बसंत पंचमी 2023- इसका महत्व और आश्चर्यजनक तथ्य

Basant Panchami

बसंत पंचमी (Vasant Panchami): भारत में हिंदुओं के प्रसिद्ध पर्व के रूप में मनाए जाने वाला “बसंत पंचमी” का पर्व एक रंगीन व अत्यंत हर्षोल्लास का प्रतीक है। बसंत पंचमी में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ है- वसंत ऋतु  तथा ‘पंचमी’ का अर्थ- गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन से है। अतः जैसा कि नाम में ही निहित है कि यह त्योहार वसंत के मौसम के पांचवें दिन मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर में यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक होता है। इस पर्व पर विद्या की देवी माँ सरस्वती की उपासना करने का विधान है। 

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बसंत पंचमी कब है ?

प्रति वर्ष माघ मास और माघीय ‘गुप्त नवरात्रि’, वसंत पंचमी के साथ होने के कारण ‘बसंत पंचमी’ का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि में नौ दिन तक माँ आदिशक्ति की आराधना की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान भक्त माँ की पूजा-अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। हालांकि गुप्त नवरात्रि वो शरद नवरात्रि व चैत्र नवरात्रि से कम प्रसिद्ध होती है। बल्कि माता को समर्पित ये गुप्त नौ दिन तंत्र विद्या के लिए बेहद खास है, यही कारण है कि तंत्र-मंत्र के साधक अपनी तंत्र विद्या को साधने या किसी भी सिद्धि प्राप्ति के लिए इस गुप्त नवरात्रि का उपयोग करते हैं। इस बार 2023 में गुप्त नवरात्रि का आरंभ 22 जनवरी 2023 से हो रहा है। 30 जनवरी को माघ गुप्त नवरात्रि का समापन हो जाएगा। इन नौ दिनों में ‘वसंत पंचमी’ का पर्व भी 26 जनवरी 2023 को देशभर में मनाया जाएगा।

गणतंत्र दिवस पर वसंत पंचमी

हम सभी जानते हैं हर साल 26 जनवरी के दिन को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

क्योंकि आज ही का वह दिन था, जब 26 जनवरी 1950 को ही सुबह 10.18 मिनट पर हमारे भारत देश का संविधान लागू किया गया था। अतः इस दिन 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर्व के साथ-साथ वसंत पंचमी का पर्व भी बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा।

वसंत पंचमी : तीन दिवसीय पर्व के रूप में 

वसंत पंचमी के इस शुभ दिन पर सभी शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा मां सरस्वती का पूजन तीन दिन तक अत्यंत श्रद्धा के साथ विधि पूर्वक किया जाता है। जिसमें प्रथम दिन ज्ञान व संगीत की देवी मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो को स्थापित किया जाता है। उनकी विधि विधान से पूजा- अर्चना कर उनके  समक्ष धूप, दीप,सफ़ेद पुष्प व नैवेद्य अर्पित किया जाता है। दूसरे दिन मां सरस्वती के सम्मुख सभी छात्र-छात्राएं संगीत, प्रार्थना, व सरस्वती वंदना करते हैं तथा उनके चरणों में विद्या से सम्बंधित वस्तुएं भेंट रखते हैं। तीसरे दिन वे सभी हर्षोल्लास के साथ माँ सरस्वती से अपने लिए कुशल बुद्धि की मंगल कामना कर,  उनका मूर्ति विसर्जन कर देते हैं। अतः  इस वसंत पंचमी या सरस्वती पंचमी को विधालय  (Educational institute) उत्सव के रूप में छात्र के बीच मनाया जाता है।

saraswati puja 2023

गुप्त नवरात्रि में बसंत पंचमी का महत्व   

हिन्दू पंचांग के अनुसार, वसंत पंचमी का पर्व प्रतिवर्ष ‘माघ महीने में शुक्ल पक्ष’ की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस अनुसार मुख्यतः यह पर्व वर्ष के प्रारंभिक माह जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में आता है। इसके साथ ही इसी दौरान ‘गुप्त नवरात्रि की पंचमी तिथि भी मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रि को लेकर ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों में माँ की विधिपूर्वक साधना करने से देवी शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। इसलिए गुप्त नवरात्रि में जितने गुप्त रूप से देवी माँ की साधना की जाए, व्यक्ति को उसी अनुसार उपयुक्त फल की प्राप्ति होती है। बताते चलें कि नवरात्रि में दस महाविद्या: कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, भुवनेश्वरी देवी, मां धूमावती, बगलामुखी माता, मातंगी माता और देवी कमला स्वरूपों की पूजा की जाती है। 

