शुक्र का नीच होना: ज्योतिष उपाय और समाधान

शुक्र का नीच होना

कुंडली में शुक्र का नीच स्थान पर होना: ज्योतिष शास्त्र में, शुक्र ग्रह को बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। शुक्र, जातक के भौतिक सुख-सुविधाओं का ग्रह माना गया है। जिससे जातक एक सर्व-सुविधाओं व संसाधन युक्त जीवन व्यतीत करते हैं। बिना शुक्र के प्रभाव के कोई भी जातक लग्जरी जीवन शैली का सुख नहीं भोग पाता। ज्योतिष में शुक्र ग्रह जातक को अच्छे और बुरे दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। 

किसी जातक का यदि शुक्र, नीच का या खराब स्थिति में हो तो यह जातक को भौतिक साधनों के सुख से वंचित करता है। शुक्र के इस दुष्प्रभाव को हम ज्योतिष के माध्यम से बताए गए कुछ आसान से उपाय कर दूर कर सकते हैं। हमारी कुंडली में शुक्र सुंदरता का, धन का, फिल्म लाइन का और पत्नी का कारक ग्रह होता है। यदि जातक की जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी या उच्च है तो वें इन सभी चीजों का सुख प्राप्त करेंगे। 

‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली में नीच स्थान के शुक्र ग्रह के प्रभाव व उसे किस प्रकार दूर किया जा सकता है इस विषय पर चर्चा करेंगे-

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जिन जातकों का शुक्र बलवान होता है वे दिखने में बहुत आकर्षक व सुंदर होते हैं। उनका व्यक्तित्व भी लुभाने वाला होता है। इन जातकों की रूचि रचनात्मक कार्यों में अधिक होती  हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग बहुत अच्छे कलाकार होते हैं। वह कला के क्षेत्र में सफलता हासिल करते हैं।

शुक्र यदि कुंडली में अच्छा है तो जातक सुख समृद्धि से परिपूर्ण होता है। और वाहनों का भी पूर्ण सुख प्राप्त करता है। शुक्र अच्छे वाले जातकों को अपनी पत्नी का पूर्ण सुख प्राप्त होता है। इन जातकों का गृहस्थ जीवन सुखी व खुशहाल होता है। ऐसे लोगों को बन संवर कर आकर्षक रहना पसंद होता है। ऐसा इसलिए होता है जब जातक का शुक्र बलवान या उच्च का होता है। कुंडली में शुक्र अच्छा हो यानी उच्च का हो, स्वगृही हो, शुभ ग्रहों से दृष्ट होकर केंद्र व त्रिकोण से संबंध बनाएं।

इसी के साथ जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र नीच या कमजोर स्थिति का होता है तब ऐसे जातक का प्रेम जीवन या गृहस्थ जीवन अच्छा नहीं रहता, ऐसे जातक कलात्मक अभिव्यक्ति या वित्त के लिए भी एक धुंधलापन प्रस्तुत करते हैं। कुंडली में नीच का शुक्र, हालांकि कुछ चुनौतियां भी दे सकता है, लेकिन यह यह विकास और परिवर्तन के अवसर भी प्रदान करता है। शुक्र द्वारा प्राप्त अशुभ प्रभावों को, ज्योतिष द्वारा बताए गए कुछ आसान से उपाय कर दूर किया जा सकता है-

जब शुक्र ग्रह किसी नीच राशि में होता है, तो यह इंगित करता है कि प्रेम, सौंदर्य, आनंद और वित्त से संबंधित मामलों में परेशानियां आएंगी। इसके साथ ही आपको रिश्तों में व प्रेम को आकर्षित करने में, स्वयं को रचनात्मक रूप से अभिव्यक्त करने में और वित्त प्रबंधन में भी कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातकों को आत्म-करुणा का मंथन करना होगा व  अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों को पहचानने की आवश्यकता भी समझनी होगी; कि यह चुनौतियां भी विकास के अवसर हैं।

क्योंकि शुक्र का कमजोर होना आपके मूल्य या क्षमता को परिभाषित नहीं करता है।

ऐसे जातकों को अपनी कुंडली में ज्योतिष परामर्श से अन्य भावों व उसमें उपस्थित ग्रहों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। जिसके साथ युति में शुक्र के शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इसके साथ ही इन जातकों को अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने, अपने रिश्तों पर अधिक ध्यान दें व उन्हें प्रेम से सींचने व पोषित करने और वित्त प्रबंधन के वैकल्पिक तरीकों की तलाश करें।

कन्या राशि, में शुक्र ग्रह नीच का होता है, इस राशि में शुक्र व्यावहारिकता, दिनचर्या और सेवा भाव को प्रभावित करता है। इस राशि के जातक समर्पण, सहायता और अपने जुनून से संबंधित व्यावहारिक कौशल को विकसित कर अपना आत्म-मूल्यांकन करने के लिए इन ऊर्जाओं का उपयोग करें।

