Ketu Grah in 4th house | क्या परिणाम होंगे कुंडली के चौथे भाव में केतु ग्रह के, जाने महत्व

केतु ग्रह

Ketu in 4th house

कुंडली में चौथे भाव में केतु ग्रह शुभ स्थान पर है तो ऐसा जातक ईश्वर पर आस्था रखने वाला और पिता व गुरु जन के लिए भाग्यशाली होता है। ऐसे जातक को पुत्र संतान की प्राप्ति होती है। चौथा भाव कुंडली में चंद्रमा का होता है जो कि केतु का शत्रु माना जाता है। किसी भी जातक के चौथे भाव में केतु अशुभ होने से जातक दुखी रहता है और उसकी मां को भी कष्ट मिलते है।

‘मंगल भवन’ के वैदिक ज्योतिष शास्त्र में निपूर्ण आचार्य श्री गोपाल जी का कहना है कि, केतु ग्रह, कुंडली के सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव पड़ता है। जातक को इन प्रभावों का परिणाम अपने जीवन पर भी प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। 

ज्योतिष में केतु ग्रह को  एक क्रूर ग्रह रूप में माना जाता है, लेकिन यदि केतु ग्रह कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान पर हो तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम भी देखने मिलते हैं और यदि पीड़ित अवस्था में है तो यह जातक को अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं केतु ग्रह चौथे  भाव को किस तरह का प्रभावित करता है- 

चौथे भाव में केतु ग्रह: महत्व (Ketu in 4th house) 

वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह अशुभ या क्रूर ग्रह तो होते ही हैं परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि केतु ग्रह के द्वारा जातक को सदैव ही बुरे या अशुभ फल ही प्राप्त हों। केतु ग्रह के द्वारा जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। क्योंकि केतु जातक के आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष और तांत्रिक विद्या आदि का कारक ग्रह माना जाता है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु राशि राहु ग्रह की नीच एवं केतु ग्रह की उच्च राशि है, जबकि मिथुन राशि में केतु नीच व राहु ग्रह की उच्च राशि  होती है। वहीं 27 नक्षत्रों  में केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी कहा गया है। वैदिक शास्त्रों में, केतु को स्वर भानु नामक राक्षस का धड़ (निचला हिस्सा) होता है जबकि उसके सिर के भाग को राहु ग्रह माना जाता है।

जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव मानसिक शांति, पारिवारिक जीवन, निजी रिश्तेदार, घर, समृद्धि, हर्षोल्लास, सुविधा, जमीन और पैतृक संपत्ति, छोटी-छोटी खुशियां, शिक्षा, वाहन और गर्दन व कंधों से संबंध रखता है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, चतुर्थ भाव माता का भाव कहा जाता है। इस भाव में, निवास, पारिवारिक जीवन और व्यक्ति के सामान्य जीवन का चित्रण होता है। इस भाव में घर-परिवार से जुड़ी गुप्त बातों का बोध प्राप्त किया जा सकता है। कुंडली में चौथे भाव पर कर्क राशि का नियंत्रण होता है और इस राशि का स्वामी ग्रह चंद्र होता है।

