Moon in 12th House | कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह, देगा कैसा फल शुभ या अशुभ

चंद्र ग्रह

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कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह 

चंद्र ग्रह का परिचय 

ज्योतिष में, माना जाता है कि, चंद्र ग्रह वैसे तो किसी भी ग्रह को अपना विरोधी शत्रु ग्रह नहीं मानते हैं और साथ ही यह कुंडली के लगभग सभी भावों में अपना सकारात्मक परिणाम ही देते हैं। लेकिन चंद्रमा, मनुष्य की मानसिक स्थिति एवं स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। क्युकी चंद्रमा सौम्य, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय एवं सदैव प्रसन्न रहने वाले ग्रह माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रह को मन के कारक कहा जाता है अतः इनका प्रभाव मन को चंचल और गतिशील बनाए रखने का कार्य करता हैं। 

कुंडली में बारहवां भाव 

जन्म कुंडली का बारहवां यानी द्वादश भाव ‘व्यय’ या मोक्ष का स्थान माना जाता है। जिसका सीधा संबंध जीवन में होने वाले व्यय को दर्शाने से होता है। वैदिक ज्योतिष में इस भाव को व्यय का पर्याय माना गया है। यहां व्यय अर्थात खर्च का संबंध हर उस व्यय से है, जो जातक के द्वारा अपने जीवन में किए जाने हैं। विशेष रूप से इस भाव का संबंध खर्च, व्यय, भोग विलास, भोग की रीत, राज्य का भय, बंधन, जेल, त्रास, चिंता, गुप्त रोग , गुप्त प्रेम, रहस्यमय कार्यों, जासूसी, मोक्ष, झूठ, तलाक, विदेश यात्रा, शयन सुख, रहस्य विद्या, धन हानि, नुकसान और घाटे से होता है। बारहवें भाव के कारक शनि ग्रह हैं, और वे चंद्र ग्रह को अपना विरोधी मानते हैं। अतः अशुभ फल मिलने की संभावना है। 

कुंडली में बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की भूमिका 

वैदिक ज्योतिष में, कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह के स्थित होने से जातक को नेत्र संबंधी रोग, कफ, क्रोध, एकांत प्रिय और अधिक व्यय करने वाला स्वभाव दे सकता है। ऐसे जातकों के पास पैसा अधिक समय तक नहीं टिक पाता है। इसी के साथ यदि, शत्रु राशि में बारहवें भाव में चंद्र ग्रह के स्थित होने से जातक एकांतप्रिय एवं चिंताग्रस्त की समस्या से जूझ सकता है। कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति कई मायनों में लाभ की स्थिति को दर्शाती है। परन्तु ज्योतिष की गणना में, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कुंडली का बारहवां भाव शुभ प्रभावों के लिए नहीं जाना जाता है, इसलिए इस भाव में चंद्र ग्रह के होने से, जातक को कुछ विपरीत या प्रतिकूल प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है।

कुंडली के बारहवें भाव में चन्द्र ग्रह का ज्योतिषीय महत्व  

चंद्र ग्रह का स्वभाव पर प्रभाव  

ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार, कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति चंद्र ग्रह जातक को एकांत प्रेमी बना सकता है। हालांकि ऐसे जातक, एकांत में जाकर अच्छे से चिंतन कर पाते हैं, क्योंकि उन्हें एक चिंतनशील व्यक्ति कहा जाता हैं। इसी के साथ ऐसे जातक आप एक मृदुभाषी व्यक्ति हैं भी होते हैं लेकिन इन जातकों के खर्चे भी अधिक होते हैं। इसके साथ बारहवें भाव के प्रभाव के कारण जातक कुछ क्रोधित स्वभाव के होते हैं। 

