Venus in 3rd house | कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र ग्रह प्रदान करते हैं संवाद शैली में विनम्रता

शुक्र ग्रह

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र ग्रह (Venus in 3rd house)

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र ग्रह, की उपस्थिति से जातक भाषण की कला में निपूर्णता हासिल करते हैं। ऐसे जातक अपने संवाद(भाषा) में अधिक विनम्र और प्रेरक होते है। इन जातकों की रचनात्मक और लेखन कार्य में रूचि अधिक होती है। ये जातक यात्रा के शौकीन होते हैं और इन्हें छोटी-छोटी  यात्राओं से लाभ मिलने की भी पूरी संभावना होती है।

‘मंगल भवन’ की अनुभवी तथा ज्योतिष शास्त्र की ज्ञाता ‘आचार्य वंदना जीके अनुसार, शुक्र ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अपना प्रभाव अलग-अलग रूप से डालते है। इन परिणामों का मानव जीवन पर अत्यंत घर प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त शुक्र को एक शुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है, अतः यदि शुक्र कुंडली में शुभ स्थान पर है तो यह जातकों को अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं; वहीं  कमजोर होने पर यह अशुभ प्रभाव भी देता है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि शुक्र ग्रह,  कुंडली के तीसरे भाव को किस प्रकार प्रभावित करते है-

शुक्र ग्रह के प्रभाव कुंडली के तीसरे भाव में 

  • सकारात्मक प्रभाव 

इस भाव में, शुक्र ग्रह जातक को मौखिक रूप यानी वाचाल क्षमता को बहुत अभिव्यंजक और विशेष बनाता है। ऐसे जातक दूसरों की तारीफ करने में उदार और माहिर होते है, साथ ही इनके काफी अच्छे मध्यस्थ होते है। ऐसे जातक किसी दो विपरीत पक्षों के बीच के विवाद या उलझन को बहुत ही समझदारी व अच्छे ढंग से सुलझाते है। वे अपने विशेष तरीकों के माध्यम से विवाद को निपटाने में सक्षम होते है, चाहे फिर यह कुछ दिनों की अस्थायी शांति ही क्यों ना हो। कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र ग्रह के होने से जातक की भाषण कला शक्ति बहुत प्रभावित होती है। ऐसे जातकों की संवाद शैली बेहद विनम्र और प्रेरक हो सकती है। 

ज्योतिष के अनुसार, ऐसे जातक रचनात्मक और लेखन कार्य में श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। ऐसे जातक नए-नए  स्थानों की यात्रा के शौकीन होते हैं और उन यात्राओं से लाभ भी प्राप्त होता है। ऐसे जातक को शांतिपूर्ण और आरामदायक परिवेश में रहना पसंद होता है। इसके साथ ही इन जातकों को सुंदर वस्तुओं के साथ सुंदर वस्त्र और आभूषणों का भी शौक होता है। इनके सम्बन्ध अपने रिश्तेदारों, संबंधियों और पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण और आनंदमय होते हैं। कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र ग्रह जातक को अव्यवस्था और दुराचार से दूर रखने का कार्य करता है, ऐसे जातकों को अपनी वस्तुओं और रिश्तों को स्वतंत्र रखना पसंद होता है।

ऐसे जातक,  जीवन को सुचारू रूप से चलाने तथा निरंतरताओं को बनाए रखने के लिए रिश्तों में किसी प्रकार के टकराव और मनमुटाव से बचने का प्रयास करते है। तीसरे भाव का शुक्र जातक को वैवाहिक और प्रेम जीवन में भी सोहद्र पूर्ण, संयमता और धैर्य का पालन करने हेतु बाध्य करते है। इस भाव में शुक्र जातक को कला और साहित्य से संबंधित क्षेत्रों से जोड़ने का कार्य भी करता है। ऐसे जातक,  शिक्षक या अन्य ज्ञान या संवाद से संबंधित क्षेत्रों में नौकरी या व्यवसाय का चुनाव कर सकते हैं। 

इसके अलावा इन जातकों की रुचि वाद-विवाद और चर्चा में भी होती है। इन जातकों को सदैव किसी ऐसे व्यक्ति की खोज होती है, जो उनकी मानसिक क्षमताओं को चुनौती देकर स्वकर कर सके। ज्योतिष में, शुक्र ग्रह विशेष रूप से प्रेम और कामुकता से संबंध रखता है; परन्तु इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध आनंद से भी होता है। इस भाव पर शुक्र की द्रष्टि से जातक को बड़े व सामाजिक दायरे में रहने हेतु प्रेरित होते है और लोगों के बीच इन जातकों को रहना पसंद भी होता है। 

  • नकारात्मक प्रभाव 

ज्योतिष में, बताया गया है कि इस भाव में शुक्र की मौजूदगी जहां जातक को शुभ फल देती है वहीँ कुछ अशुभ फल भी प्रदान करती है। जिसके अनुसार, तीसरे स्थान पर शुक्र के होने के कारण जातक को कुछ मानसिक तनाव मिल सकता है। ऐसे लोगो का दूसरों के साथ हमेशा ही अच्छा और विनम्र व्यवहार रहता है किन्तु; इसमें उन्हे हमेशा सफलता नहीं मिल पाती। शुक्र से प्रभावित जातक, लोगों के साथ गर्मजोशी और स्नेह से मिलने का सिर्फ दिखावा करते है। वे केवल उन लोगों के साथ विनम्र होते हैं जिससे इन्हें लाभ मिलने की सम्भावना होती है। 

