Moon in 9th House | कुंडली में नौवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति होगी सकारात्मक और लाभप्रद

चंद्र ग्रह

कुंडली के नौवें भाव में चंद्र ग्रह की मौजूदगी जातक के संसार के प्रति मोह व सामान्य जन से अलग होने की प्रवृत्ति की संभावनाओं को दर्शाती है।  ऐसे जातक दार्शनिक दृष्टिकोण वाले होते है, और वे अपने आसपास के वातावरण और गतिविधियों के प्रति बेहद उत्सुकता रखते हैं। साथ ही इन जातकों को विभिन्न लोगों, संस्कृतियों और सभ्यताओं के बारे में ज्ञान करना भी पसंद होता है।

वैदिक ज्योतिष में, कुंडली का नौवां भाव ‘भाग्य’ का स्थान कहलाता है। इस भाव का संबंध धर्म, पिता, लंबी यात्रा, गुरु, उपदेश, अभ्यास, संशोधन, राज्याभिषेक, वैभव, संन्यास, दूसरा विवाह, अधिक उम्र में शादी, पूजा-पाठ, पुण्य और ज्ञान विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। इसके साथ ही चंद्र ग्रह का कुंडली के नौवें भाव में होने से यह भाव के गुणों तथा विशेषताओं पर भी प्रभाव होता है। कुंडली के नौवें भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति, उपरोक्त बताए गए प्रभावों को शुभ या अशुभ फल में बदलने की क्षमता रखती है।

ज्योतिष की गणना में, चंद्रमा सौम्य, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय और सदैव प्रसन्नचित्त रहने वाला ग्रह माना जाता है। इसके साथ ही चंद्रमा मन और माता का कारक ग्रह भी है। गणना के मुताबिक, कुंडली के नौवें भाव में चंद्र ग्रह सकारात्मक और हितकारी परिणाम ही देते हैं, क्योंकि इस भाव के मूल कारक सूर्य देव और गुरु (बृहस्पति) है, जो शुभ फल देने वाले ग्रह हैं। यदि कुंडली के नौवें भाव में चंद्र देव विराजमान  हो,  यह विदेश यात्रा के योग का निर्माण करते हैं। उनके विदेशी लोगों से संबंध बनाने की अधिक संभावना होती है। साथ ही ऐसे जातकों में नकारात्मकता या विपरीत परिस्थिति पर विजय पाने की श्रेष्ठ क्षमता होती है। ऐसे जातक भौतिक, मानसिक और आत्मिक तौर पर संतुलन बनाए रखने में बड़े दृष्टिकोण की क्षमता भी रखते हैं।

कुंडली के नौवें भाव में चंद्र ग्रह के अनुकूल प्रभाव लक्षण/प्रभाव

चंद्र ग्रह की अनुकूल स्थिति कुंडली के नौवें भाव पर होने से, यह जातक में सांसारिक और सामान्य से परे होने के गुण का विकास करती है। ऐसे जातक दार्शनिक दृष्टिकोण का होता है, और अपने आसपास के वातावरण और गतिविधियों के प्रति बेहद उत्सुकता रखते हैं। इसके साथ ऐसे जातक विभिन्न लोगों, संस्कृतियों और सभ्यताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में रुचि रखते हैं, कहने का अर्थ यह है कि, ऐसे लोगों की कुंडली में कई यात्राओं या विदेश यात्राओं के योग की संभावना होती हैं। इसके साथ ही इस भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव से जातक में नए- नए लोगों से जुड़ने और उनको जानने के प्रति, जिज्ञासा का भाव उत्पन्न होता है। ऐसे जातक को विदेश यात्रा के अच्छे अवसर मिलते हैं, जिससे वें बड़े परिदृश्य में उस देश के लोगों और उनकी संस्कृति को समझने की कोशिश करते हैं। तो विशेष रूप से कुंडली का नौवां भाव विदेश यात्रा से संबंध को दर्शाता है। 

