Saturn in 2nd house |  जाने, कुंडली  के दूसरे भाव में  शनि ग्रह बढ़ाएंगे समस्याएं या होगा लाभ

शनि ग्रह

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कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह (Saturn in 2nd house)             

जन्म कुंडली में शनि के दूसरे भाव में स्थिति यह दर्शाती है कि,  ऐसा जातक धन-संपत्ति का भरपूर आनंद उठाते है और साथ ही उनका स्वभाव धार्मिक होता है। इसके अलावा दूसरे भाव में शनि ग्रह जातक को परिवार से दूर होने की सम्भावना भी दे सकता है। ऐसे जातक सुख, साधन व समृद्धि की तलाश में दूर-देश या विदेश की यात्रा भी कर सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह के महत्व के बारे में बताया गया है कि, यह एक शांत, अनुशासित जीवन का प्रेमी, ईमानदार, कठोर परिश्रमी, कठोर और गुप्त घटनाओं से संबंध रखते हैं। इस प्रकार, यदि दूसरे भाव में शनि की स्थिति है तो यह जातक के वित्तीय मामलों में समस्याएं दे सकती है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक आर्थिक कठिनाइयों का सामना तो करेंगे ही, साथ ही तनाव के कारण घरेलू और पेशेवर जीवन भी प्रभावित हो सकता है। दूसरे भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक भविष्य की चिंता में धन बचाने के प्रयास में लगे रहते हैं, जिससे वे मितव्ययी और कंजूस  प्रवृत्ति को अपनाएंगे।

ज्योतिष में कुंडली के दूसरे भाव की महत्ता 

कुंडली का दूसरा भाव, विशेष रूप से, वित्तीय मामलों और मौद्रिक गतिविधियों को दर्शाता है। यह कुंडली का बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र भी कहा जाता है, क्योंकि धन ही एकमात्र ऐसा साधन है जो मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है और साथ ही एक सभ्य और आरामदायक जीवन व्यतीत करने में सहायता करता है। अव कुंडली में शनि ग्रह की भूमिका की जाए तो,  यह एक अशुभ ग्रह की संज्ञा में माने जाते हैं, जिसे एक कठिन कार्यपालक और अनुशासनात्मक गुरु के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। 

शनि अत्यधिक न्यायप्रिय और नीति का पालन करने वाले ग्रह माने जाते हैं। इस प्रकार, यदि जातक अच्छा व सत्कर्म करेंगे, तो शनि ग्रह भी उसे सकारात्मक फल देंगे और यदि जातक गलत या दुष्कर्म करते हैं, तो शनि ग्रह के द्वारा दंड भी मिलेगा। इसके अलावा ज्योतिष में शनि ग्रह एक शांत, कठोर और गुप्त घटनाओं से सम्बंधित ग्रह माना जाता है। इसलिए, जब  शनि ग्रह कुंडली के दूसरे भाव में स्थित होता है, तो यह उस भाव में निहित प्रभावों को भी प्रत्यक्ष रूप से  प्रभावित करता है। 

इस भाव में शनि ग्रह से प्रभावित व्यक्ति वित्तीय मामलों को लेकर परेशानी का सामना कर सकते हैं। जिस प्रकार आर्थिक स्थिति पर भी इसका असर देखा जा सकता है, उसी तरह शनि ग्रह दूसरे भाव में होने पर जातक के निजी और पेशेवर जीवन में भी कुछ समस्याएं दे सकते हैं।

दूसरे भाव में शनि ग्रह राशि और नक्षत्र पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, दूसरे भाव में मेष, वृषभ, तुला और धनु राशि में शनि से प्रभावित जातकों को अपने प्रेम संबंधों में बहुत सारी झूठी उम्मीद का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे लोग एक ऐसा पार्टनर खोजने का प्रयास करते हैं जो उनकी मानसिकता और उम्मीदों पर खरा उतरे व उनसे मेल खा सके। इसके बाद भी कभी-कभी यह कठिन होता है, और रिश्ता एक तरफा होने के समान लग सकता है। जिन जातकों के दूसरे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव होता है, वे उत्तरजीवी के रूप में होते हैं। और ऐसे जातक आसानी से  किसी भी वातावरण और परिस्थितियों के अनुकूल हो जाते हैं।

