कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य-मंगल की युति- वैदिक ज्योतिष की गणना में, सूर्य और मंगल दोनों ही ग्रह ऊर्जा से भरपूर ग्रह माने जाते हैं। यदि यह कुंडली में स्थित भावों के शुभ प्रभाव में हो तो यह लाभ का कारण बनते हैं। ज्योतिष में मंगल और सूर्य के एक साथ आने से आदित्य मंगल राजयोग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक अत्यधिक महत्वाकांक्षी और आत्मविश्वासी होते हैं। वे सदैव साहस से भरे हुए होते हैं। ऐसे जातक दूसरों पर अधिकार स्थापित करने में अधिक रुचि लेते हैं। कितनी भी विपरीत या कठिन परिस्थिति क्यों न हो उनके लिए इससे निपटना बहुत आसान होता है। ज्योतिष की दृष्टि में इस प्रकार के योग यह योग अक्सर सेना प्रमुखों की कुंडली में देखा जाता है। ये जातक समाज के लिए स्वयं ही सकारात्मक भूमिका का निर्वाह करते हैं और समाज में मान-सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं।
ज्योतिष में: मंगल के साथ आने पर सूर्य ग्रह की स्थिति
ज्योतिष फलादेश के अनुसार, सभी ग्रह समय-समय पर गोचर के रूप में अपना स्थान बदलते हैं। उसी प्रकार, सूर्य और मंगल भी समय-समय पर अपनी स्थिति में परिवर्तन करते रहते है, जिससे गोचर कुंडली में ग्रहों की युति से योग और दोष जैसी क्रियाएं का घटित होती रहती हैं। मंगल ग्रह के संपर्क में आने पर सूर्य की स्थिति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंगल को एक बहुत ही शक्तिशाली ग्रह माना गया है। यह एक ऐसा क्रूर ग्रह है, जो आक्रामकता, साहस और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं हम सूर्य ग्रह की बात करें तो, यह मान-सम्मान, यश, बल, गौरव का कारक हैं। जब वें दोनों ग्रह (सूर्य-मंगल) साथ युति में होते हैं तो, जातक के जीवन पर इसका प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार से पड़ता हैं। ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य-मंगल की युति के शुभ-अशुभ प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे-
कुंडली के विभिन्न भावों में: सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के पहले भाव में: सूर्य-मंगल की युति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के पहले भाव में सूर्य व मंगल की युति से प्रभावित जातक व्यक्तित्व का बहुत ही आकर्षक होता है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव से जातक को त्वचा संबंधी कुछ समस्या हो सकती है। ऐसे जातक अग्नि या ज्वलनशील उत्पादों से भयभीत रहते हैं। इसके साथ ही सूर्य के प्रभाव से ऐसे जातक की महत्वाकांक्षा बहुत ऊंची होती है। जिससे कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्मुख रहते हैं। ऐसे जातक अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक कार्य व मेहनत करने में सक्षम होते हैं।
कुंडली के दूसरे भाव में: सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और मंगल की युति के कारण जातक को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। दूसरे भाव में सूर्य और मंगल की युति पारिवारिक जीवन में परेशानियां पैदा कर सकती है। पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है। जातक के वैवाहिक जीवन में परेशानी आ सकती है। जातक को पैतृक संपत्ति प्राप्त होगी। जातक को नेत्र संबंधी समस्या हो सकती है। यदि सूर्य और मंगल की युति दूसरे भाव में अच्छी हो तो व्यक्ति को भूमि संबंधी कार्यों से लाभ हो सकता है।
कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य-मंगल की युति
तीसरे भाव में सूर्य और मंगल की युति इनके भाई-बहनों के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती। जातक को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो सकती है। जातक के भाई-बहनों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। जातक अपने प्रयासों और साहस से जीवन में सफलता प्राप्त करेगा। जातक साहसी हो सकता है। जातक को गले या कान से संबंधित समस्या हो सकती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य के साथ मंगल की युति मिलाजुला परिणाम दे सकती है।
कुंडली के चौथे भाव में: सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के चौथे भाव में सूर्य व मंगल की युति जातक के लिए शुभ नहीं मानी जाती है। प्रभावी जातक को मानसिक तनाव हो सकता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन ये जातक साहसी होते हैं। उन्हें अपने मित्रों के साथ संबंधों में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा ये जातक राजनीति के क्षेत्र में में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
कुंडली के पांचवे भाव में: सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य व मंगल की युति से प्रभावित जातक समृद्धशाली व धनवान होता है। ऐसे जातक को लीवर संबंधी समस्या हो सकती है। साथ ही अशुभ प्रभाव में जातक को संतान प्राप्ति में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक का संतान से मतभेद भी हो सकता है। अपनी कुछ बुरी आदतों के कारण इन्हें कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
कुंडली के छठे भाव में: सूर्य-मंगल की युति
