Conjunction of Sun and Rahu | कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य-राहु की युति होगी कितनी प्रभावशाली

सूर्य-राहु की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य-राहु की युति: इस युति के शुभ प्रभाव से जातक उच्च पद व अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे इसके साथ ही जातक को सांसारिक उपलब्धियाँ प्राप्त करने की मजबूत इच्छा शक्ति मिलेगी। ज्योतिष शास्त्र में, सूर्य आपके पिता, अधिकार, आक्रामकता और आत्मा का कारक ग्रह होता है; जबकि राहु, संबंधित स्थितियों पर भ्रम के साथ-साथ भौतिक सुख और समृद्धि का कारक है। कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति होने से  ग्रहण का प्रभाव बनता  है। जो  कभी-कभी  कष्टदायक परिणाम भी देता हैं।

इसलिए जब सूर्य जातक की कुंडली के किसी भी भाव में होता है, तो यह उस भाव के अधिकतर पहलुओं को बेहतर बनाने का कार्य करता है। हालांकि, इसके अलावा सूर्य और राहु ग्रह मित्र नहीं बल्कि शत्रु ग्रह कहलाते हैं। इसलिए जब राहु और सूर्य अलग-अलग भावों में युति करते हैं, तो परिणाम भी अच्छे-बुरे हो सकते हैं।

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चलिए पहले जान लेते है कि ‘ग्रहण योग’ आखिर होता क्या है? वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि चंद्रमा या सूर्य राहु-केतु की धुरी में कुंडली में उपस्थित हो तो इसे ‘ग्रहण योग’ माना जाता है। ज्योतिष में राहु व केतु एक छाया ग्रह अशुभ ग्रहों की श्रेणी में आते हैं। कुंडली में बनने वाले इस ग्रहण योग के प्रभाव स्वरूप जातक के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं।

ज्योतिष में सूर्य ग्रह ऐसा ग्रह है जो जातक के पिता, अधिकार, आक्रामकता, आत्मा, शाही स्थिति और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जो हर विपरीत परिस्थिति में आत्मविश्वास और कार्यों को प्रदर्शित करता है। वहीँ राहु बिना धड़  वाला चंद्रमा का उत्तरी नोड कहलाता है, यह जातक के मन के विकास को प्रभावित करने में बड़ी  भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यह जातक की बुद्धि को विभाजित करता है और भौतिक सुख-सुविधाओं की लालसा उत्पन्न करता है। ऐसे जातक अधिक संतुष्टि के लिए आधिकारिक पद की इच्छा रखने वाले होते हैं, लेकिन साथ ही इन जातकों में सदैव बेचैनी बनी रहती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली में सूर्य व राहु एक साथ विराजमान हों तो राहु भी सूर्य को प्रभावित करता है। जिससे जातक को विपरीत फल मिलने लगते हैं। राहु एक अशुभ ग्रह माना जाता है, जो जातक को कई प्रकार से अशुभ परिणाम देकर समस्याओं का सामना करने की स्थिति में डाल सकता है। इस युति का प्रभाव सबसे अधिक जातक के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

कुंडली के पहले भाव में सूर्य और राहु की युति के कारण जातक को शुभ व अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम प्राप्त होते हैं। ऐसे जातक का आत्मविश्वास बहुत अधिक होता है और वह हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। पहले  भाव में राहु और सूर्य की युति जातक को स्वार्थी स्वभाव का बनाती है। इस युति के प्रभाव से जातक गलत रास्ते पर भी जा सकते है, जिससे जातक को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा किसी तीसरे व्यक्ति के आने से जातक के वैवाहिक जीवन में कुछ मनमुटाव हो सकता है। इस युति के प्रभाव के कारण जातक अपना निवास स्थान भी परिवर्तित कर सकते हैं। 

कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और राहु की युति के प्रभाव में जातक अपने आसपास के लोगों से संवाद करने में कुछ मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। इस संयोग के दौरान जातक को रुका हुआ धन वापस मिलेगा और आर्थिक स्थिति में वृद्धि व सुधार होगा। ऐसे जातक का स्वास्थ्य खराब रह सकता है। साथ ही वह कुछ लालच की भावना रखने वाला होगा। जातक भौतिक सुखों के पीछे भागता नजर आएगा। 

कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और राहु की युति से जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेगा। कुंडली में इस योग के प्रभाव के कारण उसके भाई-बहनों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक बहुत साहसी होगा। तीसरे भाव में राहु और सूर्य की युति वाले जातक को सफल होने के लिए स्वयं पर विश्वास तो करना होगा साथ ही कड़ी मेहनत भी करनी होगी। साथ ही ऐसे जातक कामुक स्वभाव के होते हैं। 

कुंडली के चौथे भाव में सूर्य और राहु की युति से जातक को वैवाहिक जीवन से जुड़ी कुछ परेशानियां हो सकती हैं। जातक को संपत्ति का सुख मिलेगा। इस संयोग से जातक के जीवन में कई नए मित्र बनेंगे। जातक को माता के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है। जातक को धन की हानि का सामना करना पड़ सकता है। जातक को कार्यक्षेत्र में परेशानी होगी व तनाव मिल सकता है। 

कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य और राहु की युति से जातक की सुख-सुविधाओं में कमी आ सकती है और वाहन या मकान से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। जातक को शेयर बाजार से पैसा कमाने का मौका मिल सकता है। जातक को पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। जातक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। 

 कुंडली के छठे भाव में सूर्य और राहु की युति के कारण व्यक्ति को संतान संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक को अपेक्षित परिणाम मिलने में कठिनाई होगी। जातक को कार्यस्थल पर तनाव और विवादों का सामना करना पड़ सकता है। जातक को स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी। इस संयोग के दौरान जातक को विदेश जाने के अवसर प्राप्त होंगे।

कुंडली के सातवें भाव में सूर्य और राहु की युति जातक के वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव डालेगी। जीवनसाथी के साथ विवाद या झगड़े से बचें। इस युति के दौरान जातक को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस युति के दौरान जातक और संतान के बीच गलतफहमियां हो सकती हैं। 

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य और राहु की युति विवाद का कारण बन सकती है और जातक के मान-सम्मान को ठेस पहुंच सकती है या बदनामी हो सकती है। जातक को सट्टेबाजी की लत लग सकती है। जातक को पैतृक संपत्ति से लाभ हो सकता है। जातक को यात्रा में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। नौकरीपेशा लोगों को भी काम के दौरान तनाव रहेगा। 

जातक की कुंडली के नौवें भाव में सूर्य और राहु की युति व्यक्ति को स्वार्थी बना सकती है। जातक को व्यापार के लाभ में कमी की चिंता हो सकती है। जातक को कानूनी समस्या हो सकती है। जातक में सुख-सुविधाएं प्राप्त करने की चाहत बढ़ सकती है। जातक को स्वास्थ्य संबंधी काफी परेशानियां हो सकती हैं, जिसके कारण जातक को कुछ मानसिक तनाव भी मिल सकता है। 

कुंडली के दसवें भाव में सूर्य और राहु की युति के कारण जातकों का कार्यक्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होगा। इस दौरान जातक को रोजगार में नई-नई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और काफी मेहनत के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाएगा। ज्योतिष की सलाह में इस युति के दौरान जातक को स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखना होगा। जातक को धन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। 

सूर्य-राहु की युति

कुंडली के ग्यारहवें घर में सूर्य और राहु जातक की आय और धन के स्रोत पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। इस युति के दौरान जातक को किसी भी निवेश से बचना चाहिए। इस युति के दौरान जातक और जीवनसाथी के बीच परेशानियां बढ़ सकती हैं। जातक का करियर उत्तम रहेगा। शेयर बाजार में निवेश करने से जातक को लाभ हो सकता है। जातक को पेट से संबंधित समस्या हो सकती है।

कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य और राहु की युति जातक के खर्चों में वृद्धि करेगी। इस युति के दौरान जातक को किसी मित्र से धोखा मिल सकता है। कारोबार संबंधी परेशानियां आ सकती हैं। जातक को आंखों से संबंधित छोटी-मोटी परेशानी हो सकती है। जातक के साथ कोई बुरी घटना घट सकती है। विदेश यात्रा में रुकावटें आएंगी।

  • ज्योतिष के अनुसार, रुद्राक्ष धारण करने से सूर्य व राहु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • यदि कुंडली में सूर्य व राहु के बुरे परिणाम मिल रहे हो तो जातक को सूर्य देव की उपासना करना चाहिए व प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें।
  • कुंडली में सूर्य और राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व है। इसके लिए आप प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित कर सकते हैं।
  • कुंडली में सूर्य व राहु के अशुभ प्रभाव से ग्रस्त जातक को शिव महिम्न स्त्रोत, शिव तांडव स्त्रोत, शिव पंचाक्षर, व महाम्रतुन्जय मंत्र का जप करना शुभ फलदायी होता है।


Q. सूर्य और राहु की युति से कौन सा योग बनता है?

An. वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि चंद्रमा या सूर्य राहु-केतु की धुरी में कुंडली में उपस्थित हो तो इसे ‘ग्रहण योग’ माना जाता है।

Q. सूर्य व राहु की युति से कैसे परिणाम प्राप्त होते हैं?

An. ज्योतिष शास्त्र में, सूर्य आपके पिता, अधिकार, आक्रामकता और आत्मा का कारक ग्रह होता है; जबकि राहु, संबंधित स्थितियों पर भ्रम के साथ-साथ भौतिक सुख और समृद्धि का कारक है। कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति होने पर एक-दूसरे के प्रभाव को ग्रहण करने के योग बनते है।लेकिन कभी-कभी यह कष्टदायक परिणाम भी देते हैं।

Q. क्या, सूर्य व राहु की युति के अशुभ फल ही मिलते हैं?

An. हालांकि, सूर्य और राहु ग्रह मित्र नहीं बल्कि शत्रु ग्रह कहलाते हैं। इसलिए जब राहु और सूर्य अलग-अलग भावों में युति करते हैं, तो परिणाम भी अच्छे-बुरे हो सकते हैं।

Q. कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य व राहु की युति का क्या प्रभाव होता है?

An. कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और राहु की युति से जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेगा। कुंडली में इस योग के प्रभाव के कारण उसके भाई-बहनों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक बहुत साहसी होगा।

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