दिवाली धनतेरस के साथ गोबर्धन पूजा का महत्त्व

दिवाली

दिवाली पर्व सभी पर्वों में सबसे बड़ा माना जाता है इसमें 2 माह पूर्व से ही लोग अपने घरों में तैयारी आरंभ कर देते हैं पांच दिन के पर्व में हर दिन का विशेष महत्व है।

धनतेरस  कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी

‘धनतेरस’ के दिन आयुर्वेद के चिकित्सक भगवान धन्वंतरी की पूजा करने से व्यक्ति रोग ऋण से मुक्त हो जाता हैं। पुराणों में कथा है कि समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरी अमृत का कलश लेकर अवतरित हुए थे। धनतेरस को सायंकाल यमराज के लिए दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। लोग धनतेरस को सोने चांदी के गहने एवम नए बर्तन वाहन आदि खरीदते हैं और माँ लक्षी धन्वन्तरी कुवेर की पूजा करते हैं।

इस साल 2023 में धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 10 नवम्बर को दोपहर 12:35 से लेकर 11 नवम्बर को दोपहर 01:57 तक है।

धनतेरस

पूजा एवं खरीददारी का शुभ समय;-10 नवम्बर दोपहर 02:35 से 11 नवम्बर सुबह 06:40 तक होगा।

छोटी दीवाली  कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी

‘नरक चतुर्दशी’ जिसे छोटी दीवाली भी कहते है इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर दैत्य का वध किया था कई जगह लेख में आता है की आज के दि हनुमान जी का जन्म हुआ था बहुत सारे पौराणिक कथानक है इस दिन यम को दीप दान करने से यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता हैं।

दीपावली  कार्तिक कृष्ण अमावस्या

दीपावली, इस दिन गणेश,लक्ष्मी, एवम कुबेर की  कृपा प्राप्ति के लिए शुभ मुहूर्त में सिक्का, तस्वीर अथवा श्रीयंत्र, साबुत धनिया, बताशे, दीपक, पुतली, गन्ने, साल की धानी, कमल पुष्प, ऋतु फल एवम कनेर के पुष्प से अष्टलक्ष्मी, का वैदिक  मंत्रों से पूजन करे।

दिवाली

जिसमे  गणेश, अंबिका, कलश, मातृका, नवग्रह, पूजन के साथ ही लक्ष्मी पूजा का विधान  है। लक्ष्मी के साथ ही अष्टसिद्धियां- अणिमा महिला गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्या, ईशिता और बसिता तथा अष्टलक्ष्मी आदि, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य भोग और योग एवम महाकाली स्वरूप दवात तथा महासरस्वती स्वरूप कलम व लेखनी की भी पूजा करे । धनपेटी,लॉकर, तुला, घर के दरबाजे आदि में श्री ॐ स्वास्तिक शुभ लाभ बनाकर पूजन करना चाहिए। पूजा के बाद देवस्थान, गृह देवता, तुलसी, जलाशय, पर आंगन, गौशाला आदि मंगल स्थानों पर दीपक लगाकर दीपोत्सव करे सभी बड़े को प्रणाम कर आशीर्वाद ले परस्पर एक दूसरे से गले मिलने की परम्परा है।

साल 2023 में दीवाली कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 12 नवम्बर दोपहर 02:45 से लेकर 13 नवम्बर दोपहर 02:57 तक है

