Moon in 7th House | कुंडली के सातवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति से आचरण होगा सभ्य व धैर्यवान

चंद्र ग्रह

वैदिक ज्योतिष की गणना में, कुंडली के सातवें भाव में चंद्र ग्रह के मौजूदगी से जातक सभ्य, धैर्यवान  आचरण के होते है। इसके साथ ऐसे जातक पेशे से व्यापारी या फिर एक अच्छे वकील हो सकते हैं। विशेष रूप से ऐसे लोग स्वभाव से शांत और सभ्य होते हैं। इन जातकों की जीवन संगिनी काफी सुन्दर और धार्मिक प्रवृत्ति की होती है। साथ ही ऐसे जातक के व्यक्तित्व में एक विशेष आकर्षण होता है।

मंगल भवन’ के इस लेख में हम आपको कुंडली के सातवें भाव में चंद्र ग्रह स्थिति व उससे होने वाले शुभ अशुभ परिणामों के बारे में चर्चा करते हैं।

ज्योतिष में, जन्म कुंडली का सातवां भाव ‘कलत्र’ स्थान के नाम से जाना जाता है। कुंडली में इस भाव का सीधा संबंध पति, पत्नी, साझेदार, दांपत्य सुख, कोर्ट कचहरी, सार्वजनिक एवं सामाजिक जीवन, प्रजनन अंग, तलाक, ग्राहक, प्रति पक्ष, कामवासना, मन-मिलन तथा सार्वजनिक विरोध जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। चंद्र ग्रह का सातवें भाव में स्थित, होने से इस भाव के परिणाम पर प्रभाव पड़ता है, साथ ही चंद्रमा के साथ कोई अन्य ग्रह की युति हो तो यह जातक को सकारात्मक या नकारात्मक फल प्रभाव डालते हैं। इन प्रभावों को ज्योतिष द्वारा बताए गए कुछ आसान से सटीक उपायों द्वारा कम किया जा सकता है-

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ज्योतिष में चंद्र ग्रह के गुणों तथा प्रभावों का वर्णन अलग-अलग रूपों में मिलता है इसके साथ ही अन्य ग्रहों के साथ भी चंद्र ग्रह के स्वभाव, स्वरूप और प्रभावों का वर्णन भी अलग रूप में बताया गया है। चंद्रमा की तीव्र गति को जातक के मानव मन का प्रतीक कारक माना गया है। इसके साथ चंद्र को समस्त ग्रहों की रानी की संज्ञा भी प्राप्त है, जिसका सम्बन्ध मानव के मस्तिष्क, मन, मानसिक स्थिति एवं स्वास्थ्य से होता हैं। इसके अलावा चंद्रमा सौम्यता, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय और प्रसन्न व हर्षोल्लास , में रहने वाले ग्रह माने जाते हैं, चंद्र ग्रह के शुभ प्रभाव के कारण जातक के मन को चंचल और गतिशीलता मिलती है। जब कुंडली के सातवें भाव में चंद्र ग्रह के स्थित हो या गोचर कर रहे हों,  तो उस भाव के प्रभावों में मिलने वाले लाभ या हानि को भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने लगते हैं।

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कुंडली के सातवें भाव में सकारात्मक प्रभाव

कुंडली के सातवें भाव में चंद्र ग्रह का प्रभाव जातक के, वैवाहिक संबंध, दूसरों के प्रति व्यवहार, विदेश यात्रा और व्यापार में साझेदारी को संदर्भित करता है। इस भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति से जीवन में श्रेष्ठ साथी मिलने की संभावना रहती है। ऐसे जातकों को पति या पत्नी के रूप में एक बहुत प्रभावशाली, और घर-परिवार की जिम्मेदारी को ठीक प्रकार से निर्वाह करने वाला साथी मिलने की संभावना होती है। साथ ही वें दयालु और सबको साथ लेकर चलने वाले साथी की संज्ञा में आते हैं। जिसके प्रभाव से उनका वैवाहिक जीवन अधिक बेहतर और आनंद के साथ व्यतीत होता है। जिन जातकों की कुंडली में सातवें भाव में चंद्र ग्रह का स्थान होता है ऐसे जातक, कई प्रेम प्रसंग या रिश्ते में हो सकते हैं। ऐसे जातक अपने लिए एक अनुकूल साथी की तलाश में कई रिश्ते व सम्बन्ध बना लेते हैं। 