ज्योतिष के अनुसार, ये जातक थोड़े आलसी और भावनात्मक रूप से तनाव पूर्ण रह सकते हैं। इन जातकों की रूचि प्रेम और रहस्य से संबंधित विषयों में अधिक होगी। साथ ही ये जातक विदेश यात्राएं करने में भी रूचि रखने वाले होंगे, और उन्हें विदेश यात्राएं करने के अवसर भी बहुत मिलेंगे। इन जातकों के शत्रुओं की संख्या अधिक हो सकती है। ये जातक किसी अस्पताल या धार्मिक संस्थान के साथ भी जुड़े हो सकते है। 

बारहवें भाव में चन्द्र ग्रह का विस्तृत वर्णन 

बारहवें भाव में चंद्र ग्रह का सकारात्मक पहलू 

वैदिक ज्योतिष में, कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक की मनोवृत्ति, भावनाओं, एकान्तप्रिय, अंतर्मुखता और भौतिकवाद पर असर होता है। इस भाव में चंद्रमा की मौजूदगी में जातक का छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान केंद्रित होता है। इसी के साथ इन लोगों को यह भी ध्यान रखना होगा कि, आपकी बात से किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। यदि इन जातकों को स्वयं के लिए अच्छे व्यवहार की आवश्यकता है तो बदलें में दूसरे व्यक्ति को भी वैसा ही व्यवहार की उम्मीद होगी। इसके अलावा बारहवें यानि ‘व्यय’ स्थान पर चंद्र का प्रभाव जातक को लोगों की पहचान करने की सीख देता है, और साथ ही उन्हें समाज में निहित हाशिए पर पड़े, दबे, कुचले और बेसहारा लोगों के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी देता है।

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इसके साथ ही बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति,  जातक को भावनात्मक और रचनात्मक रूप से बेहद संवेदनशील बनाती हैं, इसमें लोगों की भावनाओं को समझने और उन पर सटीक प्रतिक्रिया या परामर्श देने की अच्छी क्षमता होती है। ऐसे जातक भावनात्मक तौर से अपने परिवार, मित्र या कुछ खास संबंधों  से बहुत ही जल्दी भावनात्मक जुड़ाव महसूस करने लगते हैं। साथ ही कुछ मामलों में उनकी एसी सहजता लाभकारी हो सकता है , लेकिन अधिकांश समय उन्हें, इन  परिस्थिति में नुकसान की संभावना हो सकती  है।

बारहवें भाव में चंद्र ग्रह का नकारात्मक पहलू 

ज्योतिष, कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह का प्रभाव, जातक को बोधगम्य बनाता है। कुंडली के इस ‘व्यय’ स्थान पर चंद्र ग्रह की उपस्थिति से जातक को रहस्यमयी प्रवृत्ति का बनाने का भी कार्य करती है, ऐसे जातक को समझना व जान पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे जातक अपनी भावनाओं को काबू करने के लिए सदैव कोशिश में रहते हैं। चंद्र ग्रह के प्रभाव से ऐसे जातक जिम्मेदारियों से भागने का प्रयास कर  सकते हैं। जातक को उन्हें अपनी भावनात्मक अपरिपक्वता का बोध करने लगते होता है, और वे सतर्क रह कर अन्य भी दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं।

कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभावों के बारें में बात कि जाए तो, ऐसे जातक दूसरों की पीड़ा या दुःख के प्रति भी संवेदनशील होते हैं, लेकिन अधिकांश समय ऐसे लोग समय पर सहायता के लिए उपलब्ध नहीं हो पाते। इसके अलावा कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की मौजूदगी जातक को भावनात्मकता रूप से प्रभावित करती है। 

इन जातकों में किसी भी अल्पकालिक परिस्थिति व वस्तुओं और अप्रत्याशित चीजों से भी आसानी से जुड़ जाते है, हालांकि इन सभी का उनके जीवन में, कोई खास महत्व नहीं होता। कुल मिलाकर कहा जाए, तो ऐसे जातकों को अधिक भौतिकवादी होने की आवश्यकता होती है। कुंडली के बारहवें भाव में को ‘मोक्ष’ का स्थान माना जाता है और इस भाव पर चंद्र ग्रह का प्रभाव हो तो, जातक को यह कुछ स्थितियों में, भावनात्मक अनुभवों के प्रति धीमी गति की प्रतिक्रिया दे सकता है। ऐसे जातक कोई भी परिस्थितियों या चीजों से अधिक महत्व या भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। 