पूजा शुभ समय-12 नवम्बर

दीवाली लक्ष्मी पूजा-शाम 05:40 से रात्रि 07:36 तक

प्रदोष काल- शाम 05:29 से रात्रि 08:11 तक

महानिशीथ काल- रात्रि 11:39 से 12:31 तक

सिंह काल- मध्य रात्रि 12:10 से 02:27 तक 

गोवर्धन पूजा  कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा

इस दिन अन्नकूट गोवर्धन पूजा होती  है।

इस पर्व में गोबर्धन पूजा का विशेष महत्त्व है।

लेकिन इस समय अन्न कूट गोबर्धन पूजा से लोगों का ध्यान कम होता जा रहा है जबकि सभी पर्वों में गोबर्धन पूजा बहुत महत्त्व पूर्ण है ब्रज वृन्दावन में भगवान श्री कृष्ण स्वयं गोबर्धन की पूजा करते है और सभी को पूजने के लिए प्रेरित करते है क्यों कि गोबर्धन शब्द का अर्थ ही बहुत सारगर्भित है गो+बर्धन गो का अर्थ गाय बर्धन का अर्थ वृध्दि जिसके कारण गौ बंश की वृध्दि होती है जिससे गौ माता का पालन पोषण होता है जिससे सारे व्रज की रक्षा होती है  जिसे भगवान कृष्ण स्वयं अपने हांथों में धारण करते है वो है गोवर्धन ऐसे अन्न कूट गोवर्धन भगवान की पूजा करने से व्यक्ति के घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं रहती है।

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आज के दिन घर घर में गाय बछड़ों एवं बैलों की पूजा की जाती है। गाय-बछड़ों का दिव्य श्रृंगार किया जाता है। सायंकाल उन्हें सामूहिक रूप से गली-मोहल्लों में घुमाया जाता हैं। इस तिथि को बलि प्रतिपदा, वीर प्रतिपदा भी कहा जाता है।

गोवर्धन पूजा के दिन अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर कृष्ण सहित गोवर्धन पूजा होती है। इस में छप्पन प्रकार के भोग तैयार कर भगवान का छप्पन भोग लगाया जाता है इसके बाद देवस्थलों में भक्त, साधु, ब्राह्मण आदि को प्रसाद के रूप में वितरण करते है।

गोबर्धन पूजा के दिन हर सनातनी हिन्दू को गोबर्धन पूजा के साथ अपनी कमाई का दशांश भाग गौ सेवा के निमित्त निकाल कर गौ रक्षा एवं गौ सेवा का संकल्प लेना चाहिए।

क्यों कि हमारे सनातन धर्म में गाय को माता कहा जाता है ,गावो विश्वस्य मातरः, इसलिए गाय सबसे पूज्यनीय और पवित्र माना गया है लेकिन ये दुर्भाग्य है हम लोगो का कि जिसकी घर घर में पूजा होती थी जिस गौ माता की पुकार पर भगवान भी दौड़े चले आते है।           

||विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार | निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥

जहाँ हर घर से पहली रोटी गाय को मिलती थी लेकिन आज मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा अब आज वही गाय हमारे घरो से डंडे खाकर सड़को पर भूखी प्यासी मारी मारी घूम रही मित्रो यदि हमारी माँ सड़कों पर भूंखी प्यासी अपना रक्त बहाएगी तो हम कैसे चेन से रह सकते है इसलिए हमें आज ही गोबर्धन गौ पूजा के साथ गौ सेवा के लिए संकल्प लेना है की हम अपने अपने घरों में गौ पालन करेगे यदि किसी के पास जगह अभाव है तो आप मंगल भवन के साथ जुड़कर गौशाला निर्माण कार्य में या निर्माणित गौशाला में गौ पालन गौ सेवा के लिए अपनी सेवा देकर गौसेवा कर सकते है|

गोबर्धन गौ पूजा

जिस घर में गौ पालन और गौ सेवा होती है वो घर तीर्थ से भी अधिक पवित्र है क्यों कि गाय से मिलने बाली हर बस्तु पबित्र है गोमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी, इन पांचो को मिश्रित करने पर पंचगव्य तैयार हो जाता है और पंचगव्य की महिमा तो सर्व विदित है पंचगव्य पीने से व्यक्ति के सारे पाप रोग नष्ट हो जाते है मन बुध्दी चित की शुध्दि होती है पंचगव्य घर में प्रोक्षण करने मात्र से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है| इसलिए घर के बुरे प्रभावों की शांति एवं घर में रहने वाले सदस्यों की सुख समृध्दी के लिए किसी भी शुभ कार्य में हस्त रचित पञ्चगव्य से बनी बस्तु पूजा या सजावट में विशेष शुभ हैं मेरा अनुरोध है इस दीवाली में पञ्चगव्य से बनी बस्तुओं से ही घर की सजावट करे।

