Moon in 4th House |  जानें, कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह की शक्तिशाली स्थिति के बारे में

चंद्र ग्रह

वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, जन्म कुंडली के चौथे भाव (घर) में चंद्र ग्रह का ही केवल पूर्ण प्रभाव होता है क्योंकि चंद्र ग्रह को, चौथे भाव और चौथी राशि दोनों का स्वामित्व प्राप्त होता है। अतः इस भाव में  चन्द्रमा हर प्रकार से मजबूत और शक्तिशाली भूमिका निभाता है। इस भाव में चंद्र से प्रभावित जातक अपनी माँ का दुलारा होता है। इसके साथ चंद्र से सम्बन्धित सभी चीजें जातक के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होती हैं।

ज्योतिष में, जन्म कुंडली का चौथा भाव सुख का भाव या मातृस्थान(माता का स्थान) के नाम से जाना जाता है। कुंडली में यह भाव का संबंध माता, सुख, मकान, वाहन, ज़मीन, कृषि, बाग़-बगीचा, स्कूल-कॉलेज की शिक्षा, मन, तृष्णा, लालसा, महत्वाकांक्षा तथा घनिष्ठ प्रेम जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का कारक होता है। इसलिए चंद्र ग्रह का कुंडली के चौथे भाव में विराजमान होना, इस भाव के कारकों को प्रभावित करने की क्षमता प्रदान करता है। चंद्रमा का कुंडली के चौथे भाव में उपस्थिति उपरोक्त सभी कारकों में लाभ या हानि की स्थिति को निर्धारित करने या परिवर्तित करने में सक्षम होती है।

कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह: भूमिका 

शास्त्रों में, चंद्रमा को सौम्यता, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय एवं सदैव हर्षित रहने वाले ग्रह की संज्ञा दी जाती है। इसके साथ ही साथ चंद्र, मन और मातृ(माता)का कारक भी होता है। कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह की यह स्थिति  एक मजबूत स्थिति के रूप में मानी जाती है, क्योंकि वे इस भाव के कारक भी हैं। कुंडली के इस भाव में चंद्रमा की मौजूदगी से, जातक को माता के प्रति अधिक चिंता व समर्पण का भाव आता है और ऐसे जातक का अपनी माता और परिवार के प्रति झुकाव तथा संबंध भी अधिक गहरा रहता है। 

हालांकि चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को कुछ भावनात्मक तौर पर असंतुलित बनाने का कार्य करती है, जिससे की जातक को मानसिक तौर पर परेशान होना पड़ सकता है। क्योंकि कुंडली के चौथे भाव का संबंध  मानसिक स्थिति से भी होता है। कुंडली के इस भाव में चंद्रमा की उपस्थिति से जीवन की प्राथमिकताएं, परिवार के प्रति रवैया, काम व पेशा, लक्ष्य व महत्वाकांक्षा जैसे क्षेत्रों में भी कुछ सकारात्मक तथा नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

जब चंद्र ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली के चौथे घर में गोचर करेगा, तो यह घरेलू चिंताओं में रुचि का विकास करता है। इसके साथ ही शायद स्वयं के लिए स्थिरता की नींव रखने और निर्माण करने की अधिक इच्छा जागृत होगी। यह जातक में भावनात्मक और शारीरिक सुरक्षा और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करता है, इसके अलावा स्टॉक और रियल एस्टेट, खरीद जैसे दीर्घकालिक क्षमता वाले विभिन्न निवेशों के प्रति भी रुचि पैदा कर सकता है। ऐसे  में इस समय जातक वित्त और अचल संपत्ति की दुनिया में अन्य चीजों के अलावा पीढ़ीगत धन और स्थिरता प्राप्त करने के साधन को जुटाने के लिए भी आकर्षित हो सकते हैं। साथ ही अपने परिवार शुरू करने की संभावना की ओर भी अधिक आकर्षित होने की संभावना है।