इतना ही नहीं ये जातक अपने लाभ हेतु दूसरों की चापलूसी भी कर सकते है, हालांकि यह व्यवहार उनकी स्वयं की  विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की स्थिति को उत्पन्न कर सकता है। कुंडली के तीसरे स्थान पर शुक्र ग्रह, जातक को मानसिक रूप से परेशानियों में डालने का कार्य कर सकता है। ऐसे जातक कई मानसिक दांव- पेंच में उलझे हो सकते है। ऐसे जातक कई बार अन्य लोगों की बातों का सही मतलब नहीं समझ पाते। 

तृतीय भाव में,  शुक्र जातक को मानसिक उत्तेजना भी दे सकता है फलस्वरूप, वे अपने प्रेम संबंधों में भी निरंतर परिवर्तन की इच्छा कर सकते हैं। तीसरे भाव में बैठे शुक्र ग्रह जातक को किसी करीबी रिश्तेदार या पड़ोसी के प्रति आकर्षित करने का कार्य कर सकता है। ज्योतिष की सलाह में, उन्हे रिश्तेदारों और रिश्तों को अधिक महत्व देने का प्रयत्न करना चाहिए। इन जातकों पर कभी-कभी अन्य लोगों के साथ मजबूत संबंधों की आवश्यकता हो सकती है।

शुक्र ग्रह
  • वैवाहिक जीवन पर प्रभाव  

ज्योतिष की गणना के अनुसार, इस भाव में शुक्र ग्रह के कारण जातक को अपने वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, या फिर जातकों को अपने प्रेम संबंधों को विवाह में बदलने हेतु कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा, लेकिन जातीय विवाह के भी सफल होने की पूरी सम्भवना है। 

वैवाहिक ज्योतिष में,  हम यह कह सकते हैं कि इन जातकों के विवाह में सकारात्मक पक्ष,  परस्पर उनकी देखभाल और प्रशंसात्मक स्वभाव होगा, वहीँ परेशानी या नकारात्मक स्थिति उनकी एक-दूसरे के साथ अनुकूलता और समझ की कमी से होगी। ऐसे जातकों को अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाने हेतु कड़ी मेहनत करना होगा। 

यदि आप भी, विवाह संबंधी समस्याओं और वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का समाधान चाहते हैं तो  आज ही मंगल भवन के ज्योतिष आचार्यों  से संपर्क करें। 

  • करियर पर प्रभाव 

 यदि इस भाव शुक्र ग्रह शुभ स्थान में बैठे हो तो, ऐसे जातक बहुत रचनात्मक मस्तिष्क होते हैं। वे अपनी विशेष कल्पना में काम कर अग्रसर होते हैं, साथ ही उनकी कला, साहित्य या शैक्षिक क्षेत्र में कार्य करने सम्भावना अधिक होती है। अपनी इन अलग-अलग दिशाओं के माध्यम से ऐसे जातक बहुत सफलता भी हासिल करते हैं। 

ज्योतिष के अनुसार, ऐसे जातकों के पास केवल भाग्य की वृद्धि करने के अलावा, नई चीजें सीखने व करने के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी होता है, लेकिन इसका एक नकारात्मक पक्ष भी सामने आने की आशंका होती है जिसमें, उनका कुछ नया हासिल करने का उत्साह, उन्हें अपने कार्य क्षेत्र में, रास्ता खो जाने की संभावना हो सकती है। अत: जातकों को अपने करियर संबंधी निर्णय सोच-समझ कर लेने की सलाह दी जाती है।

शुक ग्रह तीसरे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- क्या तीसरे भाव में शुक्र ग्रह जातक प्रेम विवाह का संकेत देता है?

An- वैदिक ज्योतिष के अनुसार तीसरे भाव में शुक्र ग्रह जातक प्रेम विवाह में कुछ समस्या दे सकता है; इसके अलावा जातक अपने भागीदारों के साथ एक महान बंधन साझा कर सकते हैं।

Q- कुंडली में तीसरे भाव का क्या महत्व है?

An- कुंडली का तीसरा भाव पराक्रम के भाव के नाम से जाना जाता है। तीसरे भाव का संबंध जातक के पराक्रम, छोटे भाई, दोस्त, लघु प्रवास, सगे संबंधी, संचार, कार्य सफलता, गुप्त शत्रु, महत्वपूर्ण फेरबदल और कमीशन के लाभ जैसे क्षेत्रों से होता है।

Q- कुंडली में शुक्र मजबूत है या कमजोर कैसे पता चलेगा?

An- अगर जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर है, तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। उसे भोग-विलास का मौका नहीं मिलता और जीवन में आराम से बैठना नसीब नहीं होता। इसके अलावा कमजोर शुक्र होने पर जातक धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है।

Q- प्रेम में असफल करने वाला ग्रह कौन सा है?

An- प्रेम संबंधों में असफलता का कारण शुक्र की स्थिति होती है। अगर कुंडली में शुक्र पाप ग्रहों के साथ से प्रभावित है तो कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

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