Mars in 7th House | जानें, कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह के प्रभाव से बढ़ेगी दयालुता व होगी प्रेम में वृद्धि

मंगल ग्रह

वैदिक ज्योतिष की गणना में, कुंडली के सातवें या सप्तम भाव में विराजित मंगल ग्रह प्रभावित जातकों के लिए उनकी सबसे बड़ी ताकत, विश्वास और उनका प्रेम होता है। अतः ऐसे लोग आसानी से दूसरों के साथ किसी भी सम्बन्ध में आसानी से लंबे समय तक बने रहने की क्षमता रखते हैं। ऐसे लोगों के मन में  दूसरों के प्रति भी बहुत दयालुता व प्रेम का भाव रहता है और वे हमेशा उनके विचारों की प्रशंसा करते हैं।

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ज्योतिष में : मंगल ग्रह का महत्व 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह को स्मशा से ही अमंगल या अशुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है विशेषकर वैवाहिक जीवन व संबंधों में मामले में मंगल ग्रह की स्थिति शुभ नहीं मानी जाती है। यदि मंगल ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली के सातवें भाव में उपस्थित हो तो उस जातक के वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है और साथ ही ऐसे जातक के विवाह में या तो देरी होती है या फिर उनका वैवाहिक जीवन कष्टों व संघर्षों से भरा होता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि लोगों में मंगल ग्रह को लेकर बताई गई जानकारी के अनुसार, मंगल ग्रह को एक नकारात्मक ग्रह की संज्ञा दी गई है। हालांकि यदि मंगल ग्रह के अनुकूल प्रभाव हो तो ऐसे जातक अत्यंत महत्वाकांक्षी और दृढ़ संकल्प वाले लोग होते है। इसके साथ ही वें अदम्य साहस  व अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की अटूट लालसा वाले होते हैं। 

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह : महत्व 

इसके अलावा यदि कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह विराजमान है तो ऐसे जातक की कुंडली में मांगलिक दोष होने की संभावना बताई जाती है। इसके साथ ही यदि सातवें भाव में मंगल ग्रह किसी भी तरह से कोई अनिष्टकारी ग्रहों के साथ युति में हो तो ऐसे जातक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए तरस जाते हैं और उनका वैवाहिक जीवन संघर्ष पूर्ण होता है। 

‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम आपको कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह से प्रभावित जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में विस्तार से बताएँगे। और आशा करते हैं की यह लेख आपको पसंद आए-

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह :  प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में सातवें भाव में मंगल ग्रह का स्थान होता है, ऐसे जातकों के संबंधों में अक्सर समस्याओं का सामना करना होता हैं। इसके अलावा यदि किसी प्रकार से सातवें भाव का मंगल ग्रह यदि अशुभ ग्रह राहु या केतु ग्रह के साथ युति में तो यह जातक के लिए और भी अधिक कष्टकारी हो सकता है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष की सलाह दी जाती है कि उस व्यक्ति को मांगलिक दोष को दूर करने हेतु अनुष्ठान व पूजा इत्यादि कर उसे अशुभ प्रभावों को दूर करें व स्वयं के लिए अनुकूल जीवनसाथी की तलाश करे। 

यदि जातक ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो उनका वैवाहिक जीवन आपसी मनमुटाव के कारण संघर्ष पूर्ण व समस्याओं से ग्रस्त होगा और साथ ही ऐसे लोगों का जीवन नारकीय हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातक जल्दी ही वे अपने जीवनसाथी के अलग रहने या उससे तलाक लेने के लिए भी प्रेरित रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का सातवाँ भाव करियर, धन अर्जित करने और व्यवसाय से जुड़ा होता है। इस कारण मंगल ग्रह का प्रभाव इन सभी क्षेत्रों पर भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पड़ सकता है। 

ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार सातवें भाव में विराजित मंगल ग्रह, लग्न भाव यानी पहले भाव पर सीधी दृष्टि डालता है जिससे वह भी प्रभावित जातक के जीवन व पहले भाव से सम्बंधित क्षेत्रों पर भी इसका असर दिखाई देता है।

यदि आप भी अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं और अपने अन्दर की आध्यत्मिक शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो, अभी आप मंगल भवन से जुड़ सकते हैं।

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह से प्रभावित क्षेत्र-

  • पारिवारिक सम्बन्ध रिलेशनशिप
  • वैवाहिक जीवन
  • प्रेम सम्बन्ध 
  • व्यापार, नौकरी व अन्य क्षेत्रों में भागीदारी