क्या आप भी जाना चाहते हैं आपकी राशि के अनुसार, आपका सटीक फलादेश क्या होगा ? तो आज ही आप ‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्यों से सम्पर्क कर सकते हैं । 

किसी भी शुभ कार्य में गणेश पूजा के साथ दरबाजे पर यदि गाय के गोबर से बने ॐ श्री स्वास्तिक और स्वास्तिक के दायीं बांयी ओर शुभ लाभ घर के दरबाजे पर लगाने से घर की नकारात्मक उर्जा को समाप्त करते है।

साल 2023 में गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 13 नवम्बर दोपहर 02:55 से 14 नवम्बर दोपहर 02:40 तक है उदया तिथि मानी होने के कारण गोवर्धन पूजा 14 नवम्बर को प्रातः 06:43 से 08:52 तक ही होगी 

भाई दूज  कार्तिक शुक्ल द्वितीया

भाई दूज, यम द्वितीया, कहा जाता है। इस दिन प्रातःकाल उठकर चंद्रमा के दर्शन कर यमुना में स्नान  करना चाहिए आज के दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन के लिये बुलाया था,  इस दिन भाइयों को उन्हें अपनी बहन, या चाचा  मौसी की बेटी, एवम मित्र की बहन के यहां प्रेम पूर्वक भोजन करना चाहिए।

बहन को वस्त्र, द्रव्य,आदि उपहार देना चाहिए।

इससे भाई के जीवन में धन धान्य की सम्रध्दी होती है। साल 2023 में भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि 14 नवम्बर दोपहर 02:30 से 15 नवम्बर दोपहर 01:45 तक है लेकिन भाई दूज टीका मूहूर्त 14 नवम्बर दोपहर 01:10 से 03:22 तक होगा

दिवाली, धनतेरस और गोबर्धन पूजा सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- धनतेरस, पर धन्वन्तरी की पूजा से क्या लाभ होता है?

An- ‘धनतेरस’ के दिन आयुर्वेद के चिकित्सक भगवान धन्वंतरी की पूजा करने से व्यक्ति के गंभीर रोगों की समाप्ति हो जाती है एवं ऋण से मुक्त हो जाता हैं।

Q- नरक चतुर्दशी ,छोटी दीवाली,पर क्या करे क्या ना करे?

An- क्या करना शुभ है. नरक चतुर्दशी पर घर की  सफाई करे  इस दिन घर का कूड़ा कबाड़, टूटे-फूटे बर्तन को हटाकर   इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। क्या करना अशुभ है इसलिए इस दिन किसी भी जीव को पीड़ा देना मांस भक्षण करना घर की दक्षिण दिशा को गंदा रखने से यमराज और पितृ देव नाराज हो जाते हैं तेल का दान ना करे इससे मां लक्ष्मी नाराज होती हैं।

Q- दीपावली,पर किस विधि से लक्ष्मी पूजा करने से होगी धन की बढोत्तरी?

An- इस दिन शुभ मुहूर्त में सिक्का, तस्वीर अथवा श्रीयंत्र, साबुत धनिया, दीपक कमल गट्टा साबुत उर्द खील हल्दी गांठ साल की धानी, कमल पुष्प, ऋतु फल आदि से अष्टलक्ष्मी, का वैदिक पौराणिक मंत्रों के साथ पूजन करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है।

Q- गोवर्धन पूजा क्यों है सबसे महत्त्वपूर्ण?

An- आज के दिन घर घर में गाय बछड़ों एवं बैलों की पूजा की जाती है। गाय-बछड़ों का दिव्य श्रृंगार किया जाता है गोवर्धन पूजा के दिन अपने घर के आंगन में गोवर्धन पूजा करने से अन्य धन की कामी नहीं होती है।

Q- दिवाली भाई दूज, को यम द्वितीया,क्यों कहा जाता है?

An- आज के दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन करने के लिये बुलाया था इसलिए ऐसे यम द्वितीया कहा जाता है इस दिन भाइयों को उन्हें अपनी बहन के यहाँ  भोजन कर उन्हें उपहार देना चाहिए।

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