विवाह हेतु शुभ नक्षत्र का करें चयन, वैवाहिक जीवन को समृद्ध शाली बनाएं

विवाह हेतु शुभ नक्षत्र

विवाह हेतु शुभ नक्षत्र- हमारी हिन्दू संस्कृति में, वैवाहिक जीवन को सुखी व समृद्ध शाली बनाए रखने के लिए कुंडली का मिलान, शुभ नक्षत्र व विवाह की शुभ तिथि को बड़ा महत्व दिया जाता है। आधुनिक समय में कई लोग कुंडली व नक्षत्रों को लेकर इतनी गंभीरता नहीं दिखाते हैं। लेकिन हिन्दू पंचांग व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए शुभ तिथि, शुभ नक्षत्रों व शुभ मुहूर्त का ध्यान जरूर रखा जाता है। 

इसके लिए विवाह की शुभ तिथि की गणना की जाती है और इसमें भी नक्षत्रों की स्थिति और उनकी शुभता का विशेष ध्यान दिया जाता है। ज्योतिष द्वारा इनमें से कुछ शुभ नक्षत्र ऐसे होते हैं, जिनसे विवाह के बाद भविष्य में आने वाली सुख-शांति व सम्पन्नता की जानकारी प्राप्त की जाती है। इसलिए विवाह के लिए सही नक्षत्र का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही, यह वैवाहिक जीवन में यह वर-वधु के आपसी सामंजस्य, स्वास्थ्य और समृद्धि को प्रभावित कर सकता है। तो आज हम ‘मंगल भवन’ के इस लेख के माध्यम से विवाह के लिए कौन से  नक्षत्र सबसे शुभ और महत्वपूर्ण होते हैं इस विषय पर चर्चा करेंगे- 

ज्योतिष शास्त्र में, रोहिणी नक्षत्र को वैवाहिक जीवन के लिए बहुत शुभ व श्रेष्ठ नक्षत्रों में से एक माना जाता है। इस नक्षत्र पर ब्रह्मा देवता का शासन होता है। साथ ही यह चंद्र ग्रह से सम्बन्ध रखता है। इस नक्षत्र को शास्त्रों में, विकास, प्रचुरता और प्रजनन शक्ति का नक्षत्र माना जाता है। इसे भगवान कृष्ण का पसंदीदा नक्षत्र कहा जाता है और यह प्रेम, सौंदर्य और रचनात्मकता से जुड़ा है। रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि से जुड़ा होता है। इस नक्षत्र का प्रतीक एक गाड़ी या रथ है, जो जीवन की यात्रा को संदर्भित करता है। इस शुभ नक्षत्र के दौरान विवाह करना विवाहित जोड़े के लिए सौभाग्य, सद्भाव और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि, रोहिणी नक्षत्र में विवाह करने से वैवाहिक जीवन में समृद्धि, खुशी व प्रेम लंबे समय तक बना रहता है।

वैदिक ज्योतिष में, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र एक महत्वपूर्ण शुभ नक्षत्रों में से एक है। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य ग्रह है, जो कि जीवन में शक्ति, रचनात्मकता और नेतृत्व की क्षमता का प्रतीक है। यह नक्षत्र जातक के व्यक्तिगत विकास और आत्म-खोज के लिए एक शक्तिशाली नक्षत्र माना जाता है। यह नक्षत्र सिंह राशि से संबंधित होता है।  इसका प्रतिनिधित्व एक बिस्तर या एक झूला द्वारा किया जाता है। यह प्रतीक विश्राम, विलासिता और आराम का प्रतिनिधित्व करता है। यह नक्षत्र, आर्यमान देवता द्वारा शासित है और सूर्य देव से संबंधित है। वैदिक ज्योतिष में इस नक्षत्र को विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है। यह नक्षत्र समृद्धि, खुशी और सफलता का नक्षत्र माना जाता है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में किया गया वैवाहिक जीवन के लिए सौभाग्य, स्थिरता और खुशी लाने वाला माना जाता है। इस नक्षत्र में विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और समृद्धि आती है।

इस नक्षत्र को “गोल्डन हैंड” या “हैंड ऑफ क्रिएटर” के नाम से भी जाना जाता है। यह नक्षत्र चंद्र ग्रह द्वारा शासित है।

इसका प्रतीक खुला हाथ या हथेली है। ज्योतिष में हस्त नक्षत्र सावित्री देवी द्वारा शासित होता है। इस नक्षत्र को रचनात्मकता और शिल्प कौशल का नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में पैदा हुए लोग बहुत प्रतिभाशाली, मेहनती और कल्पनाशील माने जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, हस्त नक्षत्र के दौरान किया गया विवाह विवाहित जोड़े के लिए खुशी, समझ और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

वैदिक ज्योतिष में स्वाति नक्षत्र 27 चंद्र नक्षत्रों में से एक है। यह राहु ग्रह के साथ जुड़ा होता है। इसे एक युवा पौधे का प्रतीक कहा जाता है। जो हवा में झूलता है। स्वाति नक्षत्र सिर्फ एक नक्षत्र नहीं है, बल्कि अपनी आंतरिक क्षमता को खोजने का प्रवेश द्वार है। यह विकास, अनुकूलता और रचनात्मकता का प्रतीक है,स्वाति नक्षत्र पर वायु देवता का शासन है। यह नक्षत्र स्वतंत्रता और लचीलेपन का नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र के तहत जन्म लेने वाले जातक साहसी, आकर्षक और नवीन स्वभाव के होते है। स्वाति नक्षत्र के दौरान किया गया विवाह जोड़े के लिए सद्भाव, संतुलन और खुशहाल जीवन देने वाला होता है।

