Mars in 1st House | जानें, ज्योतिष में कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह के अद्भुत व महत्वपूर्ण प्रभावों के बारे में

मंगल ग्रह

जन्म कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह ( Mars in 1st House ) वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के पहले(प्रथम) भाव में स्थित मंगल ग्रह जातक को उम्र के 28 वर्ष के बाद से स्वभाव में अच्छा, चरित्रवान  व अमीर बनाता है। ऐसे जातक सरकार द्वारा अच्छा लाभ लेते हैं और बिना किसी अधिक परिश्रम व प्रयास के बिना शत्रुओं पर जीत हासिल करते हैं। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातक शनि से संबंधित व्यवसायों जैसे लोहा, लकड़ी और मशीनरी आदि के माध्यम से अच्छा धनार्जन करते हैं इसके अलावा शनि और मंगल की अशुभ युति के कारण जातक को शारीरिक कष्ट होने की संभावना हो सकती है।

कुंडली का लग्न यानी पहले भाव में मंगल ग्रह की स्थिति जातक को साहसी बनाती है। इस परिस्थिति में कभी-कभी जातक दुस्साहसी होते हुए भी पाए जा सकते है। ये जातक किसी भी प्रकार के दबाव में रहना पसंद नहीं करते है। इसके साथ ही ऐसे जातक एक मुखी व्यक्ति भी हैं, जो भी इनके मन में होता है वह बोलने से बिल्कुल भी नहीं चूकते। ज्योतिष की सलाह  में इन जातकों को शारीरिक तौर पर भी काफी मजबूत होना चाहिए। क्योंकि, प्रथम भाव में मंगल ग्रह की यह स्थिति कभी-कभी सिर दर्द और दुर्घटनाएं भी करवा सकती है।

इसके अलावा ज्योतिष की गणना के मुताबिक, इन जातकों की माता का स्वभाव कुछ गुस्सैल और रूखा हो सकता है। लेकिन साथ ही वो बहुत सक्रिय भी रहेगी। साथ ही इन जातकों के छोटे भाई-बहन की जीवन शैली अच्छी व व्यवस्थित होगी, परन्तु ये जातक अपनी संतान पक्ष को लेकर कुछ चिंतित हो सकते हैं। इन जातकों के सम्बन्ध अपने बडे भाई-बहन के साथ पूरी तरह से व्यवस्थित होंगे परंतु छोटे भाई-बहनों से कुछ मनमुटाव की स्थिति हो सकती है।

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ज्योतिष में : कुंडली के पहले भाव का महत्व 

वैदिक ज्योतिष में, कुंडली के प्रथम भाव को ‘लग्न’ भाव के नाम से भी जाना जाता है। जन्म कुंडली का यह लग्न यानी प्रथम भाव में स्थित राशि का स्वामी लग्नेश कहलाता है। वैदिक शास्त्रों की गणना में लग्न अर्थात प्रथम भाव और लग्नेश की स्थिति महत्वपूर्ण चरण मानी जाती है।

ज्योतिष में : मंगल ग्रह की भूमिका 

ज्योतिष की गणना मंगल ग्रह के बारे में बताती है कि, मंगल एक पुरुष ग्रह है जिसके अंदर असीमित ऊर्जा है इसलिए यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह बलवान अवस्था में हो तो ऐसे जातक उच्च कोटि का सर्जन, सेना में मेजर, बड़ा जासूस या बड़ा अधिकारी हो सकता है। इसी के साथ मंगल ग्रह को जमीन और अग्नि तत्व का भी कारक माना गया है इसलिए जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह अच्छा होता है उनके पास बड़े रेस्टोरेंट, होटल और अच्छी भूमि संपदा होती है।

कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह : सप्तम दृष्टि

कुंडली के पहले भाव (लग्न) में यदि मंगल ग्रह स्थित है तो उसकी दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है। ऐसे में मंगल ग्रह की सप्तम दृष्टि पत्नी अर्थात जीवन साथी के स्थान पर होने से जातक की पत्नी से उसकी अनबन व मनमुटाव की  स्थिति बनी रहती है। इसके साथ ही पहले भाव में स्थित मंगल ग्रह, चतुर्थ पूर्ण दृष्टि चतुर्थ भाव पर होने से जातक को माता पक्ष से सुख नहीं मिलता एवं माता उसके जीवन में कष्टकारी होती है। परन्तु जातक माता से स्नेह का भाव रखने वाला होता है।