चौथे भाव में केतु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव 

  1. यदि केतु ग्रह किसी भी जातक के चौथे भाव में स्थित है तो शुभ फल देता है जिसके प्रभाव में जातक शूर वीर और बलवान बनते हैं।
  2.  ऐसे जातक सत्य बोलने में विश्वास रखते हैं। अधिकांश: जातक मधुरभाषी होते हैं। इन जातकों को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। 
  3. ऐसे जातकों को अपने भाइयों और मित्रों से अच्छा व सहयोग प्राप्त होता है। 
  4. लेकिन इस भाव में स्थित केतु जातक के लिए अनेक प्रकार के दुखों का कारण भी बन सकता है। जिसके प्रभाव में जातक चंचल और वाचाल प्रवृत्ति के हो सकते हैं।
  5. ऐसे जातक अपने कामों को करने में लापरवाही करते हैं। इन जातकों में अक्सर उत्साह की कमी देखने को मिल सकती है। 
  6. केतु के प्रभाव से आप पित्त प्रकृति के व्यक्ति होंगे और दूसरों की आलोचना करने वाले होंगे। अत: लोग आपको कुत्सित वृत्ति का इंसान समझने लगेंगे। 
  7. इन जातकों को अपनी माता का सुख कम मिलता है। अथवा माता का स्वास्थ्य खराब रह सकता है। मित्रों के द्वारा भी कई प्रकार के कष्ट मिलते रहते हैं।
  8. ज्योतिष के अनुसार इन जातकों को अपनी पैतृक संपत्ति का सुख नहीं मिलता है या तो आपको पैतृक धन से वंचित रहना पड़ सकता है। संभवतः हो सकता है कि आपके पैतृक धन का विनाश करने में आपके कोई अपने या मित्रों ही सहयोगी हो। 
  9. पैतृक धन नष्ट होने की अवस्था में आपको धनार्जन करने के लिए देश-विदेश में भटकना पड सकता है, मित्र भी साथ छोड़ सकते हैं। 
  10. आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आपको विषबाधा का भी भय रहता है। ऐसे जातक अपने घर में रहने का सुख कम ही नहीं भोग पाते हैं।

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केतु ग्रह
चौथे भाव में केतु ग्रह

निष्कर्ष

चौथे भाव में केतु की उपस्थिति से जातकों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रभाव होते हैं। लेकिन केतु ग्रह की भूमिका जातक के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण होती है, और साथ ही यह आध्यात्मिकता का प्रचार भी करता है। जिस प्रकार मानव के जीवन को सफल बनाने में शिक्षक अथवा गुरु की उपस्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उसी प्रकार केतु भी जातकों को बुद्धिमान और धैर्यवान बनाने का कार्य करता है।

वैदिक ज्योतिष की गणना कहती है कि, केतु का प्रभाव जातक के जीवन में लगभग सात वर्षों तक रहता है और चंद्रमा के साथ गठबंधन होने पर अधिक प्रतिकूल परिणाम दे सकता है। हालांकि, चौथे भाव में केतु के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है। जिसमें कुछ सामान्य ज्योतिष उपायों के माध्यम से जीवन को आसान और खुशहाल बनाया जा सकता है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह

पहले भाव में केतु ग्रहदूसरे भाव में केतु ग्रह
तीसरे भाव में केतु ग्रह महत्व
पांचवें भाव में केतु ग्रह महत्वछठे भाव में केतु ग्रह
सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रभावआठवें भाव में केतु ग्रह
कुंडली के नौवें भाव में केतु ग्रहकुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह ग्यारहवें भाव मेंकेतु ग्रह बारहवें भाव में प्रभाव

केतु ग्रह चौथे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- कुंडली में चौथे भाव में केतु ग्रह कैसा फल देते हैं?

An- कुंडली में, चौथे भाव में केतु अशुभ होने से जातक दुखी रहता है और उसकी मां को भी कष्ट मिलते है।इस भाव में जातक को केतु ग्रह से अनुकूल व प्रतिकूल दोनों प्रकार से फल मिलते हैं।

Q- क्या, केतु एक छाया  ग्रह है?

An- हां, शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वर भानु राक्षस का धड़ है।

Q- ज्योतिष में केतु ग्रह को किस्से सम्बंधित बताया गया है?

An- ज्योतिष में केतु ग्रह को अध्यात्म से संबंधित बताया गया है।

Q- कुंडली में चौथा भाव किसका स्थान होता है?

An- जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव मानसिक शांति, पारिवारिक जीवन, निजी रिश्तेदार, घर, समृद्धि, हर्षोल्लास, सुविधा, जमीन और पैतृक संपत्ति, छोटी-छोटी खुशियां, शिक्षा, वाहन और गर्दन व कंधों से संबंध रखता है।

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