शेषनाग कालसर्प योग: जब केतु कुंडली के षष्टम भाव व राहु द्वादश भाव में हो, और सभी ग्रह इसके बीच आ जाये तो, “शेषनाग कालसर्प योग” बनता है। शास्त्रों में यह योग परिगणित नहीं है किन्तु व्यवहार में लोग इस योग संबंधी बाधाओं से पीड़ित अवश्य देखे जाते हैं। इस योग के प्रभाव से जातक को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है, कोर्ट-कचहरी के मामलो में उलझा रहता है। इसके साथ ही जातक को मानसिक अशांति और बदनामी का सामना भी करना पड़ता है।
शेषनाग कालसर्प योग: प्रभाव
इस योग से पीड़ित जातकों की मनोकामनाएं हमेशा विलंब से ही पूरी होती हैं। ऐसे जातकों को अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए अपने जन्मस्थान से दूर जाना पड़ता है और शत्रु षड्यंत्रों से उसे हमेशा वाद-विवाद व मुकदमे बाजी में फंसे रहना पड़ता है। उनके सिर पर बदनामी की कटार हमेशा लटकी रहती है। शारीरिक व मानसिक व्याधियों से अक्सर उसे व्यथित होना पड़ता है और मानसिक उद्विग्नता की वजह से वह ऐसी अनाप-शनाप हरकतें करता है कि लोग उसे आश्चर्य की दृष्टि से देखने लगते हैं। लोगों की नजर में उसका जीवन बहुत रहस्यमय बना रहता है। उसके काम करने का ढंग भी निराला होताहै। वह खर्च भी आमदनी से अधिक किया करता है। फलस्वरूप वह हमेशा लोगों का देनदार बना रहता है और कर्ज उतारने के लिए उसे जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। उसके जीवन में एक बार अच्छा समय भी आता है जब उसे समाज में प्रतिष्ठित स्थान मिलता है और मरणोपरांत उसे विशेष ख्याति प्राप्त होती है।
यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए। जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो। इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता; बल्कि कुछ आसान से उपायों व पूजा विधि से यह प्रभाव कुछ हद तक कम हो जाता है। अतः थोड़ा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। आंशिक कालसर्प दोष हेतु पहले छोटे-छोटे उपाय अवश्य कर लेना चाहिए। बहुत से आंशिक काल सर्प दोष को छोटी पूजा या छोटे-छोटे उपाय से भी इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
शेषनाग कालसर्प योग: महत्वपूर्ण उपाय –
- किसी शुभ मुहूर्त में ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र की 11 माला जाप करने के पश्चात् शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव जी को प्रिय बेलपत्र आदि सामग्रियां श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। इसके साथ ही आप तांबे का बना सर्प विधिवत पूजन के उपरांत शिवलिंग पर समर्पित कर सकते हैं।
- हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल वस्त्र सहित सिंदूर, चमेली का तेल व बताशे अर्पित करें।
- मसूर की दाल का गरीबों को दान करें।
- सवा महीने जौ के दाने पक्षियों को खिलाने के बाद ही कोई काम प्रारंभ करें।
- कालसर्प दोष निवारण यंत्र घर में स्थापित करके उसकी नित्य प्रति पूजा करें और भोजनालय में ही बैठकर भोजन करें।
- किसी शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्र को विधिवत अभिमंत्रित कर धारण करें और शयन कक्ष में बेडशीट व पर्दे लाल रंग के प्रयोग करें।
- शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर अष्टधातु या चांदी का स्वस्तिक चिन्ह स्थापित करें, एवं द्वार के दोनों ओर धातु निर्मित नाग स्थापित करें।
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कुछ सवाल व उनके जवाब – FAQ
Q- किस भाव अशुभ ग्रहों के युग से शेषनाग योग बनता है?
An- जब केतु कुंडली के षष्टम भाव व राहु द्वादश भाव में हो, और सभी ग्रह इसके बीच आ जाये तो, “शेषनाग कालसर्प योग” बनता है।
Q- शेषनाग कालसर्प योग में क्या लक्षण होते है?
An- इस योग के प्रभाव से जातक को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है, इसके साथ ही जातक को मानसिक अशांति और बदनामी का सामना भी करना पड़ता है।
Q- क्या शेषनाग काल सर्प दोष में अलग पूजा विधि प्रयोग होती है?
An- हां, शेषनाग कालसर्प दोष निवारण हेतु पूजा विधि अलग प्रयोग की जाती है।
Q- क्या शेषनाग कालसर्प दोष की पूजा विधि संपन्न कर अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है?
An- हां, पूजा विधि संपन्न करने से अशुभ ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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