वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह की उपस्थिति से जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है व ऐसा जातक धनवान होता है। मंगल की दसवें भाव में स्थित होने से जातक धनवान होने के साथ-साथ गुणी भी होता हैं। ऐसे जातक अपने परिवार समस्त परेशानियां दूर करने में सक्षम होते हैं और साथ ही समाज में भी प्रसिद्धि पाते हैं। इसके अलावा इन जातकों को वाहन सुख भी प्राप्त होता है।
परन्तु कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति जातक के संतान पक्ष के लिए शुभ नहीं मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक ऐसे जातक, अपनी उम्र के 28 व 29 वर्ष के बाद बड़ा पद व प्रतिष्ठा को प्राप्त करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार : कुंडली में दसवां भाव
वैदिक ज्योतिष में, कुंडली के दसवें भाव को ‘कर्म’ भाव की संज्ञा दी जाती है। कुंडली के इस भाव के माध्यम से जातक की उपलब्धि, ख्याति, शक्ति, मान-प्रतिष्ठा, रुतबा, मान-सम्मान, रैंक, विश्वसनीयता, आचरण, महत्वाकांक्षा आदि की जानकारी ज्ञात की जाती है। इसके अतिरिक्त कुंडली के दसवें भाव में जातक के करियर या व्यवसाय के बारे में भी जानकारी मिलती है।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह : फलादेश
जन्म कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति से जातक धनवान और गुणवान बनते हैं, जिसके कारण जातक को बहुत मान- प्रतिष्ठा मिलती है। ऐसे जातक अपने परिवार के प्रति सभी कर्तव्य का निर्वाह बहुत अच्छे से करते हैं और कुलदीप की भूमिका पर खरे उतरते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक सुखी और यशस्वी भी कहलाते हैं। इसके अलावा इन जातकों के पास विभिन्न प्रकार के वाहन भी होते है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह की यह स्थिति जातक के संतान पक्ष के दृष्टिकोण से शुभ नहीं मानी जाती है। परन्तु ऐसे जातक महत्वाकांक्षी और दृढनिश्चयी व्यक्ति होते हैं। ऐसे जातक बड़े पद और प्रतिष्ठा को प्राप्त करते हैं। इसके अलावा इन जातकों यदि मैकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, हथियारों से जुड़े काम या वर्दी से जुड़े कामों में हो तो यह मंगल ग्रह की स्थिति आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकती है।
क्योंकि इस भाव में स्थित मंगल ग्रह के प्रभाव से जातक, शल्य चिकित्सा या मंत्रों के ज्ञान में दक्ष होता है। ज्योतिष की गणना के मुताबिक उम्र के अट्ठाइसवें या अट्ठावन वें वर्ष में इन जातकों को कुछ विशेष उपलब्धि प्राप्त हो सकती है। लेकिन, मंगल ग्रह कुंडली के दसवें भाव में विराजमान हो तो यह स्थिति जातक के छोटे भाई-बहनों के लिए अधिक अनुकूल परिणाम नहीं दे पाएगी। कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह की यह स्थिति जातक के मां के स्वास्थ्य हेतु भी प्रतिकूल मानी गई है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में जातक व उनके जीवन साथी की परस्पर विचारधारा में अंतर हो सकता है।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह : पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह के उपस्थित यह जातक के छोटे भाई-बहनों के लिए अधिक परिणाम शुभ नहीं देता है। इसके अलावा मंगल ग्रह की यह स्थिति जातक की माता के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। इसी के साथ ही जातक के वैवाहिक जीवन में उनके जीवन साथी व उनके स्वयं के विचारों में भिन्नता पाई जाती है। इन जातकों के पास सभी प्रकार के भौतिक सुख व विभिन्न प्रकार के उनका सुख और लाभ उठाएंगे। ज्योतिष गणना के अनुसार, लेकिन मंगल की यह स्थिति संतान के दृष्टिकोण से ठीक नहीं होती है। कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति होने पर जातक को अपने जीवन काल में पैतृक सम्पति का विक्रय नहीं करना चाहिए यदि एक बार संपत्ति बेचना प्रारम्भ कर दिए तो धीरे-धीरे सारी सम्पत्ति ख़त्म हो जाती है।