इसके अलावा ऐसे जातकों को घर छोड़ने या परिवार के किसी सदस्य के साथ रहने की अनुमति देने के लिए मजबूर भी किया जा सकता है। 

इसके अलावा ऐसे जातक, एक पूर्ण सदन के प्रकार की स्थिति में, अपने परिवार के विस्तारित सदस्यों के साथ संबंध जोड़ने के विचार के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाता हैं। ऐसे जातक अपने दीर्घकालिक सुरक्षा के प्रति उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अधिक स्मार्ट तथा अधिक विचारशील कदम उठाने के लिए प्रयास शील रहते हैं। इसके अलावा, इस समय, जातक अपनी वंशानुगत में एक बढ़ी हुई रुचि का अनुभव कर सकते हैं और शायद अपने परिवार रुपी पेड़ के उन हिस्सों की समीक्षा कर सकते हैं जो उनके लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसे जातक पुरानी यादों में रहना पसंद कर सकते हैं और अपने बचपन से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की यादों के बारे में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित भी हो सकते हैं।

कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह 

कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह, परिवार और घरेलू मामलों की पहचान हेतु जातक को बहुत शक्ति व मजबूती प्रदान करने का कार्य करता है। ऐसे जातक संसार में हो रही बाहरी मुश्किलों और परेशानियों का सामना करने से स्वयं को यथा संभव दूर रखने का प्रयत्न करते हैं। कुछ ऐसे परिस्थितियां भी आती हैं जिसमें ये जातक अपना बसा-बसाया घर छोड़कर अपने मूल परिवार में लौटने का भी प्रयत्न कर सकते हैं। जिन जातकों की कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह विद्यमान होते है, वे अपने मूल घर या निवास स्थान को किसी आश्रय स्थल की तरह देखते हैं। ऐसे जातक अपने परिवार के सदस्यों या मित्रों के साथ अपने सामंजस्यपूर्ण संबंधों में भावनात्मक सुरक्षा का अनुभव भी करते हैं। हालांकि जब ये रिश्ते तनावपूर्ण स्थिति में हो जाते हैं, तो वे बहुत असुरक्षा का भी अनुभव कर सकते हैं। जिससे उनके भावनात्मक दृष्टिकोण में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलता है। 

सामान्य तौर पर, इस भाव से प्रभावित जातक अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करते हैं। परन्तु, यदि उनके जीवन में संघर्ष अधिक हो, तो वे अपने जीवन को पुनः खुश हाल बनाने का यथा संभव प्रयत्न कर सकते हैं। 

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वैसे अगर देखा जाए तो ज्योतिष की दृष्टि से कुंडली के चौथे भाव में चंद्र की स्थिति को मजबूत माना जाता है, लेकिन कुछ अन्य ग्रहों के प्रभाव में यह स्थिति प्रतिकूल प्रभाव भी दे सकती है। चंद्रमा चौथे भाव के कारक होकर, राशि चक्र की चौथी राशि कर्क के स्वामी भी कहलाते हैं। अतः कुंडली के चौथे भाव में बैठे चंद्रमा से प्रभावित व्यक्ति की आंतरिक प्रकृति बहुत भावुक होती है। ऐसे जातकों के लिए वास्तव में जो चीजें असल में महत्वपूर्ण हैं, वे ही आत्म सुरक्षा, और गोपनीय भी होती हैं। इसलिए दिन प्रतिदिन के जीवन में प्रकृति और भावनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करना इन जातकों के लिए दूसरों की अपेक्षा में प्राथमिक होती तथा अधिक महत्वपूर्ण होती है।