कुंडली के सातवें भाव में चन्द्र ग्रह के प्रभाव से प्रभावित जातक, संवेदनशील होने के साथ-साथ दूसरों की भावनाएं समझने के लिए बहुत तत्पर स्वभाव के होते हैं। साथ ही ये जातक, दूसरों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, और सम पर सहायता के लिए अपने समय और संसाधनों के बारें में भी विचार नहीं करते हैं। सातवें भाव का चंद्र ग्रह, जातक के संपूर्ण व्यक्तित्व पर भी अपना असर डालता है, सातवें भाव क में चंद्रमा व्यापार तथा व्यवसाय के दृष्टिकोण से पुरुष जातकों के लिए यह एक अधिक अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण कर सकता है। ऐसे जातक अपने करियर या व्यापार में अपनी मनचाही सफलता के साक्षी बन सकते हैं। साथ ही ऐसे जातक अपनी क्षमताओं और कड़ी मेहनत के बल से अपने व्यापार  को विकसित और बलंदियों तक पहुंचाने में सक्षम होते हैं। ऐसे जातक अपने व्यवसाय में आने वाली सभी अनिश्चितताओं व समस्याओं को बहुत प्रभावकारी तरीके से खत्म कर और अपने काम को बेहद व्यवस्थित तरीके से करते हैं। इस भाव में करियर व व्यवसाय की दृष्टि से जातक के सफल होने की अच्छी संभावना होती हैं।

सातवें भाव में चंद्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव

वैसे तो ज्योतिष में चंद्र ग्रह को अपनी शीतल किरणों के समान ही, सकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रह माना जाता है। परन्तु चंद्रमा कुछ विरोधी ग्रहों के प्रभावों में जातक को प्रतिकूल प्रभाव भी देते हैं। जिसके फलस्वरूप जातक का वैवाहिक जीवन या उसमें संघर्ष की स्थिति बन सकती है। साथ ही अपने विरोधी ग्रहों के प्रभाव की स्थिति में जातक को दूसरों पर निर्भर रहने के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है। इन जातकों को, दूसरों पर अधिक निर्भर होने से बचने का प्रयास करना चाहिए। सामान्यतः परस्पर निर्भरता अच्छी बात है, लेकिन पूर्ण रूप से निर्भर होना समस्या को जन्म दे सकता है। ऐसे स्थति के चलते या अति निर्भरता की स्थित में जातक को उस समय परेशानी का सामना करना पड़ता है, जब दूसरा  व्यक्ति उन्हें छोड़कर चला जाए या सम पर सहायता करने से मना कर देता है। इसके अलावा, विरोधी ग्रहों के प्रभाव में चंद्र ग्रह, जातक के संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में जातक को अपने रिश्तों व संबंधों के प्रति गंभीर रूप से विचार करने की सलाह दी जाती है, और अपने साथी को बिना किसी शर्त के स्वीकार करना चाहिए। सातवें भाव में चंद्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव, जीवन साथी से जुड़े कुछ भावनात्मक मुद्दों को जन्म दे सकते हैं। यदि समय रहते रिश्तों में हो रही प्रतिकूलता को समझ कर उन्हें समझाया नहीं गया, तो बात विवाह-विच्छेद या तलाक तक पहुंच सकती है।

सातवें भाव चंद्र ग्रह: महिला की कुंडली में प्रभाव 

ज्योतिष में, महिलाओं की कुंडली के सातवें स्थान पर यदि चंद्र ग्रह की उपस्थिति हो तो , यह उनके मन और बौद्धिक क्षमताओं में परिवर्तन लाने का कार्य कर सकती है। हालांकि उनके जीवन साथी का व्यवहार और योग्यता इससे अगल हो सकती है। परन्तु मानसिक और बौद्धिक दृष्टिकोण में असमानता, उनके संबंधों में संघर्ष की स्थति को बढ़ा सकती है। ऐसी स्थिति में वे अपने साथी पर विश्वास करने से पीछे हटते है और उनके आपसी रिश्तों में कड़वाहट व मनमुटाव बना रहता है। हालांकि समय के साथ-साथ उनके स्वभाव और व्यवहार में स्वतंत्रता आने लगती है, और वे अतीत में जीने की जगह वर्तमान में खुश रहना पसंद करने लगते हैं। कुंडली के इस भाव में चंद्र ग्रह की मौजूदगी, जातक की बढ़ती उम्र के साथ-साथ उन्हें बेहतर और खुशहाल जीवन देने का कार्य करती हैं।

