Mercury and Ketu conjunction | कुंडली के विभिन्न भावों में, बुध-केतु की युति, व्यक्तिगत व व्यावसायिक जीवन के लिए उत्कृष्ट परिणाम

बुध-केतु की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में बुध-केतु की युति- वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बुध और केतु का संयोजन यह इंगित करता है कि, जब बुद्धि और संचार का ग्रह बुध, छाया ग्रह केतु के संपर्क में होगा तो, यह जातक को अनुसंधान,जांच और विचार करने की प्रतिक्रिया देगा। इसे हम यह भी कह सकते हैं कि, जब विश्लेषणात्मक और गणनात्मक, बुध ग्रह ; गूढ़ और दिशाहीन केतु के संपर्क में आता है तो कुंडली का वह स्थान नकारात्मक प्रभाव दे सकता है। जिससे जातक की बुद्धि, विषम और व्यवहार को सांसारिक समन्वय से अलग महसूस करेंगे। 

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ज्योतिष शास्त्र में, बुध अच्छे संचार कौशल के साथ बुद्धिमान, बुद्धि और हास्य का प्रतिनिधित्व करता है। जो जातक की  विपरीत परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता को तेज करता है। इसी के साथ बात करें केतु ग्रह की तो यह, 

एक मायावी ग्रह है, इसलिए केतु के प्रभाव में आने वाले जातक के लिए किसी भी घटना के बारे में तर्कसंगत रूप से सोचना कठिन हो जाता है। यह जातक को भौतिकवाद से अलग कर देता है और अपनी गतिविधियों और विचार प्रक्रिया के प्रति आत्म-आलोचनात्मक बना देता है।

कुंडली में सकारात्मक प्रभाव में बुध व केतु की युति किसी भी जातक को उसके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में उत्कृष्ट परिणाम देगी । सकारात्मक गुणों के रूप में बुध व केतु अच्छे संचार कौशल का आशीर्वाद देती है। जो कि बुद्धिमान और गहन-उन्मुख ज्ञान द्वारा समर्थित होगी। ये जातक जन्मजात गणनात्मक क्षमता के साथ अच्छे विचार रखने वाले होते हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध व केतु की युति कानूनी और वित्तीय विश्लेषण में अच्छे करियर का आशीर्वाद देती है। 

कुंडली में यदि, बुध व केतु का नकारात्मक संकेत है तो, ऐसे जातक गहन शोध या आध्यात्मिकता से संबंधित कार्यों में अधिक रूचि रखने वाले होते हैं। इन जातकों को किसी भी मामले पर भाषण की अभिव्यक्ति को बनाए रखने में असमर्थता महसूस होगी। इनके जीवन में संचार और अभिव्यक्ति से सम्बंधित अजीब घटनाएं भी घटित हो सकती हैं।

जो दूसरों के लिए प्रासंगिक नहीं होगी। और आपके संचार का सार और महत्व बे बुनियाद हो जाएगा। युति के नकारात्मक प्रभाव में, जातक बहुत झिझक या बातूनी स्वभाव वाले हो सकते है। 

ज्योतिष में बुध को वाणी का कारक कहा जाता है। अतः इसका प्रभाव भी जातक के बोलने की क्षमता को तार्किक बनाता है। इसके साथ ही बुध व केतु की युति से जातक, मानसिक परेशानियों का शिकार भी हो सकता है। कुल-मिलाकर हम इतना कह सकते हैं कि इस युति का प्रभाव किसी भी अर्थ के साथ कुछ मुद्दों के लिए अच्छा होगा तो कुछ बुरा भी हो सकता है। ऐसे जातक का मन हमेशा बहुत घबराहट की स्थिति में रह सकता है। लेकिन साथ ही बुध व केतु का संयोग जातक को अद्भुत गणना की क्षमता प्रदान करता है। बुध और केतु की युति से प्रेम संबंधों या मित्रता में दरार पैदा कर सकती है। ऐसे जातक को अपने रिश्तेदारों से भी समस्याएँ मिल सकती है।

पहले भाव में बुध- केतु की युति

कुंडली के पहले भाव में बुध और केतु की युति के प्रभाव में जातक को शिक्षा संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य के सम्बन्ध में, बुध व केतु की युति के कारण कुछ त्वचा संबंधी एलर्जी हो सकती है। ग्रहों के शुभ प्रभाव में जातक की वाचाल क्षमता तार्किक होती है। वे अपनी किसी भी बात को बड़े तथ्य व तर्क संगत होकर दूसरों के सामने पेश करते हैं। जातकों के प्रेम संबंधों या मित्रता में अनबन हो सकती है। पारिवारिक जनों के साथ विवाद की स्थिति बन सकती है।

कुंडली के दूसरे भाव में बुध व केतु की युति के कारण जातक को पारिवारिक मतभेद का सामना करना पड़ सकता है। माता पक्ष से भी अनबन या विवाद हो सकता  है। अतः ज्योतिष  की सलाह में परिवार में अनावश्यक वाद-विवाद से बचें, अन्यथा यह हानिकारक परिणाम दे सकता है। संपत्ति संबंधी परेशानियां आने की संभावना हो सकती है। 

कुंडली के तीसरे भाव में बुध और केतु की युति से जातक को व्यवसाय/व्यापार संबंधी यात्रा के अच्छे अवसर प्राप्त हो सकते हैं। पारिवारिक विवाद में भाई-बहनों के बीच अनबन हो सकती है। जीवनसाथी से रिश्ते खराब हो सकते हैं। जातक को साझेदारी में व्यवसाय न करने की सलाह दी जाती है अतः साझेदारी सोच-विचार कर ही करें। 