वसंत पंचमी का पर्व पूर्वाह्न काल (सूर्योदय और मध्य दिन के बीच की अवधि) के प्रचलन के आधार भी पर तय किया जाता है। इसलिए, जब पंचमी की तिथि पूर्वाह्न काल के दौरान प्रबल होती है, तब इस बसंत के पर्व की शुरुआत होती है। 

बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त : 

दिनांक:

पूजा मुहूर्त : प्रातः 07:12:26 से दोपहर 12:33:47 तक

समयकाल : 5 घंटे 21 मिनट

गुप्त नवरात्रि (2023 कलश स्थापना) हेतु शुभ मुहूर्त 

दिनांक:

प्रातः 08 बजकर 34 मिनट 

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक   

धार्मिक महत्व : वसंत पंचमी तथा गुप्त नवरात्री 

हिन्दू मान्यता में वसंत पंचमी तथा गुप्त नवरात्री, दोनों पर्व का ही बहुत महत्व है। वसंत पंचमी का पर्व जहाँ ज्ञान, कला, विज्ञान और संगीत की देवी माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वहीं  गुप्त नवरात्रि मां भगवती के 10 स्वरूपों की साधना व कृपा प्राप्त करने हेतु मनाई जाती है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही माँ सरस्वती समस्त देवी-देवताओं के आह्वान करने पर अवतरित हुई थी। देवी-देवताओं के मां सरस्वती की स्तुति करने से वेद-ग्रंथों की ऋचाएं (ऋतुएँ) निर्मित हुई। इन सभी में ‘वसंत राग का भी निर्माण हुआ था। इसी कारण इस दिन को ‘वसंत पंचमी’ के रूप में मनाया जाने लगा। सबसे लोकप्रिय ऋतु, वसंत ऋतु को माना जाता है। क्योंकि इस ऋतु में प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर होता है। यही मुख्य कारण है कि वसंत ऋतु का मौसम सबके मन को सहज आकर्षित करता है। इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं तथा इस मौसम में पीले फूलों से ढके सरसों के खेतों से प्रेरणा लेते हैं। इसलिए इस पर्व पर पीले रंग का महत्व अधिक देखने को मिलता है। 

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर संपूर्ण भारत देश में मेलों का आयोजन किया जाता है। माघ महिना उत्सव का महिना माना जाता है, क्योकि इसके तुरंत बाद फाल्गुन माह में होली का त्योहार मनाया जाता है। गुप्त नवरात्रि के शुभ दिन सभी नए वस्त्र पहनते हैं तथा श्रद्धा पूर्वक माँ भगवती की आराधना करते हैं। उन्हें मीठे व्यंजन का भोग अर्पित करते हैं। माँ भगवती के विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। परिवार के प्रत्येक सदस्य माँ दुर्गा की पूजा- अर्चना करते हैं। मां भगवती के रक्षा कवच, कीलन, या अर्गला मंत्रों के जप से श्रेष्ट फल की प्राप्ति होती है। इस तरह बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं दी जाती हैं।  

वसंत पंचमी व गुप्त नवरात्रि हेतु पूजा

किसी भी पूजा विधि या अनुष्ठान में, तीन विधि श्रेष्ठ मानी जाती है- पंचोपचार, दशोपचार तथा षोडशोपचार। वसंत पंचमी में भगवान कामदेव व देवी रति का पूजन तथा गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा के स्वरूपों की आराधना में, षोडशोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमनीय, स्नान, मधुपर्क, तिलक, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य, ताम्बूल व नारियल) विधि से पूजा करना उत्तम फल प्रदान करता है। जातक को सुख तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को श्री पंचमी, ऋतु पंचमी तथा सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक मान्यता में वसंत पंचमी 