सातवें भाव में चंद्र ग्रह : पुरुष व महिला कुंडली में तुलनात्मक प्रभाव 

सातवें भाव में किसी पुरुष की कुंडली में चंद्र ग्रह का स्थान, प्रेम को बढ़ाता है। कुछ मामले इस अवस्था में अपरंपरागत विवाह के होते हैं। हालांकि सप्तम भाव में चंद्रमा वाली महिला हमेशा साधारण स्वभाव वाली होती है, लेकिन अपने पति को दिल की से प्रेम करती है और इस प्रेम के लिए वें स्वयं के त्याग व बलिदान के लिए भी तैयार रहती है। वहीं पुरुष का स्वभाव दयालु होने के साथ-साथ ईर्ष्यालु भी होगा। महिला ऐसे पुरुषों के जीवन में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है, और उसके साथ आपके संबंध, आपकी सुरक्षा और खुशी की भावना को प्रभावित करते हैं। साथ वें जातक अत्यधिक निर्भर होते हैं और एक करीबी साथी के बिना खुद को बेकार समझ सकते हैं। अतः हमेशा एक पुरुष की तुलना में रिश्ते व संबंधों को लेकर एक महिला का बहुत अधिक व श्रेष्ठ प्रभाव होता है।

चंद्र ग्रह

सप्तम दृष्टि से चंद्र ग्रह का प्रभाव सातवें भाव में 

यदि चंद्र ग्रह सातवें भाव में स्थित हो तो, उसकी सप्तम पूर्ण दृष्टि प्रथम (लग्न) भाव पर पड़ती है। चंद्र ग्रह की प्रथम भाव पर दृष्टि होने से जातक विनम्र और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी होते है। साथ ही वें जातक अति भावुक भी होता है।

  • सातवें भाव में चंद्र का मित्र राशि में प्रभाव

सातवें भाव में चंद्र ग्रह, अपनी मित्र राशि में होने से जातक की पत्नी सुंदर,  धार्मिक व शांत स्वभाव की होती है।

  • सातवें भाव में चंद्र ग्रह का शत्रु राशि में प्रभाव

चंद्र ग्रह का सातवें भाव में अपनी शत्रु राशि में स्थित होने से, जातक को अपने जीवनसाथी के माध्यम से  सुख नहीं मिल पाता। तथा जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद होते है। इन जातकों का वैवाहिक जीवन में सुख मध्यम होता है।

  • सातवें भाव में चंद्र ग्रह स्वराशि, उच्च राशि व नीच राशि में प्रभाव
  1. चंद्र ग्रह का सातवें भाव में अपनी स्वराशि यानी कर्क में स्थित होने से जातक, सुखी होता है। तथा ऐसे जातक की पत्नी सुंदर व  धार्मिक विचारों को अपनाने वाली होती है।
  2. सातवें भाव में चंद्र ग्रह का उच्च राशि यानी वृषभ में स्थित होने से, विवाह के बाद जातक का भाग्योदय होता है।
  3. चंद्र ग्रह का सप्तम भाव में अपनी नीच राशि यानी वृश्चिक में स्थित होने से, जातक का (व्यभिचारी) चरित्र अच्छा नहीं होता है। साथ ही इन जातकों को वैवाहिक जीवन से सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती  वह किसी भी विषय पर बहुत देर तक सोच-विचार करता रहता है।

सातवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव में वैवाहिक जीवन 

जब चंद्रमा किसी जातक की  कुंडली में सातवें भाव में है तो, उनको एक अच्छा वैवाहिक जीवन मिलता है  । लेकिन अन्य पहलुओं या नियुक्तियों की जांच व सलाह के बिना इसका पूर्ण आश्वासन नहीं दिया जा सकता है। लेकिन इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि यह जातक के वैवाहिक जीवन को एक समग्र खुशी और स्थिरता प्रदान करेगा। ज्योतिष में चंद्र ग्रह को सत्यता का प्रतीक माना गया है और हम सभी जानते हैं कि प्रेम, स्नेह और संबंध के मामले में सत्यता या ईमानदारी एक महत्वपूर्ण कारक है।

इसके अलावा, यदि सातवें  भाव में चंद्रमा विराजमान है, तो प्रेम-विवाह भी हो सकता है, क्योंकि जिस व्यक्ति के पास यह प्लेसमेंट है, ऐसे व्यक्ति संवेदनशील, स्नेही, ईमानदार और विशेष रूप से रिश्ते व संबंधों के बारे में ईमानदार होते है। वह प्रेम करने वाले के साथ पूरी तरह से जुड़ना चाहेगा। ऐसे लोग हमेशा अंतरंग संबंध के लिए एक गुप्त लालसा को प्रकट करने वाले होते हैं। इसलिए प्रेम और शादी हमेशा उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यदि वे एक मजबूत संबंध बनाते हैं, तो वे उस पर गहरा प्रभाव डालते हैं। 

सातवें भाव में चंद्र ग्रह हेतु आसान उपाय

ज्योतिष में सातवें भाव में चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कुछ आसान से उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है जो इस प्रकार है-

  1. भगवान विष्णु को प्रिय, एकादशी के व्रत का पालन करें।
  2. शक्ति की देवी मां दुर्गा माता की विधिवत पूजा व आराधना करें।
  3. गौ माता को हरा चारा खिलाएं।
  4. शादी में अपनी पत्नी के वजन के बराबर चावल का दान करें।
  5. इसके साथ चंद्र ग्रह के मंत्रों का जाप करें, ज्योतिष की सलाह से मोती धारण करें।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि, कुंडली के सातवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभावों का आंकलन किया जाए तो, इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है, कि सातवें भाव में चंद्र की मौजूदगी जीवन में सकारात्मक प्रभावों का निर्माण कर सकती है। परन्तु, वह किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में ना हो तो , अन्यथा कुछ प्रतिकूल परिणामों से समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रह हेतु अशुभ प्रभावों को दूर करने लिए भी कुछ आसान से उपायों को बताया गया है। जिससे कि चंद्र के नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। जिसमें मुख्य रूप से जातक को चंद्र यंत्र की पूजा करनी चाहिए, वहीं चंद्रमा को बलवान करने हेतु आप चंद्र मोती धारण कर सकते हैं, इसके अलावा स्फटिक की माला अथवा दो मुखी रुद्राक्ष भी पहन सकते हैं।

सातवें भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- आप सातवें भाव में चंद्र ग्रह को कैसे मजबूत करते हैं?

An- चंद्र बीज मंत्र का जाप करें। “ॐ श्रं श्रीं श्रीं चन्द्राय नमः” का जाप करें। अपनी मानसिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए इस मंत्र का रोजाना 108 बार जप करें।

Q- कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से क्या होता है?

An- कुंडली में चंद्रमा की मजबूत स्थिति आपके मन मस्तिष्क को शांत रखने और जीवन में सफलता दिलाने में मदद करती है। आप चंद्रमा को मजबूत करने के लिए कुछ आसान ज्योतिष उपायों को आजमा सकती हैं।

Q- क्या? सातवें भाव में चंद्र ग्रह का होना शुभ होता है ?

An- सातवें भाव में चंद्र ग्रह का शुभ होता है, बर्शते कोई विरोधी ग्रह के प्रभाव में न हो।

Q- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी ग्रह कौन होता है?

An- सातवें का स्वामी शुक्र होता है और कारक शुक्र और बुध हैं।

Q- सातवें भाव में कौन सा ग्रह अच्छा है?

An- गुरू, शुक्र, बुध और चंद्र ग्रह सप्तम में शुभ फल देते हैं, वहीं सूर्य, शनि, मंगल, राहु और उनके प्रभाव को अशुभ फल देने वाले ग्रहों की सूची में रखा गया है।

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