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह: व्यक्तित्व पर प्रभाव 

जिन जातकों के सातवें भाव में मंगल ग्रह विराजमान होता है उन्हें दूसरों की राय के बारे में पता नहीं होता है। आपकी सबसे महत्वपूर्ण ताकत विश्वास और प्यार प्रदान करना है। इसलिए, आपके लिए सभी के साथ दीर्घकालिक संबंध विकसित करना आसान है। आप दूसरों के साथ बहुत दयालुता से पेश आते हैं और उनके विचारों की प्रशंसा करते हैं। लेकिन दूसरों को आपके गुणों का एहसास नहीं हो सकता है, और वे आपसे मदद नहीं मांगेंगे। साथ ही आप एक अच्छे श्रोता भी हैं. आप तभी झगड़ों में शामिल होते हैं जब आपके पास साबित करने के लिए कोई वैध मुद्दा हो। इसलिए आपको दूसरों के साथ बहस करते हुए देखना दुर्लभ है। सातवें घर में मंगल ग्रह के जातक जीवन भर भावुक, निष्ठावान और वफादार रहने की संभावना रखते हैं। आप उन लोगों को सम्मान नहीं दे सकते जो अपना पक्ष रखने में विफल रहते हैं

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह: वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

सातवें भाव को स्वयं विवाह का घर माना जाता है और यदि मंगल गृह इस भाव में विराजमान है, तो यह आपको वैवाहिक जीवन के आनंद से दूर रख सकता है। आप अपने रिश्ते में अधिक निराशा और आक्रामकता दिखाएंगे। अपने साथी के साथ बराबरी का दर्जा रखना कठिन होगा। संभावना है कि आपके साथी का आपके वैवाहिक रिश्ते से बाहर भी कोई प्रेम संबंध हो। हालांकि, मंगल के सातवें घर का जीवनसाथी होने के नाते, मंगल, आपके हर पल को उसके साथ साझा करने की संभावना है क्योंकि आपकी उम्मीदें यथार्थवादी हैं।

यदि मंगल ग्रह किसी जातक के जीवनसाथी के सातवें भाव में है, तो यह आपके रिश्ते को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। सातवें घर में मंगल के कारण महिला जातक अपनी यौन ऊर्जा और प्रेम की प्रवृत्ति खो सकती हैं। यहां, आपके साथी के साथ समझ की कमी या कमजोर संबंध बनाने से आप दोनों के बीच अलगाव हो सकता है।

सातवें भाव में मंगल ग्रह : करियर पर प्रभाव 

ज्योतिष की गणना के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति होने से जातक को ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वांछित सफलता मिल सकती है। जो लोग रियल एस्टेट व्यवसाय से जुड़े हैं उन्हें लाभ हो सकता है क्योंकि मंगल आपके लिए अनुकूल रहेगा। जिन उम्मीदवारों के नवांश के सातवें घर में मंगल है, उन्हें इंजीनियरिंग क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। आपके पास सिविल इंजीनियर या मैकेनिकल इंजीनियर बनने का बेहतरीन मौका होगा। सातवें घर में मंगल, वैदिक ज्योतिष कहता है कि आपके सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक सफल करियर बनाने की संभावना है। आक्रामक मंगल के कारण आपको अपने पूरे करियर में उत्थान और पतन देखने को मिल सकता है। हालांकि, आपको धीमी गति से सफलता मिलेगी

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह: सप्तम दृष्टि के अनुसार

वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति होने से उसकी पूर्ण सप्तम दृष्टि प्रथम यानी लग्न भाव पर पडती है। अतः मंगल ग्रह की पहले भाव में दृष्टि से जातक क्रोधी व उग्र स्वभाव का होता है।

  • चतुर्थ दृष्टि के अनुसार
    सातवें भाव में मंगल ग्रह की चतुर्थ दृष्टि दशम यानी दसवें भाव पर पडती है, मंगल की दसवें भाव पर दृष्टि होने से यह जातक को कार्य क्षेत्र में अधिक परिश्रम के पश्चात शुभ फल की प्राप्ति देता है।
  • अष्टम दृष्टि के अनुसार
    कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह के स्थित होने से उसकी अष्टम यानी आठवीं दृष्टि कुंडली के दूसरे भाव पर पड़ती है। मंगल ग्रह इस प्रकार से दृष्टि होने से जातक धन का संचय नहीं कर पाता और परिवार से जातक के मतभेद बने रहते है।

कुंडली के सातवे भाव में मंगल ग्रह : मित्र राशि में प्रभाव

कुंडली के सातवें भाव में स्थित मंगल ग्रह के प्रभाव से जातक को पत्नी की ओर से सुख मिलता है। तथा व्यवसाय के क्षेत्र में उन्नति व सफलता प्राप्त होती है।