इस राशि में शनि ग्रह के प्रभाव से जातक कड़ी मेहनत करने वाले लोगों का सम्मान करते हैं क्योंकि ऐसे लोग आगे बढ़कर सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। साथ ही इन जातकों में अपने सपनों को पूरा करने और उन्हें हासिल करने का जोश और जुनून होता है। इसके अलावा ऐसे जातक अपने जीवन में अत्यधिक समर्पित और भावुक स्वभाव के होते हैं। दूसरे भाव में स्थित शनि ग्रह जातक के वैवाहिक जीवन में भी कई समस्याओं को ला सकता है और ज्योतिष की सलाह में, ऐसे जातकों को अपने जीवनसाथी या पार्टनर के दृष्टिकोण को समझने की आवश्यकता होती है।

दूसरे भाव में शनि ग्रह का उच्च और नीच राशि पर प्रभाव

दूसरे भाव में शनि ग्रह का तुला राशि में भाव 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, दूसरे भाव में तुला राशि में,  शनि ग्रह से प्रभावित जातक अपने जीवन के प्रत्रि बहुत गंभीर होते हैं, उनका ध्यान का केंद्र उनका जीवन ही होता है। यदि ऐसे जातक अपने जीवन में कुछ  कुछ हासिल करने की चाह रखते हैं तो वें जीवन में अपना कोई लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं, बेशक इसमें समय लग सकता है, लेकिन अंत में वे उसे प्राप्त करने में सफल होंगे ही। हालांकि, ज्योतिष की सलाह में उन्हें अच्छा, ईमानदार, अनुशासित, परिश्रमी, चौकस और धैर्यवान होने की सलाह दी जाती है।

दूसरे भाव में शनि ग्रह मेष राशि में भाव 

द्वितीय भाव में शनि ग्रह, मेष राशि में हो तो प्रभावित जातक को एक परिभाषित व समझदार व्यक्तित्व प्राप्त होता है। ऐसे लोग को सही दिशा का ज्ञान होता है अतः ये लोग उचित दिशा में जीवन पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होते हैं। फिर किसी भी कारण वें अपना ध्यान अपने लक्ष्य से बिल्कुल भी नहीं हटाते। साथ ही अपने निश्चित व्यवहार के कारण इन जातकों को थोड़ा सावधान भी रहना जरुरी होगा। इसके अलावा ऐसे लोग सामाजिकता से अलग होते हैं तथा वे अपने प्रियजनों और परिवार के साथ संबंध अधिक समय तक अच्छे संबंध नहीं रख सकते हैं।

कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव 

गणना के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र यह कहता है कि दूसरे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव, कभी तो जातक को मधुरभाषी होने का गुण देगा तो, कभी जातक  कटु वक्ता भी बन जाता है। इसके साथ ही ऐसे जातक को अपने परिवार से दूर जाकर भी रहना पड़ सकता है। इसके अलावा दूर के स्थान ही नहीं आपको विदेश जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति व लाभ प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे। यह भी संभावना है कि जातक एक समय के बाद अपनी उम्र के दूसरे पढ़ाव में अपना निवास स्थान छोडकर अन्य दूसरे स्थान पर चले जाएं और वहां धन-संपत्ति तथा सुख के साधन जुटाने का प्रयास करें।

परिणाम स्वरूप अपने देश या जन्म स्थान की अपेक्षा आपकी अधिक उन्नति जन्म स्थान से दूर या विदेश में होना संभव है। इसके अलावा इन जातकों को राजा की कृपा दृष्टि या लाभ भी प्राप्त हो सकता है। ऐसे जातक मितव्ययी, समझदार और दूरदर्शी होते हैं। ऐसा होने के बाद भी यदि आपको धन संग्रह में कोई परेशानी आ रही है, तो धन निवेश करके या धन का सदुपयोग कर अपनी सम्पति में वृद्धि करने का प्रयास करना चाहिए।