पौराणिक धारणाओं में वसंत पंचमी के पर्व से जुड़ी यूँ तो आपको कई कथाएं सुनने को मिल जाएंगी, लेकिन एक सबसे प्रचलित कथा है जो प्रेम के प्रतीक, कामदेव व उनकी पत्नी रति जुड़ी है। जिसमें भगवान कामदेव को शिव जी ने उनके अनुचित कार्य ( शिव जी पर पुष्प बाण चला दिया था, जिसके कारण शिव की तपस्या भंग हो गई) उसके कारण महादेव ने उन्हें श्राप देकर भस्म कर दिया था। इससे उनकी पत्नी रति को अपने पति भगवान कामदेव को पुनः जीवित करने हेतु 40 दिनों की कठोर तपस्या करनी पड़ी। अंतः वसंत पंचमी के इस शुभ दिन पर भगवान शिव ने उनके अनुरोध को स्वीकार किया और उनके पति को वापस जीवनदान दे दिया। उस दिन से लेकर आज तक, प्रेम के देवता, भगवान कामदेव व उनकी पत्नी देवी रति की भारत के कई भागों में पूजा की जाती है। इसके अलावा वसंत पंचमी होली व होलिका दहन की तैयारी के प्रारंभ का भी सूचक माना जाता है, जो इस पर्व के 40 दिन बाद किया जाता है।

बसंत पंचमी: सरस्वती पूजन 

ज्योतिष में वसंत पंचमी या कहें बसंत पंचमी के दिन को अबूझ या अभिषेक माना जाता है, जो कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत हेतु बेहद शुभ होता है। अतः इस दिन माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है। सभी प्रियजन इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। यूँ तो देवी सरस्वती की पूजा किसी भी समय की जा सकती है, परन्तु ये माना  गया है कि सरस्वती माँ की वंदना तब ही करना श्रेष्ठ होता है, जब पंचमी तिथि हो और पूर्वाह्न काल हो। पूजा विधि में, माँ सरस्वती मंत्र के जाप तथा सरस्वती स्तोत्र व सरस्वती वंदना करना बेहद उपयोगी माना गया है। जो इस प्रकार है-

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌”॥2॥

   बसंत पंचमी की पूजा विधि 

 क्या करें ?

  • इस दिन प्रातः जल्दी उठें ( ब्रह्म मुहूर्त- सूर्योदय से दो घंटे पहले) जल्दी उठकर सभी देवी-देवताओं का ध्यान तथा योग( प्राणायाम) करें।
  • शास्त्रों के अनुसार, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ तथा पीले रंग के वस्त्र धारण करना श्रेष्ठ रहता है।
  • माँ सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा कर पीले रंग का भोजन तैयार करें और देवी सरस्वती को अर्पित करें। पीला रंग प्राकृतिक रूप से उपयोग हेतु आप हल्दी या केसर का उपयोग कर सकते हैं।
  • देवी सरस्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा कर, सद्बुद्धि की कामना के साथ उन्हें उनके प्रिय साधन एक किताब, एक पुस्तक, एक स्लेट (व्हाइटबोर्ड), पेंसिल, मार्कर, संगीत के वाद्य यंत्र आदि की भेंट भी रख सकते हैं।
  • वसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाई जाती है। इसके साथ ही अपने मित्र व संबंधियों में मिठाइयां और व्यंजन बांटकर ये पर्व मनाए जाने का विधान है। 
  • जरूरतमंद व गरीब बच्चों को किताबें व शिक्षा से संबंधित सामग्री दान करना चाहिए।

क्या न करें ?