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह : व्यक्तित्व पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र की प्रमुख गणना के अनुसार, कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह से प्रभावित जातक महत्वाकांक्षी और दृढनिश्चयी व्यक्ति होते हैं। ये जातक अपने जीवन में बड़े पद और प्रतिष्ठा को प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक बहुत ही कम उम्र में अच्छी ख्याति व प्रसिद्धि प्राप्त कर सकते है। इन जातकों में सदैव उच्च पद को प्राप्त करने की लालसा बनी रहेगी। ऐसे जातक अपने परिश्रम के बल पर अपनी मनोकामना की पूर्ति करने में सक्षम होते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन जातकों को स्वयं पर अधिक विश्वास होता है और यही कारण है कि ये जातक जिस भी क्षेत्र में कार्य शुरू करते है वहां पद और प्रतिष्ठा प्राप्त कर लेते हैं।
इसके अलावा इन जातकों का कार्य के प्रति एकदम गंभीर दृष्टिकोण होता है और यदि कोई कार्य के प्रति गंभीर नहीं है तो ऐसे व्यक्ति को वें पसंद भी नहीं करते है। अपने कार्य क्षेत्र के समय मजाक इन जातकों को बिल्कुल पसंद नहीं है। इसके साथ ही कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह से प्रभावित जातक अपने जीवन में अधिकारी पद को प्राप्त करता है यदि अधिकारी नहीं बन पाता तो वह अपने परिवार और समाज पर अधिकारी की भूमिका के रूप में कार्य करने की कोशिश करता है और सफल भी होता है।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह : अनुकूल प्रभाव
दसवें घर में मंगल के जातकों में कार्यक्रमों और अन्य आवश्यकताओं को व्यवस्थित करने की अच्छी क्षमता हो सकती है। हालांकि, उन्हें इन विशेषताओं को एक प्रकार का जुनून नहीं बनने देना चाहिए। उसके आसपास के लोगों को उनकी स्वतंत्रता और उनके केंद्रित दृष्टिकोण का सम्मान करना चाहिए। ये जातक काफी कार्य-उन्मुख होते हैं। यदि वे अपने समय का अच्छी तरह से प्रबंधन कर सकें, तो वे सर्वोत्तम और सबसे प्रभावी हो सकते हैं। रिश्तों में, जब आयोजनों के आयोजन की बात आती है तो दशम भाव में स्थित मंगल के जातक सबसे आगे रहते हैं।
दशम भाव में मंगल के होने से आप अत्यधिक लक्ष्य-उन्मुख और प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। वे करियर में आसानी से आगे बढ़ेंगे। वे जो भी करते हैं जिसमें वे अग्रणी भी हो सकते हैं। वे अच्छे और बुरे दोनों समय में नेतृत्व करेंगे और दूसरों का मार्गदर्शन करेंगे। साथ ही ये अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में भी काफी एक्टिव रहेंगे। ये जातक अपने आस-पास के लोगों की प्रशंसा जीतने के बजाय अपने लक्ष्य हासिल करने में अधिक रुचि रखते हैं।
जब जातक के दसवें घर में मंगल होता है, तो वे काफी महत्वाकांक्षी और दृढ़ स्वभाव के होते हैं। वे ऊर्जा और उत्साह के पावर हाउस की तरह हैं। इन जातकों में मजबूत नेतृत्व गुण होते हैं और वे बहुत कार्य-उन्मुख हो सकते हैं। पहल करने की प्रवृत्ति इन व्यक्तियों में स्वाभाविक रूप से आती है। वे कार्यस्थल पर बेहतर छवि बनाए रखने और उसमें पहचान पाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करते हैं।
दसवें भाव में मंगल की स्थिति वाले जातक अपने काम में बहुत प्रभावी रहेंगे। वे अपने काम में बहुत विविधता और नवीनता लाएंगे। उनकी संगठन और प्रबंधकीय क्षमता असाधारण रूप से अच्छी है। ये व्यक्ति आत्मनिर्भर, तार्किक और परिणामोन्मुख होते हैं। हालांकि, वे अपने अधीनस्थों पर हावी होने और मांग करने वाले होते हैं। उन्हें अपने वरिष्ठों से भी परेशानी हो सकती है।
दसवें घर में मंगल के जातकों को एहसास होगा कि जीवन में महत्वाकांक्षी होना महत्वपूर्ण है। और वे न केवल पेशे में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी महत्वाकांक्षी होंगे। और वास्तव में, यह दृष्टिकोण उन्हें पुरस्कृत करेगा। जातक ऐसी जीवनशैली अपनाएं जो उनकी सफलता को प्रतिबिंबित करेगी। जातक अपनी सफलता दूसरों के साथ साझा करना चाहेंगे।
