ी

 ज्योतिष गणना में खिरनी की जड़ को धारण करने से जातक चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम कर, सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। इस जड़ को शुभ समय में पूजा कर सोमवार के दिन चंद्र के  शुभ नक्षत्रों में धारण करना लाभदायक सिद्ध होगा ।

चन्द्र ग्रह हेतु रुद्राक्ष

विद्वानों ने चंद्र देव हेतु दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने का प्रावधान बताया है और यह जातक के लिए विशेष लाभदायक होता है।

दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:

  • “ॐ नमः”।
  • “ॐ श्रीं ह्रीं क्षौं व्रीं।।”

चन्द्र मंत्र

  • “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः!”
  • “ॐ सों सोमाय नमः!”

चंद्र के बीज मंत्र का 11000 बार उच्चारण करने से चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है। कलयुग में इस मंत्र को  (11000X4) 44000 बार जप करने से विशेष शुभ फल प्राप्त होते हैं। 

कुछ सवाल व उनके जवाब -FAQ

Q- चन्द्र ग्रहण कितनी बार होते हैं?

Anचंद्र ग्रहण साल में कई बार हो सकता हैं, लेकिन यह पृथ्वी पर हर जगह से हमेशा दिखाई नहीं देते हैं।

Q- चन्द्र ग्रहण कितने समय तक रहता है?

An-चंद्र ग्रहण का कुल चरण कई घंटों तक रह सकता है, जबकि आंशिक चरण कुल चरण से पहले और बाद में कई घंटों तक रह सकते हैं।

Q- क्या चन्द्र ग्रहण पृथ्वी पर कहीं से भी देखा जा सकता है?

An-नहीं, चंद्र ग्रहण केवल पृथ्वी पर उन स्थानों से देखा जा सकता है, जहां ग्रहण के दौरान चंद्रमा क्षितिज(तल)से ऊपर होता है।

Q- क्या चन्द्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखा जा सकता है?

An-हां, चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखना सुरक्षित है।

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