Venus in 12th house | जानिए, कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह की क्या महत्वपूर्ण भूमिका होगी

शुक्र ग्रह

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह के स्थित होने से जातक तेजस्वी और वैभव प्राप्त करने वाला होता है। ऐसे जातक अपने परिवार की हर आवश्यकता को पूरा करता है। साथ ही अपनी सुख-सुविधाओं की वस्तुओं पर खर्च करने में जरा सा भी संकोच नहीं करते। इन जातकों का विवाह अपेक्षाकृत जल्दी हो जाता है और इनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है।

इस भाव में उपस्थति, शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक, वैभव शाली और तेजस्वी बनते हैं। ऐसे जातक गुणी लोगों का आदर व सम्मान करते हैं और श्रेष्ठ कर्म करने वाले व्यक्ति होते हैं। सभी गुणवान लोग भी उनका उचित सम्मान करते हैं। इन जातकों को जीवन में धन सम्पत्ति का अभाव या किसी आर्थिक समस्या का सामना नही करना पड़ता। इसके साथ ही ऐसे लोग व्यर्थ के कामों में धन खर्च करने से भी बचते हैं लेकिन अपनी सुख-सुविधा व जरूरत की वस्तुओं पर के लिए खर्च करने में संकोच नहीं करते।

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कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह की सप्तम दृष्टि

बारहवें भाव में शुक्र ग्रह के स्थित होने से, इस ग्रह की सप्तम दृष्टि, छठे भाव पर पडती है। शुक्र ग्रह की दृष्टि छठे भाव पर होने से जातक को किसी प्रकार के रोग नहीं होते व उसके शत्रु उसके उसके दबाव में रहते हैं।

  • बारहवें भाव में शुक्र ग्रह का मित्र राशि में प्रभाव
    बारहवें भाव में शुक्र के मित्र राशि में स्थित होने से जातक को धन, .यश और सुख की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक का खर्च शुभ कार्यों पर व्यय होता है।
  • बारहवें भाव में शुक्र ग्रह का शत्रु राशि में प्रभाव
    बारहवें भाव में शुक्र, शत्रु राशि में स्थित होने से जातक का स्वभाव चिडचिडा होगा उसके अस्वस्थ रहने की संभावना अधिक होती है। ऐसे जातक का खर्च अत्यधिक हो सकता है।
  • बारहवें भाव में शुक्र ग्रह का स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव

बारहवें भाव में शुक्र,  शत्रु राशि वृषभ या तुला में स्थित होने से जातक के पास सुख सुविधा के भरपूर साधन होते हैं। जातक सुखी व संपन्न होता है। इसके साथ ही बारहवें भाव में शुक्र, अपनी उच्च राशि मीन में स्थित होने से जातक ईमानदार और उदार हृदय वाला होता है। विदेश से उसे धन लाभ प्राप्त होता है। तथा इन जातकों का अपने खर्च पर नियंत्रण होता है। बारहवें भाव में शुक्र अपनी नीच राशि कन्या में स्थित होने से, जातक का धन गलत कार्यों पर खर्च होता है। साथ भी ऐसे जातक जीवन में कई प्रकार के कष्ट उठाता है।

बारहवें भाव में शुक्र ग्रह का राशि और नक्षत्र पर प्रभाव 

ज्योतिष में, कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह स्थिति, धन संचय के लिए सबसे लाभदायक स्थिति है, क्योंकि ऐसे जातकों का भाग्य, आर्थिक मामलों में उनका साथ देगा। ऐसे जातकों की कमाई के कई साधन हो सकते हैं। एन जातकों के पास अपने अधिकारों के लिए लड़ने और अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की और अपनी बुद्धिमत्ता के माध्यम से प्रतिस्पर्धा करने की कुशल क्षमता होगी। कर्क, वृश्चिक, या मीन राशि में शुक्र ग्रह की यह स्थिति जातक को धन संबंधी मामलों में चुम्बक बना सकती है और वें पेशेवर जीवन और व्यावसायिक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करते है। इसके अलावा ऐसे जातक,  एक उत्कृष्ट त्वचा विशेषज्ञ, डॉक्टर, सर्जन, दांत के चिकित्सक आदि बन सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, शुक्र की यह स्थिति जातक को यौन रोग भी दे सकती है और साथ ही, दुर्घटनाओं या दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा सकती है। ऐसे जातकों को वाटर स्पोर्ट्स या किसी भी तरह के एडवेंचर स्पोर्ट्स पर होने से सावधान रहना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातक का कम उम्र में कुछ छोटे-मोटे ऑपरेशन होने की संभावना हो सकती है। बारहवें भाव में स्थित शुक्र ग्रह, किसी विदेशी भूमि में कानूनी मुद्दों या समस्याओं के भय को दूर करता है लेकिन ऐसे जातक की जन्मभूमि पर विवाद होने की आशंका हो सकती है।