दसवें भाव में मंगल की स्थिति वाले जातक परिवार को बहुत महत्व देंगे। यही कारण है कि वे अपने पेशे में बहुत अधिक ऊर्जा लगाएं, ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों के लिए पैसा कमा सकें। उनका वैवाहिक जीवन सुखमय हो सकता है। इसके अलावा, वे अपने और अपने प्रियजनों के लिए एक स्थिर घरेलू माहौल बनाना चाहते हैं। वे तब तक किसी रिश्ते में नहीं बाध सकते जब तक कि वे आर्थिक रूप से समृद्ध न हो जाएं, जब वे अपने जीवनसाथी और बाद के बच्चों का भरण-पोषण कर सकें।
वैदिक ज्योतिष में दसवें भाव में मंगल ग्रह जातकों को अपने व्यक्तिगत जीवन को भी उनके कामकाजी जीवन की तरह ही गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित करता है। वे हर चीज से ऊपर वफादारी की मांग करेंगे। वे गंभीर प्रतिबद्धता की तलाश करेंगे और शायद ही कभी दिखावे में शामिल होंगे। वे बदले में वही समर्पण प्रदान करेंगे। जातक मूर्ख या सहज नहीं होंगे। वे जिम्मेदार और विश्वसनीय होंगे और हर कीमत पर अपने प्रियजनों की रक्षा करेंगे।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह : प्रतिकूल प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में दशम भाव में स्थित मंगल बताता है कि जब अन्य लोग जातकों के रास्ते में आने की कोशिश करते हैं, तो वे उन लोगों को नजरअंदाज कर देते हैं और उनके रास्ते पर चलते रहते हैं। जातकों की उनके बॉस सराहना करेंगे। उन्हें ऐसे लोगों के रूप में देखा जाएगा जो काम को बहुत तेजी से और प्रभावी ढंग से पूरा करते हैं। हालाँकि, जातक के सहकर्मी उन्हें उनके दृष्टिकोण में बहुत ठंडे और गणनात्मक व्यक्ति के रूप में देखेंगे। जब मंगल दसवें घर में नीच का हो तो मंगल का नकारात्मक पहलू और भी अधिक स्पष्ट हो सकता है।
ये जातक दिल के अच्छे होते हैं लेकिन उनके स्पष्ट व्यवहार को कुछ लोगों द्वारा सकारात्मक रूप से नहीं देखा जा सकता है। इससे इन जातकों को परेशानी हो सकती है क्योंकि उनकी व्यावसायिक वृद्धि बाधित होने की संभावना है क्योंकि उन्हें ऐसे वरिष्ठ और सहकर्मी मिल सकते हैं जो उन्हें आगे बढ़ने नहीं देंगे।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह : आसान उपाय
- किसी भी संतान हीन लोगो की यथाशक्ति सहायता करें।
- प्रतिदिन हनुमान भगवान के समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- अपाहिच व जरुरत मंदों की सहायता करें।
निष्कर्ष
दशम भाव में मंगल की स्थिति वाले जातकों में मंगल की अग्नि होगी। इसका उपयोग पेशे में उचित रूप से किया जा सकता है और परिणामस्वरूप जातक बहुत ऊंचे स्थान पर पहुंच सकते हैं। हालांकि, इन जातकों को लोगों के साथ व्यवहार करते समय बहुत सावधान रहना होगा अन्यथा उनकी इतनी उन्नति नहीं हो पाएगी।
कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- दसवें भाव में मंगल हो तो क्या होता है?
An- मंगल ग्रह की दशम भाव में स्थिति आपको धनवान तो बनाएगी ही साथ ही आपको को कुछ विशेष गुणवान बनाएगा जिसके कारण आप प्रसिद्ध होंगे और कुलदीप की भूमिका निभाएंगे। आप सुखी और यशस्वी व्यक्ति होंगे। आपके पास विभिन्न प्रकार के वाहन होंगे और आप उनका सुख और लाभ उठाएंगे। लेकिन मंगल की यह स्थिति संतान के दृष्टिकोण से ठीक नहीं होती है।
Q- कुंडली में दसवां भाव किसका होता है?
An- कुंडली में दसवें घर कर्म भाव है। यह काम करने के लिए सामाजिक स्थिति का भाव और आपके द्वारा किए जाने वाले कार्य और आपके द्वारा शामिल किए जाने वाले पेशे से संबंधित है। इस भाव को देखने से आपके करियर के मार्ग का पता चल सकता है।
Q- दसवें भाव का स्वामी कौन है?
An- दसवें भाव का स्वामी ग्रह शनि होता है और कारक शनि है।
Q- मंगल ग्रह को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?
An- मंगल ग्रह को मजबूत करने के उपाय-
- मंगलवार के दिन सुबह स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- इस दिन हनुमान जी की पूजा करें।
- हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।
- मूंगा रत्न धारण करें।
- मंगलवार का व्रत करें।