इसके अलावा, चंद्र ग्रह का जल तत्व से गहरा संबंध होता है। अतः ऐसे जातक जल मार्गों से भी विदेशी यात्राएं करने के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। इन लोगो को दूसरों की अपेक्षा में, अपने सपनों को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास करने में अधिक रुचि होती है। ऐसे लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए तथा उन्हें पाने के लिए, असाधारण क्षमता रखते हैं। यदि इन जातकों के प्रयास अपने सपनों को पाने की सही दिशा में अग्रसर हैं तो, वे सफलता के शिखर पर पहुंचने की क्षमता रख सकते हैं। कुंडली के नौवें भाव में चंद्र ग्रह  की भूमिका, शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता की संभावनाओं को बलवान बनाती है। ऐसे जातकों का शिक्षा के क्षेत्र में अन्य या औसत छात्रों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं। 

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नौवें भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति, करियर के लिए एक सुखद और लाभकारी दृष्टिकोण माना गया है। इस कारण प्रभावित जातक, अपने करियर या व्यापार के क्षेत्र में किसी भी मौके के प्रति अधिक से अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित रहते हैं। साथ ही ये ऐसे जातक, रचनात्मक और कल्पनाशील होते हैं, उन्हें लोगों के चेहरे पर हंसी और सुख देख के आनंद का अनुभव होता  है। इस भाव में चंद्र गरज के अनुकूल प्रभाव से जातक, विश्वासघात जैसे स्वार्थ से दूर रहते हैं और एक भरोसेमंद व ईमानदार व्यक्ति की भूमिका निभाते हैं। कुंडली के नौवें स्थान पर चंद्रमा की स्थिति, जातक के सामान्य और औसत लोगों से बेहतर होने की संभावना को दर्शाती है। ऐसे जातक अपना स्वयं का अद्वितीय दृष्टिकोण रखने वाले होते है, और अन्य  चीजों व परिस्थितियों को देखने का अलग नजरिया रखते हैं। हालांकि इन जातकों को पुरानी कहावत “अति सर्वत्र वर्जते” का अनुसरण करते हुए, अपने और अपने परिवार की जरूरतों के लिए अपने सपनों की बलि नहीं चढ़ानी चाहिए। क्योंकि महत्वाकांक्षी होने के साथ-साथ दूसरे के दृष्टिकोण और परिदृश्य को भी समझना भी श्रेष्ठता का प्रमाण होता है। ज्योतिष की सलाह में संतुलन ही उन्हें पूर्ण बना सकता है, और इनके विकास को श्रेष्ठ बना सकता है।

प्रतिकूल लक्षण/प्रभाव

ज्योतिष में, जल तत्व के प्रधान चंद्र ग्रह, कभी किसी जातक पर नकारात्मक या प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालते, परन्तु यदि कोई विरोधी ग्रहों के प्रभाव में हो तो, वे कुंडली में नकारात्मक प्रभावों का निर्माण कर सकते हैं। अतः यदि नवम भाव में चंद्र ग्रह, किसी विरोधी ग्रह के साथ प्रभाव में है, तो वह जातक के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों का सूचक बन सकता है। परिणाम स्वरूप ऐसे जातक, कुछ चीजों के प्रति जुनूनी स्वभाव के हो सकते हैं, जो उनकी जिज्ञासा को अधिक प्रभावित कर सकती है, तथा उत्पादकता में कमी कर सकती है। ऐसी स्थिति में जातक, यात्राओं के दौरान थकान का अनुभव करने लगते हैं, जिससे उनके कार्य करने की क्षमता और जिज्ञासु स्वभाव में कमी आती है। ऐसे जातक बेचैन होने कारण, अपने लक्ष्य से भी भटक सकते हैं।

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ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में नवम भाव में बैठे चंद्र ग्रह के प्रतिकूल परिणाम के कारण दुखी होते हैं, तो वे अपने ही विचारों में लिप्त रहते हैं। हालांकि असंतोष और मुश्किल परिस्थितियां ऐसे जातकों को बेहतर तरीके से उभरने में मदद कर सकती है। वैदिक ज्योतिष में बताए गए कुछ आसान से, उपायों के कारण इन जातकों को सहायता मिल सकती है, जिसके उपयोग से जातक अपने दोषों को सफलता के अवसरों में बदल सकते हैं।

