Moon and Jupiter Conjunction | चंद्र-बृहस्पति की युति, होगी धन संपदा, में वृद्धि व बढ़ेगा तर्क कौशल

चंद्रमा-बृहस्पति की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में चंद्रमा-बृहस्पति की युति: ज्योतिष शास्त्र में जितना महत्वपूर्ण स्थान बृहस्पति ग्रह का है, उतना ही महत्वपूर्ण स्थान चंद्र ग्रह का भी है। यह दोनों ही शुभ ग्रह माने जाते हैं। बृहस्पति को देवताओं के गुरु होने का गौरव प्राप्त है तो वहीं चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है। जिससे शीतलता प्राप्त होती हैं। अनुभवी ज्योतिष आचार्यों की गणना के बाद ज्ञात हुआ कि कुंडली में चन्द्रमा व  बृहस्पति के मजबूत अवस्था में होने पर ‘गजकेसरी योग’ बनता है। इसी प्रकार यदि कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति केंद्र में परस्पर आमने-सामने विराजमान हों तो भी यह शक्तिशाली योग बनता है। इसके अलावा यदि कुंडली में चंद्र या बृहस्पति कमजोर है, तो यह अशुभ परिणाम प्रदान करते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में चंद्र व गुरु की युति होती है, ऐसे जातक अपने ज्ञान का विस्तार करने वाले होते हैं। ऐसे जातकों का आत्मबल बहुत बलवान होता है। इसके साथ ही चंद्रमा और बृहस्पति के साथ होने पर जो ‘गजकेसरी योग’ बनता है उसके प्रभाव से जातक को गज (हाथी) के समान प्रभावशाली व्यक्तित्व मिलता है।

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ज्योतिष शास्त्र में, चंद्रमा व बृहस्पति की युति में दोनों ही ग्रहों का प्रभाव जातक के लिए लाभकारी होता है। जिसमें चंद्रमा की समझ व सहानुभूति और बृहस्पति की बुद्धिमत्ता से जातक में जिम्मेदारी, दयालुता व उदारता का भाव आता है। युति का शुभ प्रभाव जातक के लिए, एक मां समान अच्छे दृष्टिकोण वाली बुद्धि, जो अपने बच्चों के साथ उनकी क्षमता के आधार पर बहुत सारा ज्ञान प्रदान करने वाला होता है। इसके अलावा चंद्रमा व बृहस्पति की युति एक लाभकारी संयोग है। 

 जो कि परस्पर मित्रता के भाव में होते हैं। जब यह दोनों ग्रह साथ होते हैं तो एक-दूसरे की मदद करते हैं, और कुंडली में उस भाव से संबंधित अच्छे प्रभावों को अपनाकर, जातक के लिए लाभ के मार्ग खोलते हैं। 

ज्योतिष में चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है; जो कि एक जलीय ग्रह है। यह जातक के द्वारा दिए गए परिवेश के प्रति उसकी भावनात्मक प्रतिक्रिया को संचालित करता है। हम किसी भी स्थिति को किस प्रकार व कितना सोच-विचार कर करते हैं और उसके प्रति हमारी प्रतिक्रिया क्या होती है, यह चंद्र ग्रह के द्वारा ही नियंत्रित की जाती है। इसके अलावा माँ, मातृ स्वरूप, सकारात्मक और नकारात्मक भावनाओं की ताकत मुख्य आधार कुंडली में चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होता है।