चौथे भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव और सुझाव 

जैसा की पहले भी हमने बताया, कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह के कारण जातक में अत्यधिक भावुक होने की क्षमता आती है, जिसके कारण ये जातक आत्म सुरक्षा पर अधिक ध्यान देते हैं। ऐसी परिस्थिति के कारण वे अपनी भावनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी असमर्थ रहते हैं। ऐसे जातक चंद्र के प्रभाव में भावनात्मक तौर पर अधीन होते है, जिससे वे अपनी वित्तीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए बेहद चिंतित रहते हैं। ऐसे जातक अक्सर यह महसूस करते हैं कि यदि उनकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है, तो वे अधिक स्थिर हो जाएंगे। 

ऐसे जातक बिना परिवार के सहयोग के व्यक्तिगत संबंध बनाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। ऐसे जातकों को ज्योतिष की सलाह में, अपने लक्ष्यों को अधिक व्यावहारिक और यथार्थवादी बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, इन जातकों को लंबे समय तक स्थिर रहने और अपनी योजनाओं को वास्तविकता प्रदान करने हेतु गंभीरता से अनुसरण करने की भी कोशिश करनी चाहिए।

  1. अपने जीवन में लाभ कमाने के लिए दूध का खोया बनाना अथवा दूध बेचना आदि कार्य से आमदनी तथा जीवन में मानसिक शांति पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा इसलिए इन कार्यों से बचें।   
  2. दूसरों के प्रति व्यभिचार और अनैतिक संबंध जातक की प्रतिष्ठा और आर्थिक मामलों के लिए हानिकारक होगा इसलिए इससे बचाव आवश्यक है।
  3. कोई भी शुभ या नया काम शुरू करने से पहले, घर में दूध से भरा कोई घड़ा या पात्र आवश्यक रूप से रखें 

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चतुर्थ भाव में चंद्र ग्रह का करियर पर प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष का गणित यह बताता है कि, जिस भी जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में चन्द्र ग्रह  (Moon in Fourth House) विराजमान होते है; ऐसे जातक सरकार में मंत्री पद या सरकारी नौकरी  प्राप्त करता है। जिसमें मंत्री का पद या नौकरी चन्द्रमा की अवस्था के ऊपर निर्भर करेगा। इसके साथ ही ऐसा जातक स्वभाव से दयालु, परोपकारी और भावुक होता है। व्य हम यह भी कह सकते हैं कि, इन जातकों में आत्मविश्वास व संतोष के भाव की कुछ अधिकता पाई जाती है।

  • चौथे भाव में चंद्र ग्रह की सप्तम दृष्टि 

चतुर्थ भाव में चंद्रमा के स्थित होने से, उसकी सप्तम दृष्टि दशम भाव पर पड़ती है। अतः ज्योतिष में, चंद्रमा की दशम भाव पर दृष्टि के प्रभाव से जातक, जलीय व्यापार(जल से सम्बंधित) नौकरी करने से लाभ प्राप्त करेगा।

  • चंद्रमा का चतुर्थ भाव में अपनी मित्र राशि में प्रभाव

यदि चंद्र ग्रह कुंडली के चौथे भाव में अपनी मित्र राशि में विराजमान हो तो ये जातक, अपनी माता, भूमि, तथा वाहन का अधिक सुख प्राप्त करते हैं। 

  • चंद्रमा का चतुर्थ भाव शत्रु राशि में प्रभाव 

कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह के स्थित होने से, जातक को मानसिक शांति नहीं मिलेगी। साथ ही माता पक्ष से सुख का अभाव रहेगा। जमीन और मकान से भी लाभ नहीं होगा।

  • कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह का अपनी स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव
  • चंद्र ग्रह के चौथे भाव में अपनी स्वराशि, कर्क में स्थित होने से जातक में चतुराई आती है। ऐसे जातक की माता दीर्घायु होती है।
  • चंद्रमा का चतुर्थ भाव में अपनी उच्च राशि, वृषभ में स्थित होने के कारण जातक को सुख-सुविधा युक्त भवन (घर) में रहने को मिलता है तथा उसे माता से विरोध, स्नेह व लगाव रहता हैं। ऐसे जातक अनेक वाहन के मालिक भी होते हैं।
  • चंद्रमा का चतुर्थ भाव में अपनी नीच राशि, वृश्चिक में स्थित होने के कारण, ऐसे जातक की माता को कुछ कष्ट हो सकता है तथा मकान व वाहन सुख नहीं मिलता। इसके साथ ही, ऐसे जातक को मानसिक बेचैनी का आभास होता है।
चंद्र ग्रह

