Ketu Grah in 3rd house | क्या फल देता है केतु ग्रह कुंडली के तीसरे भाव में शुभ या अशुभ

केतु ग्रह

Ketu in 3rd house

जन्म कुंडली में, तीसरा (तृतीय) भाव बुध और मंगल का भाव होता है। ज्योतिष के अनुसार दोनों ही केतु ग्रह के शत्रु माने जाते हैं। यदि तीसरे भाव में केतु ग्रह शुभ स्थान पर बैठे हो तो जातक की संतान गुणी और सुशील होगी। इसके साथ ही परिवार में भी सुख-शांति होगी। यदि तीसरे भाव का केतु ग्रह अशुभ हो तो जातक का मुकदमेबाजी में अपव्यय हो सकता है। ऐसे जातक अपने जीवन साथी से अलग भी हो जाते हैं।

‘मंगल भवन’ के वैदिक ज्योतिष शास्त्र में निपूर्ण आचार्य श्री गोपाल जी का कहना है कि, केतु ग्रह, कुंडली के सभी 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का फल जातक को अपने जीवन पर भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल सकता है। 

ज्योतिष में केतु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि केतु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे व बुरे  परिणाम देखने को मिलता है जबकि पीड़ित होने पर यह अशुभ फल देता है। इसे हम में विस्तार से जानते हैं केतु ग्रह तीसरे भाव को किस तरह का प्रभावित करता है- 

तीसरे भाव में केतु ग्रह: महत्व (Ketu in 3rd house) 

ज्योतिष में, केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह कहलाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि केतु जातक को हमेशा ही बुरे फल प्रदान करता है। केतु ग्रह के द्वारा जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तंत्र-मंत्र  विद्या आदि का कारक होता है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु राशि राहु ग्रह की नीच एवं केतु ग्रह की उच्च राशि है, जबकि मिथुन राशि में केतु नीच व राहु ग्रह की उच्च राशि  होती है। वहीं 27 नक्षत्रों  में केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त स्वामी है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वर भानु नमक राक्षस का धड़ है जबकि उसके सिर के भाग को राहु ग्रह की संज्ञा दी गई है।

कुंडली का तीसरा भाव भाई-बहन, बुद्धिमत्ता, पराक्रम, कम दूरी की यात्रा, पड़ोसी, नज़दीकी रिश्तेदार, पत्र और लेखन कार्य आदि को संदर्भित करता है। तीसरा भाव,  जातक के साहस, पराक्रम,  छोटे भाई-बहन, मित्र, धैर्य, लेखन, यात्रा और दायें कान के बारे में बताता है। 

कुंडली के तीसरे भाव में जातक की दृढ़ता, वीरता और शौर्य को प्रदर्शित किया जाता है। अष्टम भाव से अष्टम होने के कारण तृतीय भाव जातक की आयु और चतुर्थ भाव से द्वादश होने के कारण माता की आयु का विचार भी इसी तीसरे भाव से ज्ञात किया जाता है।

तीसरे भाव में केतु ग्रह : भूमिका 

  • तीसरे भाव में स्थित केतू ग्रह जातक को मिले-जुले परिणाम देता है। यह जातक को बलवान बनाने के साथ-साथ धैर्यवान भी बनाता है। ऐसे जातक दान-पुण्य़ के कार्यों में अधिक श्रद्धा रखते हैं यही कारण है कि ऐसे जातक दानशील पुरुषों की संगति पसंद करते हैं। ये जातक धनवान होने के साथ-साथ यशस्वी भी होते हैं। इन जातकों के जीवन में स्त्री तथा खान-पान का सुख अच्छा होता है।
  • केतु ग्रह के शुभ प्रभाव से ऐसे जातक शत्रुओं का दमन करने वाले होंगे अर्थात इनके शत्रु पक्ष सदैव इनसे भयभीत रहेंगे। इस भाव में स्थित केतु ग्रह के कुछ अशुभ फल भी होते है जिसके कारण से जातक को व्यर्थ की चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है। मन में कोई अनजाना भय समाया रह सकता है। कभी-कभी चित्त में भ्रम और चिंता से व्याकुलता की स्थिति रह सकती है। ऐसे जातक भूत-प्रेतों में यकीन रखने वाले हो सकते है। अथवा भूत प्रेतों को देवताओं के तुल्य भी मान सकते हैं।
  • इस भाव का केतु जातक को किसी कारण से सामाजिक भय की स्थिति दे सकता। भाइयों को कष्ट रह सकता है। मित्र पक्ष भी कुछ हद तक प्रभावित होगा। मित्रों से हानि होने का भय हो सकता है। केतु के प्रभाव से जातक को भुजाओं में पीड़ा रह सकती है। यदि आप व्यर्थ के वाद विवाद से जुड़े रहेंगे तो भी आपको परेशानी हो सकती है। हालांकि यह स्थिति आपको शत्रुओं से बचाव करेगी।

