Conjunction of Sun and Ketu| सूर्य-केतु की युति कुंडली के विभिन्न भावों में, क्या देगी शुभ परिणाम

सूर्य-केतु की युति

कुंडली के बारह भावों में सूर्य-केतु की युति: ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह शून्यता का प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य और केतु की युति कुंडली के किसी भी भाव में कमजोर हो तो ऐसे जातक में आत्मविश्वास की कमी होती है। लेकिन शुभ प्रभाव में युति के होने से जातक एक सफल व्यक्ति बन सकता है। इसके साथ ही ऐसे जातक आमतौर पर जल्दी ही विनम्रता को अपना लेते हैं। इन जातकों में स्वयं को पहचानने यानी, की आत्मविश्वास की कमी होती है। क्योंकि सूर्य के प्रभाव से जातक में अहंकार का भाव आता है, और अहंकार के बिना मानव भौतिक संसार में कार्य नहीं कर सकते हैं। उसी प्रकार ज्योतिष में केतु ग्रह चंद्रमा का दक्षिणी नोड और राहु का बचा हुआ शेष भाग है। यह एक बिना सिर वाला शरीर है जो अलगाव और भौतिक संसार के परित्याग को दर्शाता है।

ज्योतिष शास्त्र में दो ग्रहों के साथ होने का सीधा अर्थ है कि, इनका मिलाजुला प्रभाव में होना या युति का बनना जो कि ग्रहों का मिलन कहलाता है। किसी भी जन्म कुंडली में जब दो या दो से अधिक ग्रह एक ही भाव में उपस्थित होते हैं तो उन्हें युति कहा जाता है। इस युति से जातक के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। ज्योतिष की भाषा में इन सकारात्मक प्रभावों को योग और नकारात्मक प्रभाव को दोष की संज्ञा दी जाती है।

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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और केतु की युति साल में एक बार होती है और यह एक शुभ युति होती है, ज्योतिष के कथन अनुसार, यह महत्वपूर्ण होता है कि युति कुंडली के किस भाव में बन रही है। सूर्य और केतु का यह योग जातक के करियर के लिए एक अच्छा संयोजन है लेकिन यह मजबूत केंद्र/त्रिकोण और 8 डिग्री पर होना चाहिए। इसी के साथ ही सूर्य और केतु साथ में आध्यात्मिकता व करियर में चरम ऊंचाइयों प्रदान करते हैं। जिससे जातक के मन में दूसरों या जरूरतमंदों की सेवा का भाव आता है, फिर भले ही वह पक्ष राजनीति हो, कोई एनजीओ हो, या समाज के लिए कोई अच्छा कार्य करना हो। कभी-कभी इस प्रकार की युति का प्रभाव डॉक्टरों में भी देखा जा सकता है।

यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य व केतु की युति पहले भाव में हो तो यह प्रभावित जातक को समाज में अच्छा औदा व मजबूत पहचान दिलाती है। ऐसे जातक अपनी मध्य आयु में प्रसिद्धि प्राप्त कर लेते हैं। सूर्य व केतु के प्रभाव से जातकों को बहुत नाम व मान-प्रतिष्ठा मिलती है जिससे दूसरे लोग बहुत आसानी से इन लोगों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। कुंडली के पहले भाव में सूर्य और केतु की युति के प्रभाव से जातक एक महान दार्शनिक, लेखक या राजनीतिज्ञ बन सकता है। इसके साथ ही यह स्थान यह भी दर्शाता है कि जातक को अपने परिवार का बहुत ध्यान रखने की बहुत आवश्यकता है। अतः अधिक लाभ के लिए इन जातकों को अपने परिवार व बड़े-बुजुर्गों से जुड़े रहने कि सलाह दी जाती है। इस युति के पहले भाव में होने से जातक कुछ समय के लिए अत्यधिक आक्रामक या क्रोधी स्वभाव के हो सकते हैं।

दूसरे भाव में सूर्य व केतु की युति शुभ नहीं मानी जाती है। अशुभ प्रभाव में जातक को कोई न कोई धन हानि और दैनिक समस्याएं आती रहती है। दूसरे भाव में सूर्य और केतु की युति विवाह में भी कई समस्याएं उत्पन्न करती है जो कभी-कभी वैवाहिक जीवन में कलह का रूप ले लेती है। सूर्य का केतु के साथ होना कभी-कभी कठोर वाणी भी देता है। इसके साथ ही ऐसे जातक धन खर्च करने के मामलों में बेहद कंजूस और यथार्थवादी हो सकता है। ऐसे जातक केवल आध्यात्मिक वस्तुओं को खरीदने या फिर स्वर्ण से संबंधित चीजों को खरीदने में रुचि लेते हैं। इन जातकों को अक्सर धीमी गति वाली जिंदगी जीना पसंद होता है। इस संयोग से जातक को विदेश यात्रा करने के भी अवसर मिल सकते हैं।