कुंडली के चौथे भाव में बुध और केतु की युति से जातक के किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए शुभ नहीं मानी जाती है।  अतः धैर्य से काम लेना चाहिए। माता पक्ष के स्वास्थ्य संबंधी चिंता हो सकती है। इसलिए इस दौरान मां की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है। घर-परिवार में वरिष्ठजनों से वाद-विवाद होने की संभावना है। धैर्य रखने से लाभ हो सकता है। 

कुंडली के पांचवे भाव में बुध और केतु की युति के कारण जातक को संतान प्राप्ति में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। युति के शुभ प्रभाव में जातक को उच्च शिक्षा हेतु विदेश में पढ़ाई करने का अवसर मिल सकता है। संतान को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

कुंडली के छठे भाव में बुध और केतु की युति वाले जातक अपने शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होते हैं। जो जातक सरकारी काम से जुड़े हैं उनके लिए अच्छा समय होगा व सफलता मिलेगी। इसके साथ ही क़ानूनी मामलों में अगर कोई काम कोर्ट में लंबित है तो उन्हें मंजूरी मिल सकती है। कोई जातक लम्बे समय से यदि बीमार है तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होगा। 

कुंडली के सातवें भाव में बुध और केतु की युति जातक के लिए व्यवसाय में उतार-चढ़ाव की स्थिति देने वाली हो सकती है। लेकिन मेहनत करने से अच्छे परिणाम व लाभ मिल सकते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते में परेशानी और तनाव उत्पन्न होने की संभावना है। इस दौरान जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। 

कुंडली के आठवें भाव में बुध और केतु की युति के कारण जातक को आर्थिक रूप से उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। जातक को ससुराल पक्ष से अनबन हो सकती है। मानसिक तनाव के रहते स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए, तनाव से बचने की कोशिश करें। 

बुध-केतु की युति

कुंडली के नौवें भाव में बुध और केतु की युति के कारण जातक को बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ेगा। 

लेकिन संघर्ष के बाद के परिणाम आशाजनक मिलेंगे। युति के अशुभ प्रभाव के चलते पिता पक्ष के स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। जीवनसाथी का अच्छा सहयोग मिलेगा। पारिवारिक मतभेद होने की संभावना है। ज्योतिष के अनुसार इस भाव में बुध व केतु की स्थिति जातक के लिए उतार-चढ़ाव भरी रहेगी। 

कुंडली के दसवें भाव में बुध और केतु की युति के प्रभाव में जातक कोई नया कार्य शुरू करने के विचार में हो सकता है। साथ ही शत्रु पक्ष से सावधान रहने की सलाह है। अन्यथा आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।  अपनी योजनाओं के बारे में किसी को बताने से बचें। इस समय व्यावसायिक गतिविधियां सफल रहेगी और काम के लिए अच्छे संपर्क प्राप्त होंगे। 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में बुध और केतु की युति के कारण जातक की रूचि एक से अधिक कार्यों को करने में नहीं होगी। 

 वें एक समय एक ही कार्य करने का प्रयास करेगा। जातक को अपने प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। सरकारी नौकरी करने वालों के लिए समय अनुकूल परिणाम देने वाला होगा। कार्यस्थल पर कार्य की सराहना होगी। जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सकता है। 

कुंडली के बारहवें भाव में बुध और केतु की युति से प्रभावित जातक जातक को उनके द्वारा की गई मेहनत से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। फिजूल खर्चों में वृद्धि होगी। युति के अशुभ प्रभाव में आप कानूनी मामलों में फंस सकते हैं। जो लोग उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं उन्हें सफलता मिलेगी। 


Q. कुंडली में यदि बुध व केतु की युति हो तो क्या होता है?

An. ज्योतिष के अनुसार, बुध और केतु का संयोजन यह इंगित करता है कि, जब बुद्धि और संचार का ग्रह बुध, छाया ग्रह केतु के संपर्क में होगा तो, यह जातक को अनुसंधान,जांच और विचार करने की प्रतिक्रिया देगा। इसे हम यह भी कह सकते हैं कि, जब विश्लेषणात्मक और गणनात्मक, बुध ग्रह ; गूढ़ और दिशाहीन केतु के संपर्क में आता है तो कुंडली का वह स्थान नकारात्मक प्रभाव दे सकता है। जिससे जातक की बुद्धि, विषम और व्यवहार को सांसारिक समन्वय से अलग महसूस करेंगे।

Q. क्या बुध व केतु मित्र ग्रह हैं?

An. केतु बुध, शुक्र और शनि ग्रह के साथ मित्रता का भाव रखते हैं। मित्रता में बृहस्पति तटस्थ रहता है। सूर्य, चंद्रमा और मंगल केतु के शत्रु हैं।

Q. ज्योतिष के अनुसार केतु कुंडली के कौन से भाव में बलशाली होता है?

An. कुंडली के अंतिम भाव, मोक्ष भाव में होने से केतु बलवान होता है। और ऐसे जातक आध्यात्मिक, समाज की मदद करने वाला, दान देने वाला होता है।

Q. क्या बुध व केतु की युति अच्छी है?

An. कुंडली में सकारात्मक प्रभाव में बुध व केतु की युति किसी भी जातक को उसके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में उत्कृष्ट परिणाम देगी । सकारात्मक गुणों के रूप में बुध व केतु अच्छे संचार कौशल का आशीर्वाद देती है। जो कि बुद्धिमान और गहन-उन्मुख ज्ञान द्वारा समर्थित होगी।

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