विषधार कालसर्प योग: यदि केतु पंचम और राहु एकादश भाव में हो तो “विषधर कालसर्प योग” का निर्माण करते हैं। इसके प्रभाव से जातक को ज्ञान अर्जित करने में कई प्रकार की समस्याओं सामना करना पड़ता है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने में भी थोड़ी बाधा आती है एवं स्मरण शक्ति भी कमजोर होती है। इस योग के प्रभाव से जातक को संतान से कष्ट प्राप्त होते है।
विषधार कालसर्प योग: प्रभाव
जातक को नाना-नानी, दादा-दादी से लाभ की संभावना होते हुए भी आंशिक नुकसान उठाना पड़ता है। चाचा, चचेरे भाइयों से कभी-कभी झगड़ा- झंझट भी हो जाता है। बड़े भाई से विवाद होने की प्रबल संभावना रहती है। इस योग के कारण जातक अपने जन्म स्थान से बहुत दूर निवास करता है या फिर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करता रहता है। लेकिन एक समय के अंतराल के बाद जातक के जीवन में स्थायित्व भी आता है। लाभ मार्ग में थोड़ा बहुत व्यवधान उपस्थित होता रहता है। ये जातक कभी-कभी बहुत तनाव भी महसूस करते हैं। धन संपत्ति से संबंधित बदनामी की स्थिति भी पैदा हो जाती है या कुछ संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। इन जातकों को हमेशा लाभ की कामना रहती है किन्तु लाभ मिलता नहीं। संतान पक्ष से थोड़ी-बहुत परेशानी घेरे रहती है। जातक को कई प्रकार की शारीरिक व्याधियों से भी कष्ट उठाना पड़ता है। इन जातकों के जीवन का अंत प्राय: रहस्यमय ढंग से होता है।
यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए। जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो। इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता; बल्कि कुछ आसान से उपायों व पूजा विधि से यह प्रभाव कुछ हद तक कम हो जाता है। अतः थोड़ा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। आंशिक कालसर्प दोष हेतु पहले छोटे-छोटे उपाय अवश्य कर लेना चाहिए। बहुत से आंशिक काल सर्प दोष को छोटी पूजा या छोटे-छोटे उपाय से भी इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
विषधार कालसर्प योग: महत्वपूर्ण उपाय –
- पवित्र श्रावण महीने में 30 दिनों नियमित रूप से महादेव का जा से अभिषेक करें।
- सोमवार को शिव मंदिर में चांदी के नाग की पूजा करें, पितरों का स्मरण करें तथा श्रध्दापूर्वक बहते पानी या समुद्र में नाग देवता का विसर्जन करें।
- सवा महीने देवदारु, सरसों तथा लोहवान – इन तीनों को जल में उबालकर उस जल से स्नान करें।
- प्रत्येक सोमवार को दही से भगवान शंकर पर – ‘ॐ हर हर महादेव’ कहते हुए अभिषेक करें। ऐसा हर रोज श्रावण के महीने में करें।
- सवा महीने जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या होता है विषधार कालसर्प दोष?
An- जब केतु पंचम और राहु एकादश भाव में हो तो “विषधर कालसर्प योग” का निर्माण करते हैं।
Q- कैसे प्रभावित होता है जातक विषधार कालसर्प दोष से?
An- इसके प्रभाव से जातक को ज्ञान अर्जित करने में कई प्रकार की समस्याओं सामना करना पड़ता है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने में भी थोड़ी बाधा आती है एवं स्मरण शक्ति भी कमजोर होती है।
Q- क्या इस दोष में जातक को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है?
An- हां, विषधार कालसर्प दोष में जातक को शारीरिक व्याधियों का सामना करना पड़ता है।
Q- क्या विषधार कालसर्प दोष कालसर्प दोष के जैसे ही दोष है?
An- हां, विषधार कालसर्प दोष, काल सर्प दोष का ही एक प्रकार है; परन्तु इस दोष की पूजा विधि अलग होती है।