नौवें भाव में चंद्र ग्रह का करियर पर प्रभाव

कुंडली के नवम भाव में चंद्र ग्रह होने से जातक रचनात्मक होता है। इन जातकों के पास नए-नए विचारों का खजाना होता है। अतः इस भाव में चन्द्र ग्रह के शुभ प्रभाव होने से जातक  लेखक, प्रकाशक, ऑथर या टाइपराइटर के रूप में एक सफल करियर भी बना सकते हैं। ये लोग 30 वर्ष की आयु के बाद अपने करियर की ऊंचाई पर जा सकते हैं। इसके अलावा, आप इन जातकों को अपनी नौकरी में भी मन के मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही ये जातक, मनोरंजन की दुनिया में भी अच्छी प्रसिद्धि अर्जित कर सकते हैं। अपनी उम्र के 40 वर्ष की आयु के बाद, ऐसे जातक अपने दान और पुण्य की वजह से अपनी अच्छी छवि का निर्माण सकते हैं। इसके अलावा इस भाव में चंद्रमा यह दर्शाता है कि जातक उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा करेंगे। ऐसे लोग अपनी स्पेसिफिक फील्ड में उच्च डिग्री हेतु भी चुने जा सकते हैं। अपनी नौकरी में अच्छे लाभ के लिए ये लोग अंतरराष्ट्रीय यात्राएं भी कर सकते हैं।

वैवाहिक जीवन पर नौवें भाव में चंद्र ग्रह का प्रभाव

कुंडली के नौवें भाव में चन्द्र ग्रह के होने से जातक के विवाह में अधिक समय लग सकता है। ऐसे जातक को  30 साल के आस-पास की आयु में सच्चा प्यार या जीवन साथी मिल सकता है। जातकों के प्रेम विवाह, इसकी संभावना भी अधिक होती है। अपने साथ से अच्छे संबंध होने के कारण आपका वैवाहिक जीवन सुखी होगा। साथ ही यह दूसरों के लिए सफल विवाह का एक उदाहरण भी हो सकता है। ऐसे जातक अपने विवाह के बाद, अपनी आर्थिक स्थिति को भी बलशाली कर लेते हैं, क्योंकि उनको अपने जीवनसाथी से बिना शर्त के सहयोग मिलता है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि इन जातकों का जीवनसाथी उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साथ ही इन जातकों को अपने जीवनसाथी से वफादारी और ईमानदारी की उम्मीद होती है। इस प्रकार नौवें भाव में चंद्र ग्रह का प्रभाव होने से जातक का वैवाहिक जीवन सफल होता है और संबंध मजबूत होते हैं।

चंद्र ग्रह

नौवें भाव में चंद्र ग्रह की सप्तम दृष्टि

नौवें भाव में चंद्र ग्रह के स्थित होने से, उसकी सप्तम दृष्टि तृतीय भाव पर पडती है। जिसके फलस्वरूप चंद्रमा की दृष्टि तृतीय भाव में होने से जातक प्रवास व धार्मिक प्रवृत्ति का होने के साथ-साथ वह पराक्रमी भी होता है। जातक की बहने अधिक होने की सम्भावना होती है।

  1. नवम भाव में चंद्र ग्रह का मित्र राशि में प्रभाव


नौवें भाव में चंद्र ग्रह के अपनी मित्र राशि में स्थित होने से, जातक के भाग्य में वृद्धि होती है। ऐसे जातक धार्मिक कार्य करता है।

    2.     चंद्र ग्रह का नौवें भाव में शत्रु राशि पर प्रभाव

नौवें भाव में चंद्र ग्रह का अपनी शत्रु राशि में स्थित होने से जातक, धर्म के विरुद्ध आचरण करता है। ऐसे जातक के भाग्योदय होने में कठिनाइयाँ आती है।