शुक्र से प्रभावित या पीड़ित जातक प्रेम, सौंदर्य और आत्म-अभिव्यक्ति से संबंधित असुरक्षाओं को ठीक करने पर कार्य करें। ऐसे जातकों को अपने अंदर आत्मविश्वास और भावनात्मक लचीलापन का भाव लाना चाहिए।

शुक्र को अपनी कलात्मक व रचनात्मकता के लिए जाना जाता है तो ऐसे जातकों को अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक सर्व विकसित आउटलेट की तलाश करनी चाहिए, भले ही वह संपूर्ण या पारंपरिक न लगे। इसके साथ ही इन जातकों को बाहरी सत्यापन के बजाय अपने अन्दर के सृजन के आनंद पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

जातकों को सदैव अपने जीवनसाथी को आकर्षित व प्रेम पूर्वक रखने का प्रयास करना चाहिए, जिससे आपके साथी भी आपको सराहनीय दृष्टि से देखें। और इसके साथ जातक अपनी रचनात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करने या उसका शोषण करने की कोशिश न करें। 

जीवन में अनुशासन, जिम्मेदारी,  खर्च और दीर्घकालिक नियंत्रण, निर्माण की खोज व एक स्वस्थ दिनचर्या से आप अपने वित्तीय ज्ञान को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही किसी अच्छी सलाह के माध्यम से भी आपको सफलता मिल सकती है।

  • ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति परिवर्तित होती रहती है। अच्छे ज्योतिष की सलाह में स्वयं पर संयम व आत्म विश्वास रखने से भी ग्रहों का अशुभ प्रभाव नकारात्मक परिणाम नहीं देता है। इसलिए शुक्र का कमजोर होना एक अस्थायी चक्र है, जिसका समय के साथ प्रभाव कम हो जाएगा।
  • जन्म कुंडली में यदि शुक्र नीच के भाव में हो तो इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि; सब कुछ अशुभ होगा। कुंडली में अन्य ग्रहों का प्रभाव भी होता है, और शुक्र का कमजोर होना जातक की क्षमता को प्रभावित नहीं करता है।
  • हमारे अनुभवी ज्योतिष आचार्यों का मानना है कि; कमजोर शुक्र के साथ भी जातक को काम करने के लिए विशिष्ट मार्गदर्शन मिल सकता है। वे आपकी शक्तियों और चुनौतियों के बारे में अधिक जाग्रत रूप से कार्य करने में समर्थ होते हैं और आ रही चुनौतियों को दूर करने और उन्हें विकास के अवसरों में बदलने के लिए सक्षम हो सकते हैं।
  1. ज्योतिष में, चांदी का छल्ला चंद्रमा का कारक होता है। चंद्रमा से शुक्र ग्रह बलवान होता है और शुक्र के ठीक होने से बुध ग्रह भी मजबूत हो जाता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्र, शुक्र, शनि, सूर्य, राहु और बुध का दोष है तो आपको चांदी का छल्ला किसी ज्योतिष की सलाह से धारण करना चाहिए। 
  2. इसके साथ ही शुक्रवार वाले दिन नहाने के पानी में गुलाब जल का उपयोग करने से लाभ होगा 
  3. इसके साथ ही शुक्रवार का दिन शुक्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी दोनों को समर्पित है. – शुक्रवार के दिन शुक्र देव और मां लक्ष्‍मी की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही शुक्र देव के बीज मंत्र ‘शुं शुक्राय नम:’ का जाप करें, इससे लाभ होगा। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा कर, उन्हें चावल की खीर या दूध की मिठाई का भोग लगाएं।


Q.शुक्र नीच का हो तो क्या करना चाहिए?

An.शुक्रवार का दिन शुक्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी दोनों को समर्पित है. – शुक्रवार के दिन शुक्र देव और मां लक्ष्‍मी की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही शुक्र देव के बीज मंत्र ‘शुं शुक्राय नम:’ का जाप करें, इससे लाभ होगा। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा कर, उन्हें चावल की खीर या दूध की मिठाई का भोग लगाएं।

Q.शुक्र नीच का कब होता है?

An. ज्योतिष में, कुंडली के 11 डिग्री से 30 डिग्री तक शुक्र का स्वक्षेत्र है। मीन राशि के 27 डिग्री पर शुक्र ग्रह उच्च का तथा कन्या राशि के 27 अंश पर शुक्र नीच का होता है।

Q. शुक्र कमजोर होने के क्या लक्षण है?

An. अगर जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। उसे भोग-विलास का मौका नहीं मिलता, कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है। उसका खाने-पीने, गीत-संगीत या भोग विलास में मन नहीं लगता।

Q. शुक्र के लिए कौन सी अंगूठी पहनना चाहिए?

An. ज्योतिष में, चांदी का छल्ला चंद्रमा का कारक होता है। चंद्रमा से शुक्र ग्रह बलवान होता है और शुक्र के ठीक होने से बुध ग्रह भी मजबूत हो जाता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्र, शुक्र, शनि, सूर्य, राहु और बुध का दोष है तो आपको चांदी का छल्ला किसी ज्योतिषी की सलाह से धारण करना चाहिए।

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