Mercury and Rahu Conjunction | कुंडली के विभिन्न भावों में बुध-राहु की युति, बलशाली प्रभाव में होंगे अनगिनत लाभ

बुध-राहु की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में बुध-राहु की युति के प्रभाव- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध ग्रह को संचार कौशल, बुद्धिमत्ता, और हास्य का कारक माना जाता है। जो जातक को परिस्थितियों के आधार पर निर्णय व सोचने-समझने की तीव्र क्षमता देता है। इसके साथ ही बात करते हैं राहु ग्रह की, तो यह ड्रैगन का सिर शरीर के बिना चंद्रमा का उत्तरी नोड है। जो मन के विकास में एक बड़ी भूमिका निर्वाह करता है। यह ज्ञान को विभाजित करता है और संतुष्टि के लिए आधिकारिक स्थिति के साथ भौतिक सुख-सुविधाओं के प्रति लालसा उत्पन्न करता है। लेकिन यह जातक को हमेशा की तरह बेचैनी भी देता है। इन दोनों ग्रहों के साथ होने से ‘जड़त्व’ नाम का अशुभ योग बनता है। ज्योतिष की दृष्टि में यह बहुत ही अशुभ योग माना जाता है। 

ज्योतिष में, बुध, बुद्धि व संचार का प्रतिनिधित्व करता है। जब बुध व राहु साथ में युति बनाते हैं तो यह बिना किसी कष्ट के अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता, संचार कौशल का आशीर्वाद दे सकती है। लेकिन कमजोर स्थिति के बुध व राहु जातक को असाधारण सामग्री के साथ अत्यधिक संचार समस्या भी दे सकती है। शुभ प्रभाव में, जातक की वाचाल क्षमता प्रभावित होती है। बुध-राहु की युति अपने सकारात्मक चरण में जातक को उत्कृष्ट संचार कौशल का उपहार दे सकती है। जो विशेष रूप से दूसरों को मंत्रमुग्ध करने वाले परिणाम देती है। बुध-राहु की युति में राहु आपको बुद्धिमान और समझदार बनाता है जो चिंता के विषय पर आपकी अनिच्छा के बावजूद दूसरों से लाभ प्राप्त करने की क्षमता रखता है। ऐसे जातकों को उनके जीवन और परिस्थितियों के प्रति अद्वितीय गुणवत्ता का आशीर्वाद मिलता है।  

यदि किसी कुंडली में बुध व राहु सकारात्मक प्रभाव में हो तो, यह जातक की बुद्धि है व तर्क क्षमता को सबसे अधिक प्रभावित करता है। ऐसे जातक बहुत सटीक, मजाकिया और चतुर स्वभाव के होते है।  जहां वें अपनी बुद्धिमानी के माध्यम से दूसरों से लाभ प्राप्त करने में कुशल होते हैं। ऐसे जातक विपरीत परिस्थिति में भी अपने आप को बहुत अच्छे से संभाल लेते हैं। सकारात्मक बुध व राहु का संयोजन बृहस्पति के समान गुणों देने का काम करता है। जिसके प्रभाव में जातक के पास जीवन के प्रति एक सुनियोजित व विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण होगा।  

यदि किसी जातक की कुंडली में, बुध व राहु नकारात्मक प्रभाव यह जातक के विश्लेषणात्मक भाग को प्रभावित करती है। जिसमें राहु धोखे से भौतिक सुख प्राप्त करने के प्रयास में रहेगा। जो जातक के जीवन में घटनाओं व समृद्धि के लिए वांछनीय नहीं होगा। बुध व राहु के  नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक को अतिशयोक्ति के साथ गलत विचार से संबंधित मामले पर दृढ़ विश्वास के साथ दूसरों को धोखा देने का भाव आएगा। आप स्वयं की संपत्ति के लिए भी लाभ प्राप्त करने के भ्रम का सामना करेंगे। फिर भले ही आपको दूसरों पर जीत हासिल करने के लिए झूठी नैतिकता ही क्यों न दिखानी पड़े।