वहीं बृहस्पति ग्रह, विस्तार बुद्धि और ज्ञान का ग्रह कहलाता है। जो जातक अपने संपूर्ण जीवन काल में प्राप्त करते हैं। साथ ही यह विकास, प्रचुरता, समृद्धि, उपचार, सौभाग्य, उच्च शिक्षा, कानून, लंबी यात्रा और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु ग्रह, गुरु की भांति ही जीवन के प्रति हमारे व्यक्तिगत मार्गदर्शन का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके बौद्धिक रूप ज्ञान से हम सफलता हासिल करने और आगे बढ़ने के लिए तैयार होते हैं। यह जातक के मन में मजबूत आत्मविश्वास पैदा करता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा व बृहस्पति की युति, जातक के अपने भविष्य की संभावनाओं के बारे में अत्यधिक आशावादी प्रभाव में होती है। बृहस्पति के साथ चंद्रमा की अच्छी पारस्परिक मित्रता से जातक को सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होंगे। युति के शुभ प्रभाव से जातक अपनी बुद्धि के प्रयोग से किसी भी विषम परिस्थिति से बाहर आने के लिए सही मार्गदर्शन व धैर्य के साथ लड़ने की बुद्धिमत्ता सीखते हैं। चंद्रमा अंतर्ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है और बृहस्पति रचनात्मक सोच का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए किसी भी कुंडली में इस सकारात्मक संयोजन के साथ दोनों अच्छी धारणा का आशीर्वाद दे सकते हैं जो उन्हें कुछ नकारात्मक परिणामों से बचने में मदद करता है; जो उनके कार्यों के कारण हो सकते हैं।

कुंडली में, जब चंद्रमा-बृहस्पति की युति में चंद्रमा की भूमिका बृहस्पति से मजबूत होती है, तो चंद्रमा की स्थिति के आधार पर जातक के पास सकारात्मक व नकारात्मक गुण की भी भिन्नता हो जाती है। एक अच्छी स्थिति का स्थित चंद्रमा जातक को विपरीत परिस्थिति में भी धैर्यता के साथ आशावाद बने रहने के लिए मजबूत रूप से टियर करता है। वह जातक  न केवल नए अनुभव की सीख के साथ जीवन का पोषण करेगा बल्कि दूसरों की भावनाओं के प्रति दयालु और सहायक भी होगा।

इसके साथ ही हम, चंद्रमा की कमजोर स्थिति के बारे में बात करें तो यह जातक के लिए भ्रम और भय की स्थिति पैदा करेगा। जो जातक के सोच-विचार की प्रक्रिया को अवरुद्ध कर देगी और बुद्धि का समर्थन कम या बिल्कुल नहीं के बराबर हो जाएगा; क्योंकि विफलता के लगातार डर के कारण जातक के सफलता के मार्ग में कई प्रकार के अवरुद्ध की स्थितियां बन जाती हैं।

जब चंद्रमा व बृहस्पति की युति में चंद्रमा पर बृहस्पति की मजबूत भूमिका होती है तो ऐसे जातक ज्ञान के मूल्यों और मान्यताओं को लेकर बहुत चिंतित होते हैं। बृहस्पति की मजबूत स्थिति जातक को दूसरों के प्रति उदार बनाती है और हमेशा दूसरों के साथ सलाह के रूप में अपने बौद्धिक ज्ञान को साझा करने के लिए उत्सुक रहती है ताकि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आशावाद और धैर्य के साथ अपनी सीखने की यात्रा को वास्तविकता के करीब ले जाया जा सके।

दूसरी तरफ बृहस्पति की कमजोर स्थिति से प्रभावित जातक, अपने मन और धारणा के दायरे में आशावादी कदमों के साथ एक भावनात्मक क्षेत्र की ओर अग्रसर होते हैं। जो वास्तविकता के मजबूत आधार से रहित होगा और कुछ हद तक भविष्य में निराशा का कारण भी बन सकता है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति का सकारात्मक संयोजन जातक को । चंद्रमा समझ और बृहस्पति बुद्धि प्रदान करता है जिसके प्रभाव से जातक दयालु, उदार, अच्छे विचारों और अच्छे स्वभाव के साथ-साथ चतुर और त्वरित बुद्धि वाला होगा। यह संयोजन आपको किसी भी नकारात्मक कार्य के बजाय अद्भुत कार्य करने का आशीर्वाद देगा, जिससे जातक को नकारात्मक गुणों पर अच्छाई का चयन करके सकारात्मक भावनाओं के साथ सभी की देखभाल करने की क्षमता का आशीर्वाद मिलेगा। 