कुंडली के तीसरे भाव में केतु और सूर्य की युति भाई-बहनों के साथ संबंधों में समस्याएं पैदा करती है लेकिन सूर्य का प्रभुत्व उच्च होने पर यह साहस और संचार कौशल प्रदान करता है। तीसरे भाव में केतु और सूर्य की युति, से जातक धर्म या तीर्थ से संबंधित कई यात्राएं करते हैं। तीसरे भाव में सूर्य और केतु की युति जातक को संचार कौशल के साथ शक्ति प्रदान करती है जिसका उपयोग व्यक्ति सामाजिक कार्यों और समाज के कल्याण में कर सकता है। 

कुंडली के चौथे भाव में केतु और सूर्य की युति अध्यात्म और ध्यान की दृष्टि से शुभ मानी जाती है; लेकिन यह जातक के भौतिकवाद की दृष्टि से अच्छी नहीं मानी जाती है, ऐसे जातक प्राप्त भौतिक संसाधनों का अधिक सुख व आनंद नहीं ले पाते हैं। आम तौर पर, उनका परिवार ही इन सभी विलासिता का आनंद लेता है। कुंडली के चौथे भाव में सूर्य और केतु की युति से जातक को माता पक्ष से अधिक प्रेम नहीं मिलता है और ऐसे लोग जन्म भूमि से दूर रहते हैं। युति के अशुभ प्रभाव से पारिवारिक कलह की स्थिति बन सकती है जिससे संपत्ति का बंटवारा हो सकता है। 

कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य व केतु की युति यह दर्शाती है कि विशेष रूप से जातक को अपने पितृ पूजा के लिए कुछ अच्छे काम करने चाहिए। क्योंकि यह भाव पिछले पुण्यों को दर्शाता है और पूर्वजों के प्रति आपके द्वारा किए गए अच्छे कार्य अभी भी शेष हैं और आपको इस जन्म में उनके लिए वह कार्य करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पांचवे भाव में सूर्य और केतु की युति पैतृक संपत्ति से धन लाभ दिलाती है परन्तु सूर्य, केतु से अधिक बलवान होना चाहिए तब ही जातक धन संबंधी लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

कुंडली के छठे भाव में सूर्य व केतु की युति उन जातकों को अच्छे परिणाम देती है जो सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े हैं। युति के शुभ प्रभाव से जातक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। साथ ही किसी बड़े पद पर कार्य करने वाले जातकों को भी इस युति का अच्छा फल मिलता है। इन जातकों को कर्ज लेने से बचने की सलाह दी जाती है। कुंडली के छठे भाव में केतु और सूर्य की युति में सूर्य के कमजोर होने पर जातक को हृदय रोग या कोलेस्ट्रॉल संबंधी समस्या हो सकती है।

कुंडली के सातवें भाव में केतु और सूर्य की युति कुंडली के अन्य भावों की तुलना में सबसे खराब स्थिति मानी जाती है। यह सातवाँ भाव जातक के वैवाहिक जीवन और रिश्तों से संबंधित होता है। इस भाव में केतु व सूर्य का प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन व पारिवारिक रिश्तों में दरार पैदा करता है। इसके साथ यह व्यावसायिक सफलता के लिए भी शुभ प्रभाव में नहीं होता है। ज्योतिष की सलाह में यदि किसी जातक की कुंडली में इस प्रकार युति है तो ऐसे जातक को अपने विवाह संबंधी मामलों में शांति से काम करने की सलाह दी जाती है।  

कुंडली के आठवें भाव में केतु और सूर्य की युति लम्बे समय तक जातक के लिए अशुभ फल देने वाली मानी जाती है।

यहां तक ​​कि यह युति के प्रभाव में जातक दुर्घटनाएं और कम शांतिपूर्ण जीवन शैली का शिकार हो सकता है। यह स्थान विरासत में मिली संपत्ति के प्रति निराशा को दर्शाता है। आठवें भाव में केतु और सूर्य की युति गुप्त विज्ञान के लिए अच्छी है। यदि आप खुद को आध्यात्मिकता और ध्यान में शामिल करते हैं तो यह एक अच्छी जगह है और यह आपको जीवन में अचानक ऊंचाइयां प्रदान करेगी। आठवें घर में सूर्य और केतु की युति तभी अच्छी होती है जब आप आध्यात्मिक जगत से जुड़े हों।