इसके अलावा, ऐसे जातकों को एकांत में समय बिताना पसंद होता है। परन्तु इन जातकों को, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इस अकेलेपन के कारण आप शिकार न हो जाएं। वैसे ये जातक दूसरों के साथ संबंध बनाने और बहुत जल्दी गहरे रिश्ते में बदलने में भी माहिर होते हैं, लेकिन कभी-कभी इन जातकों को खुद के लिए भी समय की जरूरत होती है। ऐसे जातक के दूसरों से भी बहुत अच्छे सम्बन्ध होते हैं, चाहे फिर वो उनके कुछ खास या चुने हुए, सीमित लोग ही क्यों न हों। ‘व्यय’(बारहवें) भाव में मौजूद चंद्र ग्रह  जातकों को स्वयं पर गर्व करने के स्वभाव को आने नहीं देता। ये जातक अपनी भावनाओं को खुद ही निर्मित करते हैं, और उनके अपने निर्णयों से इस बात की पुष्टि की जा सकती है। इसी के साथ ऐसे जातक शांतिपूर्ण वातावरण में रहना पसंद करते हैं और खुद से बाहर निकलने की कोशिश में लगे रहते हैं। यदि आप भी कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति को लेकर समस्याओं का अनुभव कर रहे हैं, तो आप वैदिक ज्योतिष के सुझाए गए कुछ आसान से उचित उपायों के माध्यम से इन प्रभावों के अशुभ असर को कम कर सकते हैं।

कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह का करियर पर प्रभाव  

ज्योतिष की गणना के मुताबिक इन जातकों को अपने जीवन काल में कई प्रतिबंधों का सामना करना पड सकता है। इन जातकों को व्यावसायिक मामलों की बहुत अधिक जानकारी नहीं हो पाएगी। इस कारण इन जातकों को ऐसे मामलों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ये जातक अपने खर्चों को लेकर चिंतित रह सकते हैं। हालांकि अपने सभी खर्चे आप ही उठाएँगे परन्तु उन खर्चों को लेकर आपको अपने अन्य कामों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

चंद्र ग्रह

बारहवें भाव में चंद्र ग्रह का दृष्टि, मित्र व शत्रु राशि से भाव  

  • पूर्ण दृष्टि 

ज्योतिष के अनुसार, चन्द्रमा की पूर्ण दृष्टि छठे भाव पर पड़ती है, जिससे जातक शत्रुओं एवं लिए गए कर्जो से दुख और कष्ट का भागी बनता है। इन जातकों को प्रायः गुप्त रोग भी परेशान कर सकते हैं। अशुभ प्रभाव से इन जातकों का व्यर्थ व्यय होने की संभावना अधिक है।

  • मित्र/शत्रु राशि 
  • कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह अपनी मित्र राशि में होने से, जातक अपना व्यय उपयोगी वस्तुओं के लिए अधिक करते हैं। मित्र राशि में स्थित चंद्र ग्रह जातक को मृदुभाषी होने का गुण देता है। 
  • कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह अपनी शत्रु राशि में होने पर, चंद्रमा जातक को एकांतप्रिय एवं चिंताग्रस्त बनाता है। ऐसे जातक को कफ संबंधी रोग भी होने की संभावना होती है।
  • भाव विशेषः 

बारहवें भाव में स्थित चन्द्रमा, जातक अपने व्यवसाय व नौकरी में चन्द्रमा का प्रभाव  अधिक प्रभावशाली होता है और उच्च कोटि की प्रसिद्धि  प्राप्त करता है। ऐसे जातक प्रायः चंचल स्वभाव के होने के साथ-साथ भ्रमण करने में अधिक रूचि रखने वाले होते है।