बात की जाए, चंद्र व बृहस्पति युति के नकारात्मक प्रभाव की तो; इसमें जातक को विपरीत परिस्थिति में कोई भी सकारात्मक या सही निर्णय लेने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ज्योतिष के अनुसार, कमजोर चंद्रमा, किसी भी परिस्थिति में भावनात्मक मात्रा में प्रतिक्रिया के लिए उत्तरदायी होता है और वहीँ, बृहस्पति किसी भी विपरीत स्थिति में जातक को चंद्रमा गुणवत्ता बढ़ाने की क्षमता रखता है। ऐसे जातक भविष्य के लाभ या हानि की जांच किए बिना उनकी व्यक्तिगत भावनाओं के बारे में अत्यधिक आशावादी होते हैं, और यही आशा वें दूसरों से भी करते हैं। जिसके कारण कुछ हानि हो सकती है।  

चंद्रमा-बृहस्पति की युति

कुंडली के पहले भाव में चंद्र व बृहस्पति की युति यह दर्शाती है कि, जातक में एक सुखी-संपन्न व शाही जीवन शैली के साथ एक अच्छा गुरु या सामाजिक व्यक्ति बनने की क्षमता है, लेकिन सार्वजनिक रूप से उस जातक के लिए यह उसके अधीरता का एक निशान होगा। ऐसे जातक कभी-कभी गलत मार्ग पर भी जा सकते हैं और फिर भगवान पर उनकी आस्था बढ़ जाती है।

कुंडली के दूसरे भाव में, में चंद्रमा-बृहस्पति की युति जातक को जीवन में अच्छी धन-संपत्ति और अच्छी वित्तीय स्थिरता का आशीर्वाद देती है, साथ ही ऐसे जातक की वाणी व्यवस्थित और संतुलित होती है; जो अपनी अभिव्यक्ति की वाक्पटुता के कारण दूसरों को बड़ी ही सरलता से आकर्षित करती है।

कुंडली के तीसरे भाव में चंद्र व बृहस्पति का संयोजन जातक को अपने संबंधित क्षेत्रों में उनके उचित प्रयासों से अच्छे नाम और प्रसिद्धि का आशीर्वाद दे सकती है। इसके साथ ही तीसरे भाव में चंद्रमा और बृहस्पति की युति जातक को उच्च पद दिला सकती है। इस दौरान जातक के भाई-बहन भी उच्च पद को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे जातक बहुत शक्तिशाली और सम्मानित जीवन जीते है व अपनी मेहनत से धन कमाते हैं।

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा व बृहस्पति की युति जातक को पारिवारिक सुख और भौतिक संसार से लाभ प्राप्त करने का सुख प्रदान करती है। ऐसे जातक अच्छी धन-संपत्ति का लाभ प्राप्त कर सफलता हासिल करते है। साथ ही इन जातकों को माँ से, बिना शर्त, समर्थन और अटूट प्रेम का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कुंडली के पांचवे भाव में चंद्रमा-बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक अपनी अच्छी, अलौकिक बुद्धि, तर्क और ज्ञान के कारण जीवन में अच्छा धनार्जन प्रसिद्धि प्राप्त करते है। साथ ही, इन जातकों को संतान सुख के साथ-साथ पारिवारिक सुख और अच्छी प्रतिष्ठा का भी सौभाग्य प्राप्त है।

कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा और बृहस्पति की युति जातक को कमजोर बना सकती है। छठे भाव में बृहस्पति, शत्रु भाव में होता है। तो शत्रुओं का दमन होता  है, लेकिन  चंद्रमा मन और माता के लिए अच्छा नहीं होता है; तो उनका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इस भाव को कुंडली का अच्छा घर नहीं माना जाता है अतः इसमें शुभ ग्रह बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति भी जातक को अच्छे परिणाम नहीं देती है।

कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा व बृहस्पति का संयोजन, अच्छे और सहयोगी जीवन साथी के साथ-साथ, आर्थिक स्थिति और अच्छे वैवाहिक संबंधों के माध्यम से जातक को जीवनसाथी से अच्छा लाभ प्रदान करने वाला होता है। 

कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा और बृहस्पति की युति जातक को गुप्त विद्याओं की ओर ले जाती है, इस दौरान बड़े-बड़े तांत्रिक और साधु संतों के दर्शन भी हो सकते हैं। ऐसे जातक की सोच आध्यात्मिक होती है। इस दौरान जातक को अप्रत्याशित धन प्रदान भी मिल सकता है; लेकिन जातक के जीवन में परेशानियां भी आती रहती हैं।

