Sun in 2nd house | कुंडली में दूसरे भाव का सूर्य देगा धन-संपत्ति और परिवार में सुख-शांति

सूर्य ग्रह

Sun in 2nd house

कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य ग्रह: महत्ता   

यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह हो तो यह जातक के लिए समृद्धशाली तथा लाभ प्राप्त करने का सूचक होता है लेकिन यह तभी संभव होगा जब ये जातक ईश्वर पर आस्था-विश्वास रखते हों। अन्यथा दूसरे भाव में स्थित सूर्य जातक के लिए धन अर्जित करने में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इस भाव में स्थित सूर्य ग्रह के प्रभाव  में जातक कई कामों में दक्ष और कुशल होते हैं। ऐसे जातक अपनी बढ़ती उम्र के साथ-साथ आत्मनिर्भर हो जाते हैं।

‘मंगल भवन’ का ज्योतिष विशेषज्ञ आचार्य श्री शुभम जी जोशी ने हमें इस लेख के माध्यम से कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह की महत्ता का वर्णन तथा कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है जो कि प्रभावित जातक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगी- तो आइए अब इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते है-

दूसरे भाव में सूर्य के सकारात्मक लक्षण 

ज्योतिष के अनुसार जिन भी जातकों की कुंडली में दूसरे भाव में यदि सूर्य ग्रह विराजमान होते हैं तो ऐसे जातक का व्यक्तित्व बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। ये जातक अपने उच्च नैतिक गुणों के कारण लोकप्रिय और सबके बीच बहुत पसंद किए जाते हैं। सभी दूसरे लोग इनकी मित्रता बहुत पसंद करते हैं। ऐसे जातक अपने कार्य के प्रति बहुत समर्पित और अच्छी तर्क शक्ति रखने वाले होता हैं जिसके कारण दूसरे लोगों का इन पर उतना ही विश्वास रहता है। 

इसके अलावा जिनकी कुंडली में सूर्य दूसरे भाव में विराजमान होता है, उनके पास धन-संपदा की भी कोई कमी नहीं होती। वे स्वयं दूसरों के लिए एक मिसाल या सपने के समान होते हैं। सूर्य के शुभ प्रभाव के कारण इन जातकों की संपत्ति और समृद्धि के साथ-साथ इनके आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान भी बहुत तरक्की करता हैं। यही आत्मविश्वास इनके शानदार करियर निर्माण में सहायक होता है। 

ज्योतिष के अनुसार ऐसे लोग कभी अपने धन का दिखावा या घमंड नहीं करते हैं बल्कि वे किसी भी प्रकार के बाहरी दिखावे में विश्वास नहीं करते हैं। इनका कार्य के प्रति समर्पित और निरंतरता के प्रति अधिक झुकाव रहता है। दूसरी ओर, ऐसे जातक कला और प्रकृति में भी अधिक रुचि रखते हैं। वे सौंदर्यता और गुणवत्ता को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे जातकों को दूसरों पसंद- नापसंद का भी विशेष ध्यान रहता है। 

दूसरे भाव में स्थित सूर्य के नकारात्मक लक्षण 

जिन जातकों की जन्म कुंडली के दूसरे भाव सूर्य स्थित होता हैं, उन्हें अपने वित्तीय मामलों में सतर्क रहने की आवश्यकता है। ऐसे जातकों को अत्यधिक भौतिक संपत्ति खरीदना या अर्जित करना नुकसानदायक हो सकता है , विशेष रूप से कोई बहुत महंगी वस्तु। इन जातकों के लिए खा गया है कि हर सुन्दर वस्तु को हासिल करना आवश्यक नही होता है। ऐसे जातकों के लिए जहाँ तक संभव हो सके मितव्ययी होने का सुझाव दिया जाता है और साथ ही यह भी बताया गया है कि हर महँगी वस्तु गुणवत्ता वाली हो यह भी जरुरी नही होता इसलिए सतर्क रहें।

