Saturn in 7th house | क्या, कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह प्रभावित करेंगे वैवाहिक जीवन

शनि ग्रह

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में यदि शनि ग्रह विराजमान हों, तो ऐसे जातक अपने जीवन में आरंभ के समय नौकरी करते हैं और बाद में अपने स्वयं के कारोबार या व्यवसाय में लग जाते हैं। ऐसे लोगों के विवाह में भी विलंब होता है। इसके साथ ही ऐसे लोगों के जीवनसाथी की आयु उससे अधिक होती है। कुंडली के सप्तम यानी सातवें भाव में शनि ग्रह की मौजूदगी, ज्योतिषीय गणना के मुताबिक वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं मानी जाती है।

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कुंडली के सातवें भाव में शनि का महत्व

शनि ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। शनि का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डालता है, खासकर कुंडली के सातवें भाव में। इस लेख में, हम जानेंगे कि कुंडली क्या होती है, भाव क्या होते हैं, शनि का महत्व क्या है, शनि का सातवें भाव में प्रभाव कैसा होता है, शनि के उपायों का महत्व और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।

कुंडली में सातवें भाव का महत्व 

ज्योतिष गणना के मुताबिक, कुंडली का सातवाँ भाव रिश्तों के घर के रूप में जाना जाता है। यह भाव ज्योतिष में तुला और उसके शासक शुक्र ग्रह से मेल खाता है। इसके साथ भी कुंडली का यह भाव विवाह, साझेदारी, संयुक्त उद्यम और सहयोग का प्रतिनिधित्व भी करता है। इसमें अनुबंध, वकील, परामर्शदाता और प्रतिद्वंद्वी और प्रतियोगी भी शामिल हैं। 

यह भाव यह भी सुनिश्चित करता है कि, हम पारस्परिक लाभ के उद्देश्य से दूसरों के साथ कैसे साझा करते हैं और बातचीत कैसे करते हैं। साथ ही, इस भाव में जातक की साहचर्य और मजबूत गठबंधनों की आवश्यकता से संबंधित जानकारी भी मिलती है। 

ज्योतिष में : शनि ग्रह का महत्व

शनि ग्रह ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इसे अंग्रेजी में ‘Saturn’ के नाम से भी जाना जाता है। शनि को भारतीय ज्योतिष में कर्म कारक ग्रह के रूप में माना जाता है। शनि व्यक्ति के जीवन में कर्मिक और धार्मिक मामलों पर गहरा प्रभाव डालता है। यह ग्रह धैर्य, समझ, सत्यनिष्ठा और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

ज्योतिष में : शनि ग्रह का सातवें भाव में प्रभाव

शनि का सातवें भाव में प्रभाव व्यक्ति के सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर होता है। शनि सातवें भाव में अपने मुकाम पर स्थित होने से व्यक्ति को धैर्य, सत्यनिष्ठा और कर्म प्रियता की गुणवत्ता प्राप्त होती है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति अपने सामाजिक कर्तव्यों, रिश्तों और संबंधों में गंभीरता और जिम्मेदारी दिखाता है।

सातवें भाव में शनि ग्रह : राशि और नक्षत्र का प्रभाव 

कुंडली में मकर या कुंभ राशि में यदि सातवें भाव में शनि ग्रह विराजमान हैं तो, जातक के विवाह में देरी हो सकती है और इसके अलावा जातक को एक परिपक्व या उम्रदराज साथी या बहुत कम उम्र के साथी से विवाह हो सकता है। यदि जातक की कम उम्र में शादी हो तो हो सकता है कि यह आपको शादी की जिम्मेदारियों का सामना करने की अनुमति न दे, और जीवन में समस्या या चीजें गलत हो सकती हैं। 

ऐसे जातक अपनी आयु की 30 वर्ष के बाद ही जीवनसाथी के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने हेतु सक्षम होंगे। इसके साथ ही सातवें भाव में शनि ग्रह, आपको 30 की उम्र के बाद एक अच्छी तरह से प्रतिबद्ध और संतुलित संबंध बनाने के लिए बाध्य कर सकता है। इसके साथ ही आप अपने रिश्तों और करियर से संतुष्टि के साथ संतुलन बनाने व अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएंगे। 

इसके अलावा ज्योतिष के अनुसार, सातवें घर में मंगल, राहु या केतु ग्रह, शनि को पीड़ित करता है। शनि ग्रह की जातक के लिए के लिए, कानून, लोहे और इस्पात के काम, खनन, एक राजनयिक करियर, या एक प्रमुख, गणितज्ञ और ठेकेदार के रूप में करियर के लिए एक उत्कृष्ट स्थिति है।

सातवें भाव में शनि ग्रह : सकारात्मक प्रभाव

सप्तम भाव में एक सकारात्मक शुभ शनि आपको अनुशासित और सदाचारी बनाता है और अपने परिवार के साथ एक सामंजस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। शश योग तुला राशि में इस स्थिति में शनि के साथ संभव एक सामान्य योग है, जो आपको एक शानदार जीवन दे सकता है। सप्तम भाव में शनि शुक्र और बुध जैसे मित्र ग्रहों के साथ होने पर राजयोग बनाता है और आपको सांसारिक सफलता का आशीर्वाद देता है। 