जन्म कुंडली के छठे भाव में सूर्य व मंगल की युति जातक को पद प्रतिष्ठा के साथ-साथ शक्ति भी प्रदान करती है। ऐसे जातक को हार्मोन संबंधी समस्या हो सकती है। शुभ प्रभाव से इन जातकों को श्रेष्ठ भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है। पुरखों की संपत्ति के लिए जातक को कानूनी कार्यवाही जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिल सकती है। आर्थिक दृष्टि से जातक अच्छा धन कमाएगा। इसके साथ पत्नी को कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
कुंडली के सातवें भाव में : सूर्य- मंगल की युति
जन्म कुंडली के सातवें भाव में सूर्य और मंगल की युति जातक के वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं होती है। ये जातक कड़ी मेहनत के बल पर अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जातक का वैवाहिक जीवन समस्याओं से भरा हो सकता है। सूर्य-मंगल की युति के कारण जातक विदेश में अच्छी सफलता हासिल कर सकते हैं। सूर्य के अशुभ प्रभाव में जातक को सामाजिक बदनामी का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली के सातवें भाव में सूर्य और मंगल की अशुभ स्थिति वैवाहिक जीवन में अलगाव का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जातक हृदय रोग से पीड़ित हो सकता है।
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कुंडली के आठवें भाव में सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के आठवें भाव में सूर्य और मंगल की युति जातक के लिए बहुत बुरे प्रभाव देने वाली मानी गई है। ऐसे जातक को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ हो सकती है। ऐसे जातक आंतरिक रूप से अस्वस्थ महसूस करते हैं। इस भाव में सूर्य और मंगल की युति जातक की कम आयु का कारण बन सकती है। जातक का वैवाहिक जीवन भी समस्याओं से भरा रहता है। परिवार में जातक के अपने भाइयों से अच्छे संबंध नहीं होते हैं।
कुंडली के नौवें भाव में: सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के नौवें भाव में सूर्य और मंगल की युति जातक की आर्थिक स्थिति के लिए शुभ होती है। ऐसे जातक धनवान होते हैं। पत्नी से किसी बात को लेकर विवाद या मतभेद हो सकता है। पिता पक्ष को स्वास्थ्य संबंधी कुछ परेशानी हो सकती है। ऐसे जातक की रुचि धार्मिक गतिविधियों में अधिक होती है। ग्रहों के शुभ प्रभाव से जातक को पैतृक संपत्ति का सुख प्राप्त हो सकता है। लेकिन जातक मानसिक तनाव की स्थिति का सामना भी कर सकते हैं। इसके साथ ही कुंडली में नौवें भाव में सूर्य-मंगल अशुभ प्रभाव में हो तो यह उसके पिता की शीघ्र मृत्यु का कारण भी हो सकती है।
कुंडली के दसवें भाव में: सूर्य- मंगल की युति
कुंडली के दसवें भाव में सूर्य और मंगल की युति से प्रभावित जातक अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं। ऐसे जातक की प्रवृत्ति बुद्धिमान व कठोर हो सकती है। जिससे ये जातक व्यापार-व्यवसाय में सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक अपने श्रेष्ठ प्रयासों से धन संचय करने में तीव्र होते हैं। साथ ही इन जातकों का वैवाहिक जीवन बहुत सुख पूर्वक व्यतीत होता है।
कुंडली के ग्यारहवें भाव: में सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य और मंगल की युति, जातक के स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है। साथ ही ऐसे जातक आर्थिक दृष्टि से समृद्ध शाली होते हैं। शेयर बाजार में भी ऐसे जातक सफल हो सकते है। पारिवारिक जिम्मेदारी भी इन जातकों पर रहता है। अशुभ प्रभाव के कारण इन जातकों के कई शत्रु हो सकते हैं व संतान प्राप्ति में भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कुंडली के बारहवें भाव में: सूर्य-मंगल की युति
कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य और मंगल की युति से प्रभावित जातक अपने वैवाहिक जीवन का अच्छा सुख लेते है। सूर्य के अशुभ प्रभाव में, पिता पक्ष को कुछ बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। माइग्रेन की समस्या होने से ऐसे जातक को नींद संबंधी कुछ विकारों का सामना करना पड़ सकता है। व्यवसाय में धन-हानि का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा बारहवें भाव में सूर्य और मंगल की युति से जातक को कोई आकस्मिक दुर्घटना का सामना भी करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
कुल-मिलाकर कुंडली के सभी भावों में सूर्य-मंगल की युति से जातक को कई शुभ तो कई अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिष द्वारा बताए गए सही परामर्श से हम कुंडली में ग्रहों की युति से प्राप्त अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न–FAQ
Q. सूर्य और मंगल की युति क्या होती है?
An. ज्योतिष में, मंगल के साथ सूर्य के युति होने पर यह जातक के लिए शुभ व प्रभावी मानी जाती है। सूर्य प्रत्येक माह अपना राशि परिवर्तन करते रहते है यह एक राशि में 30 दिन तक गोचर करते है।
Q. सूर्य और मंगल की युति से कौन सा योग बनता है?
An.ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आदित्य भी कहा जाता है। मंगल और सूर्य के एक साथ आने से आदित्य मंगल राजयोग बनता है। साल 2024 की शुरुआत आदित्य मंगल राजयोग के प्रभाव से अत्यंत शुभ रहने वाली है।
Q. सूर्य मंगल अंगारक योग क्या है?
An.सूर्य-मंगल अंगारक योग तब बनता है, जब सूर्य और मंगल एक ही भाव में स्थित होता है।
Q. सूर्य-मंगल की युति का फलादेश क्या है?
An. सूर्य-मंगल की युति का प्रभाव- ऐसे जातक दूसरों पर अधिकार स्थापित करने में अधिक रुचि लेते हैं। कितनी भी विपरीत या कठिन परिस्थिति क्यों न हो उनके लिए इससे निपटना बहुत आसान होता है।