  • पहले भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के पहले भाव में बुध के साथ राहु की युति वाले जातक छोटे कद-काठी के होते हैं। लेकिन वें अपनी अच्छी तार्किक क्षमता से दूसरों को आकर्षित कर लेते हैं । ऐसे जातक एक राजकुमार की भांति जीवन व्यतीत करते हैं और दिखने में भी परफेक्ट होते हैं। इसके साथ ही इस भाव में, राहु और बुध की युति वाले जातक में नैतिकता की कमी होती है। जातक स्वभाव से चंचल हो सकता है। उनके एक से अधिक प्रेम संबंध हो सकते हैं। वें संचार में कुशल होते हैं। उनकी प्रवृत्ति हाजिर जवाब होती है।  ये जातक झूठ बोलने में माहिर हो सकते हैं इसलिए इनका झूठ कोई आसानी से नहीं पकड़ पाता। 

  • दूसरे भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के दूसरे भाव में, राहु और बुध की युति से प्रभावित जातक की वाचाल क्षमता अच्छी हो सकती है। वह मधुर वक्ता हो सकता है। लेकिन ऐसे लोग केवल दिखावे मात्र ही मीठा बोलते हैं। साथ ही ऐसे जातक झूठ बोलने या गलत बयान देने में माहिर हो सकता है। वें आसानी से अपनी बातों के पाखंड में दूसरों को फसा लेते हैं। वे अपनी किसी एक बात पर कायम नहीं रहते।  वह वाणी में तार्किक हो सकता है। 

  • तीसरे भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के तीसरे भाव में बुध व राहु की युति वाले जातक में अद्भुत साहस होता है। ऐसे लोग किसी से नहीं डरते। कुल-मिलाकर इन जातकों की मानसिक शक्ति मजबूत होती है। लेकिन साथ ही उसे दूसरों के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने की भी बुरी आदत होती है। तीसरे भाव में राहु और बुध की युति से प्रभावित जातक को झूठा अहंकार रखने वाले होते हैं। अपने दिखावे के लिए वे असंभव कार्य को भी करने से पीछे नहीं हटते हैं। 

  • चौथे भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के चौथे भाव में बुध व राहु की युति वाले जातक स्वभाव से  लालची होते हैं। जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण भौतिकवादी होता है। जातक धन को लेकर चिंतित रहेगा व नैतिकता की कमी रहेगी। इस भाव में राहु और बुध की युति के कारण जातक के प्रेम संबंध बनते हैं। ऐसे लोग विपरीत लिंग को आसानी से आकर्षित कर सकते हैं। जातक को अपने पहले रिश्ते में ही ब्रेकअप का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही राहु और बुध के प्रभाव से जातक का मन अशांत रहता है। उनके मन में कई प्रकार के विचार आते हैं व  एकाग्रता की कमी होती है। 

  • पांचवे भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के पांचवे भाव में बुध व राहु की युति वाले जातक को संतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक शल्य चिकित्सा द्वारा भी संतान की प्राप्ति कर सकता है। कभी-कभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी गर्भपात का कारण बन सकते है। या संतान को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक की संतान बुद्धिमान और तेज दिमाग वाली हो सकती है। जातकों को संतान सुख की कमी हो सकती है। 

  • छठे भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के छठे भाव में राहु और बुध की युति वाले जातक तर्कसंगत स्वभाव वाले होते हैं। इन जातकों में तेज दिमाग के साथ अच्छी तर्क क्षमता होती है। इन जातकों की मानसिक शक्ति बहुत तेज होती है। ऐसे जातक दिखावे के लिए किसी भी प्रकार का जोखिम लेने में डरते नहीं हैं। छठे भाव में बुध व राहु के प्रभाव में कई गुप्त शत्रु हो सकते हैं। जो, उन्हें किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने या धोखा देने की कोशिश करेंगे। लेकिन ये जातक उन्हें किसी तरह से हराने में सक्षम होंगे। अत: शत्रुओं के कारण मानसिक तनाव भी हो सकता है। 