कुंडली के नौवें भाव में चंद्रमा-बृहस्पति की युति जातक को ईश्वर और आध्यात्मिकता के प्रति अधिक रुझान देने वाली होती है इसके साथ ही ऐसे जातकों को बिना किसी प्रयास के लाभ व भाग्य का साथ मिलता है। जिससे वें बहुत सफलता प्राप्त करते हैं।

दसवें भाव में चंद्रमा-बृहस्पति की युति, करियर में अच्छे लाभ के साथ-साथ पेशेवर मोर्चे पर अच्छी पहचान और प्रतिष्ठा दिलाएगी। इस भाव में चंद्रमा और बृहस्पति के शुभ प्रभाव से जातक को उच्च पद मिलता है। जातक भाग्य से अधिक कर्म को महत्व देता है, उसे समाज में मान-सम्मान मिलता है। कुंडली का दसवां भाव व्यापार का भाव भी है। ऐसे में जातक अपने करियर में ऊंचाइयों को प्राप्त करता है।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा-बृहस्पति की युति एक से अधिक स्रोतों से आय का संकेत देती है और धन के मामले में उनके पास मजबूत स्थिरता व तर्क शक्ति होती है। ऐसे जातक को कई प्रकार से आय प्राप्त होती है, यह कम मेहनत में अधिक धन का संकेत है। ऐसा व्यक्ति घर बैठे ही धन कमाने के मार्ग खोज लेते हैं। अक्सर ऐसे लोग ब्याज पर पैसा देकर पैसा कमाते हैं और शारीरिक श्रम कम करके भी उन्हें अतुलनीय धन की प्राप्ति होती है।

कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा और बृहस्पति की युति जातक को कमजोरी देती है। जो जातक घर से दूर धार्मिक कार्यों में धन खर्च करता है वह सफलता का सूचक है। इस दौरान व्यक्ति अपने जन्मस्थान से दूर रहकर ही सफल हो सकता है । युति का शुभ प्रभाव जातक को धर्म और कर्म से संबंधित कार्यों में ले जाता है।


Q. कैसे पता चलेगा कि कुंडली में गजकेसरी योग है?

An. चंद्रमा और बृहस्पति के साथ होने पर जो ‘गजकेसरी योग’ बनता है उसके प्रभाव से जातक को गज (हाथी)के समान प्रभावशाली व्यक्तित्व देता है।

Q. चंद्रमा और बृहस्पति एक ही भाव में हो तो क्या होता है?

An.गज केसरी योग एक शुभ और शक्तिशाली संयोजन है जो बृहस्पति और चंद्रमा के एक ही भाव में स्थित होने या जब बृहस्पति चंद्रमा से केंद्र में होता है तब बनता है। इस योग में जन्म लेने वाले जातक बुद्धिमान, आध्यात्मिक, आर्थिक रूप से मजबूत और अपने और अपने पिता के लिए भाग्यशाली होते हैं।

Q. क्या, चंद्रमा-बृहस्पति की युति शुभ होती है?

An. हां, चन्द्रमा-बृहस्पति की युति शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह दोनों ही ग्रह शुभ ग्रह माने जाते हैं और परस्पर मित्रता के भाव में होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र व गुरु की युति होती है ऐसे जातक अपने ज्ञान का विस्तार करने वाले होते हैं। ऐसे जातकों का आत्मबल बहुत बलवान होता है।

Q. कुंडली के पहले भाव में चन्द्रमा-बृहस्पति की युति का क्या प्रभाव होता है?

An. कुंडली के पहले भाव में चंद्र व बृहस्पति की युति यह दर्शाती है कि जातक में एक सुखी-संपन्न व शाही जीवन शैली के साथ एक अच्छा गुरु या सामाजिक व्यक्ति बनने की क्षमता है, लेकिन सार्वजनिक रूप से उस जातक के लिए यह उसके अधीरता का एक निशान होगा।

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