कुंडली के बारह भावों में शनि व शुक्र की युति: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुक्र और शनि की युति से सभी राशि के जातकों को लाभ व शुभ फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में यह युति बहुत भाग्यशाली मानी जाती है। कुंडली के भावों के प्रभाव के अनुरूप शनि व शुक्र ग्रह की युति भी सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव प्रदान करती है। यदि उनकी युति किसी अच्छे भाव में है यानी लग्न स्थान पर या अलग है तो उसका प्रभाव भी उसी प्रकार प्राप्त होता है।
इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि कुंडली में ऐसे भी भाव होते हैं, जिनमें अगर शुक्र और शनि की युति हो तो उन्हें प्रभु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसे जातक विशेषकर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। इसके अलावा शुक्र-शनि की युति का शुभ प्रभाव के कारण कई ऐसे जातक होते हैं; जो अचानक ही जीवन के उच्चतम शिखर पर पहुंच जाते हैं और अपने जीवन में बहुत सफल माने जाते हैं।
ज्योतिष में: शनि व शुक्र का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र ग्रह को जीवन में ऐशो आराम, सुख-समृद्धि, संपन्नता व भौतिक सुविधाओं के साधनों का कारक माना जाता है, तो वहीं दूसरी ओर शनि देव को अच्छे कर्म या कर्म फल दाता के रूप में जातकों को शुभ फल देने वाला माना जाता है। ऐसे में यदि किसी जातक की कुंडली में शनि व शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी है, तो शुभ फलों की प्राप्ति निश्चित रूप से होगी। ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली के सभी बारह भावों में शनि व शुक्र की युति से होने वाले शुभ व अशुभ प्रभावों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे-
कुंडली के बारह भावों में शनि व शुक्र ग्रह की युति
- प्रथम भाव में: शनि और शुक्र की युति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली के पहले भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो यह जातक के स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। ऐसे जातक बहुत परेशानियों से गुजरते हैं और बहुत तनावपूर्ण स्थिति में होते हैं। इस तनाव के कारण मानसिक समस्याएं लगातार बनी रहती हैं। ऐसे जातकों के काम भी आसानी से सफल नहीं हो पाते।
- दूसरे भाव में : शनि और शुक्र की युति
कुंडली दूसरे भाव में शुक्र और शनि की युति बहुत प्रतिष्ठा दिलाती है और जातकों को उच्च पदों पर स्थापित करती है। ऐसे जातक को घर, वाहन और संपत्ति का सारा सुख मिलता है। जिसके लिए हर संभव प्रयास किया जाता है। और ऐसा माना जाता है कि यदि जिस व्यक्ति के पास ये चीजें हैं तो वह सफल माना जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो यह आर्थिक दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है।
- तीसरे भाव में: शुक्र और शनि की युति
कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र और शनि की युति के कारण माता-पिता द्वारा जो भी धन-संपत्ति कमाई गई है, उसका सुख प्राप्त होता है, वह धन मिल सकता है, इतना ही नहीं, पैतृक संपत्ति भी प्राप्त होती है, और ससुराल वाले भी बहुत मजबूत होते हैं। इस युति से जातक को धन लाभ प्राप्त होता है। साथ ही भुगतान किया हुआ पैसा प्राप्त होता है।
- चौथे भाव में : शुक्र और शनि की युति
कुंडली के चौथे भाव में शुक्र और शनि की युति अचानक पदोन्नति देती है। जातक को ऊँचे पद पर पहुँचाने वाली होती है। ऐसे जातक अपने कार्यस्थल पर अधिकारी वर्ग पर होते हैं और यदि वह उद्योग के क्षेत्र में हैं तो बहुत बड़े उद्योगपति होते है। साथ ही ऐसे जातक सामाजिक प्रतिष्ठा को ऊंचाइयों तक ले जाते है और इतना ही नहीं यह कमाने की स्थिति को इतना मजबूत कर लेते हैं कि अचानक धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोग यदि मशीन से संबंधित और केमिकल का व्यवसाय करते हैं तो उनका व्यवसाय बहुत ऊंचाई तक पहुंचता है।
- पांचवें भाव में : शुक्र और शनि की युति
कुंडली के पांचवे भाव में शुक्र और शनि की युति के दौरान व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी वह हासिल नहीं कर पाता जो वह चाहता है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का मतलब है कि शिक्षा बहुत अच्छी है, लेकिन उस शिक्षा से कोई लाभ नहीं होता और प्रतिष्ठा नहीं मिलती है।
- छटवें भाव में शनि और शुक्र की युति
कुंडली के छठे भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो ऐसे जातक के लिए शत्रु पर विजय पाना आसान हो जाता है। इस युति के शुभ प्रभाव से, शत्रु कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, शत्रुओं का नाश होना स्वाभाविक है। इनके ऊपर जो भी मुकदमें होते हैं ये उन सभी मुकदमों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं और ऐसे जातक हर जगह सफलता प्राप्त करते हैं।