  • सातवें भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के सातवें भाव में बुध व राहु की युति के कारण जातक स्वभाव से चालक व चुलबुला होता है। उनके कई प्रेम संबंध हो सकते हैं। इन जातकों की रूचि प्रेम विवाह करने में हो सकती है। वे विपरीत लिंग के लोगों को सरलता से आकर्षित करने वाले होंगे। विवाह के दौरान किसी प्रकार की समस्या या पारिवारिक झगड़े का सामना करना पड़ सकता है। कई बार विवाह में देरी भी हो जाती है। जातकों में नैतिक आचरण का अभाव होता है। जिससे जातक का अपनी पत्नी से मतभेद हो सकता है। सामान्यतः अपने जीवनसाथी से विवाद होता रहता है। दोनों का एक दूसरे के प्रति विश्वास नहीं रहता। और आपसी सहयोग की कमी रहती है। 

  • आठवें भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के आठवें भाव में बुध व राहु की युति वाला जातक अच्छी अंतर्ज्ञान शक्ति वाले होते हैं। ऐसा गुण एक गहरी अनुभूति प्रदान करने वाला होता है। इस असाधारण शक्ति के कारण जातक को जीवन में बहुत समस्या आ सकती है। खासकर जब वहाँ बहुत सारे एकल हों। साथ ही वे मतिभ्रम से पीड़ित हो सकते हैं। राहु और बुध की युति वाला जातक जुए से धन कमाने की मानसिकता वाला होता है। उन्हें स्वाभाविक रूप से सट्टेबाजी में रुचि हो सकती है। लेकिन  कुंडली में राहु और बुध की शुभ या अशुभ स्थिति के आधार पर ही वह सट्टेबाजी से कमाता है या नुकसान का सामना करता है। 

बुध-राहु की युति
  • नौवें भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के नौवें भाव में बुध व राहु की युति जातक और उसके पिता के बीच मजबूत रूप से वैचारिक मतभेद पैदा कर सकती है। वह स्वभाव से धोखेबाज हो सकता है। जातक का अपने पिता से अलगाव भी हो सकता है। जातक का अपने पिता से भी अच्छा लगाव होता है, लेकिन परिस्थितियों के कारण वे एक-दूसरे से दूर भी रह सकते हैं। उनके पिता का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। उन्हें एलर्जी संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। कभी-कभी पिता को श्वास रोग हो जाता है। इसके साथ ही बुध व राहु की युति लालची स्वभाव को दर्शाती है। धन संबंधी मामलों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

  • दसवें भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के दसवें भाव में बुध व राहु की युति वाले जातक भौतिकवादी दृष्टिकोण रखने वाले होते हैं। वे स्वभाव से धन के लालची हो सकते हैं। ऐसे लोग संचार में अच्छे हो सकते हैं। जातक अपनी वाणी से बेईमान हो सकता है। रचनात्मकता राहु और बुध की युति के सर्वोत्तम गुणों में से एक है। अतः, जब राहु दसवें भाव में बुध के साथ संयोग में आता है तो, जातक रचनात्मक दिमाग वाला हो सकता है। इन जातकों को रचनात्मक गतिविधियों जैसे- नाटक, ग्राफिक डिजाइन, कंप्यूटर से संबंधित  गतिविधियां, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, आदि में अच्छी सफलता मिल सकती है। 

  • ग्यारहवें भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के ग्यारहवें भाव में, बुध व राहु की युति वाला जातक बहुत सुंदर व आकर्षक दिखता है। वे अपने दुर्लभ संचार के तरीके से दूसरों को आकर्षित कर लेते हैं। ताकि, वे जनता के बीच लोकप्रिय हो सके। जातक मित्र बनाने में माहिर हो सकता है। इन जातकों का मित्र मंडल बहुत विशाल हो सकता है। वे अपने लाभ के लिए अपने मित्रों का भी उपयोग करते हैं। जातक में भौतिक इच्छाओं की अधिकता होती हैं। वह स्वभाव से धन का लालची हो सकता है। कभी-कभी इच्छाएं उसकी सीमा से आगे बढ़ जाती हैं, जो उनके जीवन में निराशा का कारण बन जाती हैं। 

