ज्योतिष गणना से यह ज्ञात किया गया है कि, जन्म कुंडली में आठवें भाव में, शनि और मंगल का साथ पाया जाता है, इसलिए इस भाव में राहु ग्रह जातक को अशुभ फल देता है। ऐसे जातक का फिजूल धन खर्च कोर्ट के केसों के पीछे व्यर्थ हो जाता है। इसके साथ ही जातक के पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह हमारी कुंडली के 12 भावों में से किसी भाव में विराजमान होते हैं, तो इसका प्रभाव हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से शुभ व अशुभ दोनों तरह से होता है। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, आठवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
आठवें भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 8th house): भूमिका
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।
कुंडली में अष्टम भाव यानी आठवां भाव ‘आयु भाव’ कहलाता है। यह भाव कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण भावों में से एक है। इस भाव में ऋण, मृत्यु, दीर्घायु और अचानक अप्रत्याशित घटनाओं जैसी चीजों से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की जाती है। हालांकि जातक की कुंडली में अष्टम भाव अशुभ परिणाम देता है। परन्तु शुभ ग्रह के स्थान से यह जातक के लिए शुभ होता है।
आठवें भाव में राहु ग्रह: सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव
- आठवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से, आप शारीरिक रूप से मजबूत होंगे। साथ ही आपको अपने जन्म स्थान में दूर रहना पड़ सकता है अर्थात आप अधिकांश समय विदेश में रह सकते हैं।
- आप राजाओं, सरकारी अधिकारियों और पंडितों का आदर करने वाले होंगे। राहु के शुभ प्रभाव से आप लोगों में मानवीय और प्रशंसित होंगे।
- आप हमेशा श्रेष्ठ कर्मों को करने में विश्वास करेंगे।
- ज्योतिष के अनुसार, आपका भाग्योदय छब्बीस से छत्तीस वर्ष के बीच हो सकता है।
- राज्य पक्ष की ओर से आपको पर्याप्त धन प्राप्त होगा; लेकिन कभी-कभी धन की व्यर्थ हानि भी हो सकती है। हालांकि आप धनवान व्यक्ति होंगे।
- संतान पक्ष से आपको पुत्र की संख्या कम होगी। राहु के शुभ संयोग में आपका बुढ़ापा(वृद्धावस्था) बहुत सुखी होगा।
- रूचि के अनुसार आप गाय पालन भी कर सकते हैं और आपके पास पशुधन पर्याप्त मात्रा में होगा।
- आपको अपने जीवन से जुड़ी कई बातों का पूर्वानुमान करने में सक्षम होंगे हो।
- अशुभ राहु की स्थिति कई प्रकार के अशुभ फल भी देता है। जिसके प्रभाव के कारण आप कुछ हद तक भीरु और आलसी स्वभाव के हो सकते हैं।
- आपका स्वभाव से जल्दबाज और वाचाल होगा हो। आप कुछ ऐसे कार्य भी कर सकते हैं; जो धार्मिक या सामाजिक दृष्टि से सही नहीं होते।
- आपको पैतृक धन-संपत्ति का सुख भी नहीं मिलेगा। आपको अपने भाई-बंधुओं से कष्ट मिल सकता है।
- आपके खर्चे अधिक होने के कारण आपको धन संचय में परेशानी होगी।
- राहु ग्रह अशुभ दृष्टि होने पर जातक कई लोगों के प्रति शत्रुता का भाव भी रखने वाले होते हैं और ऐसे जातक दूसरों के साथ वाद-विवाद कर सकते हैं जो उनके और दूसरों के मन की शांति को बिगाड़ सकता है।
- अष्टम भाव राहु का प्रभाव जातक को तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और पैरानॉर्मल के अन्य पहलुओं की ओर झुका सकता है।
- मूल निवासी झूठे बीमा दावे और नकली निवेश भी शुरू कर सकते हैं। वे भ्रामक तरीकों में पड़ सकते हैं और उन कौशलों को धारण करने का दिखावा कर सकते हैं जो वास्तव में उनके पास नहीं हैं। साथ ही राहु के पीड़ित होने से आर्थिक नुकसान, शारीरिक कमजोरी, खराब जीवनशैली आदि विकार भी हो सकते हैं।
यदि आपके जीवन में भी आप समस्याओं का सामना कर रहें हैं तो अभी’ मंगल भवन’ संपर्क करें और समाधान पाएं।
निष्कर्ष
आठवें भाव में राहु से प्रभावित जातक भले ही रहस्यमय न हों लेकिन वे जटिल रहस्यों को सुलझाने में सक्षम होते हैं। इन जातकों में खुफिया एजेंसियों, जासूसों आदि जैसे व्यवसायों में उच्च पद प्राप्त करने की क्षमता होती है। इसके अलावा शोध कार्य में भी ये अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें अनावश्यक विवादों और कानूनी मामलों से बचाव का सुझाव दिया जाता है। वे अपनी ताकत पर भरोसा कर अपनी कमजोरियों को दूर कर सकते हैं।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में राहु ग्रह के प्रभाव
राहु ग्रह आठवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- जन्म कुंडली में आठवां भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली में आठवां भाव ‘आयु भाव’ कहलाता है। यह भाव कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण भावों में से एक है। इस भाव में ऋण, मृत्यु, दीर्घायु और अचानक अप्रत्याशित घटनाओं जैसी चीजों से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की जाती है।
Q- क्या, कुंडली में आठवें भाव में राहु शुभ होते है?
An- नहीं, कुंडली के आठवें भाव में राहु ग्रह विशेष रूप से शुभ नही माने जाते हैं।
Q- कुंडली के आठवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- कुंडली के आठवें भाव के स्वामी कारक ग्रह शनि और केतु ग्रह हैं।
Q- कुंडली के आठवें भाव में राहु ग्रह क्या परिणाम देते हैं?
An- कुंडली के आठवें भाव में राहु ग्रह से प्रभावित जातक का फिजूल, धन खर्च कोर्ट के केसों के पीछे व्यर्थ हो जाता है। इसके साथ ही जातक के पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।