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तीसरे भाव में केतु ग्रह:सावधानियां 

  • व्यर्थ के वाद-विवाद में न पड़ें और मित्रों से विवाद न करें।
  • बीना सोचें-समझें दूसरों की सलाह न लें और झूठ ना बोलें।
  • अपने मकान(घर) का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में न रखें।
  • रीढ़ की हड्डी संबंधी परेशानी से बचने के लिए व्यर्थ का सफर न करें।
  • मांस और मदिरा (नशे युक्त पेय पदार्थ) का सेवन न करें।
तीसरे भाव में केतु ग्रह

तीसरे भाव में केतु ग्रह : करियर पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, तीसरे भाव में केतु का स्थान, जातक के करियर हेतु अच्छा माना जाता है। निडर और साहसी होने के कारण ऐसे लोग राजनीतिक कार्यों में अधिक रूचि रखते है तथा अधिकार के साथ उतनी ही लोकप्रियता और सफलता भी मिलती है। इसलिए ऐसे जातक दूसरों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए कठोर परिश्रम की प्रवृत्ति अपनाते हैं।

निष्कर्ष 

तीसरे भाव में केतु ग्रह वाले जातक शारीरिक रूप से स्वस्थ, हष्ट-पुष्ट, साहसी, उदार तो होते ही हैं साथ ही ऐसे जातक कुशाग्र बुद्धि और संपन्न भी होते हैं। इसके अलावा इन जातकों को कंधे तथा बाहों से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त तीसरे भाव का केतु इन जातकों में मानसिक अशांति, तथा निराशाजनक विचारधारा की स्थिति भी उत्पन्न करता है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह

पहले भाव में केतु ग्रहदूसरे भाव में केतु ग्रह
चौथे भाव में केतु ग्रह
पांचवें भाव में केतु ग्रह महत्वछठे भाव में केतु ग्रह
सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रभावआठवें भाव में केतु ग्रह
कुंडली के नौवें भाव में केतु ग्रहकुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह ग्यारहवें भाव मेंकेतु ग्रह बारहवें भाव में प्रभाव

केतु ग्रह तीसरे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- तीसरे भाव के केतु ग्रह क्या फल देते हैं?

An- तीसरे भाव में केतु ग्रह शुभ स्थान पर बैठे हो तो जातक की संतान गुणी और सुशील होगी। इसके साथ ही परिवार में भी सुख-शांति होगी। यदि तीसरे भाव का केतु ग्रह अशुभ हो तो जातक का मुकदमेबाजी में अपव्यय हो सकता है।

Q- कुंडली में तीसरा भाव क्या दर्शाता है?

An- कुंडली का तीसरा भाव भाई-बहन, बुद्धिमत्ता, पराक्रम, कम दूरी की यात्रा, पड़ोसी, नज़दीकी रिश्तेदार, पत्र और लेखन कार्य आदि को संदर्भित करता है।

Q- क्या कुंडली के तीसरे भाव में केतु ग्रह शुभ होता है?

An- कुंडली के तीसरे भाव में स्थित केतु ग्रह जातक को मिले-जुले परिणाम देता है।

Q- कुंडली में, तीसरे भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन हैं?

An- कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी कारक ग्रह, मंगल और राहु हैं।

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