चतुर्थ भाव में चन्द्रमा का राशि के अनुसार फल

ज्योतिष के अनुसार, यदि चतुर्थ भाव में चन्द्र ग्रह,  वृषभ राशि का है तो ऐसे जातक को ससुराल पक्ष से धन संपत्ति प्राप्त होती है। साथ ही ऐसे जातक का भाग्योदय भी विवाह के बाद ही होता है। यदि चन्द्रमा मेष, सिंह, धनु, (पुरुष राशि या अग्नि तत्त्व) में हो तो ऐसे जातक को पैतृक सम्पत्ति का सुख नहीं मिलता या उसे किसी कारणवश छोड़ना पड़ सकता है या जितना मिलना चाहिए उतना नहीं मिलता है। परन्तु यदि व्यक्ति स्वयं के बल से धन अर्जित कर लेता है, तो ऐसे जातक को पैतृक संपत्ति का लालच नहीं करना चाहिए कुल मिलाकर, मिल गया तो ठीक है नहीं तो अच्छा ऐसा मानकर इन जातकों को अपने परिवार से मधुरता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। 

  • निष्कर्ष

कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि, कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की उपस्थति, इस बात की सूचक है, कि जातक अपने मूल परिवार और सम्बन्धियों से अत्यधिक भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं। हालांकि, यदि ये जातक परिवार के प्रति अपनी भावनाओं को कम करने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें अधिक लाभ मिल  सकता है। जिन जातकों की कुंडली के चौथे भाव में चंद्र ग्रह विराजमान है, उन्हें भावनात्मक रूप से स्वयं को मजबूत करने की कोशिश करते हुए, अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए।

चौथे भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- कुंडली में चौथा भाव किसका होता है?

An- चौथा भाव जातक के घर और परिवार का प्रतीक है। यह माता के साथ आपके संबंध और घरेलू जीवन पर आपके दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। इस भाव में ग्रह आपके पारिवारिक जीवन की ओर जाने वाली बहुत सारी ऊर्जा का संकेत दे सकते हैं।

Q- चौथे भाव का स्वामी कौन होता है?

An- भाव का स्वामी ग्रह चंद्र होता है और कारक भी चंद्र ग्रह है।

Q- अगर आपका चौथा घर खाली है तो क्या होगा?

An- चौथा भाव खाली होने का मतलब यह नहीं है कि आप अशुभ है, बल्कि इसका मतलब है कि आपको कई चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इस प्रकार, चौथे घर के खाली होने से आपके माता-पिता के साथ एक बेहद मजबूत बंधन हो सकता है, और उन बंधनों को बनाए रखने के लिए अन्य लोगों की तुलना में आसान समय होगा।

Q- मेरा चौथा भाव क्या है?

An- चौथा भाव राशि चक्र के बिल्कुल नीचे बैठता है और आपके जीवन की नींव रखता है। यह वह क्षेत्र है जो आपकी जड़ों और आपके बसेरे पर राज करता है, आपके मूल परिवार से लेकर आपके घर की सजावट शैली भी प्रभावित होती है।

Q- चतुर्थ भाव में कौन सा ग्रह अच्छा है?

An- चूंकि चंद्रमा मां का प्रतीक है, इसलिए खगोलीय पिंड चौथे घर का प्रतीक है। चतुर्थ भाव में मंगल और शनि की स्थिति कमजोर बताई गई है। वहीं दूसरी ओर, यह बुध और शुक्र के लिए सबसे अच्छा भाव है।

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