  • वसंत पंचमी के इस शुभ दिन पर आपको सभी व्यसन पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।  
  • तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए ( प्याज, लहसुन या मांस का प्रयोग )।
  • मदिरा व तंबाकू आदि से भी परहेज करना चाहिए।
  • यदि आपने व्रत धारण किया है तो यथा संभव अनाज का सेवन न करें ।
  • अपने से बड़ों, शिक्षकों और गुरुजनों को किसी भी प्रकार से अपमान न करें। साथ ही किसी को भी इस दिन अपशब्द न बोलें।
  • किसी भी स्त्री का अपमान करने से बचें। 

भारत के अन्य राज्यों में बसंत पंचमी पर्व 

भारत में बसंत पंचमी का पर्व ‘वसंत या बसंत ऋतु’ के आरम्भ व सर्दियों के मौसम के अंत का सूचक होता है। इस पर्व पर विद्या की देवी माँ सरस्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाती है। लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के पकवान को भोजन में सम्मिलित करते हैं। जैसा कि हमने बताया इस दिन पीला रंग अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह जीवन में जीवंत और प्रतिभा का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ दिन पर देवी-देवताओं विशेष रूप से भगवान विष्णु जी को पीले रंग के वस्त्र, मिठाई, भोजन का भोग व पीले पुष्प अर्पित किए जाते हैं। इस दिन भारत के कई राज्यों में केसर हलवा नामक एक प्रसिद्ध व्यंजन बनाने का विधान है। आइए जानते हैं कि आखिर भारत के अन्य भागों में वसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है:-

  • भारत के कई राज्यों में इस पर्व को फसलों से भी जोड़ा गया है। कहा जाता है इस दिन फसलें खिले हुए सरसों के फूलों से भर जाती हैं, जो पूरी तरह से एक सुंदर व मन को मोह लेने वाला दृश्य होता है। 
  • कई जगहों पर छात्र माँ सरस्वती के चरणों में कलम, पेंसिल और किताबें जैसी शिक्षा संबंधी सामग्री रखते हैं और अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने से पहले उनका आशीर्वाद लेते हैं।
  • हरियाणा और पंजाब में लोग इस दिन पतंग उड़ाते हैं। साथ ही मीठे चावल, सरसों का साग व मक्के की रोटी, जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाया जाता है। 
  • बंगाल के लोगों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व होता है। इस दिन वे मां सरस्वती की पूजा बच्चों के नन्हे हाथों से करवाई जाती है, जो सरस्वती माँ से अपने नवोदित मस्तिष्क के लिए ज्ञान की शुभ कामना करते हैं। 
  • कई जगहों पर स्कूल और कॉलेज में इस अवसर पर फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन का आयोजन किया जाता है। 
  • इसके अलावा कई राज्यों में इस पर्व पर लोग पीले रंग के कपड़े जैसे पीला कुर्ता और पीली साड़ी पहनते हैं, और खिचड़ी खाते हैं। 
  • ओडिशा राज्य में भी, इस पर्व पर मां सरस्वती को प्रिय संगीत व पीले पुष्प अर्पित कर उनकी पूजा किये जाने का विधान है।

कुछ सवाल व उनके जवाब -FAQ

Q- बसंत पंचमी पर विशेष रूप से किसकी पूजा की जाती है?

An- बसंत पंचमी पर विशेष रूप से विद्या की देवी माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है।

Q- क्या, बसंत पंचमी 2023 के दिन विवाह का शुभ मुहूर्त है?

An- हां, विवाह हेतु बसंत पंचमी 2023 का अचूक व अत्यंत शुभ मुहूर्त है।

Q- बसंत पंचमी के पर्व को श्री पंचमी क्यों कहा जाता है?

An- इस पवित्र दिन पर धन व सौभाग्य की देवी माँ लक्ष्मी का जन्मदिन होता है। अतः इसे ‘श्री पंचमी’ भी कहा जाता है।

Q- क्या, बसंत पंचमी पर अभ्यंग स्नान करना चाहिए?

An- हां, बसंत पंचमी पर अभ्य्ग्य स्नान (सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन जिसमें हल्दी, दही, तिल का तेल, बेसन, चंदन, जड़ी-बूटियों का लेप) शामिल हो कर सकते हैं।

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