मंगल ग्रह

सातवें भाव में मंगल ग्रह : शत्रु राशि में प्रभाव

  1. कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह का अपनी शत्रु राशि में होने से जातक के वैवाहिक जीवन में कष्ट तथा व्यवसाय में कठिनाइयों या हानि का सामना करना पडता है।
  2. सातवें भाव में मंगल ग्रह का अपनी स्वराशि मेष या वृश्चिक में स्थित होने से जातक को पत्नी से सुख की प्राप्ति होती है और ऐसे जातक को व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है। 
  3. कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह का अपनी उच्च राशि मकर में स्थित होने से प्रभावित जातक को व्यवसाय के क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है। इसके साथ ही ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन मध्यम होता है।
  4. सातवें भाव में मंगल ग्रह का अपनी नीच राशि कर्क में विराजित होने से जातक का वैवाहिक जीवन दुःखी होता है व जातक के अपनी पत्नी से अलग होने की संभावना होती है।

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह : कुछ आसान से ज्योतिषीय उपाय 

  • कुंडली व जीवन में मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए जातक को चांदी पहनने की सलाह दी जाती है या चांदी का एक टुकड़ा अपने घर के मंदिर में रखना चाहिए।
  • इसके अलावा ब्राह्मण महिलाओं (विशेषकर विधवाओं) को कोई भी मीठी वस्तु, मिठाई या गुड़ का दान करने से भी मंगल ग्रह के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
  • गरीबों को लाल मसूर की दाल जैसे अनाज का दान करने से लाभ होता है।
  • सप्ताह में मंगलवार के दिन ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को लाल वस्त्रों का दान करें।

निष्कर्ष 

अंत में, हमें पता चला कि सातवें घर में मंगल जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, यदि यह उच्च राशि में है या लाल ग्रह शुभ ग्रहों की दृष्टि में है तो यह आपको अनुकूल परिणाम भी दे सकता है। सातवें घर में मंगल के कारण वैवाहिक जीवन में साझेदारों को सुखी वैवाहिक जीवन का स्वाद नहीं मिल पाता है। एकल जातकों को अपने जीवन में वांछित और देखभाल करने वाला साथी नहीं मिल सकता है। सप्तम भाव में मंगल होने से आपके विवाह में देरी हो सकती है। अंत में, आशा है कि आपको इस लेख में अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे।

कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह हो तो क्या परिणाम होता है?

An- सातवें भाव में स्थित मंगल गाह को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना गया है। यहां स्थित मंगल आपके विवाह में विलम्ब का कारण बनने के साथ ही आपके जीवनसाथी के दु:ख का कारण भी बन सकता है। जीवनसाथी के साथ आपका व्यवहार बहुत सरस नहीं रहेगा। मंगल की यह स्थिति कभी-कभी अलगाव तक की स्थितियां निर्मित कर देती है।

Q- कुंडली में मंगल दोष कब तक रहता है?

An- ज्योतिष के अनुसार कुछ लोगों की कुंडली में केवल 28 वर्ष तक ही मंगल दोष रहता है. वहीं मेष, कर्क, वृश्चिक राशि वाले लोगों में भी मंगल दोष जीवनभर के लिए नहीं रहता है. यदि कुंडली में पूर्ण या आंशिक मंगल दोष है तो विवाह से पहले कुछ ज्योतिष उपायों को जरूर कर लेना चाहिए।

Q- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी कौन होता है?

An- सातवें का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और कारक शुक्र और बुध हैं।

Q- सातवें भाव में कौन सा ग्रह शुभ होता है?

An- कुंडली के सातवें भाव में शुक्र ग्रह और शुक्र को विवाह का कारक माना गया है। गुरू, शुक्र, बुध और चंद्र सप्तम में शुभ फल देते हैं, वहीं सूर्य, शनि, मंगल, राहु और उनके को अशुभ फल देने वाले ग्रहों की सूची में रखा गया है।

Q- कुंडली में मंगल हो तो क्या करना चाहिए?

An- कुंडली में मंगल दोष दूर करने के लिए जातक को लाल रंग के फूल वस्त्र, चंदन, मसूर की दाल, गेहूं, केसर, जमीन या कस्तूरी का दान करना चाहिए. उन्हें प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करके भगवान हनुमान को उन्हें चोला चढ़ाना चाहिए. मंगल दोष को करने के लिए मूंगा यानी मंगल रत्न धारण करना भी सही माना जाता है।

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