बारहवें भाव में शुक्र ग्रह का प्रेम तथा करियर पर प्रभाव 

ज्योतिष की गणना में, कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक को अपने प्रेम संबंधों के मामलों के बारे में गुप्त बनाता है और उसके सार्वजनिक प्रदर्शन से बचाता है। हालांकि, यह जातक के जीवनसाथी के प्रति स्नेह, सम्मान, प्रशंसा या ईमानदारी की कमी के कारण उनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है।

बारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक के रचनात्मकता और कलात्मक प्रतिभा का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव में शुक्र वाले जातक प्रखर और उत्कृष्ट लेखक, चित्रकार, शिक्षक, निर्देशक या प्रशिक्षक हो सकते हैं। यह रचनात्मक विचार और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक माना जाता है, ऐसे जातक वृद्धावस्था में भौतिकवाद के बिना सरल जीवन व्यतीत करने विकल्प चुन सकते हैं।

जन्म कुंडली के बारहवें भाव पर शुक्र का प्रभाव

बारहवें भाव में शुक्र ग्रह, विदेश या दूर देश में सफलता और लाभ का प्रतिनिधित्व करता है। यह जातक की छुपी हुई प्रतिभाओं को भी संदर्भित करता है। बारहवें भाव में शुक्र जातक के जीवन के हर पहलू के बारे में वास्तविक या काल्पनिक अपेक्षाओं का भी बोध करता है। इस भाव में शुक्र, जातक की इच्छाओं, और आकांक्षाओं को कुछ संघर्ष या विलंब के बाद पूरा करता है। ऐसे जातक अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर सकते हैं, विशेष रूप से अपने जन्मस्थान से दूर जाकर लाभ मिलता है।

बारहवें भाव में शुक्र, से प्रभावित जातक विदेश में अपने साथी की तलाश कर सकते हैं या विवाह के बाद दूर देश जाकर निवास कर सकते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक अपने रिश्तों के लिए प्रेम के काल्पनिक  विषय बनाते हैं। साथ ही, बारहवें भाव में शुक्र, जातक को अलगाव और एकांत प्रिय बनाता है, और वें यात्रा ब्लॉगिंग और साहसिक खेलों में कामयाब हो सकते हैं। ऐसे लोग अपने दैनिक कार्य या व्यवसाय को अलगाव में रखना पसंद कर सकते हैं। 

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र, जातक को वन अधिकारी, वन गाइड, लाइब्रेरियन या एकांत भूमि में मनोचिकित्सक बना सकता है। इसके अलावा, ऐसे जातक किसी विदेशी दूतावास, संग्रहालय, फैशन या ग्लैमर उद्योग में भी काम कर सकते हैं या यात्रा ब्लॉगर आदि बन सकते हैं। ऐसे लोग सूती, कपड़ा, वस्त्र, चिकित्सा और सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसाय में अच्छा धन प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि यह स्थिति जातक के करियर में काफी उतार-चढ़ाव भी दे सकती है। ऐसे लोग सफल तब ही होंगे; जब वें अपने प्रयासों में निरंतर जोखिम व प्रयास जारी रखेंगे। इसके साथ ऐसे जातक शराब और महिलाओं के शौकीन होते हैं और आनंददायक पार्टियों, विदेशी पर्यटन, और उच्च खर्च के साथ शानदार अभिजात्य जीवन शैली का आनंद लेने वाले होंगे।

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र के सकारात्मक प्रभाव

वैदिक की गणना में, सकारात्मक रूप से स्थित शुभ या अप्रभावित शुक्र, जातक को अपने लक्ष्यों और इच्छाओं को प्राप्त करने और एक शानदार जीवन जीने के लिए उत्साह और शक्ति प्रदान कर सकता है। यह जातक को एक आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करेगा और साथ ही कामुक भी बना सकता है।  ऐसे लोग  अक्सर विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो सकते है। ऐसे जातक अत्यधिक आनंद, उत्साह और जोश के साथ अपने जीवन का भरपूर आनंद लेते है। ऐसे जातक का जीवनसाथी इनसे हर परिस्थिति में प्रेम और समर्थन देते हैं, और यदि शुक्र उच्च, स्वराशि या मित्र राशि में स्थित है, तो यह आमतौर पर जीवनसाथी को लंबी उम्र देता है।

