Jupiter in 1st house | जानें, कुंडली के प्रथम भाव में गुरु के शुभ व अशुभ प्रभावों के बारे में

गुरु ग्रह

Jupiter in 1st house

यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में गुरु ग्रह(बृहस्पति) विराजमान है तो;  ऐसे लोग अपने सात्विक और सद्गुणों के आधार पर चारों ओर आदर व सम्मान प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक सभी प्रकार के भौतिक सुखों को प्राप्त करते हैं। चाहे फिर सीखने और शिक्षा से वंचित हो। परन्तु धनवान होते हैं। ऐसे जातक को शत्रु का भी भय नहीं रहता, और वें पूर्ण रूप से स्वस्थ होते है।

ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में,  12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं,  तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए,  इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, प्रथम भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति  ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है- 

गुरु ग्रह प्रथम भाव में (Jupiter in 1st house)

ज्योतिष शास्त्र में प्रथम भाव को ‘स्व-भाव’ अर्थात स्वयं के रूप, में वर्णित किया गया है। यह, जातक की शारीरिक स्थिति, सामान्य व्यक्तित्व लक्षण, स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा, बचपन, और जीवन के प्रारंभिक शैशवकाल पर भी शासन करता है। वहीं बात की जाए बृहस्पति ग्रह की- जिसे इंग्लिश में Jupiter कहा जाता है। यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। समस्त देवताओ में इन्हें ‘गुरु’ की संज्ञा दी जाती है। बड़ो के आशीर्वाद, ज्ञान, एवं अधिकारी वर्ग से सम्मान हमें गुरु की कृपा द्रष्टि के बिना मिल पाना असंभव है। जन्म कुंडली में गुरु के प्रथम भाव होने से जातक को कुछ इस प्रकार परिणाम प्राप्त होते हैं। 

‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी का कहना है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है।  प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। प्रथम भाव में गुरु की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-

Acharya Devika

प्रथम भाव में गुरु ग्रह के अच्छे और बुरे प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में प्रथम भाव का बृहस्पति सामान्य उत्तम फल ही देता है। 

  1. गुरु के प्रभाव से आप एक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। और साथ ही आप बलवान व  दीर्घायु व्यक्ति हैं। 
  2. गुरु के शुभ प्रभाव से आप उदार, स्पष्ट वक्ता और स्वाभिमानी होंगे। ब्राह्मणों(पुरोहित) और देवताओं के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा होगी। और आप दान-पुण्य व धार्मिक कार्यों में भी आपकी गहरी आस्था होगी। 
  3. आप अपना कार्य पूर्ण लगन और विचार के साथ करेंगे। नए स्थानों पर भ्रमण करने के शौकीन होंगे । धार्मिकता, अध्यात्म और रहस्यमयी विद्याओं में आपकी गहरी रुचि होगी। 
  4. आप सत्य की राह पर चलने वाले और न्यायप्रिय व्यक्ति होंगे। आपको अन्य बड़े पक्षों के माध्यम से मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होगी। 
  5. अशुभ प्रभाव में कभी-कभी झूठी अफवाहों के कारण आपको कष्ट भी हो सकता है। शत्रु पक्ष से आपको विषुवत कष्ट हो सकते हैं। 
  6. ज्योतिष के अनुसार आपके शरीर में वात और श्लेष्म जनित रोग होने की संभावना हो सकती है।

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इसके अलावा यदि आप पुलिस, सेना या सरकारी विभाग से जुड़े हैं तो; लग्नस्थ (प्रथम भाव)का  बृहस्पति आपके लिए हानिकारक होगा। विशेषकर तब, जब आप घूसखोरी करते हैं। अत: इससे बचाव सलाह दी जाएगी। और साथ ही घमंड और व्यभिचार से भी दूर रहना आपके लिए अच्छा होगा। 

  1. आप अपना अधिक धन भौतिक साधनों पर खर्च करेंगे। आपको अपने जीवन में स्त्री व पुत्र सुख भी प्राप्त होगा। और आपका पुत्र दीर्घायु होगा। 

गुरु ग्रह प्रथम भाव में होने से अशुभ प्रभाव हेतु सुझाव 

  1. प्रथम भाव में बुध के प्रभाव से, जातक में दूसरों के मामलों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप या बाधा उत्पन्न करने की प्रवृत्ति होती है। हालांकि वे जानबूझकर ऐसा नहीं करते। लेकिन फिर भी उन्हें इस संबंध में सावधान रहने की आवश्यकता है। 
  2. इसके साथ आपको सलाह दी जाती है कि आपके द्वारा किसी को कोई हानि या चोंट न पंहुचे। या आप किसी मुसीबत में पड़ने की संभावना से भी स्वयं को दूर रखने का प्रयास करें। 
  3. इसके अलावा ऐसे जातक किसी ख़राब स्थिति को संभालने के मामलों में कमज़ोर पड़ जाते हैं। और जब सँभालते हैं; तब तक देर हो चुकी होती है, कि ये उसे बदल पाना संभव नहीं हो पाता। 
  4. ज्योतिषियों का कहना है कि हालांकि स्वतंत्र रहना अच्छी बात है।  लेकिन, इससे दूसरों पर किसी भी प्रकार का अत्याचार नहीं करना चाहिए।
गुरु ग्रह

प्रथम भाव में गुरु ग्रह : निष्कर्ष

कुंडली के प्रथम भाव में बृहस्पति की स्थिति से जातक बुद्धिमान, आध्यात्मिक व धार्मिक कार्यों से जुड़ते हैं। साथ ही ये प्रबुद्ध स्वभाव के भी होते हैं। ज्योतिष के अनुसार इनमें सकारात्मकता और उत्साह की कोई कमी नहीं होती। इसके अलावा आप एक बहुत समृद्ध व्यक्तित्व के धनी होते हैं। हालांकि, आपको दूसरों से व्यवहार करते समय सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।

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द्वितीय भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति
तृतीय भाव में गुरु ग्रह बृहस्पतिचतुर्थ भाव में गुरु ग्रह बृहस्पति
गुरु ग्रह बृहस्पति पंचम भाव मेंगुरु ग्रह बृहस्पति षष्टम भाव में
गुरु ग्रह सप्तम भाव मेंअष्टम भाव में गुरु ग्रह
नवम भाव में गुरु ग्रहदशम भाव में गुरु ग्रह
ग्यारहवें भाव में गुरु ग्रहगुरु ग्रह बारहवें भाव में

कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ 


Q- गुरु (बृहस्पति) का प्रथम भाव में क्या प्रभाव होता है?

An- जन्म कुंडली के प्रथम भाव में बृहस्पति के प्रभाव से जातक ज्ञानी और बुद्धिमान बनाता है । यही गुण जातक को आत्मनिर्भर बनाते हैं। गुरु के शुभ प्रभाव से जातक को सीखने, धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति  रूचि देता है।

Q- प्रथम भाव में गुरु जातक को कैसा फल प्रदान करते हैं?

An- प्रथम भाव में गुरु जातक को सामान्यतः शुभ फल ही प्रदान करता हैं।

Q- प्रथम भाव के स्वामी ग्रह कौन हैं?

An- प्रथम भाव के स्वामी ग्रह मंगल होते हैं।

Q- क्या, प्रथम भाव में गुरु के प्रभाव से जातक को समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

An- नहीं, प्रथम भाव में गुरु के शुभ ग्रहों के साथ होने से जातक को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

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