  • बारहवें भाव में बुध-राहु की युति

कुंडली के बारहवें भाव में बुध व राहु की युति वाले जातक स्वभाव से कुछ अधिक बातूनी हो सकते हैं। वह मिथ्या (झूठ) बोलने वाले होते हैं। वे अपनी प्रतिबद्धताओं पर भी कायम नहीं रहते। कभी-कभी वह पाखंड रचने में भी शामिल हो सकता है। कुंडली के इस भाव में राहु और बुध की युति होने पर जातक का स्वभाव लालची होता है। संसार के प्रति उनका दृष्टिकोण भौतिकवादी होता है। ऐसे लोग अपने फायदे के लिए किसी भी तरह की धोखाधड़ी या गैरकानूनी गतिविधि कर सकते हैं। 

कुल-मिलाकर यह निष्कर्ष निकलता है कि, बुध व राहु का संयोजन शारीरिक, मौखिक और मानसिक रूप से काम करता है। क्योंकि जब दो या दो से अधिक ग्रह एक साथ आते हैं तो उन ग्रहों की ऊर्जाएं भी एक साथ होने पर एक संचयी या मिश्रित परिणाम देते हैं। इसके अलावा यह भी कह सकते हैं कि इस दुनिया के अधिकांश मिलियन-डॉलर घोटालेबाजों की कुंडली में यह बुध व राहु का संयोजन अवश्य होगा। जहां बुध या तो लाभकारी रूप से अशुभ है या कुंडली में अन्य कोणों के कारण पीड़ित है। 


Q. कुंडली में बुध-राहु के संयोजन से कौन सा योग बनता है?

An. इन दोनों ग्रहों के साथ होने से ‘जड़त्व’ नाम का अशुभ योग बनता है। ज्योतिष की दृष्टि में यह बहुत ही अशुभ योग माना जाता है। जिसमें जातक बुरी आदतों का शिकार हो सकता है।

Q. कुंडली में बुध व राहु की युति का क्या प्रभाव होता है?

An. ज्योतिष में, बुध, बुद्धि व संचार का प्रतिनिधित्व करता है। जब बुध व राहु साथ में युति बनाते हैं तो यह बिना किसी कष्ट के अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता, संचार कौशल का आशीर्वाद दे सकती है। लेकिन कमजोर स्थिति के बुध व राहु जातक को असाधारण सामग्री के साथ अत्यधिक संचार समस्या भी दे सकती है। शुभ प्रभाव में, जातक की वाचाल क्षमता प्रभावित होती है। बुध-राहु की युति अपने सकारात्मक चरण में जातक को उत्कृष्ट संचार कौशल का उपहार दे सकती है।

Q. क्या, बुध व राहु का संयोजन शुभ होता है?

An. कुंडली में, बुध व राहु ग्रह साथ में आने पर जातक को शारीरिक, मौखिक और मानसिक रूप से प्रभावित करते है। क्योंकि जब दो या दो से अधिक ग्रह एक साथ आते हैं तो उन ग्रहों की ऊर्जाएं भी एक साथ होने पर एक संचयी या मिश्रित परिणाम देते हैं।

Q. कुंडली के पहले भाव में, बुध व राहु की युति का क्या प्रभाव होता है?

An.  कुंडली के पहले भाव में बुध के साथ राहु की युति वाले जातक छोटे कद-काठी के होते हैं। लेकिन वें अपनी अच्छी तार्किक क्षमता से दूसरों को आकर्षित कर लेते हैं । ऐसे जातक एक राजकुमार की भांति जीवन व्यतीत करते हैं और दिखने में भी परफेक्ट होते हैं।

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