सप्तम भाव में एक सकारात्मक, अच्छी तरह से स्थित शनि आपको पूरी निष्ठा और उत्साह के साथ चीजों को पूरी तरह से करने में मदद करता है। आप एक अनुशासनात्मक जीवन जी सकते हैं और एक सख्त नियमित शासन का पालन कर सकते हैं। आप अपने बीच के वर्षों में वर्कहोलिक हो सकते हैं, क्योंकि शनि नियमित काम करने और एक सख्त नियमित कार्यक्रम का पालन करने के बारे में है। आपकी माता या जीवनसाथी सख्त और अनुशासित हो सकते हैं।

सातवें भाव में शनि ग्रह: नकारात्मक प्रभाव

सातवें भाव में अशुभ शनि की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। सप्तम भाव में शनि की स्थिति जातकों के रोमांटिक जीवन पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है। इन जातकों को अपने जीवन साथी को चुनने में बहुत सी दुविधाओं और भ्रम का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, सातवें भाव में वक्री शनि जातक के वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर सकता है। 

सातवें भाव में अशुभ शनि के साथ एक नकारात्मक शनि आपका विवाह, प्रतिबद्धता और जिम्मेदारियों से भयभीत करता है। आपको कम उम्र में रिश्तों और शादी के बारे में नकारात्मक अनुभव और गलत धारणाएं हो सकती हैं। ऐसे में आपको अपार दुख और पीड़ा का अनुभव हो सकता है। आपके और आपके जीवनसाथी के बीच झगड़े, तकरार और तीखी नोक-झोंक हो सकती है। आप नाजुक, आत्मकेंद्रित और अधीर हो सकते हैं, जो आपके वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर सकता है।

सातवें भाव में :  शनि ग्रह के प्रभाव के लक्षण

शनि के प्रभाव के कुछ लक्षण होते हैं जो व्यक्ति को ध्यान में रखने चाहिए। यह लक्षण व्यक्ति के मन में चिंता, मानसिक तनाव, कठिनाइयां और संकट के रूप में दिख सकते हैं। शनि के प्रभाव में व्यक्ति को कुछ क्षेत्रों में संकटों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य, कैरियर, विवाह, धन-संपत्ति और संतान।

ज्योतिष में: शनि के दोषों का प्रभाव

अगर किसी की कुंडली में शनि दोष होता है, तो उसके जीवन में कठिनाइयां और परेशानियां आ सकती हैं। शनि के दोष के प्रभाव से व्यक्ति को संघर्ष करना पड़ सकता है और सफलता की प्राप्ति में देरी हो सकती है। यदि शनि के दोष को ठीक समय पर नहीं सुधारा जाता है, तो व्यक्ति को और भी अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

सातवें भाव में शनि ग्रह : दाम्पत्य जीवन पर प्रभाव 

ज्योतिष की गणना के अनुसार, कुंडली का सप्तम यानी सातवां भाव विवाह एवं जीवनसाथी का भाव कहलाता है। इस भाव में शनि ग्रह विराजमान का होना, जातक के विवाह और वैवाहिक जीवन के लिए शुभ संकेत नहीं माना जाता है। कुंडली के सातवें भाव शनि के होने से जातक की स्त्री कुरूपा( सुंदरता हीन) कटुभाषी(कड़वा बोलने वाली) और कलहप्रिया होती है। इसी कारण जातक का वैवाहिक जीवन रसहीन व नरक के समान होता है। इस भाव में शनि ग्रह की स्थिति होने पर व्यक्ति का विवाह सामान्य आयु की अपेक्षा देरी से होती है, या सामान्यतः जीवनसाथी की उम्र अधिक भी हो सकती है ऐसा देखा गया है।

सातवें भाव में शनि ग्रह: व्यावसायिक जीवन पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह के प्रभाव से प्रभावित जातक अपने करियर के प्रारंभिक वर्षीं में नौकरी भी करता है और बाद में नौकरी छोड़कर अपना स्वयं का व्यवसाय भी करने लगता है। इन जातकों का काम ठेकेदारी, बीमा एजेंट, बिल्डिंग बनाने इत्यादि से संबंधित हुआ हो सकता है। वैसे ये जातक  शिक्षक, प्राध्यापक, गणक आदि कार्यों में भी कार्य कर अपनी आजीविका चला सकते हैं। ऐसे जातक को न्यायालय एवं राज्य से निराशा मिल सकती है। ऐसा जातक अपने व्यवसाय को आगें बढ़ाने के लिए, पिता के सम्पत्ति का उपयोग भी कर सकते हैं तथा स्वसम्पत्ति की वृद्धि व विकास करते है।

शनि ग्रह

सातवें भाव में शनि के उपाय

शनि के दोष को कम करने और उसके प्रभाव को शांत करने के लिए कई उपाय होते हैं। इन उपायों का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में स्थिरता और सफलता की प्राप्ति कर सकता है। कुछ प्रमुख शनि के उपाय हैं:

  • शनि ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप करना।
  • दान करना और धार्मिक कार्यों में सहयोग करना।
  • शनि देव की पूजा करना।
  • शनिवार के व्रत रखना।
  • नीलम रत्न का धारण करना।

इन उपायों के साथ-साथ शनि की उपासना और पूजा करने से भी जातक, उसके दोषों को कम कर सकता है और उसके प्रभाव को शांत कर सकता है। शनि की पूजा करने से व्यक्ति को स्थिरता, सफलता और सुख की प्राप्ति हो सकती है। इसके लिए, व्यक्ति को शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए और शनि देव की पूजा करनी चाहिए।

सातवें भाव में : शनि का महत्वपूर्ण योगदान

शनि ग्रह का महत्वपूर्ण योगदान है व्यक्ति को धैर्य, संघर्षशीलता और कर्म प्रियता की गुणवत्ता प्रदान करना। शनि व्यक्ति को संघर्ष की क्षमता प्रदान करके उसे अपने जीवन में सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद करता है। इसके अलावा, शनि ग्रह व्यक्ति को अनुशासन, समयनिष्ठा और सम्मान की महत्वपूर्ण गुणवत्ताएं सिखाता है।

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शनि ग्रह से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्य

  • शनि ग्रह का धातु मानव शरीर में लोहे के साथ जुड़ा हुआ है।
  • इसका धार्मिक संकेत उपायुक्त पहनावे के रूप में नीलम माना जाता है।
  • शनि को संसार के बाप यानी ‘यमराज’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • शनि का मित्र ग्रह उर्वशी है, जिसे व्यक्ति की संगत मानी जाती है।
  • शनि के प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि आर्थराइटिस और बांझपन।

निष्कर्ष 

इस लेख में, हमने देखा कि कुंडली के सातवें भाव में शनि का महत्व क्या है। शनि एक महत्वपूर्ण ग्रह है जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। इसकी सही दशा में आने से, व्यक्ति को संघर्षशीलता, धैर्य, और कर्म प्रियता की गुणवत्ता प्राप्त होती है। शनि दोष को नियंत्रित करने के लिए, व्यक्ति को उपासना, पूजा, और व्रत करने की सलाह दी जाती है। इससे व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।

आधुनिक जीवन में, शनि ग्रह का महत्व बढ़ गया है। व्यापार, करियर, और परिवार में सफलता के लिए, व्यक्ति को अपने कर्मों दायित्वों को समझना और सम्पूर्ण सतर्कता के साथ उन्हें निभाना चाहिए। शनि ग्रह की सही दशा में आने से, व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकता है और उसकी संघर्षशीलता और धैर्य की क्षमता मजबूत होती है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में शनि ग्रह के प्रभाव

जानें, कुंडली के प्रथम भाव में शनि ग्रह की महत्वपूर्ण भूमिकाकुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह बढ़ाएंगे समस्याएं या होगा लाभ
कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभावकुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह होते हैं दयालु
पांचवे भाव में शनि ग्रह की भूमिका, प्रभाव व आसान उपायछठे भाव में शनि ग्रह की स्थिति होगी करियर हेतु श्रेष्ठ
क्या, कुंडली में आठवें भाव में शनि ग्रह माने जाते हैं अशुभ/a>
कुंडली के नौवें भाव में शनि ग्रहदसवें भाव में शनि ग्रह, करियर में देगा सफलता
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह होते हैं, आर्थिक स्थिति के लिए शुभबारहवें भाव में शनि ग्रह करेंगे परिवार व व्यापार में सुख व लाभ की वृद्धि

सातवें भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- क्या हर व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह होता है?

An- हां, हर व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह होता है। शनि ग्रह हर कुंडली में एक महत्वपूर्ण ग्रह है और व्यक्ति के जीवन पर अपना प्रभाव डालता है।

Q- क्या शनि ग्रह का प्रभाव सभी भावों में समान होता है?

An- नहीं, शनि ग्रह का प्रभाव सभी भावों में समान नहीं होता है। हर भाव में शनि ग्रह का अपना महत्वपूर्ण योगदान होता है और वह व्यक्ति के जीवन पर अलग-थलग प्रभाव डालता है।

Q- क्या, कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह का केवल नकारात्मक प्रभाव होता है?

An- नहीं, सातवें भाव शनि ग्रह का केवल नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। शनि ग्रह के सही प्रभाव में आने से, व्यक्ति को संघर्षशीलता, धैर्य, और कर्मप्रियता की गुणवत्ता प्राप्त होती है।

Q- क्या शनि ग्रह का मित्र ग्रह है?

An- हां, शनि ग्रह का मित्र ग्रह उर्वशी है, जिसे व्यक्ति की संगत मानी जाती है।

Q- क्या शनि ग्रह के प्रभाव से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं?

An- जी हां, शनि के प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि आर्थराइटिस और बांझपन।

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