बारहवें भाव में शुक्र के नकारात्मक या प्रतिकूल प्रभाव

इस भाव में एक नकारात्मक रूप से पीड़ित या अशुभ शुक्र ग्रह के संपर्क से शुक्र ग्रह जातक को अपने जीवनसाथी के व्यवहार से असंतुष्ट या नाखुश कर सकता है। इसके साथ ही, आपकी यौन अपेक्षा असाधारण रूप से उच्च है और कभी भी वास्तविकता से मेल नहीं खाएंगी। ऐसे जातक अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार नहीं रह सकते हैं और आपके कई रिश्ते होंगे या गुप्त संबंध होने की आशंका भी हो सकती है। ऐसे जातक अधिक ख़र्चीले हो सकते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने और ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के लिए कर्ज या उधार भी ले सकते हैं।

शुक्र ग्रह

आपकी लग्न राशि और शुक्र बारहवें भाव में 

  • मेष लग्न के द्वादश भाव में शुक्र जातक को 40 साल की उम्र के बाद धनी और सुखी बना सकता है। कुछ लोग दो बार विवाह कर सकते हैं। इनका भाग्योदय 40 वर्ष की आयु के बाद हो सकता है। इनका वैवाहिक जीवन दीर्घजीवी हो सकता है और जीवनसाथी समर्पित स्वभाव का होगा।
  • वृष लग्न के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह विदेश में बसने और रोमांस व प्रेम विवाह में सफलता देता है। शुक्र की यह स्थिति जातक को संभोग या यौन खेलों में कुशल बना सकती है। साथ ही जातकों को निवेश, लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी से लाभ प्राप्त हो सकता है।
  • मिथुन लग्न के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह, खेल, यात्रा ब्लॉगिंग, मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के माध्यम से व्यवसाय या लोकप्रियता में सफलता तथा वृद्धि दे सकता है। इस जातकों को स्वरोजगार से भी सफलता मिलना संभव है।
  • कर्क लग्न के बारहवें भाव में शुक्र जातक को विवाह के बाद पूर्ण सुख, विलासिता, धन और सफलता से संपन्न बना सकता है। ऐसे जातक एक वफादार, बुद्धिमान और सफल जीवनसाथी के साथ अपना वैवाहिक जीवन सुखमय तरीके से व्यतीत करते हैं।
  • सिंह लग्न के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह , के प्रभाव से जातक विपरीत लिंग के प्रति आकर्षक हो सकते हैं। साथ ही  विपरीत लिंग के सहयोग से आपको धन लाभ हो सकता है।
  • कन्या लग्न के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह जातक को अपने पेशे में सफलता दिलाता है और विवाह के बाद इन जातकों के जीवन में भाग्य और स्थिरता ला सकता है। ऐसे जातक कई स्रोतों के माध्यम से धन कमा सकते हैं और साथ ही उन्हें विदेशी भूमि से लाभ की भी संभावना है।
  • तुला लग्न के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह, जातक को विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा में सफलता या कलात्मक पेशे में सफलता दे सकता है। कुछ लोग विवाह के पश्चात् विदेश में सेटल हो सकते हैं। इसके अलावा यात्रा से जीवन में लाभ होगा।
  • वृश्चिक लग्न के द्वादश भाव में शुक्र, जातक को एक अच्छा ज्योतिषी, लेखक, शोधकर्ता, मौसम विज्ञानी, वन अधिकारी, अंतरिक्ष यात्री या अंग्रेजी शिक्षक बना सकता है।
  • धनु लग्न के बारहवें  भाव में शुक्र, जातक को राजनीतिक नेता या आध्यात्मिक विद्वान बना सकता है। साथ ही ये जातक किसी धार्मिक, आध्यात्मिक या शैक्षणिक संस्थान के प्रमुख बन सकते हैं। कुछ लोगों को एविएशन या ट्रैवल इंडस्ट्री में काम के जरिए सफलता मिल सकती है।
  • शुक्र का मकर लग्न के द्वादश भाव में गोचर से जातक को सोशल मीडिया या भाषणों के माध्यम से लोकप्रियता दिला सकता है। ऐसे जातक दूतावास से संबंधित व्यवसाय या भोजन और होटल से संबंधित व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  • कुम्भ लग्न के बारहवें भाव में शुक्र,  संघर्ष, निराशा और कड़ी मेहनत के बाद सभी विलासिता और धन ला सकता है। ऐसे जातक अपने धैर्य की कई बार परीक्षा देते हैं। व्यापार और आयात-निर्यात के कारोबार में सफलता संभव है।
  • मीन लग्न के बारहवें भाव में शुक्र जातक को एक सफल राजनेता, अभिनेता, एंकर, ब्रॉडकास्ट, गायक या लेखक बना सकता है। ऐसे जातक एक सफल शिक्षक या चित्रकार भी बन सकते हैं। कुछ लोग अध्यात्म और योग के क्षेत्र में अच्छा करेंगे।

