ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में छठा भाव में केतु ग्रह स्वयं विराजित होते हैं क्योंकि छठा भाव केतु ग्रह का अपना भाव (घर) होता है। सामान्यतः इस भाव में केतु ग्रह अपना शुभ फल देता है। वैसे अशुभ केतु प्रभाव के होने के कारण केतु जातक को कई प्रकार के कष्ट तथा समस्याएं देता है जैसे नपुंसकता, रीढ़ की हड्डी में पीड़ा आदि।
‘मंगल भवन’ के प्रमुख तथा अनुभवी ज्योतिष आचार्य श्री गोपाल जी के अनुसार, केतु ग्रह, कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अपना असर डालते हैं। ये प्रभाव ग्रहों की स्थिति के अनुसार शुभ या अशुभ हो सकते हैं।
ज्योतिष में केतु एक अत्यंत क्रूर ग्रह माने जाते है, परंतु यदि केतु कुंडली में शुभ स्थान पर शुभ ग्रहों के साथ है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं और यदि पीड़ित अवस्था मब हो तो यह जातक को अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से चर्चा करते हैं केतु ग्रह छटवें भाव को किस तरह का प्रभावित करता है-
छठे भाव में केतु ग्रह: महत्व (Ketu in 6th house)
ज्योतिष में, केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह कहलाते है। हालांकि ऐसा नहीं है कि केतु ग्रह जातक को केवल बुरे ही नहीं बल्कि शुभ फल भी प्रदान करते हैं क्योंकि केतु को आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष और तांत्रिक विद्या आदि का कारक ग्रह माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है; लेकिन धनु राशि है जो केतु ग्रह की उच्च राशि है, जबकि मिथुन राशि, केतु की नीच है। इसके अलावा 27 नक्षत्रों में से केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी कहा गया है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह जो कि स्वर भानु राक्षस का धड़ है और उसी राक्षस से सिर के भाग को राहु ग्रह कहा गया है।
ज्योतिष में, छठा भाव कर्ज, शत्रु, चोर, शरीर में घाव और निशान, निराशा, दुःख, ज्वर, पैतृक रिश्ते, पाप कर्म, युद्ध और रोग आदि को दर्शाता है। यह भाव कठिन परिश्रम, प्रतिस्पर्धा और कष्टों से जीवन में होने वाली वृद्धि को प्रकट करता है। छठे भाव से रोग या बीमारी की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। जातक कब तक रोग से पीड़ित रहेगा और रोग से ठीक होने के बारे में पता चलता है।
छठे भाव में केतु ग्रह: शुभ और अशुभ प्रभाव
- छठे भाव में स्थित केतु ग्रह जातक के शरीर को निरोगी बनाने का कार्य करता है। यदि कोई रोग होता भी है तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है। ऐसे लोग अपने भाइयों के प्रिय और उदार चरित्र के होते हैं।
- केतु के प्रभाव इन लोगों में दृढ़ निश्चयी क्षमता अधिक होती है। ऐसे लोग बहुत प्रसिद्ध होते हैं। इन लोगों को अपनी विद्या के बल पर यश की प्राप्ति होती है। ऐसे लोग अपने जीवन काल में श्रेष्ठ पद पर आसीन होते हैं।
- केतु के शुभ प्रभाव से ऐसे लोग इष्ट देव की सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इन लोगों को पशुओं से लगाव होता है और इनके पास पशु धन भी खूब होता है। ऐसे लोग शत्रुओं पर सदैव विजय हासिल करते हैं और विभिन्न विवादों में भी जीत इनकी ही होती है।
- छठे भाव में केतु के प्रभाव से इन जातकों को द्रव्य लाभ होता रहेगा। ऐसे लोग फिजूलखर्ची नहीं करते इसलिए इनके पास धन की बचत अच्छी रहती है।
- इस भाव का केतु ग्रह जातक को कई प्रकार के अशुभ फल भी देता है। फलस्वरूप ऐसे जातक कुछ झगड़ालू स्वभाव के होते हैं। इन जातकों को भूत प्रेत जैसी बाहरी बाधाओं से कष्ट प्राप्त हो सकते है। इसके अलावा अपने माता या ननिहाल पक्ष से भी कुछ हानि होने की संभावना हो सकती है।
- मामा का सुख कम मिलेगा या किसी कारण से मामा पक्ष से मतभेद की स्थिति हो सकती है जिससे ननिहाल में उचित आदर सम्मान नहीं मिल पाएगा।
- केतु के अशुभ प्रभाव के कारण आपको दांत का रोग अथवा होंठों से सम्बंधित कोई परेशानी हो सकती है। फिर भी आप विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा और विवादों में सफलता हासिल करेंगे।

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निष्कर्ष
छठे भाव में केतु ग्रह के होने से जातक को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों में किसी आकस्मिक दुर्घटना का भी भय बना रहता है। हालांकि, इस भाव में केतु के प्रभाव से जातक दृढ़ इच्छाशक्ति और मानसिक ऊर्जा में मजबूत होते हैं, जिसका उपयोग वे अपनी कठिनाइयों को दूर करने हेतु कर सकते हैं।
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केतु ग्रह छठे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली के छठे भाव में केतु ग्रह क्या फल देते हैं?
An- छठे भाव में केतु ग्रह सामान्यतः शुभ फल देता है। वैसे अशुभ केतु प्रभाव के होने के कारण केतु जातक को कई प्रकार के कष्ट तथा समस्याएं देता है।
Q- कुंडली में छठे भाव में किसका स्थान होता है?
An- कुंडली में छठे भाव को ‘शत्रु भाव’ की संज्ञा दी गई है।
Q- कुंडली में छठे भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली में छठे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है और कारक ग्रह केतु है।
Q- क्या, कुंडली के छठे भाव में केतु शुभ होता है?
An- छठे भाव में केतु ग्रह सामान्यतः शुभ फल देता है।