इसके अलावा ज्योतिष के अनुसार, प्रथम यानी पहले भाव में स्थित मंगल ग्रह की अष्टम पूर्ण दृष्टि, अष्टम भाव पर पडती है। ऐसी स्थिति में मंगल की अष्टम भाव में दृष्टि होने से जातक को कभी-कभी कुछ छोटे-मोटे रोग होने की संभावना बनी रहती है।

पहले भाव में मंगल ग्रह : मित्र राशि पर प्रभाव

वैदिक ज्योतिष की गणना के मुताबिक, मंगल ग्रह का लग्न में अपनी मित्र राशि में स्थित होने से जातक की शारीरिक शक्ति व क्षमता अच्छी रहती है तथा ऐसा जातक अपने परिश्रम के बल पर बहुत उन्नति करता है।

पहले भाव में मंगल ग्रह : शत्रु राशि में प्रभाव

यदि किसी जातक के पहले भाव में मंगल ग्रह उसकी शत्रु राशि में विराजमान है तो प्रभावित जातक का दूसरे लोगों से व्यवहार अच्छा नहीं होता। व साथ ही ऐसे लोग लालची प्रवृत्ति के होते हैं।

प्रथम भाव में मंगल ग्रह : स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव

  • कुंडली में, यदि मंगल ग्रह पहले भाव में अपनी स्वराशि, मेष या वृश्चिक में यदि विराजमान है तो ऐसे जातक तेजस्वी, साहसी व दान-धर्म करने वाला होता है।
  • इसी के साथ यदि मंगल ग्रह पहले भाव में अपनी उच्च राशि, मकर में स्थित है तो ऐसे जातक पराक्रमी प्रसिद्ध व एक अच्छे नेता होते है। इस स्थिति में मंगल ग्रह के उच्च के प्रभाव से जातक महत्वाकांक्षी व सुखी होता है।
  • यदि कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह अपनी नीच राशि, कर्क में विराजमान है तो ऐसे जातक दूसरे लोगों व गरीबों की सेवा करने वाले होता है। ऐसा जातक गलत कार्यों की ओर भी प्रवृत्त रहता है।

कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह : अनुकूल प्रभाव

गणना के मुताबिक, जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह यदि कुंडली के पहले भाव में विराजमान होता है, ऐसे जातक गतिशील और नई ऊर्जा से परिपूर्ण होते हैं। ऐसे जातक एक बार जो किसी कार्य को अपने दिमाग में ले आते हैं तो फिर उसे पूरा करके ही मानते हैं फिर उन्हें कोई रोक नहीं सकता। इसके अलावा ये जातक अपने जीवन में बहुत सकारात्मक व सक्रिय भी होते हैं व आने वाली सभी इन चुनौती को बड़ी ही सहजता से स्वीकार कर सकते हैं। परन्तु इस बात का भी सदैव ध्यान रखें कि स्वयं की  महत्वाकांक्षाओं को पूरा करते समय किसी दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को चोट न पहुंचाएं।पहले भाव में मंगल वाले जातक हाथ में कई परियोजनाओं के साथ अपने पेशे में सक्रिय रहते हैं। ये लगातार कुछ नया व अद्भुत करने के विचार में रहते हैं। जिससे उनके जीवन में बहुत सफलता व उत्साह रहता है। इसके साथ ही ऐसे जातक अपने पेशे में भी कुशल होते हैं। 

क्या? आप भी अपने करियर के बारे में चिंतित हैं और सही मार्गदर्शन चाहते हैं, तो बिना देर किए आज ही ‘मंगल भवन’ के अनुभवी आचार्यों से तुरंत परामर्श लें ।