बारहवें भाव में शुक्र के ग्रह से सम्बंधित उपाय

ज्योतिष विद्वानों के द्वारा बारहवें भाव में शुक्र ग्रह से संबंधित कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जो जातक आसानी से कर बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं-

  1. शुक्रवार के दिन यथाशक्ति मीठी वस्तुओं जैसे- मिठाई, शक्कर, अन्न और वस्त्र का दान करें।
  2. प्रतिदिन रोजाना घी, दही और शक्कर का सेवन करें।
  3. प्रतिदिन साफ कपड़े पहने और सफेद रुमाल को अपनी जेब में रखें।
  4. सफेद वस्त्र नियमित रूप से धारण करें।
  5. संभवतः शरीर पर चंदन का पेस्ट और पाउडर लगाएं।
  6. अपने घर में रोजना कपूर जलाएं।
  7. रोजाना परफ्यूम या इत्र का प्रयोग करें।
  8. गुलाब जल , चंदन पेस्ट या पाउडर से स्नान करें।
  9. यथा संभव सफेद खाद्य पदार्थों का सेवन कम चीनी के साथ करें।
  10. ज्योतिष की सलाह से हीरा या ओपल, अपनी तर्जनी या मध्यमा अंगुली में धारण करें।

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निष्कर्ष 

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि, बारहवें भाव में शुक्र से प्रभावित जातक, अपने धन को शुभ कार्यों में खर्च करके आनंद का अनुभव करते हैं। इस भाव का शुक्र ग्रह जातक को, काम क्रीड़ा में निपुणता प्रदान करता है। साथ ही ऐसे जातक विपरीत लिंगियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। वें जातक अपने आचरण से सबको प्रसन्न रखने का प्रयास करते हैं और कामयाब भी होते हैं।

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- शुक्र ग्रह को कुंडली के बारहवें भाव में कैसे ठीक करते हैं?

An- ज्योतिष के उपायों द्वारा,  शुक्रवार के दिन मिठाई, शक्कर, अन्न और वस्त्र का दान करें । प्रतिदिन साफ-सुथरे कपड़े पहने और सफेद रुमाल को अपनी जेब में साफ रखें। अपने घर में रोज कपूर जलाएं।

Q- शुक्र की मित्र राशि कौन सी है?

An- शुक्र ग्रह की राशि, वृषभ व तुला वाले लोगों की मित्रता, सिंह, धनु व मीन राशि वालों से होती है। मकर व कुंभ राशि वाले लोगों की मित्रता मेष, वृश्चिक, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है।

Q- शुक्र किसकी देवी है?

An- Venus (वीनस) के रूप में जानी जाने वाली, वह रोम की शाही शक्ति का प्रतीक हैं। अपने ग्रीक समकक्ष एफ्रोडाइट की तरह, Venus प्रेम और सुंदरता से जुड़ा हुआ था, फिर भी अन्य तत्व रोमन देवी के रूप में माना जाता है।

Q- क्या? बारहवें भाव में शुक्र ग्रह शुभ होता है?

An- कुछ अन्य ग्रहों के साथ इस भाव में शुक्र ग्रह जातक को शुभ या अशुभ फल दे सकता है।

Q- मेरे कुंडली के बारहवें भाव में क्या है?

An- कुंडली के बारहवें भाव को ज्योतिष में, “अनदेखा क्षेत्र” माना जाता है, यह भाव उन सभी चीजों को नियंत्रित करता है जो भौतिक रूप से , सपने, रहस्य और भावनाओं के बिना मौजूद होती हैं। इस भाव में ग्रहों के साथ जन्म लेने वाले लोग अक्सर अत्यधिक सहज होते हैं।

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