सूर्य-केतु की युति

नौवें भाव में केतु और सूर्य की युति पितृ दोष का संकेत देती है और यह जीवन में भाग्य सहयोग के लिए वास्तव में एक खराब स्थिति है। नवम भाव में सूर्य केतु की युति पिता के सहयोग के लिए ख़राब है, यहाँ तक कि पिता के लिए भी अच्छा नहीं है। यदि आप समाज और धर्म के लिए काम करना चाहते हैं तो नवम भाव में सूर्य और केतु की युति उत्तम स्थान है। इससे सफलता में बाधा आती है और इस संयोग के लिए आपको पितृ शांति अवश्य करनी चाहिए।

दसवें भाव में केतु और सूर्य की युति के कारण करियर में कई बाधाएं आती हैं और ये लोग करियर में स्थिर नहीं होते हैं। इससे धार्मिक जगत में बहुत देरी से सफलता मिलती है और कभी-कभी राजनीति में करियर भी धीमा हो जाता है। दसवें भाव में केतु और सूर्य की युति भौतिकवादी दुनिया के लिए एक खराब स्थिति है। इन्हें कार्यस्थल पर कुछ असामान्य स्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है और बार-बार हार का सामना करना पड़ सकता है। 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु और सूर्य की युति भौतिक लाभ के लिए अच्छी नहीं है। आपको हमेशा संतुष्टि के साथ समाज के लिए काम करना चाहिए क्योंकि आप भौतिक लाभ का आनंद लेने वाले व्यक्ति नहीं हैं। ग्यारहवें भाव में केतु और सूर्य की युति सामाजिक दायरे के लिए अच्छी है लेकिन यह किसी संत और अच्छे धार्मिक लोगों का सर्कल होना चाहिए। इसके साथ ही जातक कभी-कभी वे अत्यधिक विनम्र या कभी-कभी अत्यंत कठोर हो सकते हैं।

कुंडली के बारहवें भाव में: सूर्य- केतु की युति

कुंडली के बारहवें भाव में केतु और सूर्य की युति मोक्ष के लिए एक अच्छा स्थान है और आत्मविश्वास में बाधा उत्पन्न करती है और विदेशी भूमि में सफलता के लिए अच्छी है। ऐसे जातक को इसी जन्म में मोक्ष मिलेगा और आपको मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। बारहवें भाव में सूर्य और केतु की युति से जातक को विदेश में जाकर रहने के अवसर मिलते हैं। बारहवें भाव में केतु और सूर्य की युति नेटवर्क वाले व्यक्ति की अप्रत्याशित प्रकृति को दर्शाती है। साथ ही, उन्हें सूचनाओं और संख्याओं पर नज़र रखना पसंद है। ऐसे जातक संख्या या विज्ञान से संबंधित क्षेत्र से जुड़े हो सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य-केतु की युति धन संबंधी मामलों के लिए अच्छी होती है; लेकिन यह संयोजन कभी भी समाज में भौतिकवाद का पक्ष नहीं लेता है। इस योग से संघर्ष से लेकर अपार धन तक सब कुछ मिलता है। कुंडली के सातवें और आठवें भाव में भी हो तो यह सबसे खराब योग है। इसके साथ ही यह अच्छा ज्ञान भी देता है लेकिन विवाह संबंधी मामलों के लिए इस युति को अच्छा नहीं माना जाता है। 


Q. सूर्य और केतु की युति होने से क्या होता है?

An. यदि सूर्य और केतु की युति कुंडली के किसी भी भाव में कमजोर हो तो ऐसे जातक में आत्मविश्वास की कमी होती है। लेकिन शुभ प्रभाव में युति के होने से जातक एक सफल व्यक्ति बन सकता है। इसके साथ ही ऐसे जातक आमतौर पर जल्दी ही विनम्रता को अपना लेते हैं।

Q. क्या, सूर्य के साथ केतु का होना शुभ होता है?

An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य-केतु की युति धन संबंधी मामलों के लिए अच्छी होती है; लेकिन यह संयोजन कभी भी समाज में भौतिकवाद का पक्ष नहीं लेता है। इस योग से संघर्ष से लेकर अपार धन तक सब कुछ मिलता है।

Q. क्या, सूर्य व केतु परस्पर मित्र ग्रह हैं?

An. नहीं, सूर्य व केतु परस्पर मित्र ग्रह नहीं हैं।

Q. सूर्य व केतु की युति से जातक को कैसे परिणाम मिलते हैं?

An. सूर्य व केतु की युति से जातक को धन संबंधी मामलों में में अच्छे व विवाह संबंधी मामलों में बुरे परिणाम मिल सकते हैं।

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