Ghatak Kaalsarp | घातक कालसर्प योग | जानिए आशय, प्रभाव एवं किए जाने वाले उपाय

घातक कालसर्प योग

Ghatak Kalsarp Yoga

घातक कालसर्प योग: जब केतु चतुर्थ भाव में एवं राहु दशम भाव में विराजित हो तो “घातक कालसर्प योग” निर्मित होता है। इस योग से प्रभावित जातक यदि माता की सेवा करे तो उत्तम फल,घर व सुख को प्राप्त करता है। इस योग के प्रभाव से गृहस्थ जीवन में कलेश व अशांति बनी रहती है। साथ ही रोजगार के क्षेत्र में भी कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

घातक कालसर्प योग:  प्रभाव 

इन जातकों को आप जीवन पर्यन्त सुख के लिए प्रयत्नशील होता पाएंगे;  इनके पास कितना ही सुख क्यों न हो ये पूर्ण संतुष्ट नहीं रहते। पिता का भी बिछड़ने का दुःख भी झेलना पड़ता है। इनका वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता। व्यवसाय के क्षेत्र में इन जातकों को अप्रत्याशित समस्याओं का सामना करना पड़ता है; लेकिन धन की इन्हें कोई कमी नहीं होती है। नौकरी पेशे से संबंधित जातकों को सस्पेंड या प्रमोशन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। इनके द्वारा की गई साझेदारी में भी मनमुटाव व हानि उन्हें मानसिक तनाव दे सकते हैं। इससे सरकारी पदाधिकारी भी इस योग के प्रभाव से नाखुश रहते हैं। मित्र पक्ष भी धोखा देते रहते हैं। यदि ये जातक रिश्वतखोरी, घूस  व दो नम्बर के काम की प्रवृत्ति को छोड़ दें तो, इनके जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं होगी। इन जातकों को सामाजिक प्रतिष्ठा साथ ही राजनीतिक क्षेत्र में भी बहुत सफलता प्राप्त होती है।

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यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए।  जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो।  इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता; बल्कि कुछ आसान से उपायों व पूजा विधि से यह प्रभाव कुछ हद तक कम हो जाता है।  अतः थोड़ा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। आंशिक कालसर्प दोष हेतु पहले छोटे-छोटे उपाय अवश्य कर लेना चाहिए। बहुत से आंशिक काल सर्प दोष को छोटी पूजा या छोटे-छोटे उपाय से भी इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

घातक कालसर्प योग
घातक कालसर्प योग

घातक कालसर्प योग: महत्वपूर्ण उपाय 

  • नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें व प्रत्येक मंगलवार का व्रत रखें। इसके साथ ही  हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर अर्पित करें एवं बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
  • निरंतर एक वर्ष तक विघ्नहर्ता गणेश के अथर्वशीर्ष का नित्य पाठ करें।
  • शनिवार का व्रत रखें, श्री शनिदेव का तैलाभिषेक व पूजन करें और लहसुनिया, सुवर्ण, लोहा, तिल, सप्तधान्य, तेल, काला वस्त्र, छिलके समेत सूखा नारियल, कंबल इत्यादि का समय-समय पर दान करें।
  • सोमवार का व्रत धारण कर, भगवान शिव के मंदिर में चांदी के नाग की पूजा कर अपने पितरों का स्मरण करते हुए, उस नाग को बहते जल में श्रध्दापूर्वक प्रवाहित कर दें।

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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ 


Q- कुंडली के किस भाव में अशुभ ग्रहों के साथ बनता है घातक कालसर्प योग?

An- जन्म कुंडली में जब केतु चतुर्थ भाव में एवं राहु दशम भाव में विराजित हो तो “घातक कालसर्प योग” निर्मित होता है।

Q- जातक पर क्या प्रभाव होते हैं घातक कालसर्प योग के?

An- इस योग से प्रभावित जातक यदि माता की सेवा करे तो उत्तम फल,घर व सुख को प्राप्त करता है। इस योग के प्रभाव से गृहस्थ जीवन में कलेश व अशांति बनी रहती है।

Q- घातक कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?

An- ज्योतिष के अनुसार इस दोष का प्रभाव 42 वर्षों तक रहता है।

Q- क्या, घातक कालसर्प दोष हेतु विशेष पूजा विधि की जाती है?

An- हां, घातक कालसर्प दोष हेतु विशेष पूजा विधि की जाती है।

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