इसके अलावा,  दूसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभाव के कारण जातक के लिए दो विवाहों की स्थिति भी निर्मित कर सकती है। ऐसे जातक वाणी से मधुर तो होते ही हैं साथ ही उनको,  शत्रुओं का भी भय नहीं रहेगा। आप न्यायप्रिय भी होंगे। ज्योतिष की सलाह में शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए जातक को अच्छे कर्म व सदाचार का पालन करना चाहिए इसी के साथ पूरी तरह ईमानदार रहें और साधु संतों के प्रति सद्भावना रखें। लोभ व कड़वे शब्द का प्रयोग न करें।

कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह के सकारात्मक प्रभाव

कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह की उपस्थिति के कारण, जातक के जीवन में कुछ खराब परिस्थिति आ सकती या तो फिर ऐसे जातक बहुत कम संसाधनों पर भी जीवित रहने के तरीके को स्वीकार कर लेते हैं। शनि के प्रभाव के कारण, ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति उन्हें महान उत्तरजीवी व दूरदर्शी बनने के लिए प्रेरित कर सकती है। ऐसे लोग अपने जीवन की शुरुआत तो लगभग शून्य के वित्तीय स्थिति से कर सकते हैं, परन्तु आगे चलकर उन्हें बहुत ऊंचाइयों व सफलता को प्राप्त करने के हक़दार भी बनते हैं ।

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ज्योतिष में शनि ग्रह को एक बेहद ही चतुर और धीमी गति से चलने वाला, हानिकारक ग्रह माना जाता है। जो कड़ी मेहनत, गंभीर दृष्टिकोण और धीमे परन्तु सही व स्थिर कदमों का सम्मान करते हैं।  वैदिक  ज्योतिष में दूसरे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव से जातक अपने समर्पण के भाव से अपने आगे के मार्क को सुनिश्चित कर सकते हैं। इस जातकों को स्वयं व दूसरों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए और जीवन में छोटी-छोटी चीजों का भी भरपूर आनंद लेना चाहिए। 

दूसरे भाव में शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव

पारंपरिक वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक,  कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह की उपस्थिति का अर्थ यह भी है कि जातक को घर, कार आदि भौतिक सुख-सुविधा व संपत्ति को हासिल करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक किसी न किसी कारण से अपनी उन्हें इन सामानों सुख-सुविधाओं की वस्तुओं को खरीदने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, क्योंकि कुंडली के दूसरे भाव में इन जातकों पर शनि का वक्री प्रभाव हो सकता है। 

शनि ग्रह

इसके साथ ही, द्वितीय भाव में शनि का प्रतिकूल प्रभाव के कारण,  जातक अपने धन व वित्तीय मामलों को लेकर निवेश करते समय अत्यधिक सतर्कता रखनी होगी। वास्तव में, इस भाव में शनि के प्रतिकूल प्रभाव से प्रभावित जातक फंडों या लालच की वस्तुओं को अधिक पसंद कर सकते हैं। इस प्रकार ऐसे जातक लालच के तहत फंडों में शामिल जोखिम से डर सकते हैं। जबकि इन जातकों को सुरक्षित रूप से रहना अच्छा यह है कि, सुरक्षित होने के लिए अत्यधिक संलग्न होना भी उचित नहीं माना जाता है अन्यथा यह उनके विकास को प्रभावित कर सकता है। साथ ही इन जातकों को दुस्साहस करने से भी बचना होगा, लेकिन साथ ही, किसी को सुविधाजनक रूपों से पूरी तरह से विमुख होने की जरुरत नहीं है।

जैसा कि ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को एक उदास व गंभीर व्यक्तित्व को जन्म देने हेतु उत्तरदायी माना जाता है। उसी प्रकार दूसरे भाव में शनि ग्रह से प्रभावित जातक,  भविष्य के लिए अधिक चिंतित रहते हैं जिसके कारण वें धन बचाने हेतु व अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए, वर्तमान की जरूरतों को भी अनदेखा कर सकते हैं। 