   3.    नवम भाव में चंद्र ग्रह का स्वराशि, उच्च राशि व नीच राशि में प्रभाव 

  • इस भाव में चंद्र ग्रह के स्वराशि, कर्क में स्थित होने से जातक धर्म और शास्त्रों का ज्ञाता होता है। तथा उसे जल-पर्यटन व यात्राओं से लाभ होता है।
  • इस भाव में चंद्र ग्रह के अपनी उच्च राशि, वृषभ राशि में स्थित होने से जातक को भाग्य का अच्छा साथ मिलता है। भाग्यशाली होने के साथ-साथ इन जातकों को परिवार से सहायता प्राप्त होती है। साथ ही ये लोग दान-पुण्य के कर्म करता है। इन जातकों को अनेक शास्त्रों का ज्ञान भी होता है।
  • इस भाव में चंद्र ग्रह के अपनी नीच राशि, वृश्चिक में स्थित होने से जातक धर्म का विरोधी बनता है। इन जातकों का भाग्य साथ नहीं देता है। साथ ही जातक के हर कार्य में रुकावट आती रहती है।

नौवें भाव में चन्द्र ग्रह हेतु आसान उपाय

ज्योतिष में, नौवें भाव में चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने हेतु कुछ आसान से उपायों का उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार है-   

  1. अपने घर में अलमारी का मुख उत्तर-दिशा की ओर होना चाहिए।
  2. अपनी अलमारी में चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखने से लाभ होगा।
  3. किसी भी मंदिर में दूध का चढ़ावा करें या भिखारियों या जरुरत मंदों में बांट दे।
  4. घर की दीवार पर चंद्रमा को पेंटिंग लगानी चाहिए।
  5. अपने पास चांदी का चांद भी बनाकर रख सकते हैं।
  6. मछलियों को चावल खिलाना चाहिए।
  7. सोमवार के दिन बेसन से बनी रोटी बनाकर गाय को खिलानी चाहिए।
  8. संभव हो तो प्रतिदिन मंदिर आवश्यक रूप से जाएँ।

निष्कर्ष

अंत में हम कह सकते हैं कि, कुंडली के नौवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति का विस्तार करने पर, इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है, नौवें भाव में चंद्रमा, जातक को विदेश दौरों या विदेश से संबंध बनाने के लिए प्रेरित करने का कार्य करता हैं। नौवें भाव में चंद्रमा के प्रभाव में जातक अपने जीवन के लगभग हर क्षेत्र में अच्छा करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे जातकों के जीवन में शिक्षा और ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके साथ ही ऐसे जातक बुद्धिमान और रचनात्मक होते हैं। विशेष रूप से देखा जाए तो इस भाव में चंद्र ग्रह जातक के करियर व वैवाहिक जीवन के लिए भी शुभता का प्रतीक माना जाता है। चंद्र के शुभ प्रभाव से जातक के स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा असर नहीं होता है, सामान्यतः स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

नवम भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- नवम भाव में चंद्रमा क्या फल देता है?

An- नवम भाव में चन्द्रमा होने से जातक धार्मिक प्रवृत्ति वाला होता है। यह भाव अच्छे – बुरे कर्म, भाग्य, मूल्यों और विदेश यात्रा की संभावनाओं के बारे में बताता है।

Q- कुंडली में नवम भाव किसका होता है?

An- गुरु का,नवम स्थान का स्वामी ग्रह माना जाता है। गुरू का इस स्थान में होना उत्तम माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है इन्हें भाग्य का साथ हमेशा मिलता रहता है। धन-संपत्ति के साथ ही उन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।

Q- किस भाव में चंद्रमा शुभ होता है?

An- द्वितीय स्थान में चंद्रमा होना अति लाभकारी है। जातक के पास धन संपत्ति एकत्र होती है। ऐसा जातक बहुत अच्छा गायक या कवि होता है अथवा इन क्षेत्रों में रुचि रखता है। दूसरा भाव धन का भाव होने की वजह से चंद्रमा का इस भाव में होना, मां लक्ष्मी को प्रसन्न रखता है।

Q- चंद्रमा कौन सी राशि में नीच का होता है?

An- कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा होते हैं। इनकी दिशा वायव्य होती है। चंद्र ग्रह वृषभ राशि में उच्च और वृश्चिक राशि में नीच होते हैं।

Q- चंद्रमा की मित्र राशि कौन कौन सी है?

An- चंद्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है। चंद्रमा का किसी भी ग्रह से दुश्मनी नहीं है। चंद्रमा कर्क राशि के  स्वामी है।

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