इसके अलावा एक बार कोई विचार मन में आ जाए तो उसे कैसे मूर्त रूप देना है, ये ये अच्छे से जानते हैं। हालांकि, जब दूसरे लोग उनके विचारों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करते हैं तो उन्हें गुस्सा आता है। वे अपने लक्ष्यों के बारे में स्पष्ट हैं और बिना किसी हिचकिचाहट के उनका पीछा करते हैं। कुंडली के प्रथम भाव में मंगल के अनुसार जातक के कार्यों के अप्रत्याशित परिणाम भी देखने को मिलते हैं। प्रथम भाव में मंगल के जातक दूसरों की नकारात्मक टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। जो उन्हें पूरी तरह से सकारात्मक बनाता है. इतना ही नहीं, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। वे अपने आसपास के लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। इसके अलावा जीवन की परिस्थितियों पर भी उनकी बहुत अच्छी पकड़ होती है। उदाहरण के लिए, जब कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है, तो वे निर्णय नहीं ले सकते हैं, लेकिन फिर भी उस वर्तमान स्थिति में उनका निर्णय सर्वोत्तम होता है।

कुंडली के प्रथम भाव में मंगल ग्रह : प्रतिकूल प्रभाव

ये जातक गतिशील होने के साथ-साथ बेहद ऊर्जावान भी होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये जातक अपना हर कार्य बड़ी ही बहादुरी व सहज रवैये के साथ उत्साह पूर्वक करते हैं। इनके प्रयासों की प्रक्रिया काफी यांत्रिक हो जाती है। इन्हें अपना दिमाग ज्यादा नहीं लगाना चाहिए। इसलिए, यह बेहतर होगा कि कार्यों को अधिक संगठित और योजनाबद्ध तरीके से करें। 

इनका जल्दबाजी में लिया हुआ निर्णय हानिकारक हो सकता है। हालांकि सक्रिय और साहसी होना अच्छा है, लेकिन यदि ये सतर्क और सावधान नहीं होंगे, तो मुसीबतों में पड़ सकते हैं। इसके अलावा इनके बिना चर्चा किए निर्णय लेने और दूसरों से सलाह न लेने की आदत होती है। अकेले काम करना समस्या नहीं है। लेकिन जब ये किसी समूह में रहते हुए अकेले ही सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, तो ये बात परेशानी का कारण बन सकती है। समूह में काम करते समय, इन्हें एक बार तो सबकी सलाह भी लेनी चाहिए।

कुंडली के प्रथम भाव में मंगल ग्रह : स्वास्थ्य पर प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक कुंडली के पहले भाव में यदि मंगल ग्रह शुभ प्रभाव में है तो यह जातक को फिट रहने के लिए उत्साह प्रदान करता है । इसके साथ ही ऐसे जातक नियंत्रण में रहना पसंद करते हैं। उनकी जीवनशैली स्थिर नहीं होती है। 

कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह : करियर पर प्रभाव 

प्रथम भाव में मंगल ग्रह आपके करियर में काफी मदद करेगा। आपके अंदर नेतृत्व के गुण होंगे जो आपके करियर में काफी मदद करेंगे। आपके काम के प्रति आपका जुनून आपको अपने करियर में बहुत आगे तक ले जाएगा। ज्योतिष के अनुसार, आपके जीवन में एक शानदार करियर होगा, जो आपको अपने जीवन में बहुत लाभ देगा और आपको अगले वर्ष, सफलता और विकास के लिए आगे बढ़ने में मदद करेगा। आपको बस यही सलाह है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहें।

मंगल ग्रह

 कुंडली के प्रथम भाव में मंगल ग्रह : वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

 प्रथम भाव में स्थित मंगल जातकों को विवाह के लिए शुभ संकेत देता है। इनके जीवन में बहुत अच्छे वैवाहिक जीवन साथी होंगे। ज्योतिष में जन्मतिथि के अनुसार विवाह की भविष्यवाणी के अनुसार, पहला घर आपको अच्छे और समझदार जीवन साथी देता है, जो आपका समर्थन करेगा, लेकिन आपको अत्यधिक स्वामित्व वाला स्वभाव बाद में समस्या पैदा कर सकता है। यदि आप अपने साथी के प्रति अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखेंगे तो वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा रहेगा और आपके साथी के समर्थन, प्यार और ईमानदारी से आपको जीवन में बहुत मदद मिलेगी। वैवाहिक जीवन में उनकी सराहना अवश्य करें।

कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह : ज्योतिष उपाय 

ज्योतिष में किसी भी ग्रह के दुष्प्रभावों से बचाव हेतु कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं, जो कि इस प्रकार है- 

  • किसी भी प्रकार के बुरे कामों और झूठ बोलने से बचें।
  • ऐसे जातकों के लिए संतों और फकीरों की संगति अच्छी नहीं मानी जाती, अत: उनसे बचें।
  • इसके साथ ही एन जातकों को हाथी दांत से निर्मित चीजें बहुत प्रतिकूल प्रभाव देगी, अतः उनसे बचाव करें।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह की गणना से यह ज्ञात हुआ कि ऐसे जातक उग्र और आक्रामक तो होते ही हैं, साथ ही ये सक्रिय व बहुत गतिशील भी होते हैं। कहने का मुख्य तात्पर्य यह है कि उन्हें अपनी ऊर्जा पर शासन करने, सकारात्मक, रचनात्मक और उत्पादक रूप से उसका सही उपयोग करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही इन जातकों को अपनी गतिविधियों के लिए अधिक संगठित और योजनाबद्ध रहना चाहिए। यदि ये जातक असंगठित तरीके से कोई कार्य करते हैं, तो मनचाही सफलता प्राप्त करने की संभावना को भी खो देते हैं। इसके साथ सही मार्गदर्शन में उचित योजना के साथ कार्य करने पर उच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं।

कुंडली के पहले भाव में मंगल ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- प्रथम भाव में मंगल ग्रह हो तो क्या होता है?

An- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मंगल अगर प्रथम भाव में है तो यह आपको काफी साहसी बनाता है। ऐसा व्यक्ति किसी के दबाव में रहना पसंद नहीं करता। साथ ही वह शारीरिक तौर पर काफी मजबूत होता है। हालांकि मंगल की ऐसी स्थिति में दुर्घटना की आशंका रहती है।

Q- लग्न भाव में मंगल ग्रह का क्या अर्थ है?

An- यदि मंगल ग्रह कुंडली के लग्न यानी पहले भाव में स्थित है, तो यह जातक को मजबूत और साहसी बनाता है लेकिन पासा पलट देता है; यह आपको क्रोधी भी बना सकता है । यहां, जातक के व्यक्तित्व में ऊर्जा और उत्साह की विशेषता हो सकती है।

Q- मंगल ग्रह को कैसे खुश करते हैं?

An- मंगल की ऊर्जा को शांत करने के लिए रक्तदान सबसे अच्छे तरीकों में से एक है । मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए लाल रंग का बेल फल (एक देशी भारतीय फल) दान करें। घर में लाल फूल लगाने से भी आपका मंगल सकारात्मक हो सकता है। मंगलवार के दिन बंदरों को गुड़ और चना खिलाने से भी मंगल ग्रह शांत होता है।

Q- मंगल ग्रह के लिए किस भगवान की पूजा करनी चाहिए?

An- मंगल ग्रह, नौ ग्रहों में से एक महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जो कि देवी भूमि और भगवान वराह का पुत्र माना जाता है। अनजान लोगों के लिए, पृथ्वी (भूमि) देवी लक्ष्मी का अवतार है, और भगवान वराह भगवान विष्णु के तीसरे अवतार हैं। मंगल ग्रह के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए।

Q- मंगल ग्रह को बलवान कैसे करे?

An- मंगल को मजबूत करने का उपाय-

  • मंगल को मजबूत करने के लिए स्नान करने के बाद लाल रंग के कपड़े धारण करें। 
  • मंगलवार के दिन व्रत रखें। 
  • मंगलवार के दिन भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाना शुभ माना जाता है। 
  • मंगल को मजबूत करने के लिए हनुमान जी को चोला चढ़ा सकते हैं। 
  • कुंडली में मंगल को मजबूत करने के लिए मूंगा भी धारण कर सकते हैं।

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