इसके साथ ही जन्म कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य से प्रभावित जातक किसी भी कार्य को सही ढंग से करने के लिए हमेशा जल्दबाजी कर लेते हैं जो कई बार, इनके लिए भरी पड़ सकता है। यदि कोई दूसरा व्यक्ति इनके विचारों से सहमत नहीं हो तो ये जातक एक विरोधाभासी स्थिति में आ जाते हैं। ऐसे जातक जिनकी कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य विराजमान होता है, वे हमेशा परिस्थितियों से सुरक्षित और बच कर रहना चाहते हैं। इनका मानना है कि किसी भी ख़तरा या परेशानी उनके जीवन में नहीं होना चाहिए परन्तु इतनी अत्यधिक सुरक्षात्मक भावना का होना अच्छा नहीं माना जाता। हर समय सुरक्षात्मक दायरे में रहना व्यक्ति के विकास और सफलता में बाधक हो सकता है।

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दूसरे भाव में सूर्य ग्रह का करियर\अर्थव्यवस्था\प्रेम संबंधों पर प्रभाव

  • करियर

सूर्य के दूसरे भाव में होने से जातक को सांसारिक तथा भौतिकवाद की वस्तुओं के प्रति झुकाव बढ़ता है। ऐसे जातकों की शिक्षा और करियर पर उनके पिता का अधिक व्यय होता है। हालांकि कभी-कभी ये जातक अपने पिता के अत्यधिक प्रेम के कारण अभिमानी या बिगडैल स्वभाव के भी हो जाते हैं। इन जातकों को इनके बचपन से ही शिक्षा के सर्वोत्तम साधन प्राप्त होते हैं। जबकि ये जातक अपनी उच्च शिक्षा तथा श्रेष्ठ करियर हेतु विदेश भी जा सकते हैं।   

  • अर्थव्यवस्था  

कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य ग्रह के कारण जातक के करियर तथा व्यापार\व्यवसाय में शुभ प्रभाव होता है। कुंडली में सूर्य के दसवें भाव की स्थिति जो कि करियर का भाव होता है पांचवें स्थान पर होने के कारण जातक की किसी राजनीतिक या सरकारी के उच्च पद पर आसीन होने की संभावना को बढ़ाता है। 

सूर्य ग्रह
कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य ग्रह
  • प्रेम सम्बन्ध

जन्म कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य जातक के प्रेम संबंधों के लिए कुछ हद तक प्रतिकूल हो सकता है। दूसरे भाव में सूर्य की अष्टम दृष्टि के कारण जातक के ससुराल पक्ष या कोई विरासत से संबंधित पक्ष प्रभावित होता है। सूर्य की उपस्थिति के कारण जातक में अति-आत्मविश्वास और अहंकार की भावना जन्म लेती है जो जातक के रिश्तों में कभी-कभी मनमुटाव की स्थिति को पैदा कर सकती है। ऐसे जातक अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने के कारण कम उम्र में ही विवाह कर सकते हैं।   

  • निष्कर्ष

किसी जातक की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का होना यह दर्शाता है कि जातक अपेक्षाकृत रिश्तों और धन की दृष्टि से समृद्ध होंगे  लेकिन कोई भी कार्य करने से पहले अत्यधिक उत्साही न बने  इस बात का विशेष ध्यान रखें।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में सूर्य ग्रह के प्रभाव

सूर्य ग्रह प्रथम भाव में बढ़ाएगा आत्मविश्वास
कुंडली के तीसरे भाव का सूर्य ग्रहचौथे भाव में सूर्य की शुभ स्थिति
कुंडली के पांचवे भाव में सूर्यकुंडली में छठे भाव में सूर्य ग्रह की भूमिका
कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रहकुंडली के आठवें भाव में सूर्य करेंगे संवेदनशील
नौवें भाव में सूर्य ग्रह देते हैं आदर सत्कारदसवें भाव में सूर्य ग्रह करते हैं बुद्धि तथा प्रसिद्धि का संचार
कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य ग्रह का प्रभावकुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह

सूर्य ग्रह दूसरे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- दूसरे भाव में सूर्य के प्रभाव में जातक का वैवाहिक जीवन कैसा होता है?

An- दूसरे भाव में सूर्य के प्रभाव में जातक का वैवाहिक जीवन सहज नहीं होता है या फिर दूसरे विवाह की भी संभावना हो सकती है।

Q- दूसरे भाव में सूर्य ग्रह क्या फल देते हैं?

An- दूसरे भाव में सूर्य ग्रह जातक को समृद्धशाली बनाते हैं।

Q- क्या, कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह शुभ होते हैं?

An- हां, सामान्यतया कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह शुभ फल ही देते हैं।

Q- कुंडली के दूसरे भाव में स्वामी ग्रह किसे कहा जाता है?

An- दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और कारक ग्रह गुरु है।

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