Ketu Grah in 7th house | जानिए, केतु ग्रह की क्या भूमिका होगी कुंडली के सातवें भाव में

केतु ग्रह

Ketu Grah in 7th house

कुंडली के सातवें भाव में केतु ग्रह का महत्व 

ज्योतिष के अनुसार यदि केतु ग्रह किसी जातक की कुंडली के सातवें भाव में विराजमान हो तो ऐसे लोग 24 साल से 40 तक की उम्र में बहुत धन कमाते हैं। ऐसे जातकों के धन तथा समृद्धि में भी निरंतर वृद्धि होती रहती है। यदि सातवें भाव में केतु अशुभ हो तो जातक अस्वस्थ रहता है और शत्रुओं से सदैव पीड़ित या भयभीत रहते हैं।

‘मंगल भवन’ के वैदिक ज्योतिष शास्त्र में निपूर्ण आचार्य श्री गोपाल जी का कहना है कि, केतु ग्रह, कुंडली के सभी 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन परिणामों का असर जातक को अपने जीवन पर भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल सकता है।

केतु ग्रह को ऊंचाई और भौतिकवाद के बाद के पतन और आध्यात्मिकता का कारक ग्रह माना जाता है। इसके अलावा केतु को आधा ग्रह भी कहा जाता है। केतु ग्रह एक छाया ग्रह है क्योंकि यह अदृश्य है और सौरमंडल की व्यवस्था में सिर्फ एक बिंदु के समान है। इसके साथ ही केतु को मोक्ष का कारक माना जाता है, जो मुक्ति प्रदान करने का कारण है। यह एक अशुभ ग्रह है लेकिन राहु के समान अशुभ नहीं है। यह मुक्ति तक पहुँचने में हमारी मदद करता है और जातक को जीवन में विभिन्न दुर्घटनाओं से भी बचाता है।

सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रभाव  

ज्योतिष में, केतु ग्रह को एक अशुभ तथा पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। परन्तु केतु सदैव ही जातक के लिए अशुभ नहीं होता बल्कि केतु के द्वारा जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष और तांत्रिक विद्या आदि का कारक ग्रह माना जाता है। 

वैदिक ज्योतिष में कुंडली का सातवां भाव जातक के वैवाहिक जीवन, तथा पार्टनर के विषय का बोध कराता है। यह जातक के नैतिक, अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है। शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें काम का संबंध सप्तम भाव से होता है। 

सातवां भाव जातक की सामाजिक मान-प्रतिष्ठा,  कार्य व व्यवसाय संबंधित विदेश यात्रा के बारे में भी बताता है। कुंडली में सातवां भाव केंद्र का भाव होता है। इसलिए यह जातक के जीवन और निजी कार्यक्षेत्र के बीच तालमेल स्थापित करता है।

सातवें भाव में केतु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव 

  • इस भाव में केतु ग्रह जातक के लिए आर्थिक मामलों में अच्छा माना गया है। अत: ऐसे जातकों को  धन तथा लाभ का उत्तम सुख मिल सकता है, और यह स्थिर रूप से होगा। 
  • सातवें भाव में केतु ग्रह अधिकांश मामलों में जातक को अशुभ फल भी प्रदान कर सकता है। ज्योतिष की गणना कहती है कि सातवें भाव में केतु से प्रभावित जातक मंदबुद्धि और मूर्ख बनाता है। ऐसे जातक अच्छे को बुरा तथा बुरे को अच्छा समझते हैं। इनके सोचने समझने कि क्षमता दूसरों से भिन्न होती है।  
  • ऐसे जातक स्वयं के चरित्र को छोड़कर सदेव दूसरों के चरित्र पर संदेह करता है। इस भाव का केतु यहां जातक के अपमान का कारण बन सकता है। 
  • इन जातकों को वैवाहिक सुख भी कम मिलता है। दुष्टों तथा अभिमानी की संगति मिलती है। इनके मित्र भी इन्हें कष्ट दे सकते हैं। 
  • ऐसे जातक यदि कोई यात्रा भी करें तो वह कष्टकारी या असफल हो जाती हैं। आपको मार्ग संबंधी चिंताएं हो सकती है। 
  • ऐसे जातक का आपका धन भी अधिक खर्च हो जाता है। कई मामलों में ऐसे जातकों का व्यर्थ धन खर्च हो जाता है। 
  • ऐसे जातकों को अपनी आर्थिक चिंता बनी रह सकती है और इनके पिता के द्वारा संचित धन जल्दी ही समाप्त या नष्ट हो जाता है। 
  • ऐसे जातकों को शत्रुओं का भय रहता है और शत्रुओं के द्वारा धन हानि भी होती है। इसके साथ ही सरकार से भी भय की स्थिति बनी रहती है। 