इसके अलावा, निश्चय ही यदि शनि पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो इस स्थिति को और भी कठिन माना जाता है। इस युति से मिलने वाली समस्या अधिक आंतरिक होंगी क्योंकि प्रभावित जातक को समझने में भी मुश्किल हो सकती है। ऐसे जातक अपने निर्धारित लक्ष्यों तक नहीं पहुंचने पर उदास महसूस कर सकते र हैं।

दूसरे भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित कुछ उपाय व सावधानियां 

सावधानियां 

  • सभी प्रकार के बुरे कार्य जैसे- जुआ, सट्टा, लाटरी से सम्बंधित कार्यों से दूर रहें।
  • मन में वैराग्य का भाव न रखें।
  • धन संबंधी ब्याज का कार्य न करें।
  • झूठ, लालच व झूठी गवाही देने से बचें।
  • अपने से बड़ों व पिता, गुरु और ससुर का अपमान न करें।

 उपाय 

  • मंदिर जाते समय बिना जूते-चप्पल के मंदिर जाएं। 
  • माथे पर दही या दूध का तिलक या स्पर्श करें।
  • सदैव प्रसन्नचित्त और सकारात्मक रहने का प्रयास करें।
  • भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा व उपासना करें।
  • कौवे को प्रतिदिन रोटी डालें।
  • तेल में अपनी छाया देखकर उस तेल का दान कर दें।

निष्कर्ष

कुंडली के दूसरे भाव में शनि ग्रह का प्रभाव,  जातकों को आर्थिक समस्याओं को देने वाला हो सकता है । हालांकि, जातक परिस्थितियों के प्रति अनुशासित और सख्त होकर, बहादुरी के साथ कार्य करे तो, अपनी बाधाओं को दूर कर सफलता प्राप्त कर सकता है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में शनि ग्रह के प्रभाव

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कुंडली के तीसरे भाव में शनि ग्रह के प्रभावकुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह होते हैं दयालु
पांचवे भाव में शनि ग्रह की भूमिका, प्रभाव व आसान उपायछठे भाव में शनि ग्रह की स्थिति होगी करियर हेतु श्रेष्ठ
कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह प्रभावित करेंगे वैवाहिक जीवनक्या, कुंडली में आठवें भाव में शनि ग्रह माने जाते हैं अशुभ/a>
कुंडली के नौवें भाव में शनि ग्रहदसवें भाव में शनि ग्रह, करियर में देगा सफलता
ग्यारहवें भाव में शनि ग्रह होते हैं, आर्थिक स्थिति के लिए शुभबारहवें भाव में शनि ग्रह करेंगे परिवार व व्यापार में सुख व लाभ की वृद्धि

दूसरे भाव में शनि ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- कुंडली में दूसरा भाव किसका होता है?

An- कुंडली का दूसरा घर या भाव धन का कारक होता है। व्यक्ति के पास कितनी संपत्ति या धन और भौतिक सुख-सुविधाएं होगी, वह दूसरे भाव को देखकर ही पता लगाया जा सकता है।

Q- कुंडली में दूसरे भाव का स्वामी कौन होता है?

An- दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और कारक ग्रह गुरु है।

Q- शनि शुभ या अशुभ कैसे पता करें?

An- शनि वृषभ, मकर और कुंभ राशि के लिए लाभकारी है। तुला राशि के लिए शनि अत्यधिक लाभकारी है। शनि मेष, वृश्चिक और मीन राशि के लिए अशुभ होता है। यह कर्क, सिंह और धनु राशि के लिए अत्यधिक हानिकारक है।

Q- शनि की दृष्टि कब शुभ होती है?

An- जिस भी व्यक्ति पर शनि की दृष्टि पड़ती है, वह जीवन में सफलता ही सफलता प्राप्त करता है।

 हर शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने पर उनकी कृपा मिलती है।

Q- शनि ग्रह को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है?

An- ज्योतिष के अनुसार, दान को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। गरीबों को भोजन कराना शनि ग्रह के सर्वोत्तम उपायों में से एक है। अपने जन्मदिन या अपने जीवन के अन्य विशेष अवसरों पर भोजन का दान करें। आप किसी मंदिर में अन्नदान भी कर सकते हैं।

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