Moon in 1st house | कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति से होने वाले प्रभाव व महत्व

चंद्र ग्रह

चंद्र ग्रह के कुंडली में प्रथम भाव में होने से बहुत से कई परिणाम देखने को मिलते हैं। क्युकी चन्द्र को मन का कारक कहा जाता है। और कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न के भाव में चंद्र का स्थान होने से जातक के मनोबल पर प्रभाव होता है।

हम सभी की जन्म कुंडली में,  12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन में इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए,  इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, प्रथम भाव में चंद्र ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-

प्रथम भाव में चन्द्र ग्रह (Moon in 1st house)

‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी का कहना है कि प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का अपना अलग महत्व होता है। जिसमें प्रथम भाव और इसमें चंद्र ग्रह, कुछ इस प्रकार महत्व रखते हैं-

प्रथम भाव को वैदिक ज्योतिष में स्व-भाव अर्थात स्वयं के रूप, में वर्णित किया गया है। कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा की उपस्थिति से जातक, स्वभाव से अनुकूल बनाती है। और ऐसे लोग लगातार अन्य लोगों के विचारों और भावनाओं को पूरा करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। कुंडली के इस भाव में चंद्रमा की मौजूदगी से आप अध्यात्म और विकास के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होंगे।

प्रथम भाव का चन्द्रमा जातक को कल्पनाशील बनाता है। इसके साथ ही चन्द्रमा प्रथम भाव में विदेश यात्रा के अवसर भी प्रदान करता है | ऐसे जातक घूमना-फिरना एवं भ्रमण करना पसंद करते हैं। और ये जातक अपने पुरे जीवन काल में अनेक यात्राएं व विदेश यात्रा भी करते है।

प्रथम भाव में चंद्र से प्रभावित क्षेत्र

  • सामाजिक जीवन पर प्रभाव 
  • प्रेम संबंध और रिश्ते
  • जीवन के प्रति दृष्टिकोण 
  • भावुकता या भावनात्मक दृष्टिकोण 

चंद्र ग्रह

प्रथम भाव में चंद्र ग्रह शुभ प्रभाव 

ज्योतिष शास्त्र में, चन्द्र जातक के मन, माता, मानसिकता, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, सुख-शांति, धन-वैभव, बायीं आँख, छाती आदि का कारक ग्रह होता है।

  • कुंडली के पहले भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव से आपका मां के प्रति अधिक झुकाव रहेगा। और ऐसे जातक अपनी मां प्रति अधिक भावुक भी होते हैं। और उम्र के सभी पहलुओं में भी मां की मौजूदगी की अपेक्षा करते हैं। 
  • कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र, यात्रा की संभावनाओं को बल देना का काम भी करते हैं, जिससे जातकों को विभिन्न प्रकार के अनुभवों को आत्मसात करने का मौका मिलता है।
  • चन्द्र के प्रभाव से ऐसे जातक में आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं होती। और साथ ही ये जातक अपने परिवेश के प्रति अधिक मुखर और कम संवेदनशील भी होते हैं। 
  • इस प्रथम भाव में चंद्र के अच्छे प्रभाव के कारण ऐसे जातकों को एक मजबूत भावनात्मक संबंध की आवश्यकता होती है। 
  • ऐसे लोग खुद को दूसरों के सामने अधिक बेहतर तरीके से व्यक्त करते हैं। 
  • ऐसे जातक की भावनाओं को ठेस न पहुंच जाए तो, वे खुद को अधिक बेहतर ढंग से काबू करने में सक्षम होते हैं।

यदि आप भी अपने जीवन में किसी भावनात्मक समस्या से ग्रस्त हैं, तो इसका समाधान आप हमारे अनुभवी ज्योतिष विशेषशज्ञों से प्राप्त कर सकते हैं।

प्रथम भाव में चंद्र ग्रह अशुभ प्रभाव 

कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र के होने से कुछ नकारात्मक प्रभावों का भी उल्लेख किया गया है। जो कुछ इस प्रकार हैं- 

  • प्रथम भाव में चंद्र के प्रभाव से जातक, अधिक भावुक होते हैं। और यदि ये अपने विचार किसी से साझा नहीं कर पाते, तब वे खुद को उन सभी से दूर करने का प्रयास करते हैं। 
  • पहले भाव में चंद्रमा से प्रभावित लोग किसी भी बात को आसानी से नहीं छोड़ते । ये लोग सभी भावनात्मक मुद्दों को निजी तौर पर लेते हैं। 
  • ऐसे लोग मुश्किल परिस्थितियों में मदद के लिए तो आगे आ सकते हैं, लेकिन वे इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देखते । 
  • ऐसे लोगों की तार्किक क्षमता,विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लेने में सहायता नहीं करेगी। और आपकी भावनाएं आप पर नियंत्रण करने लगती हैं।

ज्योतिष के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा विराजमान होते हैं। उन्हें अपने मन व भावनाओं पर काबू रखने की आवश्यकता है। अन्यथा आपको इसके बुरे परिणाम और कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपको अपने सभी भावनात्मक पहलुओं व मानसिक गतिविधयों को छोड़ने या उनसे दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। 

ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रह को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। हालांकि खगोलीय दृष्टि में चंद्रमा को पृथ्वी ग्रह का एक प्राकृतिक उपग्रह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इसके द्वारा व्यक्ति की चंद्र राशि ज्ञात की जाती है। हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों में चंद्र ग्रह, अलग-अलग रूप से प्रभाव डालते  है। उन प्रभावों को के बारे में आप इस लेख में विस्तृत रूप से जान सकते हैं।

प्रथम भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- चन्द्रमा प्रथम भाव में हो तो क्या होता है?

An- चंद्रमा आपकी कुंडली के प्रथम भाव (लग्न भाव) में हो तो ऐसे जातक स्वभाव से काफी भावनात्मक होते हैं। इन्हें सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। ऐसे जातकों को गायन और वादन में रुचि होती।

Q- प्रथम भाव का स्वामी ग्रह कौन है?

An- प्रथम भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है।

Q- चन्द्र ग्रह का क्या महत्व है?

An- चंद्रमा का ज्योतिष में बहुत महत्व बताया गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा माता, मनोबल, धन-संपत्ति आदि के कारक होते हैं।

Q- क्या चंद्र ग्रह प्रथम भाव में अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं?

An- हां, चंद्र ग्रह सामान्य तौर पर प्रथम भाव में शुभ परिणाम प्रदान करते हैं।

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