- सातवें भाव में: शनि और शुक्र की युति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो ऐसे जातक को गुणवान पत्नी मिलती है। इसके साथ ही, पत्नी बहुत विनम्र और सभ्य स्वभाव की होती है। सातवें भाव में शुक्र और शनि की युति, जातक का पारिवारिक जीवन बहुत अच्छा व्यतीत होता है।
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- आठवें भाव में : शनि और शुक्र की युति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली के आठवें भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो इससे जातक के रिश्ते बहुत मजबूत होते है। इसके अलावा जातक को लीवर और किडनी से संबंधित कोई समस्या हो सकती है। साथ ही जातक ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हो सकता है। ज्योतिष की सलाह में कोई अचानक हादसा हो सकता है, इसलिए इस दौरान सावधान रहना चाहिए। युति के अशुभ प्रभाव से जातक को रक्त से संबंधित रोग हो सकते हैं। इसके साथ ही कुछ ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मान-सम्मान पर भी प्रभाव हो सकता है।
- नौवें भाव में : शनि और शुक्र की युति
कुंडली के नौवें भाव में शुक्र और शनि की युति के कारण जातक बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है, माता-पिता को जो भी प्रतिष्ठा मिलती है वह प्रतिष्ठा कई गुना बढ़ कर इन जातकों को प्राप्त हो जाती है। और ऐसे लोग बहुत अच्छे पद पर पहुंचते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक पढ़ाई में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं व अपने एकेडमी करियर में भी बहुत सफल होते है। पढ़ाई में अच्छे होने के कारण उन्हें अच्छे पद पर नौकरी मिल जाती है। ज्योतिष के अनुसार, यदि आप व्यापार करते हैं तो उसमें आप बहुत सफल रहेंगे।
- दसवें भाव में : शनि और शुक्र की युति
कुंडली के दसवें भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो यह सबसे अच्छी युति मानी जाती है। ऐसे जातक बहुत प्रभावशाली होते हैं, और प्रतिष्ठा भी प्राप्त करते हैं। ऐसे जातकों की कुंडली में शनि व शुक्र की युति शुभ फल देने वाली होती है। इसके साथ ही ऐसे जातक बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं। दसवें भाव में शुक्र बहुत बलवान स्थिति के साथ जातक को हर छेत्र में सफलता दिलाते हैं।
- ग्यारहवें भाव में : शनि और शुक्र की युति
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र और शनि की युति के कारण जातक कम मेहनत में बहुत अच्छी सफलता प्राप्त करता है। ऐसे जातक को अचानक धन की प्राप्ति होती है। सबसे अच्छी बात यह है कि इन जातकों , को जीवन के अंतिम पड़ाव में बहुत सुख प्राप्त होता है। जीवन के अंतिम पड़ाव में इनके जीवन का बड़े आराम से कटता है।
- बारहवें भाव में: शनि और शुक्र की युति
कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र और शनि की युति से जातक को धन की हानि होती है, इतना ही नहीं बल्कि जो कुछ भी उन्होंने कमाया है, वह भी खो देते हैं। गलत संगत में पड़ना आपको बहुत गलत रास्ते पर ले जाता है। इसके अलावा यदि शुक्र और शनि की युति बहुत प्रभावशाली है, तो कुछ जातकों के लिए यह बहुत फायदेमंद होगी; तो कुछ लोगों के लिए बहुत हानिकारक होगी।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में, शनि व शुक्र की युति को लेकर कई तथ्य कहे जा सकते हैं। किसी राशि में इसके शुभ प्रभाव होते हैं तो किसी राशि में इसका प्रभाव विपरीत भी हो सकता है। इसी प्रकार सभी भावों में भी शनि व शुक्र की युति का प्रभाव मिला-जुला प्राप्त होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न–FAQ
Q. शुक्र और शनि की युति से कौन सा योग बनता है?
An. ज्योतिष में, शनि और शुक्र एक साथ मिलकर ‘नवपंचम राजयोग’ का निर्माण करते हैं। कुछ राशियों को इसका बहुत शुभ फल मिलता है।
Q. क्या शनि व शुक्र की युति अच्छी है?
An. दूसरे भाव में शुक्र-शनि की युति वित्तीय लाभ के लिए अच्छी मानी जाती है। जहां जातक को अच्छा नाम और प्रसिद्धि मिलती है। तीसरे भाव में शुक्र-शनि की युति से जातक को पिता या पैतृक धन से आर्थिक लाभ मिलता है।
Q. क्या शुक्र और शनि मित्र ग्रह हैं?
An. हां, ये दोनों मित्र ग्रह हैं लेकिन शुक्र लाभकारी है जबकि शनि अशुभ है। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र और शनि एक साथ एक भाव में होते हैं, वे अक्सर कलात्मक प्रवृत्ति के होते हैं।
Q. क्या खाने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है?
An. शुक्र ग्रह मजबूत करने के लिए भोजन में दूध, दही, घी, चावल और चीनी का सेवन करना चाहिए।