अनुराधा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण नक्षत्रों में से एक है। यह वृश्चिक राशि में स्थित है और हिंदू ज्योतिष प्रणाली में सत्रहवाँ नक्षत्र है। इस नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है। यह नक्षत्र कड़ी मेहनत, अनुशासन और अधिकार का प्रतीक है। अनुराधा नक्षत्र पर मित्र देवताओं का शासन है और यह शनि ग्रह से जुड़ा है। इस नक्षत्र को मित्रता, निष्ठा और भक्ति का नक्षत्र माना जाता है। अनुराधा नक्षत्र के दौरान किया गया विवाह, विवाहित जोड़े के जीवन में स्थिरता, परिपक्वता और आपसी सम्मान लाने वाला होता है। इस शुभ नक्षत्र में विवाह करने से वैवाहिक जीवन में खुशी, सफलता और लंबे समय तक प्रेम बना रहता है। 

ज्योतिष शास्त्र में, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से 21वां महत्वपूर्ण व शुभ नक्षत्र है। यह धनु राशि में स्थित होता है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के चिन्ह को एक हल द्वारा दर्शाया जाता है। जो फसलों की कटाई और सफलता प्राप्त करने में कड़ी मेहनत और समर्पण के महत्व का प्रतीक भी माना गया है। इस नक्षत्र पर सूर्य ग्रह का शासन होता है और इसके अधिष्ठाता देवता विश्वदेव हैं।  जो सार्वभौमिक सिद्धांतों और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह नक्षत्र अपने दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और प्रतिबद्धता के गुणों के लिए जाना जाता है। यह नक्षत्र विजय, सिद्धि और सफलता का नक्षत्र माना जाता है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में विवाह करने से दांपत्य जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है। 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, रेवती नक्षत्र भी सुखी व संपन्न विवाह के लिए बहुत शुभ नक्षत्र माना गया है। यह नक्षत्र दो विपरीत दिशाओं में तैरने वाली मछलियों के एक जोड़े द्वारा दर्शाया जाता है। यह राशि चक्र में अंतिम नक्षत्र है, और इसका शासक ग्रह बुध है। इस नक्षत्र के तहत पैदा हुए जातक आध्यात्मिक और दार्शनिक प्रवृत्ति के होते है। माना जाता है कि इस शुभ नक्षत्र के तहत पैदा हुए लोग, दयालु और पालन-पोषण करने वाले होते हैं। ये सभी गुण एक सफल वैवाहिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

विवाह हेतु शुभ नक्षत्र

ज्योतिष में कुछ ऐसे नक्षत्र भी होते हैं जिनमें विवाह जेसे सुबह व मांगलिक कार्य वर्जित बताए गए हैं। उन नक्षत्रों में से एक होता है पुष्य नक्षत्र। वैसे तो यह नक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है। इसके साथ ही इस नक्षत्र को बहुत शुभ भी माना गया है। परन्तु ज्योतिषीय गणना में, इस नक्षत्र को वैवाहिक जीवन के लिए वर्जित माना गया है। इसी के साथ पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में विवाह करना शुभ नहीं होता है।


Q. वैदिक ज्योतिष में शुभ नक्षत्र में विवाह करने का क्या महत्व है?

An.  ज्योतिष में, विवाह की शुभ तिथि की गणना की जाती है और इसमें भी नक्षत्रों की स्थिति और उनकी शुभता का विशेष ध्यान दिया जाता है। ज्योतिष द्वारा इनमें से कुछ शुभ नक्षत्र ऐसे होते हैं, जिनसे विवाह के बाद भविष्य में आने वाली सुख-शांति व सम्पन्नता की जानकारी प्राप्त की जाती है। इसलिए विवाह के लिए सही नक्षत्र का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

Q. कौन से नक्षत्र में विवाह नहीं करना चाहिए?

An. ज्योतिष में कुछ ऐसे नक्षत्र भी होते हैं जिनमें विवाह जेसे सुबह व मांगलिक कार्य वर्जित बताए गए हैं। उन नक्षत्रों में से एक होता है पुष्य नक्षत्र व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र। इन नक्षत्रों को  विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

Q. क्या, शुभ नक्षत्र में वैवाहिक जीवन सुखी रहता है?

An. हिन्दू संस्कृति में, वैवाहिक जीवन को सुखी व समृद्ध शाली बनाए रखने के लिए कुंडली का मिलान, शुभ नक्षत्र व विवाह की शुभ तिथि को बड़ा महत्व दिया जाता है। यह वैवाहिक जीवन में यह वर-वधु के आपसी सामंजस्य, स्वास्थ्य और समृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

Q. सबसे भाग्यशाली नक्षत्र कौन सा है?

An. ज्योतिष में, रेवती नक्षत्र को भाग्यशाली और शुभ माना जाता है।

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