सातवें भाव में केतु ग्रह: दुष्प्रभाव से बचाव के उपाय 

  1. प्रतिदिन सुबह गणपति जी की विधिपूर्वक पूजा व उपासना करें। 
  2. श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना भी विशेष लाभकारी होगा।
  3. भडकीले या चटक रंगों का प्रयोग ना करें, जैसे ग्रे, भूरा आदि।
  4. यथा संभव रोजाना कुत्तों को रोटी खिलाएं और उनकी सेवा करें । 
  5. परिवार में अपने से के छोटों के साथ मधुर संबंध रखें ।
  6. केतु ग्रह के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए केला, तिल के बीज, काला कंबल और लहसुनिया रत्न दान करने से लाभ होगा।
  7. केतु ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होता है।

सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रेम सम्बन्ध तथा स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • प्रेम सम्बन्ध 

सातवें भाव में केतु ग्रह से प्रभावित जातक अपने प्रेम संबंधों और रिश्तों में निस्वार्थ भाव वाले होते हैं और वे अपने जीवन साथी के प्रति भी पूर्ण प्रतिबद्ध और समर्पित होते हैं। ऐसे जातकों जातकों कुंडली में केतु ग्रह के सकारात्मक प्रभाव के कारण उनका जीवन सुख और आनंद से परिपूर्ण होता है। ऐसे जातक एक ग्लैमरस जीवन का आनंद लेते हैं और अपने रिश्तों के प्रति भी बहुत भावुक होते हैं।

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  • स्वास्थ्य 

 ज्योतिष के अनुसार सातवें भाव में अशुभ केतु ग्रह के कारण जातक को वात रोग या अंतडियों से संबंधित कोई रोग हो सकते हैं। ऐसे जातक जल के कारण भी भयभीत रहते हैं। ज्योतिष की सलाह में ऐसे जातकों को अधिक भावुक होने से बचना चाहिए।

केतु ग्रह
कुंडली के सातवें भाव में केतु ग्रह

कुंडली में ग्रहों से सम्बंधित जानकारी या ग्रह शांति, एवं पूजा हेतु आज ही ‘मंगल भवन’ से जुड़े ।

निष्कर्ष 

सातवें भाव में केतु की स्थिति जातकों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव होते हैं। कहीं यह जातक के जीवन में खुशी, प्यार, लगाव ला सकता है, तो कहीं यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में उनके पतन का कारण भी बन सकता है। ऐसे जातक के जीवनसाथी के रिश्ते में दीर्घायु की कमी होती और वे काफी पहले ही अलग हो जाते हैं। इस भाव में केतु ग्रह से प्रभावित जातक स्वभाव से क्रोधित  हो सकते हैं। इस स्थिति वाले जातक दूसरों के प्रति मन में द्वेष रख सकते हैं जो उन्हें नकारात्मक बना सकता है और उनके कष्टों को बढ़ा सकता है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह

पहले भाव में केतु ग्रहदूसरे भाव में केतु ग्रह
तीसरे भाव में केतु ग्रह महत्वचौथे भाव में केतु ग्रह
पांचवें भाव में केतु ग्रह महत्वछठे भाव में केतु ग्रह
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कुंडली के नौवें भाव में केतु ग्रहकुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह
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केतु ग्रह सातवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?

An- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी कारक ग्रह शुक्र और बुध दोनों हैं।

Q- क्या, कुंडली में सातवें भाव में केतु ग्रह शुभ होता है?

An- कुंडली में सातवें भाव में केतु ग्रह जातक शुभ तथा अशुभ दोनों प्रकार से प्रभावित करता है।

Q- ज्योतिष में कुंडली के सातवें भाव को क्या कहा जाता है?

An- शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें काम का संबंध सप्तम भाव से होता है।

Q- सातवें भाव में केतु ग्रह हो तो क्या प्रभाव होता है?

An- यदि कुंडली के सातवें भाव में केतु ग्रह की उपस्थिति हो तो ऐसे जातक कुछ हद तक कमजोर कारकों से संबंधित होते हैं, वे किसी भी चीज को लेकर बहुत अधिक उत्तेजित और भावुक होते हैं।

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