बारहवें भाव में चंद्र ग्रह की शांति हेतु क्या करें 

ज्योतिष में बारहवें भाव के चंद्र ग्रह से प्राप्त अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जो इस प्रकार है- 

  • सप्ताह में गुरुवार का व्रत रखें और पीपल के पेड़ में नित्य जल अर्पित करें।
  • नित्य प्रतिदिन श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  •  अपने से बड़ों, माता, पिता और गुरुजनों का सम्मान करें।
  • यथा संभव धार्मिक स्थलों की यात्रा करें।
  • कान में सोना धारण करें।
  • ज्योतिष की सलाह से चंद्र को शांत करने हेतु रत्न भी धारण कर सकते हैं।
  • विधिवत चंद्र यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
  • ज्योतिष की सलाह से, चंद्र ग्रह को बलवान करने के लिए चंद्र मोती धारण कर, स्फटिक माला अथवा दो मुखी रुद्राक्ष भी पहन सकते हैं पहनना चाहिए।

निष्कर्ष

अंत में यदि कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभावों की गणना की जाए तो , इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है, कि ऐसे जातक विचारशील और भावनाओं में विलीन होते हैं। कई बार इन जातकों को अंतर्मुखी व्यक्तित्व का भी समझा जाता है, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। साथ ही ये जातक किसी परिवेश या वातावरण में ढलने के लिए अधिक समय बिताने की जरूरत को महसूस करते है। ऐसे जातकों को लोगों की खुद के लिए सोच बदलने हेतु स्वयं को अधिक काबिल पेश करने का प्रयास करना होगा। जिससे कि लोगों की इनके प्रति धारणा को परिवर्तित कर सकें।

 इसके अलावा, ऐसे जातकों को अपनी भावनाओं पर भी नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है। अन्यथा उन्हें चंद्र ग्रह के प्रतिकूल और नकारात्मक प्रभावों का सामना भी करना पड़ सकता है। हालांकि वैदिक ज्योतिष की गणना में, चंद्रमा से संबंधित सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से मुक्ति हेतु उपायों का उल्लेख किया गया है। जिससे चंद्र ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है।

बारहवें भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- आप कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा को कैसे ठीक करते हैं?

An- बारहवें भाव के चंद्रमा के जातकों को खुद को, ठीक करने या फिर से सक्रिय करने के लिए एकांत के नियमित क्षणों की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह आदत उन्हें लोगों से अलग कर सकती है, और जातकों को गलत भी समझा जा सकता है।

Q- आपको कैसे पता चलेगा कि आपका चंद्रमा आपकी जन्म कुंडली में मजबूत है या कमजोर?

An- ज्योतिष में चंद्र ग्रह निर्बल या पीड़ित होगा, या प्रभावशाली होगा। अत: जब कोई ज्योतिषी कहता है कि चंद्रमा कमजोर स्थान में है, तो उसका अर्थ है कि वह अन्य ग्रहों से उदास या पीड़ित है, और वह पूर्ण रूप से अपना फल नहीं दे सकता है।

Q- चंद्रमा का शत्रु कौन है?

An- चंद्र ग्रह के अधिकांश ग्रह मित्र होते हैं परंतु बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु इन्हें पसंद नहीं करते। बुध, शुक्र, गुरु, शनि मित्र व सिर्फ मंगल ग्रह से शत्रुता होती है।

Q- कौन सा चंद्रमा शुभ होता है?

An- ज्योतिष में चंद्र ग्रह को स्त्री ग्रह भी कहा गया है। यह राशियों में कर्क राशि का और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी व शुभता को दर्शाता है।

Q- क्या? कुंडली में बारहवें भाव में चंद्र ग्रह शुभ फल देता है?

An- कुंडली के बारहवें यानी मोक्ष के भाव में चंद्र ग्रह विशेष रूप से शुभ फल नहीं देता है।

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